खण्ड 3 : हमारा मध्यप्रदेश
पाठ 1 : सांस्कृतिक परिदृश्य
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मध्य प्रदेश की संस्कृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर – मध्य प्रदेश की संस्कृति मध्य प्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य है जिसमें चार सांस्कृतिक अंचल हैं। प्रत्येक अंचल का एक जीवंत लोक जीवन, बोली और परिवेश है। लोक जीवन कभी एकांगी नहीं होता और न ही एकरेखीय। वह बहुआयामी होता है। लोक में शताब्दियों से अनेक जातियाँ और जनजातियाँ एक साथ सांस्कृतिक समन्वय के साथ रहती आयी हैं। इनमें किसान, शिल्पकार, कलाकार और परम्परागत दक्ष समुदाय के लोग शामिल हैं, जो मनुष्य सभ्यता के प्रारम्भ से कला, साहित्य और संस्कृति के ताने-बाने को बुनते आये हैं। इसी सामुदायिकता से किसी अंचल की संस्कृति की पहचान और प्रतिष्ठा बनती है। संस्कृति किसी एक अकेले का दायित्व नहीं होती; उसमें पूरे समूह का सक्रिय सामूहिक दायित्व होता है। जीवन शैली, कला और वाचिक परम्परा मिलकर किसी अंचल की सांस्कृतिक पहचान बनाती हैं। यहाँ की संस्कृति प्राचीन है।
सारांश यह है कि मध्य प्रदेश की समृद्ध संस्कृति के अनेक रंग हैं।
प्रश्न 2. मध्य प्रदेश के प्रमुख सांस्कृतिक अंचलों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – मध्य प्रदेश के प्रमुख सांस्कृतिक अंचल मध्य प्रदेश के प्रमुखतः चार सांस्कृतिक अंचल हैं, जिनके नाम हैं
(1) निमाड़ अंचल, (2) मालवा अंचल, (3) बुन्देलखण्ड तथा (4) बघेलखण्ड
(1) निमाड़ अंचल – इस अंचल में नर्मदा नदी के किनारे अनेक आदिवासी जनजातियों का निवास है। यहाँ माहिष्मती जो वर्तमान में महेश्वर कहलाती है, एक पौराणिक नगरी है जहाँ सहस्रार्जुन जैसा हजार बाहुबल की शक्ति वाला राजा हुआ जिसे परशुराम ने परास्त किया। महेश्वर में मंडन मिश्र और शंकराचार्य में शास्त्रार्थ हुआ था। यह कहा जाता है कि यहाँ के तोते भी संस्कृत में वार्तालाप करते थे। महारानी अहिल्याबाई ने महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया तथा यहाँ सिंगाजी जैसे निर्गुणी संत कवि हुए हैं। इसी अंचल में ओंकारेश्वर का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भी है।
(2) मालवांचल – इसी अंचल में स्थित उज्जयिनी राजा विक्रमादित्य की राजधानी और महाकाल की नगरी है। कहते हैं समुद्र मंथन के समय अमृत कलश से छलकी बूँद से यह पवित्र हुई है। यहाँ क्षिप्रा नदी का अविरल प्रवाह रहता है। यहाँ कवि एवं योगीराज भर्तृहरि की साधना स्थली, कृष्ण-सुदामा के गुरु सान्दीपनि, विश्व के महानतम आदि कवि एवं नाटककार कालिदास एवं विश्व के प्रथम वैज्ञानिक वराहमिहिर की साधना स्थली भी यहीं अवन्तिका रही है। राजा भोज की धारानगरी, रानी रूपमती एवं बाजबहादुर का माण्डू भी मालवांचल में स्थित है। – भोज और मुंज जैसे कला और साहित्य प्रेमी राजाओं के कारण मालवा की भूमि कलामय और साहित्यमय हुई है। प्रसिद्ध संगीतज्ञ कुमार गंधर्व ने भी मालवा की भूमि को कबीरवाणी से ओत-प्रोत किया है।
(3) बुन्देलखण्ड – पुलिन्द, निषाद, शबर, रामठ, दाँगी आदि अनेक जातियों ने यहाँ की लोक संस्कृति को प्रभावित किया है। इस अंचल के चेदि राजा शिशुपाल और नरवरगढ़ के राजा नल चर्चित रहे हैं। मौर्य और शुंग काल में त्रिपुरी, एरण एवं विदिशा प्रसिद्ध नगर रहे हैं। प्रसिद्ध कला मन्दिर खजुराहो भी इसी अंचल में स्थित है। इसी अंचल में छत्रसाल जैसे वीर राजा और भूषण जैसे महाकवि हुए। बुन्देलखण्ड आल्हा ऊदल जैसे वीर योद्धा और महारानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना की कार्यस्थली रहा है। आंचलिक संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला और साहित्य का ख्याता ग्वालियर भी इसी अंचल में है। जहाँ हरिदास, तानसेन तथा बैजू बावरा जैसे महान संगीतकार हुए।
(4) बघेलखण्ड – यह भू-भाग रामायण काल में कोसल प्रान्त का ही भाग था। चित्रकूट जहाँ वनवास के समय राम, सीता एवं लक्ष्मण ने कुछ समय निवास किया, इसी अंचल में है। महाभारत में वर्णित विराटनगर जो आजकल सोहागपुर के नाम से जाना जाता है, यहीं पर है। इस अंचल में शिव, शक्ति और वैष्णव धर्म की परम्परा विद्यमान है। यहाँ के जनजीवन पर नाथपंथ एवं कबीरपंथ की छाप है।
यहाँ गोंड एवं कोल जैसी आदिम जनजातियाँ निवास करती है। विन्ध्य और रेवांचल के नाम से विख्यात बघेलखण्ड की भूमि लोक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 3. मालवा अंचल की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – मालवा अंचल की विशेषताएँ – मालवा अंचल को प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) यहाँ की भूमि शस्य श्यामला एवं उर्वरक है।
(2) राजा विक्रमादित्य की राजधानी एवं महाकाल की नगरी उज्जयिनी यहाँ स्थित है।
(3) मालवा अंचल में क्षिप्रा नदी कलकल बहती है।
(4) भोज और मुंज जैसे कला और साहित्य के प्रेमी राजाओं के कारण मालवा की धरती कला और साहित्य से ओतप्रोत है।
(5) राजा भोज की धारा नगरी यहीं है।
(6) रानी रूपमती और बाजबहादुर का माण्डू मालवा में ही है।
(7) कवि एवं योगीराज भर्तृहरि की साधना स्थली यहीं है।
(8) विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक वराहमिहिर की कार्यस्थली अवन्तिका यहीं है।
(9) संस्कृत के महानतम कवि और नाटककार कालिदास भी यहीं की देन हैं।
(10) कृष्ण और सुदामा ने इसी अंचल में शिक्षक गुरु सान्दीपनि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की।
प्रश्न 4. बुन्देलखण्ड अंचल की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर — बुन्देलखण्ड अंचल की विशेषताएँबुन्देलखण्ड अंचल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) बुन्देलखण्ड की लोक संस्कृति पुलिन्द, निषाद, शबर, रामठ, दाँगी आदि अनेक जातियों से प्रभावित है।
(2) यहाँ छत्रसाल जैसे शासक एवं भूषण जैसे कवि पैदा हुए।
(3) यह आल्हा-ऊदल जैसे वीर योद्धा एवं झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना की कर्मभूमि है।
(4) यहाँ मौर्य शुंग काल में विदिशा, एरण एवं त्रिपुरी प्रसिद्ध नगर थे।
(5) चेदि राजा शिशुपाल एवं नरवरगढ़ राज्य के राजा नल इस अंचल के चर्चित राजा रहे हैं।
(6) बुन्देलखण्ड में लोक संस्कृति एवं लोक कलाओं की धारा निरन्तर बहती रही है।
(7) यहाँ ईसुरी प्रसाद एवं गंगाधरं जैसे बुन्देली के प्रसिद्ध लोक कवि हुए हैं।
(8) बुन्देलखण्ड में खजुराहो के कलामंदिर विश्वभर की धरोहर हैं।
(9) शिवपुरी-ग्वालियर एक अलग संस्कृति, साहित्य और कला सम्पन्न क्षेत्र रहा है।
(10) सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र ग्वालियर क्षेत्र संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला और साहित्य के लिए प्रसिद्ध रहा है।
(11) ग्वालियर की भूमि के कण-कण में शास्त्रीय संगीत समाया हुआ है तथा यहाँ हरिदास, तानसेन, बैजूबावरा जैसे शास्त्रीय संगीत के महान संगीतकार अवतरित हुए हैं।
प्रश्न 5. ग्वालियर क्षेत्र से कौन-कौन से संगीतज्ञ जुड़े हुए हैं ? लिखिए।
उत्तर – ग्वालियर क्षेत्र से स्वामी हरिदास, तानसेन एवं बैजू बावरा जैसे संगीतज्ञ जुड़े हैं।
प्रश्न 6. वर्तमान सोहागपुर का महाभारत काल नाम क्या था?
उत्तर — वर्तमान सोहागपुर को महाभारत काल में विराट नगर नाम से जाना जाता था।