MP Board Class 8th History Chapter 7 :  देशी जनता” को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

म.प्र. बोर्ड कक्षा आठवीं संपूर्ण हल- इतिहास– हमारे अतीत 3 (History: Our Pasts – III)

Chapter 7 : देशी जनता” को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

प्रश्न – अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)

महत्वपूर्ण बिन्दु

  • भारतीय शिक्षा का विकास दो विचारधाराओं के माध्यम से हुआ – (1) प्राच्यवादी धारणा, (2) पश्चिमवादी धारणा।  
  • प्राच्यवादी धारणा के अन्तर्गत जोन्स, कोलबुक, हॉलहेड इत्यादि विद्वान थे।  
  • पश्चिमवादी धारणा के अन्तर्गत जेम्स मिल, मैकाले, वुडस इत्यादि विचारक थे।
  • जोन्स ने कोलबुक व हॉलहेड के साथ मिलकर “एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल” का गठन किया।  
  • 1781 में अरबी, फारसी, इस्लामिक अध्ययन के लिए कलकत्ता में एक मदरसा खोला गया।  
  • 1791 में बनारस में हिन्दू कॉलेज की स्थापना की गई। >
  • 1854 का शिक्षा का नीति पत्र (डिस्पैच) भारत भेजा गया जो वुड डिस्पैच के नाम से जाना जाता है।  
  • 1901 में रविन्द्रनाथ टैगोर ने शान्ति निकेतन संस्था की स्थापना की।

महत्वपूर्ण शब्दावली

भाषाविद् – एक ऐसा व्यक्ति जो कई भाषाओं का जानकार और विद्यार्थी होता है। •

मदरसा -सीखने के स्थान को अरबी भाषा में मदरसा कहा जाता है। यह किसी भी तरह का स्कूल या कॉलेज या कोई संस्थान हो सकता है।

प्राच्यवादी – एशिया की भाषा और संस्कृति का गहन ज्ञान रखने वाले लोग।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

1835 – अंग्रेजी का शिक्षा अधिनियम पारित किया गया।

1854 – वुड्स डिस्पैच जारी किया गया।

पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

पृष्ठ संख्या # 85

प्रश्न 1. कल्पना कीजिए कि आप 1850 के दशक में जी रहे हैं। आपने वुड के नीति-पत्र (वड्स डिस्पैच) के बारे में सुना है। इसके बारे में अपनी प्रतिक्रियाएँ लिखिए।

उत्तर – वुड ने नीति (वुड्स डिस्पैच) के बारे में सुनकर निम्नलिखित प्रतिक्रियाएँ सामने आयीं

(1) यह भारत के प्राच्यवादी ज्ञान का विरोध करता है तथा पाश्चात्य शिक्षा, कला, दर्शन, विज्ञान और साहित्य के प्रसार पर जोर देता है जो कि पूर्णतः गलत है।

(2) उच्च शिक्षा को अंग्रेजी भाषा के माध्यम से दिये जाने पर बल देता है। अंग्रेजी भाषा को विशेष दर्जा देना गलत है।

(3) इस शिक्षा का व्यावहारिक लाभ यूरोपीय अर्थ में बताया है, मैं इस तर्क के खिलाफ हूँ।

अतः एक भारतीय होने के नाते वुड के नीति पत्र पर मेरी प्रतिक्रियाएँ इसके खिलाफ हैं।

पृष्ठ संख्या # 88

प्रश्न 2. कल्पना कीजिए कि आप 1850 के दशक में एक गरीब परिवार में पैदा हुए हैं। अब बताएँ कि सरकार द्वारा नियंत्रित पाठशालाओं पर आपकी क्या राय होगी?

उत्तर– सरकार द्वारा नियंत्रित पाठशालाओं पर राय निम्नलिखित हैं

(1) सरकार द्वारा नियंत्रित पाठशालाओं की समय-सारणी लचीली नहीं है। यह गरीब परिवारों के बच्चों की आवश्यकताओं के अनुकूल नहीं है। बच्चों का नियमित रूप से स्कूल जाना आवश्यक है। गरीब परिवारों के बच्चे फसल कटाई के समय पाठशाला नहीं जा सकेंगे जिसे यहाँ अनुशासनहीनता माना जायेगा।

प्रश्न 3. क्या आपको मालूम है कि प्राथमिक स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों में से लगभग 50 प्रतिशत बच्चे 13-14 साल की उम्र तक पहुँचते – पहुँचते स्कूल छोड़ चुके होते हैं ? क्या आप बता सकते हैं कि इस स्थिति के कारण क्या हैं?

उत्तर – स्कूल बीच में छोड़ने के निम्नलिखित कारण हैं

(1) माता-पिता का गरीब होना।

(2) माता-पिता का अशिक्षित होना।

(3) स्कूलों की खराब गुणवत्ता।

(4) विद्यालय का दूर होना तथा यातायात के साधनों की कमी होना।

(5) बच्चों पर आजीविका का भार।

(6) जागरूकता की कमी।

पृष्ठ संख्या # 92

प्रश्न 4. ‘अन्यत्र’ के अन्तर्गत ‘सभ्य करने के लिए शिक्षा’ शीर्षक के मैटर को पढ़कर क्या आप बता सकते हैं कि इस तरह के विचारों ने इंग्लैण्ड में गरीबों तथा उपनिवेशों में “देशी जनता” की शिक्षा से सम्बन्धित सोच को किस तरह प्रभावित किया होगा?

उत्तर – इंग्लैण्ड में गरीबों तथा उपनिवेशों में देशी जनता की शिक्षा से सम्बन्धित सोच को निम्नलिखित तरीके से प्रभावित किया होगा

(1) देशी जनता को वही पढ़ाना चाहिए जिससे वे पहले से परिचित हों।

(2) उन्हें अनजाने विषयों की शिक्षा न दी जाये।

(3) उनके लिए मदरसा, हिन्दू कॉलेज की स्थापना की गई, ताकि वहाँ प्राचीन संस्कृत ग्रंथों की शिक्षा दी जा सके और देश का शासन चलाने में मदद मिले।

पाठान्त प्रश्नोत्तर

आइए कल्पना करें

प्रश्न – कल्पना कीजिए कि अंग्रेजी शिक्षा पर महात्मा गांधी और मैकॉले के बीच चर्चा चल रही है और आप ध्यान से चर्चा सुन रहे हैं। आप एक पन्ने में लिखें कि दोनों क्या कह रहे हैं ?

उत्तर – मैकॉले का कथन

(1) पूर्वी ज्ञान (भारतीय शिक्षा) की कोई भी शाखा इंग्लैण्ड की प्रगति के समकक्ष नहीं है।

(2) भारत में ब्रिटिश सरकार को प्राच्यवादी ज्ञान पर सरकारी पैसा बरबाद नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे कोई फायदा होने वाला नहीं है।

गांधीजी का कथन

(1) पश्चिमी शिक्षा मौखिक ज्ञान देने में सक्षम नहीं है।

(2) पश्चिमी शिक्षा जीवन के अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान की उपेक्षा करती है।

(3) गाँधीजी का मानना है कि दिमाग और आत्मा का सर्वोच्च विकास हस्तकौशल से सम्भव है।

(4) बालक और मनुष्य की देह, मस्तिष्क और भावना के श्रेष्ठ तत्वों को सामने लाने की कला ही शिक्षा है जो कि भारतीय शिक्षा में मौजूद है।

फिर से याद करें

प्रश्न 1. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ

उत्तर -(क) → (ii), (ख) → (iii), (ग) → (i),  (घ) → (v), (ङ) → (iv)

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ

(क) जेम्स मिल प्राच्यवादियों के घोर आलोचक थे।

(ख) 1854 के शिक्षा सम्बन्धी डिस्पैच में इस बात पर  जोर दिया गया था कि भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होना चाहिए।

(ग) महात्मा गांधी मानते थे कि साक्षरता बढ़ाना ही शिक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।

(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर को लगता था कि बच्चों पर सख्त अनुशासन होना चाहिए।

उत्तर – (क) सही, (ख) सही, (ग) गलत, (घ) गलत।

आइए विचार करें

प्रश्न 3. विलियम जोन्स को भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून का अध्ययन क्यों जरूरी दिखाई देता था ?

उत्तर – विलियम जोन्स एक भाषाविद थे। विभिन्न भाषाओं के जानकार विलियम जोन्स प्राचीन भारतीय संस्कृति, प्राचीन ग्रन्थों के अध्ययन पर जोर देते थे उन्होंने भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून के अध्ययन के लिए कुछ तर्क दिये जो कि निम्नलिखित हैं

(1) भारत को समझने के लिए प्राचीनकाल में लिखे गये यहाँ के पवित्र और कानूनी ग्रन्थों को खोजना व समझना बहुत जरूरी था।

(2) हिन्दुओं और मुसलमानों के असली विचारों व कानूनों को इन्हीं रचनाओं के जरिए समझा जा सकता है। इन रचनाओं के अध्ययन से ही भारत के भावी विकास का आधार पैदा हो सकता है।

प्रश्न 4. जेम्स मिल और टॉमस मैकॉले ऐसा क्यों सोचते थे कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है ?

उत्तर – उन्नीसवीं सदी की शुरुआत से ही बहुत सारे अंग्रेज अफसर शिक्षा के प्राच्यवादी दृष्टिकोण की आलोचना करने लगे थे, जिनमें जेम्स मिल और टॉमस मैकॉले प्रमुख थे। उनका तर्क था कि भारतीय समाज शिक्षा एवं साहित्य त्रुटियों से भरा हुआ है, अवैज्ञानिक है। उनकी राय में अंग्रेजी शिक्षा के जरिए भारतीयों को उपयोगी और व्यावहारिक चीजों का ज्ञान दिया जा सकता है। अंग्रेजी शिक्षा के ज्ञान से भारतीयों को विश्व की श्रेष्ठतम साहित्यिक कृतियों को पढने का मौका मिलेगा। वे पश्चिमी विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में हुए विकास से अवगत हो पाएँगे। इसलिए भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है।

प्रश्न 5. महात्मा गांधी बच्चों को हस्तकलाएँ क्यों सिखाना चाहते थे?

उत्तर – महात्मा गांधी बच्चों को हस्तकलाएँ इसलिए सिखाना चाहते थे क्योंकि हस्तकला से उनका मस्तिष्क और समझने की क्षमता दोनों विकसित होते हैं। हस्तकलाएँ सीखने के लिए बच्चों को हाथ से कार्य करना पड़ता है, हुनर की बारीकी सीखनी पड़ती है और यह भी जानना पड़ता है कि विभिन्न चीजें किस तरह काम करती हैं।

प्रश्न 6. महात्मा गांधी ऐसा क्यों सोचते थे कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को गुलाम बना लिया है ?

उत्तर– महात्मा गांधी ऐसा इसलिए सोचते थे क्योंकि उनका मानना था कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का भाव पैदा कर दिया है। इसके प्रभाव में आकर यहाँ के लोग पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठतर मानने लगे हैं। अपनी संस्कृति के प्रति उनका गौरव भाव नष्ट हो गया है। अंग्रेज़ी शिक्षा भारतीयों को अपाहिज बना रही है। इस शिक्षा में मौखिक ज्ञान की बजाय केवल पढ़ने और लिखने पर ही जोर दिया जाता है लेकिन जीवन अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान की उपेक्षा की जाती है। यह शिक्षा उन्हें अपने सामाजिक परिवेश से दूर ले जा रही है। उनकी राय में विदेशी भाषा बोलने वाले, स्थानीय संस्कृति से घृणा करने वाले अंग्रेजी शिक्षित जनता से जुड़ने के तौर-तरीके भूल चुके हैं और उन्हें अपनी ही भूमि पर अजनबी बना दिया है। न आइए करके देखें ।

प्रश्न 7. अपने घर के बुजुर्गों से पता करें कि स्कूल में उन्होंने कौन-कौन-सी चीजें पढ़ी थीं ?

उत्तर – घर के बुजुर्गों से पता करने पर ज्ञात हुआ कि उन्होंने हिन्दी भाषा, गणित, दर्शन के साथ-साथ व्याकरण, ज्योतिष तथा नागरिकशास्त्र इत्यादि विषय भी पढ़े थे।

प्रश्न 8. अपने स्कूल या आस-पास के किसी अन्य स्कूल के इतिहास का पता लगाएँ।

उत्तर – नोट-विद्यार्थी अपने स्कूल के इतिहास के बारे में स्वयं पता लगाने का प्रयास करें।

NCERT Social Science History class 8 Book Solution chapter 7 : देशी जनता” को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

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