पाठ : सप्तम : – सौहार्दं प्रकृतेः शोभा
Chapter 7 – सौहार्दं प्रकृतेः शोभा हिन्दी अनुवाद, शब्दार्थ एवं अभ्यास
पाठ का अभ्यास
प्रश्न १. एकपदेन उत्तरं लिखत
(एक शब्द में उत्तर दीजिए-)
(क) वनराजः कैः दुरवस्थां प्राप्तः ?
(जंगल का राजा किनके द्वारा दुरवस्था को प्राप्त हुआ ?)
उत्तर – तुच्छजीवैः (तुच्छ जीवों के द्वारा)।
(ख) कः वातावरणं कर्कशध्वनिना आकुलीकरोति ?
(कौन वातावरण को कर्कश आवाज से अशान्त करता है ?)
उत्तर -काकः (कौआ)।
(ग) काकचेष्टः विद्यार्थी कीदृशः छात्रः मन्यते ?
(कौआ जैसी चेष्टा वाला विद्यार्थी कैसा माना जाता है ?)
उत्तर – आदर्शः (आदर्श)।
(घ) कः आत्मानं बलशाली, विशालकायः, पराक्रमी च कथयति।
(कौन अपने आपको बलशाली, विशालकाय और पराक्रमी कहता है ?)
उत्तर – गजः (हाथी)।
(ङ) बकः कीदृशान् मीनान् क्रूरतया भक्षयति ?
( बगुला कैसी मछलियों को क्रूरता से खाता है ?)
उत्तर– वराकान् (बेचारी)।
प्रश्न २. अधोलिखितप्रश्नानामुत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत
(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य के द्वारा लिखिए-)
(क) निःसंशयं कः कृतान्तः मन्यते ?
(निश्चित रूप से कौन यमराज माना गया है ?)
उत्तर -यः सदा परैः वित्रस्तान् पीड्यमानान् जन्तून् न रक्षति सः पार्थिवरूपेण नि:संशयं कृतान्त: मन्यते।
(जो सदा दूसरों के द्वारा विशेष रूप से डरे हुए पीड़ित प्राणियों की रक्षा नहीं करता है वह शरीर रूप में निश्चित रूप से यमराज है।)
(ख) बकः वन्यजन्तूनां रक्षोपायान् कथं चिन्तयितुं कथयति ?
(बगुला वन की प्राणियों की रक्षा के उपायों को कैसे सोचने के लिए कहता है ?)
उत्तर – बकः वन्यजन्तूनां रक्षोपायान् शीतले जले बहुकालपर्यन्तम् अविचल: ध्यानमग्नः स्थितप्रज्ञ इव स्थित्वा चिन्तयितुम् कथयति।
(बगुला वन के प्राणियों की रक्षा के उपायों को ठण्डे पानी में बहुत समय तक बिना हिले-डुले, ध्यान में मग्न, निर्णय लेने में दृढ़ के समान स्थित होकर सोचने के लिए कहता है।)
(ग) अन्ते प्रकृतिमाता प्रविश्य सर्वप्रथमं किं वदति ?
(अन्त में प्रकृतिमाता प्रवेश करके सबसे पहले क्या कहती हैं ?)
उत्तर – अन्ते प्रकृतिमाता प्रविश्य सर्वप्रथमं वदति-“भोः भोः प्राणिनः। यूयम् सर्वे एव मे सन्ततिः। कथं मिथः कलहं कुर्वन्ति।” इति।
(अन्त में प्रकृतिमाता प्रवेश करके सबसे पहले कहती हैं-“अरे अरे प्राणियों ! तुम सब ही मेरी सन्तान हो। क्यों आपस में कलह करते हो।”)
(घ) यदि राजा सम्यक् न भवति तदा प्रजा कथं विप्लवेत् ?
(यदि राजा अच्छा नहीं होता तब प्रजा कैसे डूब सकती है ?)
उत्तर– यदि राजा सम्यक् न भवति तदा प्रजा जलधौ अकर्णधारा नौ इव विप्लवेत्। (यदि राजा अच्छा नहीं होता तब प्रजा समुद्र में विना नाविक की नाव के समान डूब सकती है।)
(ङ) मयूरः कथं नृत्यमुद्रायां स्थितः भवति ?
(मोर कैसे नृत्य की मुद्रा में स्थित होता है ?)
उत्तर– मयूरः पिच्छानुद्घाट्य नृत्यमुद्रायां स्थितः भवति।
(मोर पंखों को फैलाकर नृत्य की मुद्रा में स्थित होता है।)
(च) अन्ते सर्वे मिलित्वा कस्य राज्याभिषेकाय तत्पराः भवन्ति।
(अन्त में सभी मिलकर किसके राज्याभिषेक के लिए तैयार होते हैं ?)
उत्तर – अन्र्ते सर्वे मिलित्वा उलूकस्य राज्याभिषेकाय तत्पराः भवन्ति।
(अन्त में सभी मिलकर उल्लू के राज्याभिषेक के लिए तैयार होते हैं।)
(छ) अस्मिन्नाटके कति पात्राणि सन्ति ?
(इस नाटक में कितने पात्र हैं ?)
उत्तर – अस्मिन्नाटके द्वादश पात्राणि सन्ति।
(इस नाटक में बारह पात्र हैं।)
प्रश्न ३. रेखांकितपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(रेखांकित पद के आधार पर प्रश्न निर्माण कीजिए-)
(क) सिंहः वानराभ्यां स्वरक्षायाम् असमर्थः एवासीत्।
(शेर बन्दरों से अपनी रक्षा में असमर्थ ही था।)
प्रश्ननिर्माणम्-सिंहः वानराभ्यां किमर्थम् असमर्थः एवासीत् ?
(शेर बन्दरों से किसलिए असमर्थ था ?)
(ख) गजः वन्यपशून् तुदन्तं शुण्डेन पोथयित्वा मारयति।
(हाथी वन्य पशुओं को तंग किया जाता हुआ (मैं) सूंड से पटककर मारता है।)
प्रश्ननिर्माणम् – गजः वन्यपशून् तुदन्तं केन पोथयित्वा मारयति ?
(हाथी वन्य पशुओं को तंग किया जाता हुआ (मैं) किससे पटक कर मारता है ?)
(ग) वानरः आत्मानं वनराजपदाय योग्यः मन्यते।
(बन्दर अपने को वनराज पद के लिए योग्य मानता है।)
प्रश्ननिर्माणम् – वानरः आत्मानं कस्मै योग्यः मन्यते ?
(बन्दर अपने को किसके योग्य मानता है ?)
(घ) मयूरस्य नृत्यं प्रकृतेः आराधना।
(मोर का नृत्य प्रकृति की आराधना है।)
प्रश्ननिर्माणम् – मयूरस्य नृत्यं कस्याः आराधना ?
(मोर का नृत्य किसकी आराधना है ?)
(ङ) सर्वे प्रकृतिमातरं प्रणमन्ति।
(सभी प्रकृतिमाता को प्रणाम करते हैं।)
प्रश्ननिर्माणम् – सर्वे कां प्रणमन्ति ?
(सभी किसको प्रणाम करते हैं ?)
प्रश्न ४. शुद्धकथनानां समक्षम् (आम्) अशुद्धकथनानां च समक्षं (न) इति लिखत
(शुद्ध कथनों के समक्ष (हाँ) और अशुद्ध कथनों के समक्ष (नहीं) लिखिए-)
(क) सिंहः आत्मानं तुदन्तं वानरं मारयति।
(ख) का-का इति बकस्य ध्वनिः भवति ।
(ग) काकपिकयोः वर्णः कृष्णः भवति।
(घ) गजः लघुकायः, निर्बल च भवति।
(ङ) मयूरः बकस्य कारणात् पक्षिकुलम् अवमानितं मन्यते।
(च) अन्योन्यसहयोगेन प्राणिनाम् लाभ: जायते।
उत्तर – (क) न, (ख) न, (ग) आम्, (घ) न, (ङ) आम, (च) आम्।
प्रश्न ५. मञ्जूषातः समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(मंजूषा से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को पूरा कीजिए-)
(स्थितप्रज्ञः, यथासमयम्, मेध्यामेध्यभक्षकः, अहिभुक्, आत्मश्लाघाहीनः, पिकः)
(क) काकः ……………….. भवति।
(ख). ………………परभृत् अपि कथ्यते।
(ग) बकः अविचल: ………………. इव तिष्ठति।
(घ) मयूरः ……………… इति नाम्नाऽपि ज्ञायते।
(ङ) उलूकः ……………… पदनिर्लिप्त: चासीत्।
(च) सर्वेषामेव महत्वं विद्यते ………………..।
उत्तर –(क) मेध्यामेध्यभक्षकः, (ख) पिकः, (ग) स्थितप्रज्ञः, (घ) अहिभुक्, (ङ) आत्मश्लाघाहीनः, (च) यथासमयम्।
प्रश्न ६. वाच्यपरिवर्तनं कृत्वा लिखत (वाच्य परिवर्तन करके लिखिए-)
उदाहरणम्- क्रुद्धः सिंहः इतस्ततः धावति गर्जति च।
क्रुद्धेन सिंहेन इतस्ततः धाव्यते गय॑ते च।
(क) त्वया सत्यं कथितम्।
(ख) सिंहः सर्वजन्तून् पृच्छति।
(ग) काकः पिकस्य संततिं पालयति।
(घ) मयूरः विधात्रा एव पक्षिराज: वनराजः वा कृतः।
(ङ) सर्वैः खगैः कोऽपि खगः एव वनराजः कर्तुमिष्यते स्म।
(च) सर्वे मिलित्वा प्रकृतिसौन्दर्याय प्रयत्नं कुर्वन्तु।
उत्तर
(क) त्वम् सत्यं कथितवान्।
(ख) सिंहेन सर्वजन्तवः पृच्छ्यन्ते।
(ग) काकेन पिकस्य संततिः पाल्यते।
(घ) मयूरं विधाता एव पक्षिराज वनराजं वा कृतवान्।
(ङ) सर्वे खगाः कमपि खगम् एव वनराजम् कर्तुम् इच्छन्ति स्म।
(च) सर्वैः मिलित्वा प्रकृतिसौन्दर्याय प्रयत्नः क्रियताम्।
प्रश्न ७. समासविग्रहं समस्तपदं वा लिखत
(समासविग्रह अथवा समस्तपद लिखिए-)
(क) तुच्छजीवैः ……………
(ख) वृक्षोपरि …………….
(ग) पक्षिणां सम्राट् …………”
(घ) स्थिता प्रज्ञा यस्य सः ……………
(ङ) अपूर्वम् ……….
(च) व्याघ्रचित्रको ……………
उत्तर –
(क) तुच्छैः जीवैः,
(ख) वृक्षस्य उपरि,
(ग) पक्षिसम्राट्,
(घ) स्थितप्रज्ञः,
(ङ) न पूर्वम्,
(च) व्याघ्रः चित्रक: च।