MP Board Class 10th Sanskrit Shemushi Solution Chapter 5 – जननी तुल्यवत्सला

पाठ : पंचम : – जननी तुल्यवत्सला 

Chapter 5 – जननी तुल्यवत्सला  हिन्दी अनुवाद, शब्दार्थ एवं अभ्यास

पाठ का अभ्यास

प्रश्न १. एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखिए-).

(क) वृषभः दीनः इति जानन्नपि कः तं नुद्यमानः आसीत् ?

(बैल दीन है यह जानते हुए भी कौन उसको हाँक रहा था ?)

उत्तर – कृषकः। (किसान)।

(ख) वृषभः कुत्र पपात?

(बैल कहाँ गिर गया ?)

उत्तर – क्षेत्रे। (खेत में)।

(ग) दुर्बले सुते कस्याः अधिका कृपा भवति ?

(कमजोर पुत्र पर किसकी अधिक कृपा होती है ?)

उत्तर– मातुः। (माता की)।

(घ) कयोः एकः शरीरेण दुर्बलः आसीत् ?

(कौन दो में से एक शरीर से दुर्बल था ?)

उत्तर– वलीवर्दयोः। (दोनों बैलों में से)।

(ङ) चण्डवातेन मेघरवैश्च सह कः समजायत?

(प्रचण्ड वायु और बादलों के गर्जन के साथ क्या हुई ?)

उत्तर – प्रवर्षः। (वर्षा)।

प्रश्न २. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में लिखिए-)

(क) कृषकः किं करोति स्म ?

(किसान क्या कर रहा था ?)

उत्तर – कृषक: वलीवर्दाभ्यां क्षेत्रकर्षणं करोति स्म।

(किसान दो बैलों से खेत जोत रहा था।)

(ख) माता सुरभिः किमर्थम् अश्रूणि मुञ्चति स्म ?

(सुरभि माता किसलिए आँसू बहा रही थी?)

उत्तर – भूमौ पतिते स्वपुत्रं दृष्ट्वा माता सुरभिः अश्रूणि मुञ्चति स्म।

(भूमि पर गिरे हुए अपने पुत्र को देखकर सुरभि माता आँसू बहा रही थी।)

(ग) सुरभिः इन्द्रस्य प्रश्नस्य किमुत्तरं ददाति ?

(सुरभि इन्द्र के प्रश्न का क्या उत्तर देती है ?)

उत्तर -सुरभि इन्द्रस्य प्रश्नस्य उत्तरं ददाति यत “हे वासव ! अहं पुत्रस्य दैन्य दृष्ट्वा रोदिमि” इति।

(सुरभि इन्द्र के प्रश्न का उत्तर देती है कि “हे इन्द्र ! मैं पुत्र की दीनता को देखकर रो रही हूँ।)

(घ) मातुः अधिका कृपा कस्मिन् भवति ?

(माता की अधिक कृपा किस पर होती है ?)

उत्तर -मातुः अधिका कृपा दुर्बले सुते भवति।

(माता की अधिक कृपा कमजोर पुत्र पर होती है।)

(ङ) इन्द्रः दुर्बलवृषभस्य कष्टानि अपाकर्तुं किं कृतवान् ?

(इन्द्र ने कमजोर बैल के कष्टों को दूर करने के लिए क्या किया ?)

उत्तर – इन्द्रः दुर्बलवृषभस्य कष्टानि अपाकर्तुं वृष्टिम् कृतवान्।

(इन्द्र ने दुर्बल बैल के कष्टों को दूर करने के लिए वर्षा की।)

(च) जननी कीदृशी भवति ?

(माता कैसी होती है ?)

उत्तर – जननी तुल्यवत्सला भवति।

(माता समान रूप से प्यार करने वाली होती है।)

(छ) पाठेऽस्मिन् कयोः संवादः विद्यते ?

(इस पाठ में किन दोनों की बातचीत है ?)

उत्तर – पाठेऽस्मिन् सुरभि-इन्द्रयोः संवादः विद्यते।

(इस पाठ में सुरभि और इन्द्र की बातचीत है।)

प्रश्न ३. ‘क’ स्तम्भे दत्तानां पदानां मेलनं ‘ख’ स्तम्भे दत्तैः समानार्थकपदैः कुरुत

(‘क’ स्तम्भ में दिये गए शब्दों का मेल ‘ख’ स्तम्भ में दिये गए समानार्थक शब्दों से कीजिए-)

उत्तर -(क) → (vi), (ख) → (iii), (ग) → (v), (घ) → (ii), (ङ) → (vii), (च) → (iv), (छ) → (i)।

प्रश्न ४. स्थूलपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(मोटे शब्दों के आधार पर प्रश्न निर्माण कीजिए-)

(क) स कृच्छ्रेण भारम् उद्वहति ।

(वह कठिनाई से भार उठाता है।)

प्रश्ननिर्माणम् – स: कथं भारम् उद्वहति ?

(वह कैसे भार उठाता है ?)

(ख) सुराधिपः ताम् अपृच्छत् ।

(इन्द्र ने उससे पूछा ?)

प्रश्ननिर्माणम् -कः ताम् अपृच्छत् ?

(किसने उससे पूछा ?)

(ग) अयम् अन्येभ्यो दुर्बलः।

(यह दूसरों से कमजोर है।)

प्रश्ननिर्माणम् -अयम् केभ्यो दुर्बलः?

(यह किनसे कमजोर है ?)

(घ) धेनूनाम् माता सुरभिः आसीत्।

(गायों की माता सुरभि थी ?)

प्रश्ननिर्माणम् – कासाम् माता सुरभिः आसीत् ?

(किनकी माता सुरभि थी ?)

(ङ) सहस्त्राधिकेषु पुत्रेषु सत्स्वपि सा दु:खी आसीत्।

(हजारों पुत्रों के होने पर भी वह दु:खी थी।)

प्रश्ननिर्माणम् -कतिषु पुत्रेषु सत्स्वपि सा दुःखी आसीत् ?

(कितने पुत्रों के होने पर भी वह दुःखी थी ?)

प्रश्न ५. रेखाङ्कितपदे यथास्थानं सन्धि विच्छेदं वा कुरुत

(रेखांकित पद में यथास्थान सन्धि या विच्छेद कीजिए-)

(क) कृषक: क्षेत्रकर्षणं कुर्वन् + आसीत्।

(ख) तयोरेकः वृषभ: दुर्बलः आसीत्।

(ग) तथापि वृषः न + उत्थितः।

(घ) सत्स्वपि बहुषु पुत्रेषु अस्मिन् वात्सल्यं कथम् ?

(ङ) तथा + अपि + अहम् + एतस्मिन् स्नेहम् अनुभवामि ।

(च) मे बहूनि + अपत्यानि सन्ति।

(छ) सर्वत्र जलोपप्लवः सञ्जातः।

उत्तर – (क) कुर्वन्नासीत्, (ख) तयोः + एकः, (ग) नोत्थितः, (घ) सत्सु + अपि (ङ) तथाप्यहमेतस्मिन्, (च) बहून्यपत्यानि, (छ) जल + उपप्लवः।

प्रश्न ६. अधोलिखितेषु वाक्येषु रेखांकितसर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्

(नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित सर्वनाम पद किसके लिए प्रयुक्त किए गए हैं-)

(क) सा च अवदत् भो वासव ! अहम् भृशं दुःखिता अस्मि।

उत्तर – सुरभ्य।

(ख) पुत्रस्य दैन्यं दृष्ट्वा अहम् रोदिमि।

उत्तर – सुरभ्य।

(ग) स: दीनः इति जानन् अपि कृषक: तं पीडयति।

उत्तर – वृषभाय।

(घ) मे बहूनि अपत्यानि सन्ति।

उत्तर – सुरभ्यैः ।

(ङ) सः च ताम् एवम् असान्त्वयत्।

उत्तर – इन्द्राय।

(च) सहस्रेषु पुत्रेषु सत्स्वपि तव अस्मिन् प्रीतिः अस्ति।

उत्तर– सुरभ्य।

प्रश्न ७. ‘क’ स्तम्भे विशेषणपदं लिखितम्, ‘ख’ स्तम्भे पुनः विशेष्यपदम् तयोः मेलनं कुरुत

(‘क’ स्तम्भ में विशेषण शब्द लिखे हैं ‘ख’ स्तम्भ में पुनः विशेष्य शब्द हैं। उनका मिलान कीजिए-)

उत्तर – (क) → (vii), (ख) → (i), (ग) → (iii), (घ) → (vi), (ङ) → (ii), (च) → (iv), (छ) → (v)।

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