कक्षा नवमीं संस्कृत – शेमुषी (Shemushi)
पाठ: चतुर्थ: – कल्पतरूः
पाठ का अभ्यास
प्रश्न १. एकपदेन उत्तरं लिखत
(एक शब्द में उत्तर लिखिए-)
(क) जीमूतवाहनः कस्य पुत्रः आसीत् ?
(जीमूतवाहन किसका पुत्र था ?)
उत्तर – जीमूतकेतोः। (जीमूतकेतु का)।
(ख) संसारेऽस्मिन् कः अनश्वरः भवति ?
(इस संसार में कौन नष्ट न होने वाला होता है ?)
उत्तर-परोपकारः। (परोपकार)।
(ग) जीमूतवाहनः परोपकारैकफलसिद्धये कम् आराधयति ?
(जीमूतवाहन परोपकार रूपी एकमात्र फल को प्राप्त करने के लिए किसकी आराधना करता है ?)
उत्तर – कल्पपादपम्। (कल्पवृक्ष की)।
(घ) जीमूतवाहनस्य सर्वभूतानुकम्पया सर्वत्र किं प्रथितम् ?
(जीमूतवाहन की सभी जीवों के प्रति कृपा करने से सभी जगह क्या प्रसिद्ध हो गई ?)
उत्तर-यशः। (कीर्ति)।
(ङ) कल्पतरु: भुवि कानि अवर्षत् ?
(कल्पवृक्ष ने पृथ्वी पर किनकी वर्षा की ?)
उत्तर-वसूनि। (धन की)।।
प्रश्न २. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा के द्वारा लिखो-)
(क) कञ्चनपुरं नाम नगरं कुत्र विभाति स्म ?
(कंचनपुर नामक नगर कहाँ सुशोभित होता था ?)
उत्तर – कञ्चनपुरं नाम नगरं हिमालयपर्वतस्य शिखरे विभाति स्म। (कंचनपुर नामक नगर हिमालय पर्वत की चोटी पर सुशोभित होता था।)
(ख) जीमूतवाहनः कीदृशः आसीत् ?
(जीमूतवाहन कैसा था ?)
उत्तर-जीमूतवाहन: महान् दानवीरः सर्वभूतानुकम्पी च आसीत्।
(जीमूतवाहन महान् दानवीर और सभी प्राणियों पर कृपा करने वाला था।)
(ग) कल्पतरोः वैशिष्ट्यमाकर्ण्य जीमूतवाहनः किम् अचिन्तयत् ?
(कल्पवृक्ष की विशेषता को सुनकर जीमूतवाहन ने क्या सोचा ?)
उत्तर – कल्पतरों: वैशिष्ट्यमाकर्ण्य जीमूतवाहनः अचिन्तयत्-“अहो! ईदृशम्अमरपादपं प्राप्यापि पूर्वैः पुरुषैः अस्माकं तादृशं फलं किमपि न प्राप्तम्। किन्तु केवलं कैश्चिदेव कृपणैः कश्चिदपि अर्थ: अर्थितः। तदहम् अस्मात् कल्पतरोः अभीष्टं साधयामि” इति।
(कल्पवृक्ष की विशेषता को सुनकर जीमूतवाहन ने सोचा-“अरे खेद है! इस प्रकार के अमरवृक्ष को पाकर भी हमारे पूर्वजों ने वैसा कुछ भी फल प्राप्त नहीं किया। किन्तु केवल कुछ ही अभागों ने थोड़ा-सा (तुच्छ) ही धन माँगा। तो मैं इस कल्पवृक्ष से मनचाहे को पूरा करूँगा।”)
(घ) हितैषिणः मन्त्रिण: जीमूतवाहनं किम् उक्तवन्तः ?
(हितैषी मन्त्री जीमूतवाहन से क्या बोले ?)
उत्तर -हितैषिणः मन्त्रिण: जीमूतवाहनम् उक्तवन्त:-“युवराज! योऽयं सर्वकामदः कल्पतरु: तवोद्याने तिष्ठति स तव सदा पूज्यः। अस्मिन् अनुकूले स्थिते सति शक्रोऽपि अस्मान् बाधितुं न शक्नुयात्” इति।
(हितैषी मन्त्री जीमूतवाहन से बोले-“युवराज! जो यह सभी कामनाओं को पूरा करने वाला कल्पवृक्ष तुम्हारे उद्यान में खड़ा है वह तुम्हारे द्वारा सदैव पूज्य है। इसके अनुकूल रहने पर इन्द्र भी हमें बाधा नहीं पहुंचा सकता।”)
(ङ) जीमूतवाहनः कल्पतरुम् उपगम्य किम् उवाच ?
(जीमूतवाहन कल्पवृक्ष के पास पहुँचकर क्या बोला ?)
उत्तर-जीमूतवाहनः कल्पतरुम् उपगम्य उवाच-“देव! त्वया तस्मत्पूर्वेषाम् अभीष्टाः कामा: पूरिता: तन्यमैकं कामं पूरय। यथा पृथिवीम् अदरिद्राम् पश्यामि, तथा करोतु देव” इति।
(जीमूतवाहन कल्पवृक्ष के पास जाकर बोला-“हे देव! आपके द्वारा हमारे पूर्वजों की मनचाही इच्छाओं को पूरा किया गया है, तो मेरी भी एक इच्छा को पूरा कर दीजिए जिससे इस संसार को निर्धनता रहित देख सकूँ, हे देव! वैसा कुछ कीजिए।)
प्रश्न ३. अधोलिखितवाक्येषु स्थूलपदानि कस्मै प्रयुक्तानि?
(नीचे लिखे वाक्यों में मोटे शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुए हैं ?)
(क) तस्य सानोरूपरि विभाति कञ्चनपुरं नाम नगरम्।
उत्तर-हिमवते।
(ख) राजा सम्प्राप्तयौवनं तं यौवराज्ये अभिषिक्तवान्।
उत्तर – जीमूतवाहनाय।
(ग) अयं तव सदा पूज्यः।
उत्तर-कल्पवृक्षाय।
(घ) तात! त्वं तु जानासि यत् धनं वीचिवच्चञ्चलम्।
उत्तर – जीमूतकेतवे।
प्रश्न ४. अधोलिखितानां पदानां पर्यायपदं पाठात् चित्वा लिखत
(नीचे लिखे शब्दों के पर्याय शब्द पाठ से चुनकर लिखो-)
उत्तर-
(क) पर्वतः – नगेन्द्रः
(ख) भूपतिः – राजा
(ग) इन्द्रः – शक्रः
(घ) धनम् – अर्थः, वसु
(ङ) इच्छितम् – अभीष्टतम्, अर्थितम्
(च) समीपम् – अन्तिकम्
(छ) धरित्रीम् – पृथ्वीम्
(ज) कल्याणम् – हितम्
(झ) वाणी – वाक्
(ज) वृक्षः – तरुः, पादपः
प्रश्न ५. ‘क’ स्तम्भे विशेषणानि ‘ख’ स्तम्भे च विशेष्याणि दत्तानि। तानि समुचितं योजयत
(‘क’ स्तम्भ में विशेषण और ‘ख’ स्तम्भ में विशेष्य दिये गये हैं। उनको ठीक से मिलाओ-)
उत्तर – (अ) → (iv), (ब) → (iii), (स) → (ii), (द) → (v), (य) – (i)।
प्रश्न ६. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(मोटे शब्दों के आधार पर प्रश्न निर्माण करो-)
(क) तरोः कृपया सः पुत्रम् प्राप्नोत् ।
(वृक्ष की कृपा से उसने पुत्र को प्राप्त किया।)
प्रश्ननिर्माणम् – कस्य कृपया सः पुत्रम् प्राप्नोत् ?
(किसकी कृपा से उसने पुत्र को प्राप्त किया ?)
(ख) सः कल्पतरवे न्यवेदयत्।
(उसने कल्पवृक्ष से निवेदन किया।)
प्रश्ननिर्माणम् – स: कस्मै न्यवेदयत् ?
(उसने किससे निवेदन किया ?)
(ग) धनवृष्ट्या कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत्।
(धनवर्षा से कोई भी निर्धन नहीं रहा।)
प्रश्ननिर्माणम् – कथं कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत् ?
(कैसे कोई भी निर्धन नहीं रहा?)
(घ) कल्पतरुः पृथिव्यां धनानि अवर्षत्।
(कल्पवृक्ष ने पृथ्वी पर धन की वर्षा की।)
प्रश्ननिर्माणम् – कल्पतरु: कुत्र धनानि अवर्षत् ?
(कल्पवृक्ष ने कहाँ धन की वर्षा की?)
(ङ) जीवानुकम्पया जीमूतवाहनस्य यशः प्रासरत्।
(जीवों के प्रति कृपा से जीमूतवाहन की कीर्ति फैली।)
प्रश्ननिर्माणम् – कथं जीमूतवाहनस्य यशः प्रासरत् ?
(कैसे जीमूतवाहन की कीर्ति फैली ?)
प्रश्न ७. (क) “स्वस्ति तुभ्यम्” स्वस्ति शब्दस्य योगे चतुर्थी विभक्तिः भवति। इत्यनेन नियमेन अत्र चतुर्थी विभक्तिः प्रयुक्ता। एवमेव (कोष्ठकगतेषु पदेषु) चतुर्थी विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत
(“तुम्हारा कल्याण हो” स्वस्ति शब्द के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है। इस नियम से यहाँ चतुर्थी विभक्ति प्रयुक्त है। इसी प्रकार से (कोष्ठक में दिये शब्दों में) चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग करके रिक्त स्थान को पूरा करें-)
(क) स्वस्ति ……. (राजा)
(ख) स्वस्ति ………(प्रजा)
(ग) स्वस्ति …….. (छात्र)
(घ) स्वस्ति …….. (सर्वजन)
उत्तर – (क) राज्ञे, (ख) प्रजायै/प्रजाभ्यः, (ग) छात्राय/छात्रेभ्यः, (घ) सर्वजनेभ्यः।
(ख) कोष्ठकगतेषु पदेषु पष्ठी विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत
(कोष्ठक में दिये गये शब्दों में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग करके रिक्त स्थानों को पूरा करो-)
(क) तस्य ……. उद्याने कल्पतरुः आसीत्। (गृह)
(ख) सः ……. अन्तिकम् अगच्छत्। (पितृ)
(ग) …….. सर्वत्र यशः प्रथितम्। (जीमूतवाहन)
(घ) अयं ……. तरुः। (किम्)
उत्तर – (क) गृहस्य, (ख) पितुः, (ग) जीमूतवाहनस्य, (घ) कस्य।
NCERT Sanskrit Shemushi Book Solution Class 10 chapter 4 : कल्पतरूः