MP Board Class 9th Political Science Chapter 3 : चुनावी राजनीति

MP Board Class 9 Political Science  लोकतान्त्रिक राजनीति-1

Chapter 3- चुनावी राजनीति [Electoral Politics]

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • किसी भी लोकतंत्र में नियमित अंतराल पर चुनाव होते हैं।
  • दुनिया के सौ से अधिक राष्ट्र ऐसे हैं जहाँ जनप्रतिनिधियों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं।
  • चुनाव का आशय राजनैतिक प्रतियोगिता या प्रतिद्वंद्विता है।
  • हमारे यहाँ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हर पाँच साल बाद होते हैं।
  • कई बार सिर्फ एक क्षेत्र में चुनाव होता है जो किसी सदस्य की मृत्यु या इस्तीफे से खाली हुआ होता है। इसे उपचुनाव कहते हैं।
  • चुनाव के उद्देश्य से देश को अनेक क्षेत्रों में बाँट लिया गया है। इन्हें निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं ।
  • लोकसभा चुनाव के लिए देश को 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है।
  • प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा के कई-कई निर्वाचन क्षेत्र आते हैं।
  • हमारे संविधान निर्माताओं ने कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र की विशेष व्यवस्था सोची।
  • 26 जनवरी, 2019 को लोकसभा की 84 सीट अनुसूचित जातियों के लिए और 47 सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं।
  • सबसे अधिक लोकसभा सीटें उत्तर प्रदेश में 80 व केन्द्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में 7 हैं। लोकतांत्रिक चुनाव में मतदान की योग्यता रखने वालों की सूची मतदाता सूची कहलाती है।
  • हर पाँच वर्ष में मतदाता सूची का पूर्ण नवीनीकरण किया जाता है।
  • हमारे देश में 18 वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के सभी नागरिक चुनाव में वोट डाल सकते हैं। जबकि उम्मीदवार बनने (चुनाव लड़ने) की न्यूनतम आयु 25 वर्ष है।
  • इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने 1971 के लोकसभा चुनावों में गरीबी हटाओ का नारा दिय था।
  • 1977 में हुए लोकसभा चुनावों में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी ने नारा दिया लोकतंत्र बचाओ ।
  • लोकसभा चुनाव में एक निर्वाचन क्षेत्र में 25 लाख या विधानसभा चुनाव में ₹10 लाख से ज्यादा खर्च नहीं किये जा सकते।
  • चुनाव का आखिरी चरण है मतदाताओं द्वारा वोट देना और निर्वाचन क्षेत्रों में मतगणना एक ही तारीख पर होती है।
  • निर्वाचन आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनावी नतीजों की घोषणा तक, प्रक्रिया के संचालन के हर पहलू पर निर्णय लेता है।
  • पूरी चुनाव चुनाव ड्यूटी पर तैनात अधिकारी सरकार के नियंत्रण में न होकर निर्वाचन आयोग के अधीन काम करता है।
  • भारत में अमीर और बड़े लोगों की तुलना में गरीब, निरक्षर और कमजोर लोग ज्यादा संख्या में मतदान करते हैं।
  • चुनाव के समय पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा माने जाने वाले कायदे-कानून और दिशा-निर्देश को चुनाव आचार-संहिता कहते हैं।

पाठान्त अभ्यास

प्रश्न 1. चुनाव क्यों होते हैं ? इस बारे में इनमें से कौन-सा वाक्य ठीक नहीं है ?

(क) चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं।

(ख) लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं।

(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।

(घ) लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं।

उत्तर– (ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं। यह वाक्य ठीक नहीं है।

प्रश्न 2. भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बताने के लिए इनमें कौन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता ?

(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।

(ख) भारत में चुनाव आयोग काफी शक्तिशाली है।

(ग) भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है।

(घ) भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती हैं।

उत्तर– (क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में मेल ढूँढ़ें-

उत्तर– (क) → (4), (ख) → (1), (ग) → (2), (घ) → (3)

प्रश्न 4. इस अध्याय में वर्णित चुनाव सम्बन्धी सभी गतिविधियों की सूची बनाएँ और इन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें से कुछ मामले हैं- चुनाव घोषणा पत्र जारी करना, वोटों की गिनती, मतदाता सूची बनाना, चुनाव अभियान, चुनाव नतीजों की घोषणा, मतदान, पुनर्मतदान के आदेश, चुनाव प्रक्रिया की घोषणा, नामांकन दाखिल करना ।

उत्तर- (1) मतदाता सूची बनाना, (2) चुनाव प्रक्रिया की घोषणा, (3) नामांकन दाखिल करना, (4) चुनाव घोषणा-पत्र जारी करना, (5) चुनाव-अभियान, (6) मतदान, (7) पुनर्मतदान के आदेश, (8) वोटों की गिनती, (9) चुनाव नतीजों की घोषणा ।

प्रश्न 5. सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?

(क) चुनाव प्रचार,

(ख) मतदान के दिन,

(ग) मतगणना के दिन ।

उत्तर-

(क) चुनाव प्रचार- चुनाव प्रचार के दौरान सुरेखा को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(1) कोई भी प्रत्याशी जाति या धर्म के नाम पर वोट नहीं माँगें,

(2) कोई भी मतदाता को प्रलोभन, घूस या धमकी न दे,

(3) चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी संसाधनों का प्रयोग न हो,

(4) चुनाव प्रचार के लिए किसी धर्मस्थल का प्रयोग न हो,

(5) चुनाव के दौरान मंत्री द्वारा किसी बड़ी योजना का शिलान्यास, बड़े नीतिगत फैसले या लोगों को सुविधाएँ देने वाले वायदे नहीं किए जाएँ ।

(ख) मतदान के दिन – मतदान के दिन चुनाव अधिकारी को यह प्रमुख रूप से ध्यान रखना चाहिए कि मतदाता मतदान केन्द्र में जाता है तो उसे पहचानकर उसकी अँगुली पर स्याही का निशान लगवाएँ तथा उसके पहचान पत्र का परीक्षण करने के बाद मतदाता को मतदान करने दें। कोई भी असामाजिक तत्व किसी केन्द्र पर प्रवेश नहीं कर पाए।

(ग) मतगणना के दिन – मतगणना के दिन सुरेखा को यह ध्यान रखना होगा कि सभी दलों के एजेण्ट को पहचान पत्र के साथ प्रवेश कराया जाये तथा निष्पक्ष रूप से इलेक्ट्रॉनिक मशीन द्वारा मतगणना करायी जाए। साथ ही मतगणना केन्द्र पर शांति व्यवस्था के प्रबन्ध किए जाएँ ।

प्रश्न 6. नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों के विजयी उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समुदाय के सदस्यों का क्या अनुपात था ? ये किस अनुपात में जीते ? इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण का सुझाव देंगे ? अगर हाँ तो क्यों और किस समुदाय के लिए ? अगर नहीं, तो क्यों ?

उत्तर– अश्वेत व हिस्पैनिक लोगों को अमेरिकी संसद के चुनाव में आरक्षण मिलना चाहिए क्योंकि उनके अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में सदस्य कम हैं अमेरिकी समाज को देखते हुए जबकि श्वेत समाज में प्रतिनिधियों की संख्या अमेरिकी समाज से अधिक है इसलिए इनको किसी प्रकार की आरक्षण की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 7. क्या हम इस अध्याय में दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं ? इनमें से सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए।

(क) भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं हैं।

(ख) हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती है।

(ग) सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।

(घ) अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने के लिए कई कदम उठाने जरूरी हैं।

उत्तर –

(क) यह कथन सही नहीं है क्योंकि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं। एक बार नियुक्त हो जाने के बाद निर्वाचन आयुक्त राष्ट्रपति या सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं रहता। भारत चुनाव आयोग को निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए बहुत अधिकार दिए गए हैं-

(1) निर्वाचन आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनावी नतीजों की घोषणा तक पूरी चुनाव प्रक्रिया के संचालन के हर पहलू पर निर्णय लेता है।

(2) चुनाव के दौरान चुनाव आयोग सरकार को दिशा-निर्देश मानने का आदेश दे सकता है। इसमें सरकार द्वारा चुनाव जीतने के लिए चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना या अधिकारियों का तबादला करना भी शामिल है।

(ख) हमारे देश में चुनावों में लोगों की भागीदारी निरन्तर बढ़ रही है। 2004 के चुनाव में एक-तिहाई से ज्यादा मतदाताओं ने चुनाव अभियान वाली गतिविधियों में किसी-न-किसी तरह की भागीदारी की। आधे से ज्यादा लोगों ने खुद को किसी-न-किसी दल के नजदीक बताया। भारत में आम लोग चुनावों को बहुत महत्व देते हैं। उन्हें लगता है कि देश के शासन-संचालन के तरीके में उनके वोट का महत्व है।

(ग) सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होता है क्योंकि सत्ताधारी पार्टी में सत्ता में रहते हुए जनता की सभी माँगें पूरी नहीं कर पाती है। भारत में शासक दल राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर अक्सर चुनाव हारते रहे हैं। बल्कि पिछले पन्द्रह वर्षों में भारत में जितने चुनाव हुए हैं उनमें से प्रत्येक तीन में से दो शासक पार्टियाँ हारी ही हैं।

(घ) यह बात सही है कि अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने के लिए कई कदम उठाने जरूरी हैं-

(1) चुनाव में आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों को चुनाव से दूर रखना चाहिए।

(2) चुनाव में धर्म व जाति का प्रयोग करने वाले उम्मीदवारों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।

प्रश्न 8. चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी । सतबीर को छूआछूत मानने का दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धान्तों के खिलाफ जाता है ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर – न्यायालय का यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धान्तों के खिलाफ नहीं जाता है। राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि अपराधियों को चुनाव लड़ने न दिया जाय।

प्रश्न 9. यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोर्ट दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों में सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं ? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे ?

(क) नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जानबूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे जीता हुआ घोषित कर दिया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को उस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था।

(ख) फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमें धमकी दी गई थी अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेन्द्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी।

(ग) अमेरिका के हर प्रांत में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। सन् 2000 के चुनाव में फ्लोरिडा प्रांत के अधिकारियों ने जॉर्ज बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका।

उत्तर-

(क) नाइजीरिया को मतगणना का तरीका भारत की चुनाव प्रणाली से अपनाना चाहिए। प्रथम मतगणना अधिकारी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए। द्वितीय मतगणना सभी उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की जानी चाहिए।

(ख) परचा छापने वाले के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। इसे जारी करने वाले व्यक्ति अथवा राजनैतिक दल का पता लगाना चाहिए और उसे दंड देना चाहिए क्योंकि यह लोकतंत्र के खिलाफ है।

(ग) अमेरिका को भारत से बहुत कुछ सीखना चाहिए। संयुक्त राज्य अमेरिका में चुनाव करवाने के लिए एक स्वतंत्र चुनाव आयोग की स्थापना होनी चाहिए। सभी राज्यों में चुनाव प्रणाली एक जैसी होनी चाहिए। अमेरिका को भारत से इस क्षेत्र में सीख लेनी चाहिए।

प्रश्न 10. भारत में चुनावी गड़बड़ियों से सम्बन्धित कुछ रिपोर्ट यहाँ दी गई हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है ?

(क) चुनाव की घोषणा होते ही मंत्री महोदय ने बंद पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।

(ख) विपक्षी दलों का आरोप था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली।

(ग) चुनाव आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सूची में 20 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम मिले।

(घ) एक राजनैतिक दल के गुंडे बंदूकों के साथ घूम रहे थे, दूसरी पार्टियों के लोगों को भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनावी सभाओं पर हमले कर रहे थे ।

उत्तर- (क) चुनाव की अधिघोषणा हो जाने के बाद मंत्री किसी बड़ी योजना का शिलान्यास, बड़े नीतिगत फैसले या लोगों को सुविधाएँ देने वाले वायदे नहीं कर सकते। यह चुनाव आचार संहिता के खिलाफ है। अतः मंत्री को ऐसा करने से रोकना चाहिए।

(ख) दूरदर्शन और आकाशवाणी पर चुनाव अभियान के दौरान विपक्षी दलों को भी अपने विचार रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए।

(ग) फर्जी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में मिलना एकदम गलत है। इस प्रकार की गड़बड़ी पाये जाने पर फर्जी नामों को तुरन्त मतदाता सूची से निकालने के बाद चुनाव कराने चाहिए ।

(घ) चुनाव के दौरान हथियारों के साथ घूमना और डराना, धमकाना व चुनावी सभाओं में बाधा डालना चुनाव आचार संहिता के पूर्ण खिलाफ है। इस तरह की घटनाओं को तुरन्त चुनाव आयोग के संज्ञान में डालना चाहिए ।

प्रश्न 11. जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी है ?

(क) औरतें उसी तरह वोट देती हैं जैसा पुरुष उनसे कहते हैं इसलिए उनको मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है।

(ख) पार्टी-पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। चुनाव में सबकी सहमति वाला फैसला होना चाहिए, प्रतिद्वंद्विता नहीं होनी चाहिए।

(ग) सिर्फ स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए।

उत्तर-

(क) यह कथन सत्य नहीं है। महिलाओं को स्वतन्त्र रूप से मतदान करने का अधिकार है। इसलिए महिलाओं को वोट से वंचित करना लोकतंत्र के खिलाफ है।

(ख) यह बात सत्य है कि पार्टी-पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। इतनी विशाल जनसंख्या वाले राष्ट्र में सबकी सहमति वाला फैसला लेना बहुत जटिल कार्य है।

(ग) केवल स्नातकों को चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए यह कथन ठीक नहीं है क्योंकि विधायक या सांसद की सबसे बड़ी योग्यता यह है कि वह अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को समझे, उनकी चिंताओं को समझे और उनके हितों का प्रतिनिधित्व करे। वे काम कर रहे हैं या नहीं, इसकी परीक्षा उनके लाखों वोटर पाँच साल तक रोज लेते हैं ।

अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु विकल्पीय प्रश्न

1. निम्न में से किसे मताधिकार प्रदान किया जा सकता है ?

(i) अवयस्क पुरुष तथा महिलाओं को,

(ii) केवल पुरुषों को,

(iii) वयस्क पुरुष तथा महिलाओं को,

(iv) केवल महिलाओं को ।

2. किसे वोट देने का अधिकार नहीं है ?

(i) पागल या मानसिक विकलांगों को,

(ii) नाबालिगों को,  

(iii) न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित,

(iv) उपर्युक्त सभी।

3. भारत में निम्नलिखित में से किसके बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू मानी जाती है ?

(i) प्रत्याशी के नामांकन पत्र जमा करने के बाद,

(ii) चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद,

(iii) प्रचार कार्य प्रारम्भ होने के बाद,

(iv) चुनाव सभा होने से ।

4. सबसे अधिक लोकसभा सीटें किस राज्य में हैं ?

(i) महाराष्ट्र,

(ii) गुजरात,

(iii) राजस्थान,

(iv) उत्तर प्रदेश ।

5. केन्द्र शासित प्रदेश में लोकसभा की सबसे अधिक सीटें कहाँ हैं ?

(i) चंडीगढ़,

(ii) दिल्ली,

(iii) अंडमान निकोबार,

(iv) लक्षद्वीप ।

6. लोकसभा या विधानसभा का उम्मीदवार बनने की न्यूनतम आयु क्या है ?

(i) 21 वर्ष,

(ii) 25 वर्ष,

(iii) 30 वर्ष,

(iv) 35 वर्ष।

7. लोकसभा चुनाव में एक निर्वाचन क्षेत्र पर अधिकतम खर्च की सीमा ?

(i) ₹25 लाख,

(ii) ₹30 लाख,

(iii) ₹35 लाख,

(iv) ₹40 लाख।

8. मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति करते हैं-

(i) प्रधानमंत्री,

(ii) राष्ट्रपति,

(iii) गृहमंत्री,

(iv) कानून मंत्री।

उत्तर– 1. (iii), 2. (iv), 3. (ii), 4. (iv), 5. (ii), 6. (ii), 7. (i), 8. (ii)।

रिक्त स्थान पूर्ति

1. हमारे देश के सभी स्त्री-पुरुष जिनकी उम्र ……………. वर्ष है, वोट डालने के अधिकारी हैं।

2. राजनीतिक दलों को मान्यता देने के लिए …………….आयोग बनाया गया है।

3. नागरिकों का प्रतिनिधि चुनने का …………….अधिकार कहलाता है।

4. भारत के निर्वाचन आयोग का कार्यालय …………….में है

5. लोकसभा की……………. सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं ।

6. प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में……………. के कई-कई निर्वाचन क्षेत्र आते हैं।

उत्तर– 1. 18 वर्ष, 2. निर्वाचन, 3. मताधिकार, 4. नई दिल्ली, 5. 85, 6. विधानसभा।

सत्य/असत्य

1. मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमन्त्री करता है।

2. आम चुनाव की तिथियाँ चुनाव आयोग निर्धारित करता है।

3. बहुमत प्राप्त न करने वाले दल विपक्षी दल कहलाते हैं।

4. प्रत्येक व्यक्ति के मत को समान महत्व मिलता है।

5. भारत में अमीर और बड़े लोगों की तुलना में गरीब, निरक्षर और कमजोर लोग कम संख्या में मतदान करते हैं।

6. साल-दर-साल चुनाव से सम्बन्धित गतिविधियों में लोगों की सक्रियता बढ़ती जा रही है।

उत्तर– 1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. सत्य, 5. असत्य, 6. सत्य ।

सही जोड़ी मिलाइए

उत्तर– 1.→ (घ), 2. → (ङ), 3. →(क), 4. →(ख), 5. →(ग)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. बहुमत प्राप्त न करने वाले राजनीतिक दल ।

2. निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है ?

3. नागरिकों द्वारा अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने की प्रक्रिया कहलाती है।

अथवा

लोकतांत्रिक देशों में जनता द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए प्रतिनिधि चुनने की प्रक्रिया को कहते हैं ।

4. हमारे देश में वोट डालने की निम्नतम आयु कितनी है ?

5. अपने निर्धारित समय पर होने वाला निर्वाचन ।

6. चुनाव के समय पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा माने जाने वाले कायदे-कानून और दिशा-निर्देश ।

7. नागरिकों का प्रतिनिधि चुनने का अधिकार क्या कहलाता है ?

उत्तर- 1. विपक्षी दल, 2. 6 वर्ष, 3. निर्वाचन, 4. 18 वर्ष, 5. सामान्य निर्वाचन अथवा आम चुनाव, 6. आचार संहिता, 7. मताधिकार ।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निर्वाचन से क्या आशय है ? लिखिए।

उत्तर – लोकतान्त्रिक राष्ट्रों में जनता द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए प्रतिनिधि चुनने की प्रक्रिया को निर्वाचन कहा जाता है।

प्रश्न 2. मताधिकार किसे कहते हैं ?

उत्तर – – नागरिकों का प्रतिनिधि चुनने का अधिकार, मताधिकार कहलाता है।

प्रश्न 3. किन व्यक्तियों को मताधिकार से वंचित रखा जाता है ?

उत्तर – मानसिक रूप से विकलांग या पागल या ऐसे व्यक्ति जो न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित हैं या ऐसे व्यक्ति जो भारत देश के नागरिक नहीं हैं, मत देने के अधिकारी नहीं होते।

प्रश्न 4. ‘आम चुनाव’ से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर – आम चुनाव का आशय – हमारे देश में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों के चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर किये जाते हैं। इन चुनावों को आम चुनाव कहते हैं ।

प्रश्न 5. आम चुनाव की अधिघोषणा किसके द्वारा की जाती है ?

उत्तर -लोकसभा व राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति तथा विधानसभाओं के लिए राज्यपाल मतदाताओं को चुनाव के बारे में सूचना देते हैं। इस अधिसूचना का प्रकाशन चुनाव आयोग से विचार-विमर्श करने के बाद सरकारी गजट में होता है।

प्रश्न 6. ‘नामांकन-पत्र’ से क्या आशय है ? समझाइए ।

उत्तर – चुनाव से पहले उम्मीदवारों द्वारा नामांकन-पत्र दाखिल किये जाते हैं। कोई भी व्यक्ति जिसका नाम मतदाताओं की सूची में है और जो निश्चित योग्यताएँ रखता हो, चुनाव में खड़ा हो सकता है।

प्रश्न 7. ‘निर्वाचन क्षेत्र’ से क्या आशय है ?

उत्तर ‘निर्वाचन क्षेत्र’ से आशय एक खास भौगोलिक क्षेत्र के मतदाता जो एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।

प्रश्न 8. ‘लोकतंत्र बचाओ’ का नारा कब और किसने दिया ?

उत्तर 1977 में हुए लोकसभा चुनावों में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी ने लोकतंत्र बचाओ का नारा दिया। पार्टी ने आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों को समाप्त करने और नागरिक आजादी को बहाल करने का वायदा किया।

प्रश्न 9. आचार-संहिता क्या है ?

उत्तर चुनाव के समय पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा माने जाने वाले कायदे-कानून और दिशा-निर्देश को आचार-संहिता कहा जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निर्वाचन से आप क्या समझते हैं ? हमारे देश में इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।

अथवा

हमारे देश में कौन-सी शासन प्रणाली है ? इस प्रणाली में निर्वाचन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर – निर्वाचन से आशय एवं आवश्यकता – भारत में संसदीय शासन प्रणाली है। इस शासन प्रणाली में देश के निर्वाचित प्रतिनिधियों से सरकार बनाई जाती है। निर्वाचन के द्वारा नागरिकों की शासन में भागीदारी होती है। नागरिकों द्वारा अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने की प्रक्रिया निर्वाचन कहलाती है। निर्वाचन के द्वारा एक निश्चित समय के लिए जन-प्रतिनिधियों का चयन किया जाता है। हमारे राष्ट्र के नागरिक निर्वाचन में भारा लेकर अपने राजनीतिक अधिकार का प्रयोग करते हैं। भारत एक विशाल और बहुभाषी राष्ट्र है। हमारे यहाँ सभी नागरिकों को समान रूप से प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग लेने का अधिकार है। मताधिकार की यह प्रणाली सार्वजनिक वयस्क मताधिकार प्रणाली कहलाती है। भारत में मतदान की गोपनीय प्रणाली को अपनाया गया है। भारत में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के लिए, निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है।

प्रश्न 2. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से क्या आशय है ?

उत्तर सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार – नागरिकों का प्रतिनिधि चुनने का अधिकार मताधिकार कहलाता है। यह अधिकार महत्त्वपूर्ण राजनीतिक अधिकार है। भारत के प्रत्येक वयस्क महिला व पुरुष को बिना किसी भेदभाव के मत देने का अधिकार सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहलाता है। इस प्रणाली में एक निर्धारित आयु पूरा करने के उपरान्त देश के सभी पात्र नागरिकों को वोट देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। हमारे देश में वे सभी स्त्री-पुरुष जिनकी आयु 18 वर्ष है, वोट डालने के अधिकारी हैं।

प्रश्न 3. मताधिकार की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए

उत्तर – मताधिकार की विशेषताएँ- मताधिकार की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-

(1) देश के सभी नागरिकों की शासन में हिस्सेदारी होती है।

(2) प्रत्येक नागरिक के मत को समान महत्व मिलता है।

(3) जन प्रतिनिधियों का शान्तिपूर्वक परिवर्तन सम्भव है।

(4) नागरिकों को राजनीतिक शिक्षा मिलती है।

(5) नागरिकों में आत्म-सम्मान की भावना उत्पन्न होती है।

(6) यह प्रणाली समानता के सिद्धान्त के अनुकूल है।

प्रश्न 4. निर्वाचक नामावली क्या है ? इसका उपयोग बताइए।

उत्तर

चुनाव आयोग का एक महत्वपूर्ण कार्य निर्वाचक नामावली तैयार कराना है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रत्येक निर्वाचन से पूर्व वह मतदान केन्द्र के अनुसार मत देने के योग्य नागरिकों की सूची तैयार करवाता है। इसे निर्वाचन नामावली कहते हैं। नवीन सूची में 18 वर्ष के नागरिकों के नाम जोड़े जाते हैं और मृत्यु या अन्य कारणों से अन्यत्र स्थानों पर चले गये नागरिकों के नाम हटाये जाते हैं । निर्वाचक नामावली को मतदाता सूची के नाम से भी जाना जाता है।

प्रश्न 5. लोकतांत्रिक चुनावों के लिए जरूरी न्यूनतम शर्तों का उल्लेख करें।

उत्तर – (1) हर किसी को चुनाव करने की सुविधा हो। यानि हर किसी को मताधिकार हो और हर किसी के मत का समान मोल हो ।

(2) चुनाव में विकल्प उपलब्ध हों। पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव में उतरने की आजादी हो और वे मतदाताओं के लिए विकल्प पेश करें।

(3) चुनाव स्वतन्त्र और निष्पक्ष ढंग से कराए जाने चाहिए जिससे लोग सचमुच अपनी इच्छा से ही व्यक्ति का चुनाव कर सकें।

(4) लोग जिसे चाहें वास्तव में चुनाव उसी का होना चाहिए।

(5) चुनाव का अवसर नियमित अंतराल पर मिलता रहे। नए चुनाव कुछ वर्षों में जरूर कराए जाने चाहिए।

प्रश्न 6. भारतीय चुनावों में अपनायी जाने वाली नामांकन प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – नामांकन प्रक्रिया- चुनाव लड़ने के इच्छुक हर एक उम्मीदवार को एक ‘नामांकन पत्र’ भरना पड़ता है और कुछ राशि जमानत के रूप में जमा करानी पड़ती है। वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर प्रत्याशियों से एक घोषणा-पत्र भरवाने की नई प्रणाली भी शुरू हुई है। अब हर उम्मीदवार को अपने बारे में कुछ ब्यौरे देते हुए वैधानिक घोषणा करनी होती है। निम्न सूचनाएँ देनी होती हैं-

(1) प्रत्याशी के खिलाफ चल रहे गम्भीर आपराधिक मामले ।

(2) प्रत्याशी की शैक्षिक योग्यता।

(3) प्रत्याशी और उसके परिवार के सदस्यों की सम्पत्ति और देनदारियों का ब्यौरा ।

प्रश्न 7. चुनावी धांधली से क्या समझते हैं ? इसमें कौन-कौन सी बातें शामिल होती हैं ?

उत्तर – प्रत्याशियों या पार्टियों द्वारा अपने वोट बढ़ाने के लिए गड़बड़ या फरेब को चुनावी धांधली कहा जाता है। इसमें कुछ ही लोगों द्वारा काफी सारे लोगों के मत पत्र डाल देना, एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग लोगों के नाम से मत पत्र डालना और मतदान अधिकारियों को डरा-धमकाकर या रिश्वत देकर अपने प्रत्याशी के पक्ष में कार्य करवाना जैसी बातें शामिल हैं।

प्रश्न 8. भारत की चुनाव प्रणाली किन-किन चुनौतियों का सामना करती है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

भारत की चुनाव प्रणाली की चुनौतियाँ

(1) ज्यादा सम्पन्न प्रत्याशी और राजनैतिक दल गलत तरीके से चुनाव जीत ही जाएँगे यह कहना मुश्किल है पर उनकी स्थिति दूसरों से ज्यादा मजबूत रहती है।

(2) अलग-अलग दलों में कुछेक परिवारों का जोर है और उनके रिश्तेदार सरलता से टिकट पा जाते हैं।

प्रश्न 3. मताधिकार की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर – मताधिकार की विशेषताएँ- मताधिकार की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-

(1) देश के सभी नागरिकों की शासन में हिस्सेदारी होती है।

(2) प्रत्येक नागरिक के मत को समान महत्व मिलता है।

(3) जन प्रतिनिधियों का शान्तिपूर्वक परिवर्तन सम्भव है।

(4) नागरिकों को राजनीतिक शिक्षा मिलती है।

(5) नागरिकों में आत्म-सम्मान की भावना उत्पन्न होती है।

(6) यह प्रणाली समानता के सिद्धान्त के अनुकूल है।

प्रश्न 4. निर्वाचक नामावली क्या है ? इसका उपयोग बताइए।

उत्तर

चुनाव आयोग का एक महत्वपूर्ण कार्य निर्वाचक नामावली तैयार कराना है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रत्येक निर्वाचन से पूर्व वह मतदान केन्द्र के अनुसार मत देने के योग्य नागरिकों की सूची तैयार करवाता है। इसे निर्वाचन नामावली कहते हैं। नवीन सूची में 18 वर्ष के नागरिकों के नाम जोड़े जाते हैं और मृत्यु या अन्य कारणों से अन्यत्र स्थानों पर चले गये नागरिकों के नाम हटाये जाते हैं । निर्वाचक नामावली को मतदाता सूची के नाम से भी जाना जाता है।

प्रश्न 5. लोकतांत्रिक चुनावों के लिए जरूरी न्यूनतम शर्तों का उल्लेख करें।

उत्तर

(1) हर किसी को चुनाव करने की सुविधा हो। यानि हर किसी को मताधिकार हो और हर किसी के मत का समान मोल हो ।

(2) चुनाव में विकल्प उपलब्ध हों। पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव में उतरने की आजादी हो और वे मतदाताओं के लिए विकल्प पेश करें।

(3) चुनाव स्वतन्त्र और निष्पक्ष ढंग से कराए जाने चाहिए जिससे लोग सचमुच अपनी इच्छा से ही व्यक्ति का चुनाव कर सकें।

(4) लोग जिसे चाहें वास्तव में चुनाव उसी का होना चाहिए।

(5) चुनाव का अवसर नियमित अंतराल पर मिलता रहे। नए चुनाव कुछ वर्षों में जरूर कराए जाने चाहिए।

प्रश्न 6. भारतीय चुनावों में अपनायी जाने वाली नामांकन प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – नामांकन प्रक्रिया- चुनाव लड़ने के इच्छुक हर एक उम्मीदवार को एक ‘नामांकन पत्र’ भरना पड़ता है और कुछ राशि जमानत के रूप में जमा करानी पड़ती है। वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर प्रत्याशियों से एक घोषणा-पत्र भरवाने की नई प्रणाली भी शुरू हुई है। अब हर उम्मीदवार को अपने बारे में कुछ ब्यौरे देते हुए वैधानिक घोषणा करनी होती है। निम्न सूचनाएँ देनी होती हैं-

(1) प्रत्याशी के खिलाफ चल रहे गम्भीर आपराधिक मामले ।

(2) प्रत्याशी की शैक्षिक योग्यता।

(3) प्रत्याशी और उसके परिवार के सदस्यों की सम्पत्ति और देनदारियों का ब्यौरा ।

प्रश्न 7. चुनावी धांधली से क्या समझते हैं ? इसमें कौन-कौन सी बातें शामिल होती हैं ?

उत्तर – प्रत्याशियों या पार्टियों द्वारा अपने वोट बढ़ाने के लिए गड़बड़ या फरेब को चुनावी धांधली कहा जाता है। इसमें कुछ ही लोगों द्वारा काफी सारे लोगों के मत पत्र डाल देना, एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग लोगों के नाम से मत पत्र डालना और मतदान अधिकारियों को डरा-धमकाकर या रिश्वत देकर अपने प्रत्याशी के पक्ष में कार्य करवाना जैसी बातें शामिल हैं।

प्रश्न 8. भारत की चुनाव प्रणाली किन-किन चुनौतियों का सामना करती है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

भारत की चुनाव प्रणाली की चुनौतियाँ

(1) ज्यादा सम्पन्न प्रत्याशी और राजनैतिक दल गलत तरीके से चुनाव जीत ही जाएँगे यह कहना मुश्किल है पर उनकी स्थिति दूसरों से ज्यादा मजबूत रहती है।

(2) अलग-अलग दलों में कुछेक परिवारों का जोर है और उनके रिश्तेदार सरलता से टिकट पा जाते हैं।

(4) चुनाव चिह्न – चुनाव चिह्न ऐसे चिह्नों को कहते हैं जिन्हें कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार चुनाव के समय अपने चिह्न के रूप में प्रयोग करता है। चिह्न की पहचान से ही मतदाता अपना मत सही उम्मीदवार को दे सकता है।

(5) चुनाव अभियान – चुनाव अभियान समस्त चुनावी प्रक्रिया का सबसे निर्णायक भाग है। वैसे ही आज के विज्ञापन के युग में चुनाव प्रचार का अत्यधिक महत्त्व है। चुनाव प्रचार के लिए चुनाव घोषणा-पत्र के साथ-साथ आम सभाएँ भी आयोजित की जाती हैं। चुनाव प्रचार की दृष्टि से आकर्षक नारे गढ़े व प्रचारित किये जाते हैं। नारे छपे पोस्टर जगह-जगह दीवारों पर चिपकाये जाते हैं। परम्परागत तरीकों से रिक्शा व लाउडस्पीकर का भी चुनाव प्रचार में भरपूर प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक दल को दूरदर्शन व आकाशवाणी द्वारा अपना प्रचार-प्रसार करने का एक निश्चित समय दिया जाता है।

(6) मतदान – निश्चित तिथि पर मतदाता चुनाव बूथ पर जाकर मत डालते हैं। मतदान के लिए सार्वजनिक छुट्टी रहती है। एक निश्चित समय तक ही मतदाता अपना वोट डाल सकते हैं। मतदान अधिकारी व विभिन्न प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों द्वारा यह पहचान किये जाने के पश्चात् कि मतदाता सही है, कोई धोखा नहीं है, उस मतदाता को मत-पत्र दे दिया जाता है जो बूथ में जाकर गुप्त रूप से अपना मत डालता है। मत – पत्र दिये जाने के पूर्व चुनाव अधिकारी एक अमिट स्याही का निशाना मतदाता की अँगुली पर लगाता है, ताकि वह मतदाता दुबारा गलत ढंग से मत न डाल सके।

(7) मतगणना व परिणाम- मतदान पूरा हो जाने के बाद चुनाव अधिकारी प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों के सामने मतपेटियों को सीलबन्द कर देते हैं । प्रत्येक मतदान केन्द्र से मतपेटियाँ एक स्थान पर एकत्र कर ली जाती हैं जहाँ एक निश्चित तिथि पर प्रत्याशी व उनके प्रतिनिधियों के समक्ष मतपेटियों को खोला जाता है। उनके ही सामने मतों की गिनती चुनाव कर्मचारी करते हैं। सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले प्रत्याशी को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।

प्रश्न 2. निर्वाचन आयोग के कार्य लिखिए।

अथवा

चुनाव आयोग के कार्यों को लिखिए।

उत्तर – निर्वाचन आयोग के कार्य-निर्वाचन आयोग या चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

(1) चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन – चुनाव आयोग का महत्त्वपूर्ण कार्य चुनाव क्षेत्रों की सीमाएँ निश्चित करना है। प्रत्येक 10 वर्ष बाद जनगणना के आधार पर चुनाव क्षेत्रों की सीमाएँ निश्चित की जाती हैं।

(2) मतदाता सूची तैयार करना – चुनाव आयोग चुनाव से पूर्व चुनाव क्षेत्र के आधार पर मतदाता सूची तैयार करवाता है, जिसके लिए यथासम्भव उन सभी वयस्क नागरिकों को मतदाता सूची में अंकित करने का प्रयास किया जाता है जो मतदाता बनने की योग्यता रखते हैं।

(3) चुनाव चिह्न देना – निर्वाचन आयोग ही सभी राजनीतिक दलों को उनके चुनाव चिह्न प्रदान करता है या उनके द्वारा सुझाव प्रदान करता है या उनके द्वारा सुझाये गये चुनाव चिह्नों पर स्वीकृति देता है। जो प्रत्याशी किसी राजनीतिक दल की टिकट से नहीं बल्कि स्वतन्त्र रूप से चुनाव लड़ते हैं, तो उनके चुनाव चिह्न निर्वाचन आयोग द्वारा ही निश्चित किये जाते हैं।

(4) राजनीतिक दलों को मान्यता देना – राजनीतिक दलों को मान्यता निर्वाचन आयोग ही देता है । प्रत्येक चुनाव के बाद मतों के निश्चित प्रतिशत के आधार पर राष्ट्रीय दलों व क्षेत्रीय दलों को मान्यता देने का कार्य निर्वाचन आयोग करता है।

(5) निष्पक्ष चुनाव करवाना -निष्पक्ष तथा स्वतन्त्र चुनाव कराना चुनाव आयोग का एक प्रमुख कार्य है। चुनाव का समय, तिथि, मोहर लगाना, मतपत्रों पर चिह्न, गणना, परिणाम घोषित करना आदि के निर्देश आयोग ही देता है।

प्रश्न 3. भारतीय चुनाव प्रणाली के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – भारतीय चुनाव प्रणाली के दोष- भारतीय चुनाव प्रणाली के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-

(1) मतदान में पूर्ण भागीदारी का अभाव- सार्वभौम वयस्क मताधिकार प्रणाली का उद्देश्य सभी नागरिकों को शासन में अप्रत्यक्ष भागीदार बनाना है। बड़े क्षेत्रों में लोकसभा तथा राज्य विधानसभा चुनावों में एक बड़ी संख्या में मतदाता अपना वोट डालने नहीं जाते हैं। इस कारण मतदाताओं के बहुमत से निर्वाचित उम्मीदवार जनता का प्रतिनिधि नहीं होता है। अतः यह अपेक्षित है कि, सभी नागरिकों को मतदान में भाग लेना चाहिए।

(2) बाहुबल का प्रभाव – कई बार कुछ प्रत्याशी हर तरीके से चुनाव में विजय हासिल करना चाहते हैं और वे चुनाव में अपराधियों की सहायता भी लेते हैं। हिंसा और शक्ति का प्रयोग कर लोगों को डरा-धमका कर वोट देने से रोकना, मतदान केन्द्र पर कब्जा करना, अवैध मत डलवाने का प्रयास करते हैं ।

(3) सरकारी साधनों का दुरुपयोग – चुनाव होने से पहले कुछ शासक दल जनता को आकर्षित करने वाले वायदे करने लगते हैं, शासकीय कर्मचारियों/अधिकारियों की अपने हितों के अनुकूल पदस्थापना करते हैं तथा शासकीय धन और वाहनों व अन्य साधनों का दुरुपयोग करते हैं। इससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होती है।

(4) फर्जी मतदान – यह भी हमारी चुनाव प्रणाली की बड़ी समस्या है। कुछ व्यक्ति दूसरे के नाम पर वोट डालने चले जाते हैं। एक से अधिक स्थान पर मतदाता सूची में नाम लिखना, नाम न होते हुए भी वोट देने जाना आदि फर्जी मतदान है।

(5) चुनाव में धन का प्रयोग- चुनाव में बढ़ता खर्च एक बड़ी समस्या है। प्रत्येक चुनाव में व्यय की सीमा निर्धारित है, परन्तु चुनाव में भाग लेने वाले अनेक प्रत्याशी बहुत अधिक धन व्यय करते हैं। धन व बल के अभाव में कई बार कुछ अच्छे और ईमानदार व्यक्ति चुनाव लड़ने में असमर्थ होते हैं। चुनाव में धन का दुरुपयोग व्यक्ति की अनैतिक भूमिका को दर्शाता है, जो चुनाव व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से गम्भीर समस्या है।

(6) निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या- निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या कभी-कभी बहुत अधिक होती है इससे चुनाव प्रबन्ध में कठिनाई आती है। अधिक प्रत्याशियों के कारण मतदाता भी भ्रमित होता है।

(7) अन्य दोष-वोट देने के लिए नागरिकों का मतदाता सूची में नाम होना आवश्यक है। प्रायः यह देखने में आता है कि अनेक लोगों के नाम मतदाता सूची से छूट जाते हैं। दूसरी ओर जिनकी मृत्यु हो गयी है या वे दूसरे स्थान पर चले गये हैं, तब भी उनके नाम मतदाता सूची में होते हैं। एक मतदान केन्द्र पर मतदाताओं की संख्या अधिक होने से भी कठिनाई आती है। एक प्रत्याशी कई बार दो या अधिक जगह पर चुनाव में खड़ा हो जाता है। दोनों स्थानों पर जीत होने की स्थिति में उसको एक स्थान को त्यागपत्र देना पड़ता है जिसके कारण पुनः उपचुनाव होते हैं। इसमें शासकीय और प्रत्याशी के धन का अपव्यय होता है। ये सभी हमारी चुनाव प्रणाली के दोष हैं।

प्रश्न 4. दुनिया के शायद ही किसी चुनाव आयोग को भारत निर्वाचन आयोग जितने अधिकार प्राप्त होंगे। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -निम्न तथ्यों से स्पष्ट है कि दुनिया के शायद ही किसी चुनाव आयोग को भारत निर्वाचन आयोग जितने अधिकार प्राप्त होंगे-

(1) निर्वाचन आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनावी नतीजों की घोषणा तक, चुनाव प्रक्रिया के संचालन के हर पहलू पर निर्णय लेता है।

(2) यह आदर्श चुनाव संहिता लागू कराता हैऔर इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों को सजा देता है।

(3) चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग सरकार को दिशा-निर्देश मानने का आदेश दे सकता है। इसमें सरकार द्वारा चुनाव जीतने के लिए चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना या अधिकारियों का तबादला करना भी शामिल है।

(4) चुनाव ड्यूटी पर तैनात अधिकारी सरकार के नियंत्रण में न होकर निर्वाचन आयोग के अधीन काम करता है।

अतः निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को पर्याप्त अधिकार प्राप्त हैं।

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