MP Board Class 9 Economic  Solution Chapter 4 :  भारत में खाद्य सुरक्षा

MP Board Class 9 Economic – I अर्थशास्त्र – आर्थिक विकास की समझ  I

Chapter 4 : भारत में खाद्य सुरक्षा [Food Security in India]

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • खाद्य सुरक्षा का अर्थ है, सभी लोगों के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता, पहुँच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य ।
  • जीवन के लिए भोजन उतना ही आवश्यक है जितना कि साँस लेने के लिए वायु ।
  • भारत में जो सबसे भयानक अकाल पड़ा था, वह 1943 का बंगाल का अकाल था।
  • किसी भी देश में खाद्य सुरक्षा आवश्यक होती है ताकि सदैव खाद्य की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके
  • कुपोषण से सबसे अधिक महिलाएँ प्रभावित होती हैं। यह गम्भीर चिंता का विषय है क्योंकि इससे अजन्मे बच्चों को भी कुपोषण का खतरा रहता है।
  • कृषि की उत्पादन तकनीक को सुधारने एवं कृषि उत्पादन में वृद्धि करने की प्रक्रिया को हरित क्रान्ति का नाम दिया गया है।
  • तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने जुलाई, 1968 में ‘गेहूँ क्रांति’ शीर्षक से एक विशेष डाक टिकट जारी किया।
  • सरकार द्वारा बनाया गया खाद्यान्न भण्डार, ‘बफर स्टॉक’ कहलाता है।
  • समर्थित कीमत, कृषि उपज का समर्थन मूल्य घोषित करना अर्थात् किसानों को उनकी उपज के न्यूनतम मूल्य की गारन्टी देना ।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में निर्धारित कीमतों पर उचित मात्रा में विभिन्न उपभोक्ता वस्तुएँ बेची जाती हैं ।
  • देश भर में लगभग 5.5 लाख राशन की दुकानें हैं। राशन कार्ड तीन प्रकार के होते हैं- (i) निर्धनों में भी निर्धन लोगों के लिए अंत्योदय कार्ड, (ii) निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों के लिए बी.पी.एल. कार्ड और (iii) अन्य लोगों के लिए ए.पी.एल. कार्ड ।
  • 1992 में देश के 1700 ब्लॉकों में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली शुरू की गई।
  • जून 1997 से ‘सभी क्षेत्रों में गरीबों’ के लिए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली शुरू की गई।
  • वर्ष 2000 में अंत्योदय अन्न योजना और अन्नपूर्णा योजना प्रारम्भ की गई।
  • सहायिकी (सब्सिडी) वह भुगतान है जो सरकार द्वारा किसी उत्पादक को बाजार कीमत की अनुपूर्ति के लिए किया जाता है।
  • काम के बदले अनाज (एफ.एफ. डब्ल्यू) 1977-78 में शुरू की गई।
  • पी.डी.एस. गेहूँ की प्रति माह प्रति व्यक्ति खपत 2004-05 से ग्रामीण एवं नगरीय भारत में दो गुना हो गई है।
  • भारत में विशेषकर देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
  • गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक सफल सहकारी समिति का उदाहरण है।

पाठान्त अभ्यास

प्रश्न 1. भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है ?

उत्तर – भारत में खाद्य-सुरक्षा प्रमुख रूप से निम्न योजना द्वारा सुनिश्चित की जाती है-

(1) बफर स्टॉक – बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूँ और चावल का भण्डार है। भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थित मूल्य कहा जाता है। खरीदे हुए अनाज खाद्य भण्डारों में रखे जाते हैं। यह खराब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या हल करने में भी मदद करता है।

(2) सार्वजनिक वितरण प्रणाली – भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाल (पी.डी.एस.) कहते हैं। अब अधिकांश क्षेत्रों, गाँवों, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें हैं। देशभर में लगभग 5.5 लाख राशन की दुकानें हैं। राशन की दुकानों में जिन्हें ‘उचित दर वाली दुकानें’ कहा जाता है।

प्रश्न 2. कौन लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं ?

उत्तर-निम्नलिखित लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं-

(1) ग्रामीण क्षेत्र –

(i) भूमिहीन जो थोड़ी बहुत अथवा नगण्य भूमि पर निर्भर है।

(ii) पारम्परिक सेवाएँ प्रदान करने वाले लोग व पारम्परिक दस्तकार ।

(iii) अपना छोटा-मोटा कार्य करने वाले कामगार और निराश्रित तथा भिखारी ।

(2) शहरी क्षेत्र –

(i) शहरी क्षेत्रों में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित वे परिवार हैं जिनके कामकाजी सदस्य प्राय: कम वेतन वाले व्यवसायों और अनियत श्रम बाजार में कार्य करते हैं।

(ii) ये कामगार अधिकतर मौसमी कार्यों में लगे होते हैं और उनको इतनी कम मजदूरी मिलती है कि वे मात्र जीवित रह सकते हैं।

प्रश्न 3. भारत में कौन से राज्य खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हैं ?

उत्तर – भारत के कुछ क्षेत्रों, जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े राज्य जहाँ निर्धनता अधिक है, आदिवासी और सुदूर क्षेत्र, प्राकृतिक आपदाओं से बार-बार प्रभावित होने वाले क्षेत्र आदि में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित लोगों की संख्या आनुपातिक रूप से बहुत अधिक है। वास्तव में, उत्तर प्रदेश (पूर्वी और दक्षिण पूर्वी हिस्से), बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भागों में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित लोगों की सर्वाधिक संख्या है।

प्रश्न 4. क्या आप मानते हैं कि हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है ? कैसे ?

उत्तर – हाँ, हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया है। जैसा कि निम्न बातों से स्पष्ट है-

(i) हरित क्रांति के फलस्वरूप सिंचाई का क्षेत्र काफी व्यापक हो गया है।

(ii) इससे कृषि मात्र जीवन-यापन का साधन न रहकर एक व्यवसाय का रूप धारण कर चुकी है।

(iii) इससे खाद्यान्न के उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है और अब गेहूं व चावल के उत्पादन में देश आत्मनिर्भर हो गया है तथा निर्यात करने की स्थिति में आ गया है।

(iv) इससे कृषि विकास के लिए उचित वातावरण तैयार हुआ है।

(v) कृषि कार्य में आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग सम्भव हुआ है।

प्रश्न 5. भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है। व्याख्या कीजिए।

उत्तर-सामाजिक संरचना भी खाद्य की दृष्टि से असुरक्षा में भूमिका निभाती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों के कुछ वर्गों (इनमें से निचली जातियाँ) का या तो भूमि का आधार कमजोर होता है या फिर उनकी भूमि की उत्पादकता बहुत कम होती है, वे खाद्य की दृष्टि से सर्वाधिक असुरक्षित होते हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हैं और जिन्हें कार्य की तलाश में दूसरी जगह जाना पड़ता है। कुपोषण से सबसे अधिक महिलाएँ प्रभावित होती हैं। यह गम्भीर चिन्ता का विषय है क्योंकि इससे अजन्मे बच्चों को भी कुपोषण का खतरा रहता है। खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त आबादी का बड़ा भाग गर्भवती तथा दूध पिला रही महिलाओं तथा पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों का है।

प्रश्न 6. जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव होता है ?

उत्तर- जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, जैसा कि निम्न तथ्यों से स्पष्ट है-

(1) किसी प्राकृतिक आपदा; जैसे सूखे के कारण खाद्यान्न की कुल उपज में गिरावट आती है। इससे प्रभावित क्षेत्र में खाद्य की कमी हो जाती है।

(2) खाद्य की कमी के कारण कीमतें बढ़ जाती हैं। कुछ लोग ऊँची कीमतों पर खाद्य पदार्थ नहीं खरीद सकते ।

(3) अगर यह आपदा अधिक व्यापक क्षेत्र में आती है या अधिक लम्बे समय तक बनी रहती है, तो भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है। व्यापक भुखमरी से अकाल की स्थिति बन जाती है।

प्रश्न 7. मौसमी भुखमरी और दीर्घकालिक भुखमरी में भेद कीजिए ।

उत्तर- भुखमरी के दीर्घकालिक और मौसमी आयाम होते हैं-

(1) दीर्घकालिक भुखमरी – यह भुखमरी मात्रा या गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। निर्धन लोग अपनी अत्यन्त निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण दीर्घकालिक भुखमरी से ग्रस्त होते हैं।

(2) मौसमी भुखमरी – इस प्रकार की भुखमरी तब होती है, जब कोई व्यक्ति पूरे वर्ष कार्य पाने में अक्षम रहता है। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। जैसे- बरसात के मौसम में अनियत निर्माण श्रमिक को कम कार्य रहता है।

प्रश्न 8. गरीबों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए सरकार ने क्या किया ? सरकार की ओर से शुरू की गई किन्हीं दो योजनाओं की चर्चा कीजिए।

उत्तर-गरीबी के उच्च स्तरों को ध्यान में रखते हुए 70 के दशक के मध्य एन. एस. एस. ओ. की रिपोर्ट के अनुसार खाद्य सम्बन्धी तीन महत्वपूर्ण अंतःक्षेप कार्यक्रम प्रारम्भ किए गए – सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और मजबूत किया गया, एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (आई.सी.डी.एस., जो 1975 में शुरू की गई) और काम के बदले अनाज (1977-78 में प्रारम्भ)। इन वर्षों में कई नए कार्यक्रम शुरू किए गए हैं और कार्यक्रमों को चलाने के बढ़ते अनुभवों के आधार पर अन्य कार्यक्रमों का पुनर्गठन किया गया। वर्तमान में अनेक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम चल रहे हैं जो अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में है। इनमें स्पष्ट रूप से घटक खाद्य भी है जहाँ सार्वजनिक वितरण प्रणाली, दोपहर का भोजन आदि विशेष रूप से खाद्य की दृष्टि से सुरक्षा कार्यक्रम हैं।

प्रश्न 9. सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है ?

उत्तर – यदि देश में खाद्यान्न का उत्पादन कम होता है तो ऐसी संकटकालीन स्थिति का सामना करने के लिए तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न वितरित करने के लिए सरकार द्वारा बनाया खाद्यान्न भण्डार ‘बफर स्टॉक’ कहलाता है। बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (F.C.I.) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज गेहूँ और चावल का भण्डार है। भारतीय खाद्य निगम अधिक उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित मूल्य दे दिया जाता है। इस मूल्य को ‘न्यूनतम समर्थित मूल्य’ कहते हैं। क्रय किया हुआ खाद्यान्न भण्डार में रखा जाता है। इसे संकटकाल में अनाज की समस्या से निपटने के लिए प्रयोग किया जाता है। गतवर्षों से देश में उपलब्ध (बफर स्टॉक) निर्धारित न्यूनतम मात्रा से अधिक रहा है।

प्रश्न 10. निम्न पर टिप्पणी लिखें-

(क) न्यूनतम समर्थित मूल्य,

(ख) बफर स्टॉक,

(ग) निर्गम कीमत,

(घ) उचित दर की दुकान।

उत्तर –

(क) न्यूनतम समर्थित मूल्य – कृषि उत्पादों के मूल्यों में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। फसल के समय उत्पादन के कारण आपूर्ति अधिक हो जाती है, जिससे मूल्यों में काफी कमी आ जाती है। इस समय निर्धारित सीमा से कम मूल्य होने पर उत्पादकों को अपने उत्पादों की लागत प्राप्त करना कठिन हो जाता है। इसलिए सरकार कृषि उपजों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है, जिसके अन्तर्गत जब खाद्यान्नों का बाजार भाव सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से नीचे चला जाता है, तो सरकार स्वयं घोषित समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न खरीदने लगती है। इससे किसानों को लाभकारी मूल्य मिलने के साथ सार्वजनिक खाद्य भण्डारण बनाने का दोहरा उद्देश्य पूरा होता है।

(ख) बफर स्टॉक – कृषि मूल्यों में उच्चावचनों को रोकने के उद्देश्य से सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम की स्थापना की गई थी। यह निगम सरकार की ओर से खाद्यान्नों का स्टॉक करता है। इस प्रयोजन हेतु यह निगम खाद्यान्न की सरकारी खरीद करता है तथा उनका भण्डारण करता है इसी को बफर स्टॉक कहते हैं। यह स्टॉक राशन की दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को वितरित कर दिया जाता है। इससे आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या को हल करने में मदद मिलती है।

(ग) निर्गम कीमत – फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बुआई के मौसम से पहले सरकार न्यूनतम समर्थित मूल्य की घोषणा करती है। खरीदे हुए अनाज खाद्य भण्डारों में रखे जाते हैं। ऐसा कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के निर्धन वर्गों में बाजार कीमत से कम कीमत पर अनाज वितरण के लिए किया जाता है। इस कीमत को निर्गम कीमत कहते हैं।

(घ) उचित दर की दुकान – भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के निर्धन लोगों में वितरित करती है। अब अधिकांश क्षेत्रों, गाँवों, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें हैं। राशन की दुकानों में, जिन्हें ‘उचित दर वाली दुकानें’ कहा जाता है, चीनी खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल का भंडार होता है। ये सब बाजार कीमत से कम कीमत पर लोगों को बेचा जाता है।

प्रश्न 11. राशन की दुकानों के संचालन में क्या समस्याएँ हैं ?

उत्तर – राशन की दुकानों के संचालन में आने वाली प्रमुख समस्याएँ निम्न प्रकार हैं-

(1) पी.डी.एस. डीलर अधिक लाभ अर्जन के लिए अनाज को खुले बाजार में बेचना, राशन दुकानों में घटिया अनाज बेचना, दुकान कभी-कभार खोलना जैसे उपचार करते हैं।

(2) राशन की दुकानों में घटिया किस्म के अनाज का पड़ा रहना आम बात है, जो बिक नहीं पाता ।

(3) यह एक बड़ी समस्या सामने आती है। जब राशन की दुकानें इन अनाजों को बेच नहीं पातीं, तो एफ.सी.आई. के गोदामों में अनाज का विशाल स्टॉक जमा हो जाता है।

(4) हाल के वर्षों में एक और कारण से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गिरावट आई है। पहले प्रत्येक परिवार के पास निर्धन या गैर-निर्धन राशन कार्ड था जिसमें चावल, गेहूँ, चीनी आदि वस्तुओं का एक निश्चित कोटा होता था। ये प्रत्येक परिवार को एक समान निम्न कीमत पर बेचे जाते थे। आज तीन की शृंखला है, पहले यह नहीं थी।

(5) ए. पी. एल. परिवारों के लिए कीमतें लगभग उतनी हैं जितनी खुले बाजार में, इसलिए राशन की दुकान से इन चीजों की खरीदारी के लिए उनको बहुत कम प्रोत्साहन प्राप्त है।

प्रश्न 12. खाद्य और सम्बन्धित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहकारी समितियों की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखें।

उत्तर – देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं।

(1) उदाहरणार्थ, तमिलनाडु में जितनी राशन की दुकानें हैं, उनमें से करीब 94 प्रतिशत सहकारी समितियों के माध्यम से चलाई जा रही हैं।

(2) दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति कर रही है।

(3) गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक ओर सफल सहकारी समिति का उदाहरण है।

(4) देश के विभिन्न भागों में कार्यरत् सहकारी समितियों के और अनेक उदाहरण हैं, जिन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराई है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

1. भारत में सबसे भयानक अकाल किस राज्य में पड़ा था ?

(i) उड़ीसा,

(ii) राजस्थान,

(iii) बंगाल,

(iv) झारखण्ड ।

2. बंगाल में किस वर्ष में अकाल पड़ा था ?

(i) 1943,

(ii) 1941

(iii) 1940,

(iv) 1938.

3. कुपोषण से सबसे अधिक प्रभावित कौन होता है ?

(i) किशोर,

(ii) वृद्ध,

(iii) महिलाएँ,

(iv) इनमें से कोई नहीं ।

4. कालाहांडी किस राज्य में है ?

(i) गुजरात,

(ii) हिमाचल प्रदेश

(iii) उड़ीसा,

(iv) बिहार ।

5. ‘गेहूँ क्रांति’ शीर्षक से एक विशेष डाक टिकट किसने जारी किया ?

(i) इंदिरा गांधी,

(ii) जवाहरलाल नेहरू,

(iii) राजीव गांधी,

(iv) अटल बिहारी वाजपेयी ।

6. काम के बदले अनाज कार्यक्रम किस वर्ष में शुरू हुआ ?

(i) 1967-68,

(ii) 1977-78,

(iii) 1987-88,

(iv) 1997-98.

(ii) 1999

7. लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रारम्भ हुई-

(i) 1997 में,

(ii) 1999 में

(iii) 2000 में,

(iv) 2001 में।

8. अंत्योदय अन्न योजना के अन्तर्गत निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को कितना अनाज दिया

जाता है ?

(i) 35 किलोग्राम,

(ii) 30 किलोग्राम,

(iii) 20 किलोग्राम,

(iv) 15 किलोग्राम |

उत्तर -1. (iii), 2. (i), 3. (iii), 4. (iii), 5. (i), 6. (ii), 7. (i), 8. (i) |

रिक्त स्थान पूर्ति

1. 1943 के अकाल में भारत के बंगाल प्रान्त में ……………….लोग मारे गये थे ।

2. बंगाल का अकाल ……………….की कमी के कारण हुआ था ।

3. कृषि एक ……………….कार्य है।

4. कुपोषण से सबसे अधिक ……………….प्रभावित होती हैं।

5. भुखमरी गरीबी की एक अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, यह ……………….लाती है।

6. भुखमरी के दीर्घकालिक और………………. आयाम होते हैं।

7. अमूल एक सफल सहकारी समिति का उदाहरण है, इसने देश में ……………….ला दी है।

उत्तर- 1. तीस लाख, 2. चावल, 3. मौसमी, 4. महिलाएँ, 5. गरीबी, 6. मौसमी, 7. श्वेत क्रांति ।

सत्य/असत्य

1. खाद्य की कमी के कारण कीमतें घट जाती हैं।

2. सामाजिक संरचना भी खाद्य की दृष्टि से असुरक्षा में भूमिका निभाती है।

3. बरसात के मौसम में अनियत निर्माण श्रमिक को अधिक कार्य रहता है।

4. गेहूँ के उत्पादन में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

5. देश भर में लगभग 5-5 लाख राशन की दुकानें हैं।

6. 1996 में देश के 1500 ब्लॉकों में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली शुरू की गई।

7. सम्पन्न लोग भी आपदाओं के समय खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित हो सकते हैं।

8. न्यूनतम समर्थित कीमतों के बढ़ने से सरकार की खाद्यान्नों की वसूली अनुक्षण लागत घट गई है।

उत्तर– 1. असत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. असत्य, 7. सत्य, 8. असत्य ।

सही जोड़ी मिलाइए

उत्तर- 1.→(ख), 2. → (ङ), 3. → (घ), 4. → (क), 5. → (ग)।

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अंग है।

2. खाद्यान्न वितरित करने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया भण्डार कहलाता है।

3. वह भुगतान जो सरकार द्वारा किसी उत्पादक को बाजार कीमत की अनुपूर्ति के लिए किया जाता है।

4. अन्नपूर्णा योजना किस वर्ष में प्रारम्भ की गई ?

5. ‘अंत्योदय अन्न योजना’ किस समूह पर लक्षित है ?

6. निर्धनता रेखा से नीचे लोगों के लिए कौन-सा राशन कार्ड होता है ?

उत्तर- 1. उचित मूल्य की दुकान, 2. बफर स्टॉक, 3. अनुदान (सब्सिडी), 4. वर्ष 2000 में, 5. निर्धनों में सबसे निर्धन, 6. बी. पी. एल. कार्ड ।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. बंगाल के अकाल से सबसे अधिक कौन लोग प्रभावित हुए ?

उत्तर – चावल की कीमतों में भारी वृद्धि से खेतिहर मजदूर, मछुआरे, परिवहन कर्मी और अन्य अनियमित श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हुए।

प्रश्न 2. हाल के कुछ वर्षों में राजस्थान व झारखण्ड के कौन से जिले में भूख के कारण, मृत्यु की सूचना मिली है ?

उत्तर – राजस्थान के बारन जिले, झारखंड के पलामू जिले में भूख के कारण लोगों की मृत्यु की सूचना मिली है।

प्रश्न 3. कृषि एक मौसमी कार्य क्यों है ?

उत्तर – कृषि एक मौसमी कार्य है क्योंकि इसके अन्तर्गत केवल बुआई, पौधरोपण और फसल कटाई के समय कार्य मिलता है।

प्रश्न 4. भुखमरी कब होती है ?

उत्तर- भुखमरी तब होती है, जब कोई व्यक्ति पूरे वर्ष काम पाने में अक्षम रहता है।

प्रश्न 5. खाद्यान्न सुरक्षा से क्या आशय है ?

उत्तर- विश्व विकास रिपोर्ट 1986 के अनुसार, “खाद्यान्न सुरक्षा सभी व्यक्तियों के लिये सही समय पर सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त भोजन की उपलब्धता है। “

प्रश्न 6. वर्तमान में खाद्यान्न सुरक्षा का महत्व अधिक क्यों है ?

उत्तर – वर्तमान में एक ओर तो हमारी अर्थव्यवस्था विकासशील है दूसरी ओर जनसंख्या तीव्रता से बढ़ रही है। अत: खाद्यान्नों की बढ़ती हुई माँग की पूर्ति के लिए खाद्यान्न सुरक्षा बहुत आवश्यक है।

प्रश्न 7. हमारे देश में किस वर्ष में अनाज उत्पादन 200 करोड़ टन प्रतिवर्ष से अधिक हुआ ?

उत्तर- वर्ष 2001-02 में अनाज का उत्पादन 200 करोड़ टन से अधिक रहा।

प्रश्न 8. भारत में किस दशक में अनाज उत्पादन में सर्वाधिक दशकीय वृद्धि हुई ?

उत्तर- भारत में अनाज उत्पादन में सर्वाधिक दशकीय वृद्धि (2001-2011) में हुई ।

प्रश्न 9. राशन की दुकान पर कौन-कौन सी चीजें बेची जाती हैं ?

उत्तर- राशन की दुकानों में, जिन्हें उचित दर वाली दुकानें कहा जाता है, चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए मिट्टी का तेल बेचा जाता है।

प्रश्न 10. हाल में किस वर्ष में सरकार के पास खाद्यान्न का स्टॉक सबसे अधिक था ?

उत्तर – सरकार के पास जुलाई 2017 में खाद्यान्न का सबसे अधिक उत्पादन था ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. किसी आपदा के समय खाद्य सुरक्षा कैसे प्रभावित होती है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर– पाठान्त अभ्यास में प्रश्न 6 का उत्तर देखें।

प्रश्न 2. स्वतन्त्रता के बाद में खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए कि गये उपायों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर – स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय नीति-निर्माताओं ने खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के सभी उपाय किए। देश ने कृषि में एक नयी रणनीति अपनाई, जिसकी परिणति हरित क्रांति में हुई, प्रमुख रूप से गेहूँ और चावल के उत्पादन में ।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने जुलाई 1968 में ‘गेहूँ क्रांति’ नाम से एक विशेष डाक टिकट जारी कर कृषि के क्षेत्र में हरित क्रान्ति की प्रभावशाली प्रगति को अधिकारिक रूप से दर्ज किया। गेहूँ की सफलता के बाद चावल के क्षेत्र में इस सफलता की पुनरावृत्ति हुई। गेहूँ के उत्पादन में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई । “वर्ष 2018-19 में कुल अनाज का उत्पादन 285 करोड़ टन है।” दूसरी तरफ, पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश में चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई ।

प्रश्न 3. राशन कार्ड कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर– राशन कार्ड तीन प्रकार के होते हैं-

(1) अंत्योदय कार्ड – यह कार्ड निर्धनों में भी निर्धन लोगों के लिए होता है।

(2) बी. पी. एल. कार्ड – निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों के लिए बी. पी. एल. कार्ड होता है।

(3) ए. पी. एल. कार्ड – अन्य लोगों के लिए ए. पी. एल. कार्ड होता है।

प्रश्न 4. भारतीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 क्या है ?

उत्तर- भारतीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत् खाद्य एवं पोषण सम्बन्धी सुरक्षा सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराई जा सके जिससे मानव गरिमामय जीवन निर्वाह कर सके। इस अधिनियम के तहत् 75 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या एवं 50 प्रतिशत शहरी जनसंख्या को योग्य परिवार में वर्गीकृत किया गया है।

प्रश्न 5. अंत्योदय अन्न योजना क्या है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- अंत्योदय अन्न योजना- उच्च रियायती दर पर अनाजों की प्राप्ति दो श्रेणियों में, अंत्योदय अन्न योजना (ए.ए.वाई.) के अन्तर्गत आने वाले परिवार की श्रेणी और प्राथमिकता वाले परिवार की श्रेणी में होती है। यह योजना निर्धनतम व्यक्ति को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने और 2.5 करोड़ परिवारों को कवर करने के लिए वर्ष 2000 में शुरू की गई थी। अधिनियम के अन्तर्गत ऐसे परिवार को 1/2/3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रति परिवार 35 किलोग्राम मोटे अनाज/गेहूँ/चावल प्राप्त करने का अधिकार है। प्राथमिकता वाले परिवारों को उपर्युक्त रियायती दरों पर प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम अनाज पाने का अधिकार है। 1

प्रश्न 6. ” खाद्य सुरक्षा भारत के लिए आवश्यक है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-खाद्य सुरक्षा भारत के लिए निम्न कारणों से आवश्यक है-

(1) भारत में बंगाल जैसा अकाल पुन: कभी नहीं पड़ा। लेकिन यह चिन्ता का विषय है कि आज भी उड़ीसा में कालाहांडी तथा काशीपुर जैसे स्थान हैं, जहाँ अकाल जैसी दशाएँ अनेक वर्षों से बनी हुई हैं और ऐसी भी सूचना मिली है कि यहाँ भूख के कारण कुछ लोगों की मृत्यु भी हुई है।

(2) हाल के कुछ वर्षों में राजस्थान के बारन जिले, झारखंड के पलामू जिले तथा अन्य सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भूख के कारण लोगों की मृत्यु की सूचना मिली हैं।

(3) अर्थात् खाद्य सुरक्षा आवश्यक होती है जिससे सदैव खाद्य की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

प्रश्न 7. प्रो. अमर्त्य सेन के खाद्य सुरक्षा के विषय में क्या विचार हैं ?

उत्तर – प्रो. अमर्त्य सेन ने खाद्य सुरक्षा में एक नया आयाम जोड़ा और हकदारियों के आधार पर खाद्य तक पहुँच पर जोर दिया। हकदारियों का आशय राज्य या सामाजिक रूप से उपलब्ध कराई गई अन्य पूर्तियों के साथ-साथ उन वस्तुओं से है, जिनका उत्पादन और विनिमय बाजार में किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। तद्नुसार खाद्य सुरक्षा के अर्थ में काफी परिवर्तन हुआ है।

प्रश्न 8. विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन, 1995 में क्या घोषणा की गई ?

उत्तर – विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन, 1995 में यह घोषणा की गई कि “वैयक्तिक, पारिवारिक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा का अस्तित्व तभी है, जब सक्रिय और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए आहार सम्बन्धी जरूरतों और खाद्य पदार्थों को पूरा करने के लिए पर्याप्त, सुरक्षित एवं पौष्टिक खाद्य तक सभी लोगों की भौतिक एवं आर्थिक पहुँच सदैव हो।” इसके अतिरिक्त घोषणा में यह भी स्वीकार किया गया कि “खाद्य तक पहुँच बढ़ाने में निर्धनता का उन्मूलन किया जाना परमावश्यक है । “

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है व इसके मुख्य अंग कौन-कौन से हैं ?

उत्तर- सार्वजनिक वितरण प्रणाली से आशय – सार्वजनिक वितरण प्रणाली से आशय उस प्रणाली से है, जिसके अन्तर्गत सार्वजनिक रूप से उपभोक्ताओं विशेषकर कमजोर वर्ग के उपभोक्ताओं को निर्धारित कीमतों पर उचित मात्रा में विभिन्न वस्तुओं (गेहूँ, चावल, चीनी, आयातित खाद्य तेल, कोयला, मिट्टी का तेल आदि) का विक्रय राशन की दुकान व सहकारी उपभोक्ता भण्डारों के माध्यम से कराया जाता है। इन विक्रेताओं के लिए लाभ की दर निश्चित रहती है तथा इन्हें निश्चित कीमत पर निश्चित मात्रा में वस्तुएँ राशन कार्ड धारकों को बेचनी होती हैं। राशन कार्ड तीन-तीन प्रकार के होते हैं- बी. पी. एल. कार्ड, ए. पी. एल. कार्ड एवं अंत्योदय कार्ड।

बी.पी.एल. कार्ड गरीबी रेखा के नीचे के लोगों के लिए, ए. पी. एल. कार्ड गरीबी रेखा से ऊपर वाले लोगों के लिए तथा अंत्योदय कार्ड गरीब में भी गरीब लोगों के लिए होता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंग – भारत के सन्दर्भ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रमुख अंग निम्न हैं-

(1) राशन या उचित मूल्य की दुकानें – सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्यान्नों तथा अन्य आवश्यकताओं की वस्तुओं को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। इन दुकानों पर से आवश्यकता की वस्तुओं; जैसे-गेहूँ, चावल, चीनी, मैदा, खाद्य तेल, मिट्टी का तेल एवं अन्य वस्तुएँ; जैसे- कॉफी, चाय, साबुन, दाल, माचिस आदि को वितरित किया जाता है।

(2) सहकारी उपभोक्ता भण्डारण – सहकारी उपभोक्ता भण्डार भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंग हैं। इन भण्डारों के माध्यम से उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ नियन्त्रित वस्तुओं की भी बिक्री की जाती है। कुछ बड़े-बड़े उद्योगों ने भी अपने श्रमिकों को उचित मूल्य पर वस्तु उपलब्ध कराने के लिए सहकारी उपभोक्ता भण्डार खोले हैं।

(3) सुपर बाजार – कुछ बड़े-बड़े नगरों में सुपर बाजारों की स्थापना की गई है। यहाँ आवश्यकताओं की वस्तुओं को उपभोक्ताओं के लिए उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है।

प्रश्न 2. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन किस प्रकार किया जाता है ? वर्णन कीजिए।

उत्तर– सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन केन्द्र तथा राज्य सरकारें मिलकर करती हैं। केन्द्र द्वारा राज्यों को खाद्यान्न एवं अन्य वस्तुओं का आवंटन किया जाता है एवं इन वस्तुओं का विक्रय मूल्य भी निर्धारित किया जाता है। राज्य को केन्द्र द्वारा निर्धारित मूल्य में परिवहन व्यय आदि सम्मिलित करने का अधिकार है। इस प्रणाली के अन्तर्गत प्राप्त वस्तुओं का परिवहन, संग्रहण, वितरण व निरीक्षण राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। राज्य सरकारें चाहें तो अन्य वस्तुएँ भी जिन्हें वे खरीद सकती हैं, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सम्मिलित कर सकती हैं।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने का काम मुख्य रूप से भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा किया जाता है। 1965 में स्थापित भारतीय खाद्य निगम खाद्यान्नों व अन्य खाद्य सामग्री की

खरीददारी, भण्डारण व संग्रहण, स्थानान्तरण, वितरण तथा बिक्री का कार्य करता है। निगम एक ओर तो यह निश्चित करता है कि किसानों को उनके उत्पादन की उचित कीमत मिले (जो सरकार द्वारा निर्धारित वसूली/ समर्थन कीमत से क़म न हो) तथा दूसरी ओर यह निश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को भण्डार से एक-सी. कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध हो। निगम को यह भी उत्तरदायित्व सौंपा गया है कि वह सरकार की ओर से खाद्यान्नों के बफर स्टॉक बना कर रखे।

प्रश्न 3. खाद्यान्न सुरक्षा के मुख्य घटक कौन-कौन से हैं ? लिखिए।

उत्तर-सामान्यतः खाद्यान्न सुरक्षा के अन्तर्गत समस्त जनसंख्या को खाद्यान्नों की न्यूनतम मात्रा उपलब्ध कराना माना जाता है। खाद्यान्न सुरक्षा के निम्नलिखित घटक हैं-

(1) देश की समस्त जनसंख्या को भोजन की उपलब्धता ।

(2) उपलब्ध खाद्यान्न को खरीदने के लिए पर्याप्त धन ।

(3) खाद्यान्न उस मूल्य पर उपलब्ध हो जिस पर सभी उसे खरीद सकें।

(4) खाद्यान्न हर समय उपलब्ध होना चाहिए।

(5) उपलब्ध खाद्यान्न की किस्म अच्छी होनी चाहिए।

एक विकासशील अर्थव्यवस्था में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। निरन्तर होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप इसकी निम्नलिखित अवस्थाएँ (घटक) भी हो सकती हैं-

(1) पर्याप्त मात्रा में अनाज की उपलब्धता ।

(2) पर्याप्त मात्रा में अनाज और दालों की उपलब्धता।

(3) अनाज और दालों के साथ दूध और दूध से बनी वस्तुओं की उपलब्धता ।

(4) अनाज, दालें, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएँ, सब्जियाँ, फल आदि की उपलब्धता ।

प्रश्न 4. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रमुख लाभों को बताइए।

उत्तर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के निम्नलिखित प्रमुख लाभ हैं-

(1) सार्वजनिक वितरण प्रणाली खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत सरकार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है।

(2) प्रारम्भ में यह प्रणाली सबके लिए थी और निर्धनों और गैर-निर्धनों के बीच कोई भेद नहीं किया जाता था। बाद के वर्षों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक दक्ष और लक्षित बनाने के लिए संशोधित किया गया।

(3) वर्ष 1992 में देश के 1700 ब्लॉकों में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (आर. पी. डी. एस.) शुरू की गई। इसका लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लाभ पहुँचाना था।

(4) जून 1997 से ‘सभी क्षेत्रों में निर्धनों’ को लक्षित करने के सिद्धान्त को अपनाने के लिए लक्षित सार्वजनिक प्रणाली प्रारम्भ की गई। यह पहला मौका था जब निर्धनों और गैर-निर्धनों के लिए विभेदक कीमत नीति अपनाई गई।

(5) सन् 2000 में दो विशेष योजनाएँ – अंत्योदय अन्न योजना और अन्नपूर्णा योजना प्रारम्भ की गई। इन दोनों योजनाओं का संचालन सार्वजनिक वितरण प्रणाली के वर्तमान नेटवर्क से जोड़ दिया गया है।

(6) सार्वजनिक वितरण प्रणाली मूल्यों को स्थिर बनाने और सामर्थ्य अनुसार कीमतों पर उपभोक्ताओं को खाद्यान्न उपलब्ध कराने की सरकार की नीति में सर्वाधिक प्रभावी साधन सिद्ध हुई है। इसने देश के अनाज की अधिशेष क्षेत्रों से कमी वाले क्षेत्रों में खाद्य पूर्ति के माध्यम से अकाल और भुखमरी की व्यापकता को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 5.” भारत में खाद्य सुरक्षा” पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर-

भारत में खाद्य सुरक्षा

‘खाद्य सुरक्षा का अर्थ है सभी लोगों को सभी समयों पर पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न (भोजन) उपलब्ध कराना ताकि वे सक्रिय व स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकें।” भारत में लोगों का एक बड़ा वर्ग खाद्य और पोषक तत्वों की असुरक्षा से ग्रस्त है, सबसे अधिक प्रभावित समूह ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन और निर्धन परिवार, बहुत कम वेतन वाले कार्यों में लगे लोग और शहरी क्षेत्रों में मौसमी कार्यों में लगे अनियत श्रमिक हैं। देश के कुछ क्षेत्रों में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित लोगों की बड़ी संख्या तुलनात्मक रूप से बहुत अधिक है जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों में जहाँ बहुत अधिक निर्धनता है, जनजातियों वाले व दूरस्थ क्षेत्रों में और ऐसे क्षेत्रों में जहाँ प्राकृतिक आपदाएँ आती रहती हैं।

समाज के सभी वर्गों के लिए खाद्य की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सावधानीपूर्वक खाद्य सुरक्षा प्रणाली तैयार की है, जिसके दो घटक हैं- (i) बफर स्टॉक और (ii) सार्वजनिक वितरण प्रणाली । सरकार ने काफी बड़ी मात्रा में भारतीय खाद्य निगम (FCI) की मदद से, खाद्यान्नों के भंडार जमा किए हैं और इन भण्डारों में से लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्नों की आपूर्ति की जाती है। हाल के वर्षों में तो ये भंडार जिन्हें बफर स्टॉक कहा जाता है। न्यूनतम मानदण्डों की तुलना में काफी अधिक थे जिससे अतिरिक्त भण्डार की समस्या उत्पन्न हो गई थी जिससे कहीं अनाज सड़ रहा है तो कुछ स्थानों पर चूहे अनाज खा रहे हैं।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अतिरिक्त कई निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम भी शुरू किए गए, जिनमें खाद्य सुरक्षा का घटक भी शामिल था। इनमें से कुछ प्रमुख कार्यक्रम हैं- एकीकृत बाल विकास सेवाएँ, काम के बदले अनाज, दोपहर का भोजन, अंत्योदय अन्न योजना आदि । खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने में सरकार की भूमिका के अतिरिक्त अनेक सहकारी समितियाँ और गैर-सरकारी संगठन भी हैं, जो इस दिशा में तेजी से कार्य कर रहे हैं।

MP Board Class 9 Economic  Solution Chapter 4 :  भारत में खाद्य सुरक्षा[Food Security in India]

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