MP Board Class 8th Sanskrit Surbhi Solution Chapter 21 – नर्मदा

Chapter 21 – नर्मदा हिन्दी अनुवाद, शब्दार्थ एवं अभ्यास

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) अस्माकम् प्रदेशस्य जीवनदायिनी का? (हमारे प्रदेश की जीवनदायिनी कौन है?)
उत्तर:
नर्मदा। (नर्मदा)

(ख) नर्मदा कस्मात् स्थानात् प्रादुर्भवति? (नर्मदा किस स्थान से निकलती है?)
उत्तर:
अमरकण्टकपर्वतात्। (अमरकण्टक पर्वत से)

(ग) कस्याः नाम रेवा? (किसका नाम रेवा है?)
उत्तर:
नर्मदायाः। (नर्मदा का)।

(घ) अमरकण्टकस्थानं कस्मिन् मण्डले अस्ति? (अमरकण्टक स्थान किस मण्डल में है?)
उत्तर:
अनूपपुर मण्डले। (अनूपपुर मण्डल में)

(ङ) नर्मदा कस्मिन् सागरे मिलति? (नर्मदा किस सागर में मिलती है?)
उत्तर:
अरबसागरे। (अरब सागर में)

(च) मण्डनमिश्रः कस्मिन् नगरे वसति स्म? (मण्डनमिश्र किस नगर में रहते थे?)
उत्तर:
मण्डलेश्वरनगरे। (मण्डलेश्वर नगर में)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत(एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) धूमधारजलप्रपातः कुत्र अस्ति? (धूआँधार झरना कहाँ है?)
उत्तर:
धूमधारजलप्रपात: भेड़ाघाटनामके स्थाने अस्ति। (धूआँधार झरना भेड़ाघाट नामक स्थान पर है।)

(ख) सेठानीघाटस्थानं कस्मिन् नगरे अस्ति? (सेठानीघाट स्थान किस नगर में है?)
उत्तर:
सेठानीघाटस्थानं होशंगाबादनगरे अस्ति। (सेठानीघाट स्थान होशंगाबाद नगर में है।)

(ग) ओङ्कारेश्वरनगरे किं नाम ज्योतिर्लिङ्गम्? (ओङ्कारेश्वर नगर में किस नाम का ज्योतिर्लिंग है?)
उत्तर:
ओङ्कारेश्वरनगरे ममलेश्वरनामज्योतिर्लिंङ्गम्। (ओंकारेश्वर नगर में ममलेश्वर नाम का ज्योतिर्लिंग है।)

(घ) सरदारसरोवरबन्धः कस्यां नद्याम् अस्ति? (सरदार सरोवर बाँध किस नदी पर है?)
उत्तर:
सरदारसरोवरबन्धः नर्मदानद्याम् अस्ति। (सरदार सरोवर बाँध नर्मदा नदी पर है।)

(ङ) बन्धैः के लाभाः? (बाँधों से क्या लाभ हैं?)
उत्तर:
बन्धैः विधुदुत्पादनम्, भूमिसेचनम्, जलपरिवहनम्, अभयारण्यनिर्माणम्, पर्यटनस्थलनिर्माणम् इत्यादयो विविधलाभाः। (बाँधों से बिजली उत्पादन, भूमि का सींचना, जल परिवहन, अभयारण्य निर्माण, पर्यटन स्थल का निर्माण इत्यादि विभिन्न लाभ हैं।)

प्रश्न 3.
उचितशब्देन रिक्तस्थानम् पूरयत(उचित शब्द से रिक्त स्थान भरो-)
(क) नर्मदायाः अपरं नाम ……….. अस्ति। (भागीरथी/मेकलसुता)
(ख) नर्मदानदी ……………. जीवनदायिनी कथ्यते। (उत्तरप्रदेशस्य/मध्यप्रदेशस्य)
(ग) ममलेश्वरज्योतिर्लिङ्गम् …………… अस्ति। (उज्जयिन्याम्/ओङ्कारेश्वरनगरे)
(घ) आद्यशङ्कराचार्यस्य गुरोः नाम ………… अस्ति। (महर्षि वाल्मीकि/गोविन्दपादाचार्यः)
(ङ) बरगीबन्धः ……………. अस्ति। (नर्मदायाम्/गोदावर्याम्)
उत्तर:
(क) मेकलसुता
(ख) मध्यप्रदेशस्य
(ग) ओङ्कारेश्वरनगरे
(घ) गोविन्दपादाचार्यः
(ङ) नर्मदायाम्।

प्रश्न 4.
उचितं योजयत(उचित को मिलाओ-)

उत्तर:
(क) → (iii)
(ख) → (v)
(ग) → (ii)
(घ) → (i)
(ङ) → (iv)

प्रश्न 5.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत्।
(शुद्धवाक्यों के सामने “आम्” (हाँ) और अशुद्ध वाक्यों के सामने “न” (नहीं) लिखो-)
(क) नर्मदा अमरकंटाकात् प्रादुर्भवति।
(ख) रेवा नर्मदायाः अपरं नाम अस्ति।
(ग) नर्मदायाम् सरदारसरोवरबन्धः अस्ति।
(घ) मेघदूते नर्मदायाः वर्णनं नास्ति।
(ङ) पुराणेषु नर्मदायाः वर्णनम् अस्ति।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) आम्
(घ) न
(ङ) आम्

प्रश्न 6.
नामोल्लेखपूर्वकं सन्धिविच्छेदं कुरुत(नाम का उल्लेख करते हुए सन्धि-विच्छेद करो-)
(क) गहनारण्येषु
(ख) अत्रैव
(ग) अवलोकनार्थम्
(घ) इत्यादयः।
उत्तर:

प्रश्न 7.
नामोल्लेखपूर्वकं समासविग्रहं कुरुत(नाम का उल्लेख करते हुए समास विग्रह करो-)
(क) अभयारण्य निर्माणम्
(ख) देवालयाः
(ग) घण्टानादाः
(घ) भूमिसेचनम्।
उत्तर:

नर्मदा हिन्दी अनुवाद

पावनसलिलानर्मदा अस्माकम् प्रदेशस्य जीवनदायिनी सरिता अस्ति। एषा एव रेवा-मेकलसुतादिभिः अनेकानामभिः प्रसिद्धा। अस्याः उभयोः तटयोः अनेकानि तीर्थस्थानानि, तपस्विनाम् आश्रमाश्च सन्ति। प्राचीनकालादेव अस्याः पावनतटयोः तपस्विनां सिद्धस्थलानि सन्ति। अतः जनाः नर्मदायाः परिक्रमणं कृत्वा आत्मानं धन्यम् पवित्रं च मन्यते अत्रत्यं नैसर्गिक सौन्दर्यमपि दर्शनीयम्।।

अनुवाद :
पवित्र जल वाली नर्मदा हमारे प्रदेश की जीवनदायिनी (जीवन प्रदान करने वाली) नदी है। यही रेवा, मेकलसुता आदि अनेक नामों से प्रसिद्ध है। इसके दोनों किनारों पर अनेक तीर्थस्थान और तपस्वियों के आश्रम हैं। प्राचीनकाल से ही इसके पवित्र किनारों पर तपस्वियों के सिद्ध स्थल हैं। इसलिए लोग नर्मदा की परिक्रमा करके अपने को धन्य और पवित्र मानते हैं। यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य भी देखने योग्य है।

अनूपपुरमण्डले अमरकण्टवं नाम पर्वतोऽस्ति। तत एव नर्मदा प्रादुर्भवति। तदनन्तरम् एषा गहनारण्येषु उत्तुङ्गपर्वतेषु च भ्रमणं कुर्वती डिण्डोरीमण्डलम् प्रविशति। डिण्डोरीतः सपाकारगत्या उच्चावचमार्गेण महाराजपुरम् प्राप्नोति। ततः जाबालिपुरम् आगच्छति। श्वेतशिलाखण्डानां कृतेऽतिप्रसिद्धे भेड़ाघाटनामके स्थाने धूमधारजलप्रपातस्वरूपं धारयति। तद् अवलोकनार्थं बहवः पर्यटकाः अत्र आगच्छन्ति।

अनुवाद :
अनूपपुर मण्डल में अमरकण्टक नामक पर्वत है। वहाँ से ही नर्मदा निकलती है। उसके बाद यह घने वनों और ऊँचे पर्वतों पर भ्रमण करती हुई डिण्डोरी मण्डल में प्रवेश करती है। डिण्डोरी से सर्पाकार गति से ऊँचे-नीचे मार्ग से महाराजपुर (मण्डल) पहुँचती है। वहाँ से जबलपुर आती है। संगमरमर की चट्टानों के लिए अति प्रसिद्ध भेड़ाघाट नाम के स्थान पर धूआँधार झरने का रूप धरती है। उसे देखने के लिए बहुत से पर्यटक यहाँ आते हैं।

जाबालिपुरतः ब्रह्माण्डघट्टम् आयाति ततः अनेकक्षेत्राणि पावयन्ती इयं होशङ्गाबादनगरम् प्रविशति। अत्रत्यं सेठानीघाट’। इति स्थानम् प्रसिद्धम्। अस्मिन नगरे अस्याः तटे अनेके देवालयाः आश्रमाश्च सन्ति। अत्र भक्तैः कृताः प्रार्थनाः घण्टानादाश्च अहर्निशं श्रूयन्ते।।

अनुवाद :
जबलपुर से ब्रह्माण्डघाट (बरमान घाट) आती है वहाँ से अनेक क्षेत्रों को पवित्र करती हुई यह होशंगाबाद नगर में। प्रवेश करती है। यहाँ का ‘सेठानीघाट’ स्थान प्रसिद्ध है। इस नगर। में इसके किनारे अनेक मन्दिर और आश्रम हैं। यहाँ भक्तों के द्व रा की गयी प्रार्थना और घण्टों का स्वर रात-दिन सुनाई देता है।

ततो वेगवती एषातरंगिणी ओङ्कारेश्वरनगरं स्पृशति। अत्र ममलेश्वरनामज्योतिर्लिङ्ग समाराधयन्ती ओंकार इव आकृति धारयति। अत्रैव आद्यशङ्कराचार्यस्य गुरोः गोविन्दपादाचार्यस्य पवित्रस्थानम् अप्यस्ति।

अनुवाद :
वहाँ से वेग वाली यह नदी ओंकारेश्वर नगर को छूती है। यहाँ ममलेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग की आराधना करती। हुई ओंकार के समान आकृति को धारण करती है। यहीं पर आदि शंकराचार्य के गुरु गोविन्दपाद् आचार्य का पवित्र स्थान भी है।

ततः मण्डनमिश्रेण मण्डितम् मण्डलेश्वरनगरमपि। एषा मण्डयति। मण्डलेश्वरनगरात् महाराजया अहिल्यया सेविते माहिष्मतीनगरे अस्याः अतिविस्तृतं रूपं दृश्यते। पश्चात् खलघाटेशूलपाणेश्वरादीनि स्थानानि सिञ्चन्ती सा गुर्जरप्रान्तस्य भृगुकच्छनगरसमीपे अरबसागरे विलीयते।।

अनुवाद :
वहाँ से मण्डनमिश्र से सुशोभित मण्डलेश्वर नगर को भी यह सुशोभित करती है। मण्डलेश्वर नगर से महारानी अहिल्या के द्वारा सेवित माहिष्मती (महेश्वर) नगर में इसका अति विस्तृत रूप दिखाई देता है। बाद में खलघाट शूलपाणेश्वर आदि स्थानों को सींचती हुई गुजरात प्रान्त के भरुच नगर के पास अरब सागर में विलीन हो जाती है।

नर्मदानद्यामेव बरगी-इन्दिरासागर-सरदारसरोवरदायः बहवः बन्धाः निर्मिताः सन्ति। यावन्तः बन्धाः नर्मदानद्यां सन्ति तावन्तः अन्यासु नदीषु न सन्ति। एभिः बन्धैः विधुदुत्पदानम्, भूमिसेचनम्, जलपरिवहनम्, अभयारण्यनिर्माणम्, पर्यटनस्थलनिर्माणम् इत्यादयो विविधलाभाः भवन्ति। एतेषाम् उपकराणां हेतुः एषा एव।

अनुवाद :
नर्मदा नदी पर ही बरगी, इन्दिरासागर, सरदार सरोवर आदि बहुत से बाँध निर्मित हैं। जितने बाँध नर्मदा नदी पर हैं उतने अन्य नदियों पर नहीं हैं। इन बाँधों से बिजली उत्पादन, भूमि का सींचना, जल परिवहन, अभयारण्य का निर्माण, पर्यटनस्थल का निर्माण इत्यादि विभिन्न लाभ होते हैं। इनके उपकारों के लिए यही है।

एषा नामस्मरणमात्रेण पापम् अपाकरोति। पुराणेषु अस्याः बहुविधमाहात्म्यम् प्रतिपादितम्। कालिदासेनापि मेघदूते अस्याः सौन्दर्यम् माहात्म्यं च वर्णितम्। धन्य एषा भूमिः यत्र रेवा राजते।

अनुवाद :
यह नाम के स्मरण मात्र से पाप को दूर करती है। पुराणों में इसकी बहु विध महिमा प्रतिपादित है। कालिदास ने भी मेघदूत में इसके सौन्दर्य और महिमा का वर्णन किया है। धन्य है यह भूमि जहाँ रेवा (नर्मदा) सुशोभित होती है।




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