MP Board Class 7th Solution For Sahayak Vachan Chapter 2 :  सूक्ष्म यौगिक क्रियायें

Class 7th सहायक वाचन Solution

खण्ड 2 : योग शिक्षा ( yoga siksha )

पाठ 2 : सूक्ष्म यौगिक क्रियायें

रिक्त स्थान की पूर्ति

1. रेचक का अर्थ होता है श्वास ……………………

2. भरपूर श्वास लेने और श्वास छोड़ने से फेफड़ों की क्षमता …………………… है।

3. घुटने एवं पंजों की सूक्ष्म यौगिक क्रिया करने से पिण्डली का दर्द भी …………………… होता है।

उत्तर– 1. बाहर निकालना, 2. बढ़ती, 3. दूर।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सूक्ष्म यौगिक अभ्यास से क्या लाभ होते हैं ?

उत्तर – सूक्ष्म यौगिक अभ्यास से लाभ-सूक्ष्म यौगिक अभ्यास से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

(1) गर्दन, कन्धों, कुहनियों, कलाइयों, कमर एवं घुटनों आदि के जोड़ सक्रिय होते हैं।

(2) विभिन्न प्रकार के जोड़ों के दर्द दूर होते हैं।

(3) जोड़ों में शक्ति का संचार होता है।

प्रश्न 2. ‘स्कन्ध के लिए’ अभ्यास से होने वाले लाभ लिखिए ।

उत्तर– स्कन्ध के लिए अभ्यास से होने वाले लाभ – स्कन्ध के लिए अभ्यास से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं-

(1) हाथों, अँगुलियों की शक्ति बढ़ती है।

(2) कंधों के जोड़ सक्रिय होते हैं।

(3) कोहनियों के जोड़ सक्रिय होते हैं।

(4) कलाइयों के जोड़ सक्रिय होते हैं।

(5) जोड़ों का दर्द दूर होता है ।

प्रश्न 3. आँखों के लिए अभ्यास की कोई एक विधि लिखिए ।

उत्तरआँखों के लिए अभ्यास की विधि – आँखों के अभ्यास की सम्पूर्ण क्रिया में गर्दन सीधी एवं स्थिर रखिए। उसे किसी भी प्रकार की गति मत दीजिए।

आँखों की इन क्रियाओं को सात भागों में विभाजित किया गया है—

(1)

(अ) पूरक करते हुए आँखों के गोलकों को ललाट की ओर ले जाते हुए आकाश को देखिए ।

(ब) रेचक करते हुए आँखों के गोलकों को नीचे की ओर ले जाते हुए पंजों की ओर देखिए ।

इसकी पाँच आवृत्ति कीजिए ।

(2)

(अ) पूरक करते हुए आँखों के गोलकों को दायीं ओर ले जाइए ।

(ब) रेचक करते हुए गोलकों को बायीं ओर ले जाइए। जितना पीछे की ओर देख सकते हैं, देखिए । इसकी पाँच आवृत्ति कीजिए ।

(3)

(अ) पूरक करते हुए दोनों गोलकों को दाहिने कोण में ऊपर ले जाइए।

(ब) रेचक करते हुए दोनों गोलकों को बाएँ कोण में नीचे ले जाइए।

यह तिरछी कोणात्मक क्रिया पाँच बार दोहराइए ।

(4)

(अ) पूरक कर दोनों गोलकों को बाएँ कोण में ऊपर ले जाइए।

(ब) रेचक करते हुए दोनों गोलकों को दायें कोण में नीचे लाइए।

इसकी पाँच आवृत्ति कीजिए ।

(5)

(अ) पूरक कर कुम्भक कीजिए, आँखों के गोलकों को गोलाकार दाएँ से बाएँ घुमाइए ।

इसकी पाँच आवृत्ति कीजिए ।

(ब) इसी क्रिया को बाएँ से दाएँ गोलाकार घुमाइए। इसकी भी पाँच आवृत्ति कीजिए ।

(6)

(अ) रेचक कर कुम्भक कीजिए, आँखों को तेजी से झपकाइए ।

(ब) पूरक कीजिए तथा पुनः रेचक कर कुम्भक कीजिए तीव्रता से आँखों को झपकाइए।

(7)

(अ) दोनों हथेलियों को घर्षण द्वारा गर्म कीजिए ।

(ब) रेचक कर हल्के स्पर्श से हथेलियों द्वारा आँखों पर मालिश कीजिए।

(स) हथेलियों का सम्पुट बनाकर आँखों को खुली रखकर अँधेरे में तेजी से झपकाइए ।

(द) अँगुलियों के छिद्रों से आते हुए प्रकाश को देखिए ।

(इ) धीरे-धीरे अँगुलियों को इस प्रकार खोलते जाइए कि पूरा प्रकाश हो जाए।

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