MP Board Class 7th History Solution Chapter 9 : क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण

म.प्र. बोर्ड कक्षा सातवीं संपूर्ण हल- इतिहास– हमारे अतीत 2 (History: Our Pasts – II)

पाठ 9 : क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण

प्रश्न – अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)

महत्त्वपूर्ण बिन्दु

  • क्षेत्रीय संस्कृतियाँ, क्षेत्रीय धार्मिक परम्पराओं से विकसित हुई मानी जाती हैं।
  • बारहवीं शताब्दी के राजा अनन्तवर्मन ने जगन्नाथ मन्दिर के निर्माण का निश्चय किया। धीरे-धीरे इस मन्दिर की तीर्थ महत्ता बढ़ने के साथ-साथ सामाजिक व राजनीतिक सत्ता भी बढ़ती गई।
  • राजपूतों ने राजस्थान को एक विशिष्ट संस्कृति प्रदान की ।
  • कत्थक नृत्य शैली उत्तर भारत में प्रचलित है।
  • ‘कत्थक’ शब्द ‘कथा’ शब्द से निकला है।
  • लघुचित्र छोटे आकार के चित्र होते हैं जिन्हें आमतौर पर जल रंगों से कपड़े या कागज पर चित्रित किया जाता है।
  • क्षेत्रों के नाम वहाँ के निवासियों द्वारा बोली जाने वाली भाषा के अनुसार निर्धारित करते हैं, जैसे बंगाल के लोग बंगाली भाषा बोलते हैं।

महत्त्वपूर्ण शब्दावली

पीर-फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है- आध्यात्मिक मार्गदर्शक ।

जीववाद – एक मान्यता कि पेड़-पौधों, जड़ वस्तुओं और प्राकृतिक घटनाओं में भी जीवात्मा है।

1586-अकबर ने बंगाल को जीत लिया ।

महत्त्वपूर्ण तिथियाँ

1739 – नादिरशाह के आक्रमण

पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

पृष्ठ संख्या # 122

प्रश्न – पता लगाएँ कि पिछले दस सालों में कितने नए राज्य बनाए गए हैं ? क्या इनमें से प्रत्येक राज्य एक अलग क्षेत्र है ?

उत्तर – भारत में पिछले दस सालों (2010-2020) में एक नया राज्य तेलंगाना (2014) बनाया गया। इस नए राज्य का उदय तत्कालीन आन्ध्र प्रदेश राज्य में से हुआ। यह पहला अलग पहचान और संस्कृति वाला क्षेत्र था जो कालान्तर में एक पृथक् राज्य बना ।

पृष्ठ संख्या # 123

प्रश्न – पता लगाएँ कि आपके घर में आप जो भाषा / भाषाएँ बोलते हैं, उसका/उनका लेखन में सर्वप्रथम कब प्रयोग हुआ होगा ?

उत्तर – हमारे घर में मुख्यतः हिन्दी भाषा बोली जाती है। उसका लेखन देवनागरी लिपि के रूप में किया जाता है। देवनागरी का उपयोग 1000 ई. के पहले आरम्भ हो चुका था । मध्यकाल के शिलालेखों से इसके प्रमाण मिलते हैं।

पृष्ठ संख्या # 126

प्रश्न- पता लगाएँ कि क्या आपके नगर/गाँव में शूरवीरों/वीरांगनाओं की परम्परा रही है ? यदि हाँ, तो ये परम्पराएँ राजपूतों के वीरतापूर्ण आदर्शों से कितनी समान या भिन्न हैं ?

उत्तर – शूरवीरता की परम्पराएँ भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न रूपों में मिल सकती हैं। शूरवीरों/वीरांगनाओं में स्वामीभक्ति, मित्रता, प्रेम, पराक्रम, क्रोध आदि गुण देखे जाते हैं। इनमें से अधिकतर गुण राजपूतों के वीरतापूर्ण आदर्शों के समान हैं।

पृष्ठ संख्या # 127

प्रश्न– इनमें से किसी एक नृत्य रूप के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।

उत्तर – नृत्य रूप, जिन्हें शास्त्रीय नृत्य माना जाता है। उनके नाम क्रमशः भरतनाट्यम्, कथकली, ओडिसी, कुचिपुड़ि, मणिपुरी इत्यादि हैं। इनमें से भरतनाट्यम के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी निम्नवत् है-

भरतनाट्यम नृत्य शास्त्रीय नृत्य का एक प्रसिद्ध नृत्य है। भरतनाट्यम, भारत के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है तथा इसका सम्बन्ध दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य से है। यह नाम ‘भरत’ शब्द से लिया गया तथा इसका सम्बन्ध नृत्य शास्त्र से है। भरतनाट्यम की तकनीक में हाथ, पैर, मुख व शरीर संचालन के समन्वयन के 64 सिद्धान्त हैं, जिनका निष्पादन नृत्य पाठ्यक्रम के साथ किया जाता है।

पृष्ठ संख्या # 132

प्रश्न- आपके विचार से द्वितीय श्रेणी की कृतियाँ लिखित रूप में क्यों नहीं रखी जाती थीं ?

उत्तर- द्वितीय श्रेणी की कृतियाँ नाथ साहित्य कही जाती थीं। जैसे – मैनामती, गोपीचन्द के गीत, धर्म ठाकुर की पूजा से सम्बन्धित कहानियाँ, परीकथाएँ, लोककथाएँ और गाथागीत।

द्वितीय श्रेणी की कृतियाँ मौखिक रूप से कही-सुनी जाती थीं। इन कृतियों की विश्वसनीयता काफी कम थी, इसलिए ये कृतियाँ लिखित रूप में नहीं रखी जाती थीं।

पृष्ठ संख्या # 133

प्रश्न- यहाँ दिए गए मन्दिर की तुलना अध्याय 2 में दिए गए मन्दिर से करें ।

उत्तर – अध्याय 2 में दिया गया मन्दिर गंगईकोंड़चोलपुरम है। यह पत्थर और चट्टानों का बना एक मजबूत मन्दिर है। मन्दिर की छत क्रमश: पतली होती गई है। बाहरी दीवारों को सजाने के लिए पत्थर की प्रतिमाएँ अलंकृत की गई हैं।

दूसरी ओर यहाँ दर्शाया गया मन्दिर फूस की दोहरी छत वाली झोपड़ी है, जो एक अत्यन्त साधारण निर्माण है। मन्दिर की बाहरी दीवारें चित्रकारियों अथवा मिट्टी की पट्टियों से सजाई गई हैं।

पृष्ठ संख्या # 136

कल्पना कीजिए

प्रश्न– आप एक राजपूत राजकुमार हैं। आप अपनी कहानी किस प्रकार सुनाना पसन्द करेंगे ?

उत्तर– मैं अपनी कहानी को देश के अलग-अलग क्षेत्रों में कथाकारों द्वारा संगीतमय ढंग से सुनवाना पसन्द करूँगा । सांस्कृतिक परम्पराओं, शासकों के आदर्शों को लिपिबद्ध करके पुस्तक में छपवाने का प्रयास करूँगा ।

फिर से याद करें

प्रश्न 1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ-

उत्तर– (क) →(iii), (ख) →(v), (ग) →(i), (घ) → (vi), (च) → (ii), (छ) → (iv)

प्रश्न 2. मणिप्रवालम् क्या है ? इस भाषा में लिखी पुस्तक का नाम बताएँ ।

उत्तर– ‘मणिप्रवालम्’ एक भाषा शैली है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- हीरा और मूँगा, जो यहाँ दो भाषाओं संस्कृत तथा क्षेत्रीय भाषा के साथ-साथ प्रयोग की ओर संकेत करता है। ‘मणिप्रवालम्’ भाषा का सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘लीला तिलकम’ है जो व्याकरण और काव्यशास्त्र विषयों पर आधारित है।

प्रश्न 3. कत्थक के प्रमुख संरक्षक कौन थे ?

उत्तर – राजस्थान के राजदरबार और लखनऊ के नवाब कत्थक नृत्य शैली के प्रमुख संरक्षक थे । अवध के अन्तिम नवाब वाजिद अली शाह के संरक्षण में यह एक प्रमुख कला के रूप में उभरा।

प्रश्न 4. बंगाल के मन्दिरों की स्थापत्य कला के महत्वपूर्ण लक्षण क्या हैं ?

उत्तर – बंगाल के मन्दिरों की स्थापत्य कला के महत्वपूर्ण लक्षण अग्रलिखित हैं-

(1) इन मन्दिरों की शक्ल. या आकृति बंगाल की छप्परदार झोपड़ियों की तरह ‘दोचाला’ (दो छतों वाली) या ‘चौचाला ‘ (चार छतों वाली) होती थी ।

(2) मन्दिर आमतौर पर एक वर्गाकार चबूतरे पर बनाए जाते थे। उनके भीतरी भाग में कोई सजावट नहीं होती थी ।

(3) मन्दिर की बाहरी दीवारें चित्रकारियों, सजावटी टाइलों अथवा मिट्टी की पट्टियों से सजी हुई थीं।

(4) कुछ मन्दिरों में विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के बाकुरा जिले में विष्णुपुर के मन्दिरों में ऐसी सजावटें अत्यन्त उत्कृष्ट कोटि तक पहुँच चुकी थीं।

आइए विचार करें

प्रश्न 5. चारण-भाटों ने शूरवीरों की उपलब्धियों की उद्घोषणा क्यों की ?

उत्तर – चारण भाटों नें शूरवीरों की उपलब्धियों की उद्घोषणा निम्नलिखित कारणों से की-

(1) राजपूत शूरवीरों की कहानियाँ काव्यों और गीतों के माध्यम से सामान्य जन तक पहुँच सकें।

(2) ये काव्य एवं गीत शूरवीरों की स्मृति को सुरक्षित रखते थे ।

(3) वे अन्य जनों को भी उन शूरवीरों का अनुकरण करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करते थे।

प्रश्न 6. हम जनसाधारण की तुलना में शासकों के सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के बारे में बहुत अधिक क्यों जानते हैं ?

उत्तर — शासक अपनी उपलब्धियों को सुरक्षित रखने के लिए अनेक विधियाँ अपनाते थे, जैसे-

धार्मिक स्मारकों का निर्माण – इनसे हमें उनके सांस्कृतिक रीति-रिवाजों की जानकारी मिलती है।

शासकों द्वारा लगवाये गये विभिन्न अभिलेख – इनसे हमें शासकों के आदर्शों और अभिलाषाओं की जानकारी प्राप्त होती है।

सांस्कृतिक परम्पराओं का वर्णन – कहानियों और रचनाओं के माध्यम से हमें उनकी वीरता और संघर्ष की जानकारी मिलती है। जबकि जनसाधारण वीरतापूर्ण कार्यों का रिकॉर्ड रखने के लिए कुछ नहीं करते। इसलिए हम जन-साधारण की तुलना में शासकों के सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के बारे में बहुत अधिक जानते हैं।

प्रश्न 7. विजेताओं ने पुरी जगन्नाथ के मन्दिर पर नियन्त्रण प्राप्त करने के प्रयत्न क्यों किए ?

उत्तर – गंग वंश के अत्यन्त प्रतापी राजा अनंतवर्मन ने जगन्नाथपुरी के मन्दिर का निर्माण कराया । धीरे-धीरे इस मन्दिर की ख्याति चहुँओर फैल गयी जिन-जिन विजेताओं ने उड़ीसा को जीता; जैसे – मुगल, मराठे और ईस्ट इण्डिया कम्पनी। सभी ने इस मन्दिर पर अपना नियन्त्रण स्थापित करने का प्रयत्न किया क्योंकि वे सब यह महसूस करते थे कि मन्दिर पर नियन्त्रण प्राप्त करने से स्थानीय जनता में उनका शासन स्वीकार्य हो जायेगा ।

प्रश्न 8. बंगाल में मन्दिर क्यों बनवाए गये ?

उत्तर – बंगाल में पन्द्रहवीं शताब्दी के बाद आने वाले वर्षों में मन्दिर बनाने का दौर जोरों पर रहा, जो उन्नीसवीं शताब्दी में आकर समाप्त हो गया। मन्दिर और अन्य धार्मिक भवन अक्सर उन व्यक्तियों या समूहों द्वारा बनाए जाते थे, जो शक्तिशाली बन रहे थे। वे इनके माध्यम से अपनी शक्ति तथा भक्तिभाव का प्रदर्शन करना चाहते थे। जैसे-जैसे लोगों की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति सुधरती गई, उन्होंने इन स्मारकों के निर्माण के माध्यम से अपनी प्रस्थिति या प्रतिष्ठा की घोषणा कर दी।

आइए करके देखें

प्रश्न 9. भवनों, प्रदर्शन कलाओं, चित्रकला के विशेष सन्दर्भ में अपने क्षेत्र की संस्कृति के सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षणों / विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर– प्रत्येक सांस्कृतिक क्षेत्र या भू-भाग का एक अलग जीवन्त लोकजीवन, साहित्य, संस्कृति, इतिहास, कला, बोली और परिवेश होता है। क्षेत्र की संस्कृति के विभिन्न महत्वपूर्ण लक्षण/विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) प्राचीनता – भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। मध्य प्रदेश के भीमबेटका में पाये गये शैलचित्र आज से लगभग हजारों वर्ष पुराने हैं।

(2) निरन्तरता – संस्कृति की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि हजारों वर्षों के बाद भी यह संस्कृति आज भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है। जैसे भारत में नदियाँ, वट, सूर्य तथा अन्य प्राकृतिक देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना का क्रम शताब्दियों से चला आ रहा है।

(3) ग्रहणशीलता – हमारी संस्कृति में यहाँ के मूल निवासियों ने ग्रहणशीलता को अपनाया । यहाँ अरबों, तुर्कों और मुगलों की संस्कृति के समावेश के बावजूद अपनी संस्कृति का पृथक अस्तित्व रहा।

(4) अनेकता में एकता – यहाँ की संस्कृति अनेकता में एकता का परिचय देती है । विभिन्न रीति-रिवाज, आचार-व्यवहार, त्यौहारों में समानता है ।

प्रश्न 10. क्या आप (क) बोलने, (ख) पढ़ने, (ग) लिखने के लिए भिन्न-भिन्न भाषाओं का प्रयोग करते हैं ? इनमें से किसी एक भाषा की किसी प्रमुख रचना के बारे में पता लगाएँ और चर्चा करें कि आप इसे रोचक क्यों पाते हैं ?

उत्तर – जी हाँ, प्रत्येक व्यक्ति बोलने, पढ़ने एवं लिखने के लिए भिन्न-भिन्न भाषाओं का प्रयोग करते हैं; जैसे-हम आमतौर पर घर पर हिन्दी एवं क्षेत्रीय भाषायें बोलते हैं। हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा की पुस्तकें पढ़ते हैं। इसी तरह हम हिन्दी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषाओं को लिखते हैं।

संस्कृत भाषा की एक प्रमुख रचना रामायण है। यह हिन्दुओं की एक पवित्र रचना है। यह हमें धार्मिक सहिष्णुता, कर्त्तव्य परायणता की शिक्षा देती है। इसलिए यह बहुत रोचक है।

प्रश्न 11. उत्तरी, पश्चिमी, दक्षिणी, पूर्वी और मध्य भारत से एक-एक राज्य चुनें। इनमें से प्रत्येक के बारे में उन भोजनों की सूची बनाएँ, जो आमतौर पर सभी के द्वारा खाए जाते हैं। आप उनमें कोई अन्तर या समानताएँ पाएँ, तो उन पर प्रकाश डालें ।

उत्तर– कश्मीर (उत्तर), गुजरात (पश्चिम), तमिलनाडु (दक्षिण), बंगाल (पूर्व) और मध्य प्रदेश (मध्य भारत) के राज्य हैं। इनमें से प्रत्येक राज्य में चावल सामान्य खाद्य पदार्थ है। उपर्युक्त राज्यों में चावल भिन्न-भिन्न तरीकों से पकाया जाता है; जैसे—कश्मीरी पुलाव (कश्मीर), चावल और मछली (बंगाल), चावल और रसम (दक्षिण), सादा चावल और दाल (मध्य भारत) और खीर (पश्चिम) में बनायी व खायी जाती है।

प्रश्न 12. इनमें से प्रत्येक क्षेत्र से पाँच-पाँच राज्यों की एक-एक अन्य सूची बनाएँ और यह बताएँ कि प्रत्येक राज्य महिलाओं तथा पुरुषों द्वारा आमतौर पर कौन-से वस्त्र पहने जाते हैं। अपने निष्कर्षों पर चर्चा करें।

उत्तर– उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम क्षेत्र के पाँच-पाँच राज्यों की सूची-

(1) उत्तर क्षेत्र के राज्यों के नाम-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश ।

(2) दक्षिण क्षेत्र के राज्यों के नाम-आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना ।

(3) पूरब क्षेत्र के राज्यों के नाम– पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, नागालैण्ड ।

(4) पश्चिम क्षेत्र के राज्यों के नाम- महाराष्ट्र, गुजरात, गोआ, दादरा एवं नगर-हवेली, दमन एवं दीव ।

नोट – छात्र इण्टरनेट की सहायता से स्वयं करने का प्रयास करें ।

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