MP Board Class 7th History Solution Chapter 8 :   ईश्वर से अनुराग

म.प्र. बोर्ड कक्षा सातवीं संपूर्ण हल- इतिहास– हमारे अतीत 2 (History: Our Pasts – II)

पाठ 8 : ईश्वर से अनुराग

प्रश्न – अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)

महत्त्वपूर्ण बिन्दु

  • मनुष्य भक्तिभाव से परमेश्वर की शरण में जाये, तो परमेश्वर व्यक्ति को इस बन्धन से मुक्त कर सकता है। ईश्वर के प्रति ऐसा प्रेम भाव विभिन्न भक्ति तथा सूफी आन्दोलनों की देन है, जिनका उद्भव आठवीं शताब्दी में प्रारम्भ हुआ ।
  • भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली दार्शनिक शंकर का जन्म आठवीं शताब्दी में केरल में हुआ था । वे अद्वैतवाद के समर्थक थे ।
  • रामानुज ग्यारहवीं शताब्दी में तमिलनाडु में पैदा हुए थे। वह विष्णुभक्त थे । इन्होंने विशिष्टताद्वैत के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया।
  • ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ पंक्ति सुप्रसिद्ध गुजराती सन्त नरसी मेहता की है।
  • तुलसीदास की रचना रामचरितमानस भक्तिभाव और साहित्यिक कृति दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण महाकाव्य है।
  • जयदेव ने संस्कृत में गीत गोविन्द की रचना की।
  • सोलहवीं सदी में ईसाई धर्म में परिवर्तन लाने का श्रेय मार्टिन लूथर को था ।

महत्त्वपूर्ण शब्दावली

वीर शैव मत – हिन्दुओं के लिंगायत सम्प्रदाय का एक उपसम्प्रदाय है । यह दक्षिण भारत में अत्यधिक लोकप्रिय है । .

भक्ति– सेवा, आराधना, अत्यन्त अनुराग ।

सूफी- मुस्लिम समुदाय का एक धार्मिक सम्प्रदाय, जो अपनी पवित्र रचनाओं को गीतों के माध्यम से प्रकट करते हैं।

धर्मसाल – गुरुनानक ने उपासना के लिए जो जगह नियुक्त की थी, उसे धर्मसाल कहा गया।

महत्त्वपूर्ण तिथियाँ

1469 – गुरुनानक का जन्म ।

1606 – जहाँगीर द्वारा गुरु अर्जुनदेव को मृत्युदण्ड ।

15वीं – 16वीं सदी – सन्त कबीर के जन्म का समय माना जाता है।

पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आज भी आप स्थानीय मिथक तथा किस्से कहानियों की इस प्रक्रिया को व्यापक स्वीकृति पाते हुए देख सकते हैं। क्या आप अपने आस-पास कुछ ऐसे उदाहरण ढूँढ़ सकते हैं ?

उत्तर-अपने आस-पास होने वाली कई प्राकृतिक घटनाओं के कारणों का पता नहीं होने के कारण मिथकों की रचना होती है। जिसमें दुनिया के बारे में मानव अपने दृष्टिकोण को समझाने की कोशिश करता है। पौराणिक कथाओं के आधार पर, नायकों और देवताओं पर, अलौकिक घटनाओं के बारे में अद्भुत और दिलचस्प किंवदन्तियाँ पैदा होने लगती हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में व्यक्त विचार प्रारम्भिक शताब्दियों से आज तक लोकप्रिय हैं। ऐसा ही एक मौखिक महाकाव्य, जो पाबुजा की कथा कहता है, यह राजस्थानी भाषा की एक लम्बी कविता है जिसे भोपा नामक पेशेवर कथाकार पारम्परिक रूप से सुनाते हैं । वे इसे एक चित्रपट के सामने सुनाते हैं जो कथा के पात्रों को चित्रित करता है।

पृष्ठ संख्या # 106

प्रश्न – कवि ने भगवान के साथ अपने सम्बन्ध का कैसा वर्णन किया है ?

उत्तर – कवि अपने शरीर के अन्दर भगवान को महसूस करता हुआ कहता है—हे प्रभु आप मेरे शरीर के अन्दर विराजमान हो, जैसे मेरा नश्वर शरीर सोने का हो। आपकी उपस्थिति के कारण कवि दुःख, जन्म-मृत्यु और माया-मोह से मुक्त है। उसका विश्वास है कि उसे भगवान से कोई अलग नहीं कर सकता ।

पृष्ठ संख्या # 107

प्रश्न- शंकर या रामानुज के विचारों के बारे में कुछ और पता लगाने का प्रयत्न करें।

उत्तर-

शंकर भारत के दार्शनिक शंकर का जन्म केरल प्रदेश में हुआ था । उनके प्रमुख विचार निम्नलिखित हैं-

(1) वे अद्वैतवाद के समर्थक थे अर्थात् जीवात्मा और परमात्मा एक ही हैं।

(2) ब्रह्म जो एकमात्र या परम सत्य है, वह निर्गुण और निराकार है।

(3) ब्रह्म की सही प्रकृति को समझने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए ज्ञान के मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया ।

रामानुज – ग्यारहवीं शताब्दी में तमिलनाडु में पैदा हुए थे, उनके प्रमुख विचार निम्नलिखित हैं-

(1) रामानुज ने विशिष्टताद्वैत के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया जिसके अनुसार आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपना अस्तित्व रखती है।

(2) मोक्ष प्राप्त करने का उपाय विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति भाव रखना है।

पृष्ठ संख्या # 108

प्रश्न – बसवन्ना ईश्वर को कौन-सा मन्दिर अर्पित कर रहा है ?

उत्तर – बसवन्ना ईश्वर को शरीर रूपी मन्दिर अर्पित कर रहा है। उसके अनुसार, उसकी टाँगे मन्दिर के खम्भे हैं। उसका शरीर तीर्थ मन्दिर है और सिर सोने की बनी हुई छतरी है।

पृष्ठ संख्या # 109

प्रश्न- इन रचनाओं में अभिव्यक्त सामाजिक व्यवस्था के विचारों के बारे में चर्चा करें।

उत्तर– तुकाराम की इन रचनाओं में अभिव्यक्त विचार निम्नलिखित हैं-‘

(1) समाज में उच्च और निम्न जाति के लोग हैं।

(2) निम्न जाति के लोगों को समाज स्वीकार नहीं करता और उन्हें बचा खुचा खाना पड़ता है, उन्हें पीटा जाता है।

(3) इससे कवि अपने ऊपर और प्रभु के ऊपर क्रोध प्रकट कर रहा है।

(4) लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दुःखी पीड़ित व्यक्ति के प्रति सहानुभूति भी रखते हैं। वे सन्त हैं।

(5) सन्त पुरुष दास के साथ भी पुत्र जैसा व्यवहार करते हैं । अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि सामाजिक व्यवस्था में मिले-जुले लोग शामिल हैं।

प्रश्न – आपके विचार से मीरा ने राणा का राजमहल क्यों छोड़ा ?

उत्तर – मीराबाई सन्त रविदास की अनुयायी थीं । सन्त रविदास ‘अस्पृश्य’ जाति के माने जाते थे । वे कृष्ण के प्रति समर्पित थीं । उनके गीतों ने ‘उच्च’ जातियों के रीतियों-नियमों को खुली चुनौती दी। जिसके कारण उन्हें राजमहल में कई विरोधों का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि उन्हें जहर भी पीना पड़ा इसलिए उन्होंने राजमहल छोड़ दिया ।

पृष्ठ संख्या # 116

प्रश्न- इन दोहों में दिए गए विचार किस रूप में बसवन्ना और जलालुद्दीन रूमी के विचारों से समानता या भिन्नता रखते हैं ?

उत्तर– इन दोहों में दिए गए कबीर के विचार काफी हद तक बसवन्ना और जलालुद्दीन रूमी के विचारों से समानता रखते हैं।

(1) तीनों धार्मिक कर्मकाण्डों और मूर्तिपूजा के विरोधी थे ।

(2) सभी व्यक्तियों की समानता पर बल देते थे।

(3) जाति की ब्राह्मणवादी विचारधारा से सहमत नहीं थे ।

(4) तीनों एकेश्वरवाद में विश्वास रखते थे।

(5) तीनों ने अपनी भावनाओं को काव्य द्वारा व्यक्त किया।

पृष्ठ संख्या # 120

कल्पना करें

प्रश्न- आप एक बैठक में भाग ले रहे हैं, जहाँ एक सन्त जाति-व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। इस बातचीत का वर्णन करें ।

उत्तर- बैठक में उपस्थित समस्त सन्त जाति व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं, जो इस प्रकार से है-

(1) सभी सन्त एकेश्वरवाद में विश्वास करने की बात कर रहे हैं। जिस तरह आत्मा और परमात्मा एक है, उसी तरह ईश्वर द्वारा बनायी गयी समस्त जाति एक समान हैं।

(2) मानव अपने कर्मों के माध्यम से ऊँचा व नीचा स्थान प्राप्त करता है।

(3) सभी सन्त जाति प्रथा की बुराइयों की निन्दा कर रहे हैं।

(4) वे अपने अनुयायियों को शिक्षा दे रहे हैं कि मनुष्य को मनुष्य का सम्मान करना चाहिए।

 (5) सभी एक समान हैं। सभा के अन्त में एक भजन गाया गया।

फिर से याद करें

प्रश्न 1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ

उत्तर– (क) (iii), (ख)→ (i), (ग) → (iv), (घ) → (v), (च) → (ii)

प्रश्न 2. रिक्त स्थान की पूर्ति करें-

(क) शंकर ………………….. के समर्थक थे।

(ख) रामानुज ………………….. के द्वारा प्रभावित हुए थे।

(ग) ………………… , …………………. और …………………. वीरशैव मत के समर्थक थे।

(घ) ………………… महाराष्ट्र में भक्ति परम्परा का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था।

उत्तर– (क) अद्वैतवाद, (ख) विष्णु भक्त अलवार सन्तों, (ग) बसवन्ना, अल्लामा प्रभु, अक्कमहादेवी, (घ) पंढरपुर ।

प्रश्न 3. नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन करें।

उत्तर-नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहार निम्नलिखित थे-

(1) उन्होंने रूढ़िवादी धर्म के कर्मकाण्डों और अन्य बनावटी पहलुओं तथा समाज व्यवस्था की आलोचना की ।

(2) उन्होंने संसार का परित्याग करने का समर्थन किया।

(3) निराकार परम सत्य का चिन्तन-मनन मोक्ष का मार्ग बताया ।

(4) योगासन, प्राणायाम जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन और शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने पर बल दिया ।

प्रश्न 4. कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे ? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया ?

उत्तर कबीर द्वारा अभिव्यक्त विचार निम्नलिखित थे-

(1) कबीर निराकार परमेश्वर में विश्वास करते थे।

(2) प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर के प्रति विश्वास रखना चाहिए।

(3) भक्ति के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

(4) हिन्दू और मुसलमान एक ही ईश्वर की सन्तान हैं।

(5) जाति-पाँति धर्मों का अन्तर मानव द्वारा निर्मित है।

प्रश्न 5. सूफियों के प्रमुख आचार-व्यवहार क्या थे ?

उत्तर-

(1) सूफी पंथ धर्म के बाहरी आडम्बरों को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दया भाव रखने पर बल देते थे ।

(2) वे ईश्वर के साथ ठीक उसी प्रकार जुड़े रहना चाहते थे जिस प्रकार एक प्रेमी, दुनिया की परवाह किये बिना अपनी प्रियतमा के साथ जुड़े रहना चाहता है।

(3) सूफी लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए काव्य, किस्से कहानियों आदि की रचना किया करते थे।

प्रश्न 6. आपके विचार से बहुत-से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार क्यों किया ?

उत्तर – बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार किया क्योंकि सभी प्रकार के कर्मकाण्डों, पवित्रता के ढोंगों और जन्म पर आधारित सामाजिक अन्तरों से समाज में जटिलता बढ़ रही थी। ईश्वर के अवतारवाद तथा पूजा की विविध पद्धतियों के कारण साधारण जनता भ्रम में पड़ रही थी। इसलिए उन्होंने धार्मिक विश्वास व प्रथाओं को अस्वीकृत किया और असली भक्ति दूसरों के दुख को बाँट लेना है, के विचार पर जोर दिया ।

प्रश्न 7. बाबा गुरुनानक की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं ?

उत्तर – बाबा गुरुनानक ने प्रमुख शिक्षाओं के लिए तीन शब्दों का प्रयोग किया -नाम, दान और इस्नान । नाम से तात्पर्य – सही उपासना से था । दान का तात्पर्य था दूसरों का भला करना और इस्नान का तात्पर्य आचार-विचार की पवित्रता से है। आज उनके उपदेशों को नाम जपना, किर्त करना और वंड छकना के रूप में याद किया जाता है। यह सीखें कर्म से जुड़ी हुई हैं।

आइए विचार करें

प्रश्न 8. जाति के प्रति वीरशैवों अथवा महाराष्ट्र के सन्तों का दृष्टिकोण कैसा था ? चर्चा करें।

उत्तर- जाति के प्रति वीरशैवों अथवा महाराष्ट्र के सन्तों का दृष्टिकोण निम्न प्रकार का था-

(1) महाराष्ट्र के वीरशैव और सन्त दोनों ने सामाजिक असमानता और जातिगत मतभेदों का विरोध किया।

(2) उन्होंने मन्दिर की पूजा पर प्रतिक्रिया व्यक्त की।

(3) उन्होंने जाति के नाम पर ऊँच-नीच का विरोध किया।

(4) उन्होंने सदा इस बात पर बल दिया कि असली भक्ति दूसरों के दुःखों को बाँट लेना है।

प्रश्न 9. आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा ?

उत्तर- वह शाही परिवार से सम्बन्ध रखती थीं। कृष्ण की दीवानी थीं। उनके गीत तथा भजन उच्च जातियों के मानदण्डों को खुले तौर पर चुनौती देते थे। उनके गीत राजस्थान व गुजरात में जनसाधारण में बहुत लोकप्रिय हुए । उनकी कृतियाँ क्षेत्रीय भाषाओं में रची गईं, जिन्हें आसानी से गाया जा सकता था, इसलिए वे बेहद लोकप्रिय हुईं।

आओ करके देखें

प्रश्न 10. पता लगाएँ कि क्या आपके आस-पास भक्ति परम्परा के सन्तों से जुड़ी हुई कोई दरगाह, गुरुद्वारा या मन्दिर है। इनमें से किसी एक को देखने जाइए और बताइए कि वहाँ आपने क्या देखा और सुना ?

उत्तर – भारत में समस्त धर्मों का समावेश है। यहाँ का प्रत्येक नागरिक धर्म और आस्था पर विश्वास रखता है। हमारे आस-पास भक्ति परम्परा के सन्तों से जुड़ी हुई दरगाह, गुरुद्वारा और अनेक मन्दिर हैं। सभी जगह पवित्रता देखने को मिलती है। यह वह स्थान है, जहाँ मनुष्य अपने दुख-दर्द के निवारण और परमात्मा की अनुभूति के लिए जाता है। ये स्थल हमारे मन-मस्तिष्क में आस्था की ज्योति जलाते हैं।

प्रश्न 11. इस अध्याय में अनेक सन्त कवियों की रचनाओं के उद्धरण दिए गए हैं। उनकी कृतियों के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें और उनकी उन कविताओं को नोट करें, जो यहाँ नहीं दी गई हैं। पता लगाएँ कि क्या ये गाई जाती हैं। यदि हाँ, तो कैसे गाई जाती हैं और कवियों ने इनमें किन विषयों पर लिखा था ।

उत्तर- विद्यार्थी अपनी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में कबीर, रहीम, सूरदास, तुलसीदास इत्यादि सन्त कवियों के दोहों को पढ़ सकते हैं। उन्होंने सतगुरु विश्वास, धैर्य, दया, उत्तम विचार, क्षमा, सन्तोष, परमात्मा इत्यादि अनेक विषयों पर लिखा था ।

प्रश्न 12. इस अध्याय में अनेक सन्त कवियों के नामों का उल्लेख किया गया है, परन्तु कुछ की रचनाओं को इस अध्याय में शामिल नहीं किया गया है। उस भाषा के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें, जिसमें ऐसे कवियों ने अपनी कृतियों की रचना की। क्या उनकी रचनाएँ गाई जाती थीं ? उनकी रचनाओं का विषय क्या था ?

उत्तर- विद्यार्थी विभिन्न सन्तों और सूफियों की भक्ति और सूफी साहित्य की जानकारी पुस्तकालय, इण्टरनेट इत्यादि के माध्यम से स्वयं करने का प्रयास करें।

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