म.प्र. बोर्ड कक्षा सातवीं संपूर्ण हल- इतिहास– हमारे अतीत 2 (History: Our Pasts – II)
Chapter 2 : नए राजा और उनके राज्य
प्रश्न – अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)
फिर से याद करें
प्रश्न 1. जोड़े बनाओ-
उत्तर- (क) → (iii), (ख) → (i), (ग) → (ii), (घ) → (iv)।
प्रश्न 2. त्रिपक्षीय संघर्ष’ में लगे तीनों पक्ष कौन-कौन से थे?
उत्तर- गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पाल ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ में लगे तीन पक्ष थे, जो गंगा नदी घाटी में कन्नौज नगर को लेकर संघर्षरत थे।
प्रश्न 3. चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्त क्या थी ?
उत्तर-चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्ते अग्रलिखित थीं-
(1) उत्तरमेरूर अभिलेख के अनुसार सभा की सदस्यता के लिए इच्छुक लोगों को ऐसी भूमि का स्वामी होना चाहिए, जहाँ से भू-राजस्व वसूला जाता है।
(2) उनके पास अपना घर होना चाहिए।
(3) उनकी उम्र 35 से 70 के बीच होनी चाहिए।
(4) उन्हें वेदों का ज्ञान होना चाहिए।
(5) उन्हें प्रशासनिक मामलों की अच्छी जानकारी होनी चाहिए और ईमानदार होना चाहिए।
(6) यदि कोई पिछले तीन सालों में किसी समिति का सदस्य रहा है तो वह किसी और समिति का सदस्य नहीं बन सकता।
(7) जिसने अपने या अपने सम्बन्धियों के खाते जमा नहीं कराए हैं, वह चुनाव नहीं लड़ सकता।
प्रश्न 4. चाहमानों के नियन्त्रण में आने वाले दो प्रमुख नगर कौन से थे?
उत्तर-चाहमानों के नियन्त्रण में आने वाले दो प्रमुख नगर कन्नौज और इन्द्रप्रस्थ थे।
आइए समझें
प्रश्न 5. राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने ?
उत्तर-राष्ट्रकूट शुरुआत में कर्नाटक के चालुक्य राजाओं के अधीनस्थ थे। आठवीं सदी के मध्य में एक राष्ट्रकूट प्रधान दंतीदुर्ग ने अपने चालुक्य स्वामी की अधीनता से इन्कार कर दिया, उसे हराया और हिरण्यगर्भ नामक एक अनुष्ठान किया। यह माना जाता था कि इससे याजक क्षत्रिय न होते हुए भी क्षत्रिय के रूप में दुबारा क्षत्रियत्व प्राप्त कर लेगा। इस प्रकार राष्ट्रकूटों ने दक्कन में अपने वंश की आधारशिला रखी और शक्तिशाली बने।
प्रश्न 6. नये राजवंशों ने स्वीकृति हासिल करने के लिए क्या किया?
उत्तर- नये राजवंशों ने स्वीकृति हासिल करने के लिए निम्न कार्य किए-
(1) राजा लोग प्रायः उन्हें अपने मातहत या सामन्त के रूप में मान्यता देते थे।
(2) अधिक सत्ता और सम्पदा हासिल करने पर सामन्त अपने आपको महासामन्त, महामंडलेश्वर इत्यादि घोषित करते थे।
(3) कभी-कभी वे अपने स्वामी के आधिपत्य से स्वतन्त्र हो जाने का दावा भी करते थे।
(4) ब्राह्मणों की सहायता से धार्मिक अनुष्ठान किया करते थे।
(5) उद्यमी परिवार अपने परम्परागत पेशे को छोड़कर शस्त्र अपनाकर अपने राज्य पर शासन स्थापित करते थे
प्रश्न 7. तमिल क्षेत्र में किस तरह की सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ ?
उत्तर-तमिल क्षेत्र में कई जगहों पर सिंचाई कृत्रिम रूप से करना जरूरी था। सिंचाई के लिए कई पद्धतियाँ अपनायी जाती थीं। कुछ इलाकों में कुएँ खोदे गए। कुछ अन्य जगहों में बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए विशाल सरोवर बनाए गए। डेल्टा क्षेत्रों में नहरों का निर्माण किया गया।
प्रश्न 8. चोल मन्दिरों के साथ कौन-कौन सी गतिविधियाँ जुड़ी थीं?
उत्तर-चोल मन्दिरों के साथ निम्नलिखित गतिविधियाँ जुड़ी थीं-
(1) चोल मन्दिर अपने आस-पास विकसित होने वाली बस्तियों के केन्द्र बन गए थे।
(2) ये शिल्प उत्पादन के केन्द्र थे।
(3) मन्दिर शासकों और अन्य लोगों द्वारा दी गई भूमि से सम्पन्न थे।
(4) इस भूमि की उपज उन सारे विशेषज्ञों का निर्वाह करने में खर्च होती थी, जो मन्दिर के आस-पास रहते और उसके लिए काम करते थे-पुरोहित, मालाकार, बावर्ची, मेहतर, संगीतकार, में नर्तक इत्यादि।
(5) मन्दिर सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों के केन्द्र थे।
आइए विचार करें
प्रश्न 9. मानचित्र 1 को दुबारा देखें और तलाश करें कि जिस प्रान्त में आप रहते हैं उसमें कोई पुरानी राजशाहियाँ (राजाओं के राज्य) थीं या नहीं?
उत्तर-मानचित्र 1 के अनुसार पुरानी राजशाहियाँ औरवर्तमान प्रान्तों के नाम इस प्रकार हैं-
प्रश्न 10. जिस तरह के पंचायती चुनाव हम आज देखते हैं, उनसे उत्तरमेरूर के ‘चुनाव’ किस तरह से अलग थे ?
उत्तर-वर्तमान समय के पंचायत चुनाव सार्वभौमिक वयस्कमताधिकार के आधार पर होते हैं जिसमें मतदाता अपनी पसन्द के उम्मीदवार को अपना मत देता है, जबकि उत्तरमेरूर के चुनाव लॉटरी पद्धति पर आधारित थे। चुनाव पूर्णरूप से उम्मीदवारों के भाग्य पर निर्भर था।
आइए करके देखें
प्रश्न 11. इस अध्याय में दिखलाए गए मन्दिरों से अपने आस-पास के किसी मौजूदा मन्दिर की तुलना करें और जो समानताएँ या अन्तर आप देख पाते हैं, उन्हें बताएँ।
उत्तर-असमानताएँ-इस अध्याय में दिखलाए गए मन्दिर में स्थापत्य और मूर्तिकला की दृष्टि से एक चमत्कार हैं। छत क्रमश: पतली होती जाती थीं और बाहरी दीवारों को सजाने के लिए पत्थर की प्रतिमाएँ अलंकृत की जाती थीं। वर्तमान समय के मन्दिरों का बाहरी आवरण उतना भव्य और जटिल नहीं होता।
समानताएँ-इन दोनों मन्दिरों के गर्भगृह में ही मूर्ति स्थित होती हैं।
प्रश्न 12. आज के समय में वसूले जाने वाले करों के बारे में और जानकारी हासिल करें। क्या ये नकद के रूप में हैं, वस्तु के रूप में हैं या श्रम सेवाओं के रूप में?
उत्तर-वर्तमान समय में प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर के रूप में कर वसूल किये जाते हैं। प्रत्यक्ष कर में आयकर, सम्पत्ति कर, उत्तराधिकारी कर इत्यादि हैं। अप्रत्यक्ष कर के रूप में उत्पाद शुल्क, वस्तु एवं सेवा कर इत्यादि हैं। ये समस्त कर नकद या चेक के माध्यम से जमा किये जाते हैं। किसी भी कर का भुगतान वस्तु के रूप में अथवा श्रम सेवाओं के रूप में नहीं किया जाता है।