MP Board Class 7 Social Science Civics Chapter 5 : औरतों ने बदली दुनिया

म.प्र. बोर्ड कक्षा सातवीं संपूर्ण हल- नागरिकशास्त्र – सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन 2 (Civics: Social & Political Life – II )

इकाई 3 : लिंग बोध-जेण्डर

पाठ 5 : औरतों ने बदली दुनिया

प्रश्न – अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)

महत्त्वपूर्ण बिन्दु

  • भारत में 83.6 प्रतिशत महिलाएँ खेतों में काम करती हैं फिर भी जब हम किसान के बारे में सोचते हैं तो हम एक पुरुष के बारे में ही सोचते हैं।
  • 19वीं सदी के मध्य तक उस समय के समाज का विश्वास था, कि यदि लड़की लिखती-पढ़ती है तो वह पति के लिए दुर्भाग्य लाती है।
  • भारत की प्रथम महिला स्नातक कादंबिनी गांगुली थी। यह उपाधि उन्होंने 1890 ई. में कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी।
  • जब देश आजाद हुआ तब उस समय सिर्फ 9 प्रतिशत महिलाएँ और 27 प्रतिशत पुरुष साक्षर थे।
  • 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया की औरतें अपने संघर्षों को ताजा करने के लिए एकत्रित होती हैं।

महत्त्वपूर्ण शब्दावली  

रूढ़िवादी धारणा – यह एक विचारधारा है जो पुरानी मान्यताओं का अनुकरण केवल आस्था के आधार पर करती है।

भेदभाव – जब हम किसी व्यक्ति के साथ आदर व समानता का व्यवहार नहीं करते हैं तथा उसके वर्ग, श्रेणी या समूह का सदस्य होने के आधार पर भेद करना भेदभाव कहलाता है।  

उल्लंघन – जब कोई जान-बूझकर कानून तोड़ता है तब हम कह सकते हैं कि उसने उल्लंघन किया है।

पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित लोगों के चित्र बनाइए

(1) एक किसान, (2) एक मिल मजदूर, (3) एक नर्स, (4) एक वैज्ञानिक, (5) एक पायलट, (6) एक शिक्षक।

उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2. चलिए, अब आपकी कक्षा द्वारा बनाए गए चित्रों को देखने के लिए नीचे दी गई तालिका को भरिए। अब हर व्यवसाय के लिए पुरुषों और महिलाओं के चित्रों को अलग-अलग जोड़िए।

उत्तर-30 विद्यार्थियों वाली कक्षा का एक मॉडल

नोट – छात्र अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार तालिका स्वयं भरें।

प्रश्न 3.(क) क्या महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों के चित्र अधिक हैं?

(ख) किस प्रकार के व्यवसायों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों के चित्र अधिक हैं ?

(ग) क्या सबने नर्स के लिए महिला का ही चित्र बनाया है ? क्यों?

(घ) क्या महिला किसानों के चित्र तुलनात्मक रूप से कम हैं ? यदि हैं, तो क्यों ?

उत्तर-

(क) जी हाँ, पुरुषों के 119 चित्र हैं, जबकि महिलाओं के केवल 61 चित्र हैं।

(ख) किसान, मिल मजदूर, वैज्ञानिक तथा पायलट के रूप में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों के चित्र अधिक हैं।

(ग) जी हाँ, सभी छात्रों ने नर्स के सामने महिला का चित्र बनाया है, क्योंकि प्रायः एक विशेष वेशभूषा में महिलाएँ ही नर्स के रूप में देखी जाती हैं। वे अधिक विनम्र व सहनशील होती हैं। रोगी को घर जैसा स्नेह नर्स के रूप में महिलाएँ ही दे सकती हैं।

(घ) जी हाँ, केवल एक महिला किसान का चित्र है क्योंकि खेती करना कठिन परिश्रम का कार्य है, इसलिए किसान के रूप में पुरुषों के चित्र अधिक हैं।

पृष्ठ संख्या # 56

प्रश्न – अपनी कक्षा में किए गए अभ्यास की तुलना रोजी मैडम की कक्षा के अभ्यास से करिए ?

उत्तर – हमारी तथा रोजी मैडम की कक्षा अभ्यासों में पुरुष तथा महिला चित्रों की संख्या का अनुपात लगभग एक जैसा है। संख्या में थोड़ा बहुत अन्तर जरूर है।

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प्रश्न – नीचे दी गई कहानी को पढ़िए और उसके बाद दिये गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) यदि आप जेवियर होते, तो कौन से विषय चुनते ?

उत्तर- यदि मैं जेवियर होता तो मैं अपने मनपसन्द विषय इतिहास को चुनता क्योंकि मैं एक ‘पुरातत्वविद्’ बनना चाहता हूँ तथा इस बात का पता लगाना चाहता हूँ कि हमारे प्राचीन मन्दिरों का वैभव कैसा था।

(ख) अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि लड़कों को ऐसे किन-किन दबावों का सामना करना पड़ता है ?

उत्तर-

(1) लड़कों को उनके माता-पिता द्वारा बताया जाता है कि चूँकि वे लड़के हैं तो उन्हें गणित, विज्ञान, कम्प्यूटर इत्यादि विषयों का ही चयन करना होगा जिससे नौकरी खोजने में आसानी हो क्योंकि अगर कला, संस्कृति से सम्बन्धित विषयों का चयन किया तो नौकरी मिलना मुश्किल ही नहीं असम्भव होगा।

(2) लड़कों को बताया जाता है कि आगे चलकर तुम्हें परिवार के दायित्वों का निर्वाह, पालन-पोषण करना है इसलिए तुम बहादुर और कठोर बनो।

पृष्ठ संख्या # 62

प्रश्न 1. उच्च प्राथमिक स्तर पर कितने बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं ?

उत्तर – उच्च प्राथमिक स्तर पर (स्कूल शिक्षा में औसत वार्षिक ड्रॉप-आउट दर 2014-15) तालिका के आधार पर 4.03 प्रतिशत बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं।

प्रश्न 2. शिक्षा के किस स्तर पर आपको सर्वाधिक बच्चे स्कूल छोड़ते हुए दिखाई देते हैं ?

उत्तर – माध्यमिक (कक्षा 9-10) स्तर पर स्कूल छोड़ने वाले बच्चों का प्रतिशत (17.06 प्रतिशत) सर्वाधिक है।

प्रश्न 3. आपके विचार में अन्य सभी वर्गों की तुलना में आदिवासी लड़के-लड़कियों की विद्यालय छोड़ने की दर अधिक क्यों है ?

उत्तर – आदिवासी लड़के-लड़कियों की विद्यालय छोड़ने की दर अन्य सभी वर्गों की तुलना में अधिक है, क्योंकि

(1) आदिवासी सामाजिक व्यवस्था में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी अपनी परम्पराओं में जकड़े हुए हैं। छोटे बच्चे भेड़, बकरियों को चराने तथा उनकी देखभाल में व्यस्त रहते हैं, इसलिए स्कूल छोड़ देते हैं।

(2) आदिवासी क्षेत्र अधिकांशत: जंगली क्षेत्र होते हैं। वहाँ स्कूलों की संख्या काफी कम है, जिससे उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

(3) आदिवासी लोग सामान्यतः अत्यन्त गरीब होते हैं, इसलिए बच्चे पढ़ाई छोड़कर कमाने चले जाते हैं। सरकारी सुविधाओं के प्रबन्ध के बावजूद पढ़ाई के छोटे-मोटे खर्चे भी नहीं उठा पाते।

पृष्ठ संख्या # 63

प्रश्न – प्राथमिक कक्षाओं में स्कूल छोड़ देने वाले बच्चों के आँकड़ों को ऊपर दी गई तालिका में से लेकर दंडारेख के रूप में दर्शाइए। दो आँकड़े आपके लिए दंडारेख के रूप में दर्शाए गए हैं।

उत्तर – दंडारेख

चित्र 5.1. प्राथमिक शिक्षा में स्कूल छोड़ देने वाले लड़कों एवं लड़कियों का दंड आरेख

प्रश्न 1. आपके विचार से महिलाओं के बारे में प्रचलित रूढ़िवादी धारणा कि वे क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, उनके समानता के अधिकार को कैसे प्रभावित करती है ?

उत्तर – हमारे विचार में महिलाओं के बारे में प्रचलित रूढ़िवादी धारणा उनके समानता के अधिकार को निम्न प्रकार से प्रभावित करती है

(1) अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाएँ उतनी ही शिक्षा प्राप्त कर पाती हैं जितनी सुविधा उनके गाँव में उपलब्ध होती है। उन्हें आगे की शिक्षा प्राप्त करने शहर नहीं भेजा जाता है।

(2) बहुत-सी लड़कियों को डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए अध्ययन करने और प्रशिक्षण लेने के लिए वह सहयोग नहीं मिल पाता है, जो लड़कों को मिलता है।

(3) अधिकांश परिवारों में स्कूली शिक्षा पूरी हो जाने के बाद लड़कियों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाता है कि वे शादी को अपने जीवन का लक्ष्य मान लें।

(4) अधिकांश परिवार आज भी लड़कियों को पराया धन मानकर उनकी परवरिश करते हैं।

(5) अधिकांश लोग यह भी मानते हैं कि लड़कियों का कार्य भावी परिवार के उत्तरदायित्व को निभाना है, जिसके लिए उच्च शिक्षा के स्थान पर अन्य कार्यों; जैसे-पाककला, सिलाई-बुनाई आदि की अधिक आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2. कोई एक कारण बताइए जिसकी वजह से राससुन्दरी देवी, रमाबाई और रूकैया हुसैन के लिए अक्षर ज्ञान इतना महत्वपूर्ण था ?

उत्तर – राससुन्दरी देवी, रमाबाई और रूकैया हुसैन के लिए अक्षर ज्ञान इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि वे लड़कों के समान ही ज्ञान प्राप्त करना चाहती थीं। तीनों ही पढ़ाई के लिए, अक्षर ज्ञान के लिए काफी उत्सुक थीं जिसके कारण उनके लिए यह सब सम्भव हो सका।

प्रश्न 3. “निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, क्योंकि शिक्षा में उनकी रुचि नहीं है।” स्पष्ट कीजिए कि यह कथन सही क्यों नहीं है ?

उत्तर – यह कथन सत्य नहीं है, क्योंकि निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, इसका कारण उनकी रुचि न होना नहीं है, बल्कि दूसरे अनेक कारण हैं

(1) देश के अनेक भागों में विशेषकर ग्रामीण और गरीब क्षेत्रों में नियमित रूप से पढ़ाने के लिए न उचित स्कूल हैं, न ही शिक्षक।

(2) कुछ परिवार अत्यन्त निर्धन होते हैं और अपने सब बच्चों को पढ़ाने का खर्चा नहीं उठा पाते हैं ऐसी स्थिति में लड़कियों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया जाता है।

(3) लड़कियों को घरेलू कार्यों में सहयोग देने के लिए बाध्य किया जाता है और उनकी पढ़ाई छुड़वा दी जाती है।

(4) यदि स्कूल बच्चों के घर से दूर हो तो माता-पिता अपनी लड़कियों को विद्यालय नहीं भेजना चाहते।

प्रश्न 4. क्या आप महिला आन्दोलन द्वारा व्यवहार में लाए जाने वाले संघर्ष के दो तरीकों के बारे में बता सकते हैं ? महिलाएँ क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, इस विषय पर आपको रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़े, तो आप पढ़े हुए तरीकों में से कौन से तरीकों का उपयोग करेंगे? आप इसी विशेष तरीके का उपयोग क्यों करेंगे ?

उत्तर – महिला आन्दोलन द्वारा व्यवहार में लाए जाने वाले संघर्ष के दो तरीके क्रमशः

(1) समाज में जागरूकता बढ़ाना,

(2) भेदभाव और हिंसा का विरोध करना है।

यदि हमें रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़े तो हम प्रयास करेंगे कि समाज में औरतों के अधिकारों के सम्बन्ध में जागरूकता फैलाएँ। समाज की आधी आबादी होने के नाते महिलाओं की समाज में बराबर की हिस्सेदारी है। महिला के विकास से ही परिवार और समाज का विकास हो सकता है।

औरतों के अधिकारों के सम्बन्ध में समाज में जागरूकता बढ़ाना महिला आन्दोलन का एक प्रमुख कार्य है। गीतों, नुक्कड़ नाटक व जनसभाओं के माध्यम से आसानी से अपने सन्देश लोगों के बीच पहुँचा सकते हैं। इसलिए हम इस तरीके का प्रयोग विशेष रूप से करेंगे।

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