MP Board Class 6th Sanskrit Surbhi Solution Chapter 20 : श्रमस्य महत्वम्

MP Board Class 6th संस्कृत Chapter 20 : श्रमस्य महत्वम्

पाठ: विंश: – श्रमस्य महत्वम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) सिक्खधर्मस्य प्रवर्तकः कः? (सिक्ख धर्म के प्रवर्तक कौन थे?)
उत्तर:
गुरुनानकदेवः

(ख) गुरुनानकदेवः कस्मिन् प्रान्ते अभवत्? (गुरुनानक देव किस प्रान्त में हुए?)
उत्तर:
पञ्जाब प्रान्ते

(ग) श्रमिकः काः समर्पितवान्? (श्रमिक ने क्या समर्पित किया?)
उत्तर:
रोटिकाः

(घ) धनिकः किम् अयच्छत्? (धनवान ने क्या प्रदान किया?)
उत्तर:
मिष्टान्नम्

(ङ) गुरुनानकः कस्य भोजनं स्वीकृतवान्? (गुरुनानक ने किसका भोजन स्वीकार किया?)
उत्तर:
श्रमिकस्य।।

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) गुरुनानकः किमर्थं ग्रामम् अगच्छत्। (गुरुनानक किसलिए ग्राम को गये थे?)
उत्तर:
गुरुनानक: धर्मप्रचारार्थम् ग्रामम् अगच्छत्। (गुरुनानक धर्म के प्रचार के लिए ग्राम को गये।)

(ख) धनिकः किमर्थम् उत्तेजितः अभवत्? (धनिक किसलिए उत्तेजित हो गया?)
उत्तर:
धनिकस्य मिष्टान्नम् गुरुणा नानकेन अस्वीकृतः तेन सः धनिकः उत्तेजितः अभवत्। (धनिक का मिष्ठान्न गुरुनानक ने अस्वीकृत कर दिया। उससे वह धनवान उत्तेजित हो गया।)

(ग) गुरु धनिकं किम् उक्तवान्? (गुरू ने धनिक से क्या कहा?)
उत्तर:
गुरुः धनिकम् उक्तवान् यत् संसारे जात्या, धनेन च न कः अपि जन: उच्च: निम्नो वा। सर्वेजनाः समानाः। चरित्रेण एव श्रेष्ठता भवति। (गुरु ने धनवान से कहा कि संसार में जाति से और धन से कोई भी मनुष्य ऊँचा या नीचा नहीं होता है। सभी लोग समान होते हैं। चरित्र से श्रेष्ठता होती है।)

(घ) लक्ष्मी: शुद्धा कथं भवति? (लक्ष्मी शुद्ध किस तरह होती है?)
उत्तर:
श्रमेण अर्जिता लक्ष्मी: शुद्धा भवति। (परिश्रम से कमाई लक्ष्मी शुद्ध होती है।)

(ङ) मनुष्यस्य श्रेष्ठता केन भवति? (मनुष्य की श्रेष्ठता किससे होती है?)
उत्तर:
मनुष्यस्य श्रेष्ठता चरित्रेण भवति। (मनुष्य की श्रेष्ठता चरित्र से होती है।)

प्रश्न 3.
उचितशब्देन रिक्तस्थानं पूरयत (उचित शब्द से रिक्त स्थान को पूरा करो)
(क) “श्रम एव जयति” इति ध्येय …………. अस्ति। (वाक्यम्/वाक्यानि)
(ख) श्रमेण ……….. उन्नतिः भवति। (राष्ट्रस्य/राष्ट्रात्)
(ग) मम ………… सरसभोजनम् आनीतम्। (गृह/गृहात्)
(घ) एतत् …………. धनिकः सक्रोधम् अवदत्। (दृष्ट्वा /दृष्टम्)
(ङ) धनिकस्य भोजनं ……………… शुष्करोटिकाः स्वीकृतवान्। (त्यक्त्वा/त्यक्तुम्)
उत्तर:
(क) वाक्यम्
(ख) राष्ट्रस्य
(ग) गृहात्
(घ) दृष्ट्वा
(ङ) त्यक्त्वा।

प्रश्न 4.
उचितं मेलयत (उचित को मिलाओ)

उत्तर:
(क) → 3
(ख) → 4
(ग) → 1
(घ) → 2

प्रश्न 5.
क्त्वा प्रत्ययं योजयित्वा वाक्यनिर्माणं कुरुत (क्त्वा प्रत्यय जोड़कर वाक्य निर्माण करो)
(क) श्रमिकः गुरुं नमति, भोजनं यच्छति।
(ख) धनिकः गुरुं पश्यति, मिष्टान्नं यच्छति।
(ग) धनिकः गुरुवाक्यं शृणोति, सन्तुष्टः भवति।
(घ) धनिकः अभिमानं त्यजति, विनम्रः भवति।
उत्तर:
(क) श्रमिकः गुरुम नंत्वा भोजनं यच्छति।
(ख) धनिकः गुरुम् दृष्ट्वा मिष्टान्नं यच्छति।
(ग) धनिकः गुरुवाक्यं श्रुत्वा सन्तुष्टः भवति।
(घ) धनिकः अभिमानम् त्यक्त्वा विनम्रः भवति।

योग्यताविस्तारः

1. “श्रमस्य महत्वम्” विषयोपरि पञ्च वाक्यानि लिखत। (“श्रम के महत्व” विषय पर पाँच वाक्य लिखो)
उत्तर:
श्रमस्य महत्वम् :

  1. अपारे खलु संसारे सर्वे एव जनाः सुखमयं जीवनं कामयन्ते। (इस अपार संसार में सभी लोग सुखमय जीवन की कामना करते हैं।)
  2. जीवन सुखमयं विधातुं सुखं शान्तिश्च अपेक्षेते। (जीवन को सुखमय बनाने के लिए सुख और शान्ति की अपेक्षा होती है।)
  3. जीवनं पुरुषार्थेन एव चलति, अत: मानव पुरुषार्थी, उद्यमी श्रमशीलः च भवेत्। (जीवन पुरुषार्थ से ही चलता है। अतः मनुष्य को पुरुषार्थी, उद्यमी और श्रमशील होना चाहिए।)
  4. अकर्मणि कदापि प्रवृत्तिः न विधेया। (अकर्म (निकम्मेपन में) प्रवृत्ति नहीं होनी चाहिए।)
  5. उद्योगशीलः एव जनः सर्व दुःखानि विहाय सुखानि समृद्धिं च अनुभवति। (उद्योगशील मनुष्य ही सभी दुःखों का त्याग करके सुख और समृद्धि का अनुभव करता है।)
  6. संसारे परिश्रमस्य उद्योगस्य वा महत्वं सर्वैः स्वीकृतमस्ति। (संसार में परिश्रम का अथवा उद्योग का महत्व सभी के द्वारा स्वीकारा गया है।)

2. श्लोकं स्मरत (श्लोक को कण्ठाग्र करो)

उद्यमः, साहस, धैर्य, बुद्धिः, शक्तिः, पराक्रमः।

षडेते यत्र वर्तन्ते, तत्र देवः सहायकः॥

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