MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 18 : परमानन्द माधवम्

Class 6th Hindi Chapter 18 : परमानन्द माधवम्

पाठ 18 : परमानन्द माधवम्

पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) सदाशिवराव काने का जन्म सन् में हुआ था
(i)  23 नवम्बर, 1909
(ii) 21 नवम्बर, 1906
(iii) 23 दिसम्बर, 1989
(iv) 25 दिसम्बर, 1990.
उत्तर
(i) 23 नवम्बर, 1909

(ख) सदाशिवराव कात्रे द्वारा स्थापित बिलासपुर के पास कुष्ठ रोग सेवा का आश्रम है
(i) बेतलपुर
(ii) झाँसी
(iii) चाँपा
(iv) रायपुर।
उत्तर
(iii) चाँपा

(ग) राष्ट्र के लिए कलंक है
(i) मलेरिया
(ii) कुष्ठ रोग
(iii) हैजा,
(iv) दमा।
उत्तर
(ii) कुष्ठ रोग

(घ) सदाशिवराव की मृत्यु सन् में हुई
(i) 16 मई, 1977
(ii) 15 मई, 1975
(iii) 25 जून, 1990
(iv) 30 जून, 1977.
उत्तर
(i) 16 मई, 1977.

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) कुष्ठ रोगियों की दुर्दशा देखकर उनका हृदय………… से भर गया।
(ख) सदाशिवराव कात्रे ……………. का व्रत लेकर चाँपा पहुँचे।
(ग) सदाशिवराव कात्रे को ……. के विवाह की चिन्ता थी।
(घ) कुष्ठ रोगियों की चिकित्सा एवं आवास हेतु ……………………ग्राम में स्थान मिल गया।
उत्तर
(क) करुणा
(ख) कुष्ठ निवारण
(ग) अपनी पुत्री
(घ) लखुरौं।

प्रश्न 3.
एक या दो वाक्यों में उत्तर लिखिए

(क) सदाशिवराव कात्रे का जन्म कहाँ हुआ था ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे का जन्म मध्य प्रदेश के ‘गुना’ जिले के आरौन ग्राम में हुआ था।

(ख) कुष्ठ रोगी के प्रति घृणा भाव होने का कारण लिखिए।
उत्तर
कुष्ठ रोगी के घावों से द्रव का निरन्तर बहते रहना, और भिनभिनाती मक्खियाँ ही रोगी के प्रति घृणा पैदा करती हैं।

(ग) सदाशिवराव कात्रे ने पुत्री प्रभावती को क्यों पढ़ाया ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे ने अपनी पुत्री प्रभावती को इसलिए पढ़ाया कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। वे सोचते थे कि कुष्ठ रोगी पिता की कन्या का वरण कौन करेगा। इस दृष्टि से उन्होंने अपनी पुत्री को सुशिक्षित कराया।

(घ) समाज का सकारात्मक दृष्टिकोण कैसे विकसित होने लगा?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे ने आश्रम में रामचरितमानस और महाभारत के अनेक उदाहरण देकर कुष्ठ रोग के प्रति सेवाभाव एवं सहयोग को राष्ट्रीय गुण के रूप में लोगों के हृदय में जगाया। उन्होंने खुद कुदाल से खोदकर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया। सदाशिवराव कात्रे के अथक परिश्रम एवं राष्ट्र भक्ति के भाव से समाज का सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होने लगा।

(ङ) सदाशिवराव कात्रे ने किसकी प्रेरणा से कुष्ठ रोगियों की सेवा का कार्य प्रारम्भ किया ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे कुष्ठ निवारण का व्रत लेकर चले तो उनकी मुलाकात मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल महामहिम हरिभाऊ पाटस्कर से हो गई। उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा के विषय में चर्चा की। इस तरह राज्यपाल महोदय से प्रेरणा प्राप्त करके सदाशिवराव कात्रे ने कुष्ठ रोगियों की चिकित्सा और आवास के लिए स्थान प्राप्त करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए।

प्रश्न 4.
तीन से पांच वाक्यों में उत्तर दीजिए

(क) ‘सदाशिवराव कात्रे में जिजीविषा स्पष्ट दिखाई देती थी’, ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे को कुष्ठ रोग ने घेर लिया। सभी लोग घृणा करते थे। परिवार के लोगों ने उनके खानपान और रहने की व्यवस्था अलग कर दी। वे उस रोग के विषय में अज्ञानी थे। रोग के कारण द्रव लगातार बहता रहता था, मक्खियाँ भिनभिनाती रही जिससे लोगों में घृणा पैदा हो रही थी। उन्हें धैर्य और स्नेह करने वाला कोई भी नहीं था। जीवन में घृणा, दुराव और निराशा भर गई थी। परन्तु फिर भी उनके अन्दर जीवन जीने की लालसा स्पष्ट दीख पड़ती थी। उन्होंने इन सभी विपरीत स्थितियों में कुष्ठ रोग को दूर करने का व्रत लिया और सुनियोजित प्रयास किए। इससे लगता था कि उनमें जिजीविषा विद्यमान थी।

(ख) सदाशिवराव कात्रे ‘परमानन्द माधवम्’ क्यों कहलाए?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे को परमानन्द माधवम् इसलिए कहा जाता था कि उन्होंने अपने जीवन के अन्तिम समय तक बिना किसी स्वार्थ के कुष्ठ रोग से पीड़ितों की सेवा के लिए आश्रम व चिकित्सालय की स्थापना की। वे कुष्ठ रोग को राष्ट्र के लिए कलंक कहते थे। आश्रम में हर क्षण भगवत् भजन और संकीर्तन चलता रहता था। उनके प्रयासों से कुष्ठ रोगियों को सेवा और उपचार मिलने लगा। समाज में सही धारणा बनने लगी। साथ ही सदाशिव का अर्थ परमानन्द और गोविन्द का नाम माधव (कृष्ण) भी है। इसलिए उन्हें परमानन्द माधवम् कहा जाने लगा।

(ग) भारतीय कुष्ठ निवारक संघ, चाँपा की स्थापना कब और कैसे हुई ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे ने कुष्ठ रोगियों के इलाज का व्रत लिया। उनकी भेंट मध्य प्रदेश के राज्यपाल महामहिम हरिभाऊ पाटस्कर से हुई। कुष्ठ रोगियों की सेवा के विषय पर चर्चा हुई। उनसे प्रेरणा लेकर कुष्ठ रोगी होते हुए भी उनकी सेवा के कार्य में खुशी-खुशी लगे रहे। सदाशिवराव कात्रे की योजना के अनुसार कुष्ठ रोगियों की चिकित्सा एवं आवास के लिए लखु नामक ग्राम में स्थान मिल गया। यह स्थान चौपा से दस किमी. दूर है। सन् 1962 ई. में यह आश्रम भारतीय कुष्ठ निवारक संघ, चाँपा के नाम से स्थापित हो गया।

प्रश्न 5.
सोचिए और बताइए

(क)प्रकृति ने भी सदाशिवराव कात्रे के साथ क्रूर उपहास किया”, ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे के पिता का देहावसान उस समय हो गया जब इनकी आयु आठ वर्ष थी। इनकी शिक्षा ‘काका’ के यहाँ झाँसी में हुई। शिक्षा पाकर इन्हें रेलवे में नौकरी मिल गई। सन् 1930 ई. में इनका विवाह हो गया। इसी बीच उन्हें कुष्ठ रोग ने घेर लिया। इन्हें अपनी अल्पायु से ही आपदाओं ने घेरा हुआ था। इस प्रकार यह कि ‘प्रकृति ने भी सदाशिवराव कात्रे के साथ क्रूर उपहास किया’ कहा गया है। कुष्ठ रोग भयानक रोग है जिससे समाज और अपने भी छूट जाते हैं।

(ख) आश्रम में रहकर कोई कार्य करने हेतु तैयार नहीं होता था, क्यों?
उत्तर
कुष्ठ रोगियों के आश्रम में सेवा करने के लिए कोई भी तैयार नहीं होता था क्योंकि रोगियों के अंगों से रिसता द्रव,भिनभिनाती मक्खियाँ जो घृणा का भाव पैदा करती थीं। आश्रम में कुष्ठ रोगियों के प्रति अछूत जैसी दशा, धैर्य और अपनेपन की कमी थी।

(ग) कुष्ठरोगियों की दुर्दशा देखकर सदाशिवराव कात्रे के हृदय में करुणा उत्पन्न होने के दो कारण लिखिए।
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे के हृदय में करुणा उत्पन्न होने के दो कारण थे

  1. कुष्ठ रोगियों की दशा अछूत जैसी होना, घर-परिवार से अलग कर देना।
  2. उन रोगियों के प्रति घृणा एवं अपनापन से रहित मानकर उपेक्षा भरा जीवन, सामाजिक असम्मान और घृणास्पद व्यवहार।

(घ) चाँपा नगर के प्रतिष्ठित जन कुष्ठ रोगियों की सेवा हेतु कैसे प्रेरित हुए?
उत्तर
चांपा नगर के आश्रम में कुष्ठ रोगियों के लिए चिकित्सा और आवास के लिए लखुरौं ग्राम में स्थान मिल गया। यह संस्था पंजीबद्ध हो गई। सदाशिवराव के प्रयासों से, रामचरितमानस और महाभारत के उदाहरणों से लोगों में कुष्ठ रोग के प्रति सेवा भाव जगने लगा। चाँपा के प्रतिष्ठावान और समझदार उदार व्यक्तियों में कुष्ठरोग के प्रति सेवाभाव एवं सहयोग को राष्ट्रीय गुण के रूप में जगाया। इस प्रकार सदाशिवराव के अथक परिश्रम और राष्ट्रभक्ति के भाव से लोगों में सकारात्मक सोच पैदा होने लगी।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
पौराणिक, संचालित, चिकित्सा, संवेदनशील, करुणा।
उत्तर
अपने अध्यापक महोदय की सहायता से उच्चारण कीजिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए
(i) असरम
(ii) देहवसान
(iii) दैदिप्यमान
(iv) अंतद्वर्द्ध
(v) राष्ट्र।
उत्तर
(i) आश्रम
(ii) देहावसान
(iii) दैदीप्यमान
(iv) अन्तर्द्वन्द्व
(v) राष्ट्र।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग बताइए
(i) दुर्दशा
(ii) उपचार
(iii) अज्ञान
(iv) अनुभव
(v) विज्ञापन।

उत्तर
(i) दुर्दशा = दुर + दशा
(ii) उपचार
= उप + चार
(iii) अज्ञान
= अ + ज्ञान
(iv) अनुभव
= अनु + भव
(v) विज्ञापन
= वि + ज्ञापन।

प्रश्न 4.
‘आई’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द लिखिए
उत्तर
भलाई, लिपाई, पुताई, लिखाई, पढ़ाई, बुराई।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए
(i) चिकित्सालय
(ii) देहावसान
(iii) विवाहोपरान्त
(iv) अल्पायु
(v) मतावलम्बी।

उत्तर
(i) चिकित्सालय = चिकित्सा + आलय
(ii) देहावसान = देह + अवसान
(iii) विवाहोपरान्त = विवाह + उपरान्त
(iv) अल्पायु = अल्प + आयु
(v) मतावलम्बी = मत + अवलम्बी

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(i) आत्मबल
(ii) व्यवस्था
(iii) संतोष
(iv) कुष्ठरोगी
(v) जन्म।

उत्तर
(i) आत्मबल = आत्मबल से ही मुशीबतों पर विजय पा सकते हैं।
(ii) व्यवस्था = आश्रम की व्यवस्था में सभी सदस्यों के सहयोग की जरूरत है।
(iii) सन्तोष = सन्तोष से जीवन सुखी होता है।
(iv) कुष्ठ रोगी= कुष्ठ रोगी से लोग घृणा करने लगते हैं।
(v) जन्म = जन्म से कोई बड़ा-छोटा नहीं होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *