इतिहास – भारत और समकालीन विश्व-II (History: India and The Contemporary World – II )
Chapter 3 : भूमंडलीकृत विश्व का बनना
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- ‘वैश्वीकरण’ की बात करते हैं तो आमतौर पर हम एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था की बात करते हैं जो मोटेतौर पर पिछले पाँच दशकों में ही हमारे सामने आई है।
- इतिहास के हर दौर में मानव समाज एक-दूसरे के ज्यादा नजदीक आते गए हैं।
- हजार साल से भी ज्यादा समय से मालदीव के समुद्र में पाई जाने वाली कौड़ियाँ चीन और पूर्वी अफ्रीका तक पहुँचती रही हैं। ‘सिल्क मार्ग’ नाम से पता चलता है कि इस मार्ग से पश्चिम को भेजे जाने वाले चीनी रेशम (सिल्क) का कितना महत्त्व था।
- आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद और ऐसे ही बहुत सारे दूसरे खाद्य पदार्थ लगभग पाँच साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे।
- हमारे बहुत सारे खाद्य पदार्थ अमेरिका के मूल निवासियों यानी अमेरिकन इंडियन्स से हमारे पास आए
- सोलहवीं सदी में जब यूरोपीय जहाजियों ने एशिया तक का समुद्री रास्ता ढूँढ लिया।
- लाखों साल से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी।
- अठारहवीं शताब्दी का काफी समय बीत जाने के बाद भी चीन और भारत को दुनिया के सबसे धनी देशों में गिना जाता था।
- चीन की घटती भूमिका और अमेरिका के बढ़ते महत्त्व के चलते विश्व व्यापार का केन्द्र पश्चिम की ओर खिसकने लगा। अर्थशास्त्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन तरह की गतियों या ‘प्रवाहों’ का उल्लेख किया है-(i) व्यापार का प्रवाह, (ii) श्रम का प्रवाह, (iii) पूँजी का प्रवाह।
- 1890 तक एक वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था सामने आ चुकी थी। अंग्रेजी सरकार ने अर्द्ध-रेगिस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया ताकि निर्यात के लिए गेहूँ और कपास की खेती की जा सके।
- अफ्रीका में 1890 के दशक में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी बहुत तेजी से फैल गई।
- भारतीय अनुबंधित श्रमिकों को खास तरह के अनुबंध या एग्रीमेंट के तहत ले जाया जाता था। ज्यादातर श्रमिक पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य भारत से थे।
- भारत में पैदा होने वाली महीन कपास का यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता था।
- प्रथम विश्व युद्ध अगस्त 1914 में शुरू हुआ और चार साल से भी ज्यादा समय तक चलता रहा। युद्ध में 90 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 2 करोड़ घायल हुए।
- 1921 में हर पाँच में से एक ब्रिटिश मजदूर के पास काम नहीं था।
- अमेरिका में टी-मॉडल नामक कार बृहत् उत्पादन पद्धति से बनी पहली कार थी।
- आर्थिक महामंदी की शुरूआत 1929 से हुई और यह संकट तीस के दशक के मध्य तक बना रहा। इस दौरान दुनिया के ज्यादातर हिस्सों के उत्पादन, रोजगार, आय और व्यापार में भयानक गिरावट दर्ज की गई। 1933 तक 4,000 से ज्यादा बैंक बंद हो चुके थे और 1929 से 1932 के बीच लगभग 1,10,000 कम्पनियाँ चौपट हो चुकी थीं।
- 1928 से 1934 के बीच भारत में गेहूँ की कीमत 50 प्रतिशत गिर गई। पहला विश्व युद्ध खत्म होने के केवल दो दशक बाद दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया।
- द्वितीय विश्व युद्ध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करीब 6 करोड़ लोग मारे गए।
- जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र में मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी।
- विश्व बैंक और आई. एम. एफ. को ब्रेटन वुड्स संस्थान या ब्रेटन वुड्स ट्विन (ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतान) भी कहा जाता है।
- 1950 से 1970 के बीच विश्व व्यापार की विकास दर सालाना 8 प्रतिशत से ज्यादा रही।
पाठान्त अभ्यास
संक्षेप में लिखें
प्रश्न 1. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुनें।
उत्तर – एशिया-चीन एशिया का एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्र है। ‘सिल्क मार्ग’ नाम से पता चलता है कि इस मार्ग से पश्चिम को भेजे जाने वाले चीनी रेशम (सिल्क) का कितना महत्त्व था। इसी रास्ते से चीनी पॉटरी जाती थी और इसी रास्ते से भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुँचते थे। वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थीं।
अमेरिका – आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद और ऐसे ही बहुत सारे दूसरे खाद्य पदार्थ लगभग पाँच सौ साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे। ये खाद्य पदार्थ यूरोप और एशिया में तब पहुँचे जब क्रिस्टोफर कोलम्बस गलती से उन अज्ञात महाद्वीपों में पहुँच गया था जिन्हें बाद में अमेरिका के नाम से जाना जाने लगा। दरअसल, हमारे बहुत सारे खाद्य पदार्थ अमेरिका के मूल निवासियों यानी अमेरिकन इंडियन्स से हमारे पास आए हैं।
प्रश्न 2. बताएँ कि पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भू-भागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी ?
उत्तर
(1) सोलहवीं सदी के मध्य तक आते-आते पुर्तगाली और स्पेनिश सेनाओं की विजय का सिलसिला शुरू हो चुका था। उन्होंने अमेरिका को उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था।
(2) यूरोपीय सेनाएँ केवल अपनी सैनिक ताकत के दम पर नहीं जीतती थीं। स्पेनिश विजेताओं के सबसे शक्तिशाली हथियारों में परम्परागत किस्म का सैनिक हथियार तो कोई था ही नहीं। यह हथियार तो चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों और अफसरों के साथ वहाँ जा पहुंचे (3) लाखों सालों से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी। फलस्वरूप इस नए स्थान पर चेचक बहुत मारक साबित हुई।
(4) एक बार संक्रमण शुरू होने के बाद तो यह बीमारी पूरे महाद्वीप में फैल गई। जहाँ यूरोपीय लोग नहीं पहुँचे थे वहाँ के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे। इसने पूरे के पूरे समुदायों को खत्म कर डाला। इस प्रकार घुसपैठियों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।
प्रश्न 3. निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें
(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।
(ख) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना।
(ग) विश्व युद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव।
(ङ) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला।
उत्तर
(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला–
अठारहवीं सदी के आखिरी दशकों में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी थी। नतीजा, देश में भोजन की माँग भी बढ़ी। जैसे-जैसे शहर फैले और उद्योग बढ़ने लगे, कृषि उत्पादों की माँग भी बढ़ने लगी। कृषि उत्पाद महँगे होने लगे। दूसरी तरफ बड़े भू-स्वामियों के दबाव में सरकार ने मक्का के आयात पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया था। जिन कानूनों के सहारे सरकार ने यह प्रतिबन्ध लगाया था उसे ‘कॉर्न लॉ’ कहा जाता था। खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों से परेशान उद्योगपतियों और शहरी बाशिंदों ने सरकार को मजबूर कर दिया कि वह कॉर्न लॉ को फौरन समाप्त कर दे।
कॉर्न लॉ के निरस्त हो जाने के बाद बहुत कम कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने लगा। आयातित खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी कम थी। परिणामस्वरूप, ब्रिटिश किसानों के हालात बिगड़ने लगे क्योंकि वे आयातित माल की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे। विशाल भू-भागों पर खेती बंद हो गई। हजारों लोग बेरोजगार हो गए। गाँवों से उजड़ कर ये या तो शहरों में या दूसरे देशों में जाने लगे।
(ख) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना –
(1) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट नाम की बीमारी सबसे पहले 1880 के दशक के आखिरी सालों में दिखाई दी। मवेशियों में प्लेग की तरह फैलने वाली इस बीमारी से लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा।
(2) उस समय पूर्वी अफ्रीका में एरिट्रिया पर हमला कर रहे इतालवी सैनिकों का पेट भरने के लिए एशियाई देशों से जानवर लाए जाते थे। यह बीमारी ब्रिटिश आधिपत्य वाले एशियाई देशों से आए उन्हीं जानवरों के जरिए यहाँ पहुँची थी।
(3) अफ्रीका के पूर्वी हिस्से से महाद्वीप में दाखिल होने वाली यह बीमारी ‘जंगल की आग’ की तरह पश्चिमी अफ्रीका की तरफ बढ़ने लगी।
(4) 1892 में यह अफ्रीका के अटलांटिक तट तक जा पहुंची। पाँच साल बाद यह केप (अफ्रीका का धुर दक्षिणी हिस्सा) तक भी पहुंच गई। रिंडरपेस्ट ने अपने रास्ते में आने वाले 90 प्रतिशत मवेशियों को मौत की नींद सुला दिया।
(ग) विश्व युद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत-
अगस्त 1914 में जब युद्ध शुरू हुआ उस समय बहुत सारी सरकारों को यही लगता था कि यह युद्ध ज्यादा से ज्यादा क्रिसमस तक खत्म हो जाएगा। पर यह युद्ध तो चार साल से भी ज्यादा समय तक चलता रहा। मानव सभ्यता के इतिहास में ऐसा भीषण युद्ध कभी नहीं हुआ था।
इस युद्ध ने मौत और विनाश की जैसी विभीषिका रची उसकी औद्योगिक युग से पहले और औद्योगिक शक्ति के बिना कल्पना नहीं की जा सकती थी। युद्ध में 90 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 2 करोड़ घायल हुए।मृतकों और घायलों में से ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोग थे। इस महाविनाश के कारण यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गई। परिवार के सदस्य घट जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय गिर गई। युद्ध की जरूरतों के मद्देनजर पूरे के पूरे समाजों को बदल दिया गया। मर्द मोर्चे पर जाने लगे तो उन कामों को संभालने के लिए घर की औरतों को बाहर आना पड़ा जिन्हें अब तक केवल मर्दो का ही काम माना जाता था।
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव-
(1) महामंदी ने भारतीय व्यापार को फौरन प्रभावित किया। 1928 से 1934 के बीच देश के आयात-निर्यात घट कर लगभग आधे रह गए थे। जब अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें गिरने लगी तो यहाँ भी कीमतें नीचे आ गईं।
(2) शहरी निवासियों के मुकाबले किसानों और काश्तकारों को ज्यादा नुकसान हुआ। यद्यपि कृषि उत्पादों की कीमतें तेजी से नीचे गिरी लेकिन सरकार ने लगान वसूली में छूट देने से साफ इन्कार कर दिया। सबसे बुरी मार उन काश्तकारों पर पड़ी जो विश्व बाजार के लिए उत्पादन करते थे।
(3) पूरे देश में काश्तकार पहले से भी ज्यादा कर्ज में डूब गए। खर्चे पूरे करने के चक्कर में उनकी बचत खत्म हो चुकी थी, जमीन सूदखोरों के पास गिरवीं पड़ी थी, घर में जो भी गहने-जेवर थे, बिक चुके थे। मंदी के इन्हीं सालों में भारत कीमती धातुओं, खासतौर से सोने का निर्यात करने लगा। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कीन्स का मानना था कि भारतीय सोने के निर्यात से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में काफी मदद मिली।
(4) यह मंदी शहरी भारत के लिए इतनी दुखदाई नहीं रही। कीमतें गिरते जाने के बावजूद शहरों में रहने वाले ऐसे लोगों की हालत ठीक रही जिनकी आय निश्चित थी। जैसे शहर में रहने वाले जमींदार जिन्हें अपनी जमीन पर निश्चित भाड़ा मिलता था, या मध्यवर्गीय वेतन-भोगी कर्मचारी। राष्ट्रवादी खेमे के दबाव में उद्योगों की रक्षा के लिए सीमा शुल्क बढ़ा दिए गए थे जिससे औद्योगिक क्षेत्र में भी निवेश में तेजी आई।
(ङ) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला-
एक साथ बहुत सारे देशों में व्यवसाय करने वाली कंपनियों को बहुराष्ट्रीय निगम (मल्टीनेशनल कॉर्पोरेशन कम्पनी-एमएनसी) या बहुराष्ट्रीय कम्पनी कहा जाता है। शुरूआती बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की स्थापना 1920 के दशक में की गई थी। पचास व साठ के दशक में जब अमेरिकी व्यवसाय दुनियाभर में फैलते जा रहे थे और पश्चिमी यूरोप एवं जापान भी विश्व युद्ध के प्रभाव से बाहर निकलते हुए शक्तिशाली औद्योगिक राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर थे, उस समय ऐसी बहुत सारी नयी कम्पनियाँ सामने आईं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विश्वव्यापी प्रसार पचास और साठ के दशक की एक विशेषता थी।
सत्तर के दशक के मध्य से बेरोजगारी बढ़ने लगी। नब्बे के दशक के प्रारम्भिक वर्षों तक काफी बेरोजगारी रही। सत्तर के दशक के आखिरी सालों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भी एशिया के ऐसे राष्ट्रों में उत्पादन केन्द्रित करने लगी जहाँ वेतन कम थे।
चीन जैसे देशों में वेतन तुलनात्मक रूप से कम थे। फलस्वरूप विश्व बाजारों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने वहाँ जमकर निवेश करना शुरू कर दिया।
प्रश्न 4. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
उत्तर
(1) औपनिवेशीकरण के कारण यातायात और परिवहन साधनों में भारी सुधार किए गए। तेज चलने वाली रेलगाड़ियाँ बनीं, बोगियों का भार कम किया गया, जलपोतों का आकार बढ़ा जिससे किसी भी उत्पाद को खेतों से दूर-दूर के बाजारों में कम लागत पर और ज्यादा आसानी से पहुँचाया जा सके।
(2) 1870 के दशक तक अमेरिका से यूरोप को मांस निर्यात नहीं किया जाता था। उस समय केवल जिंदा जानवर ही भेजे जाते थे जिन्हें यूरोप ले जाकर ही काटा जाता था। लेकिन जिंदा जानवर बहुत ज्यादा जगह घेरते थे। नयी तकनीक के आने पर यह स्थिति बदल गई। पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई जिससे जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी लम्बी यात्राओं पर ले जाया जा सकता था।
प्रश्न 5. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?
उत्तर– ब्रेटन वुड्स समझौता-जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशायर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी।
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना 350 सदस्य राष्ट्रों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई. एम. एफ.) की स्थापना की गई। युद्धेत्तर निर्माण के लिए पैसे का इंतजाम करने के वास्ते अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (जिसे आम बोलचाल में विश्व बैंक कहा जाता है) का गठन किया। इसी वजह से विश्व बैंक और आई.एम.एफ. को ब्रेटन वुड्स ट्विन (ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ) संतान भी कहा जाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था राष्ट्रीय मुद्राओं और मौद्रिक व्यवस्थाओं को एक-दूसरे से जोड़ने वाली व्यवस्था है। ब्रेटन वुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित होती थी। इस व्यवस्था में राष्ट्रीय मुद्राएँ, जैसे भारतीय मुद्रा-रुपया-डॉलर के साथ एक निश्चित विनिमय दर से बँधा हुआ था। एक डॉलर के बदले में कितने रुपये देने होंगे, यह स्थिर रहता था। डॉलर का मूल्य भी सोने से बँधा हुआ था।
ब्रेटन वुड्स व्यवस्था ने पश्चिमी औद्योगिक राष्ट्रों और जापान के लिए व्यापार तथा आय में वृद्धि के एक अप्रतिम युग का सूत्रपात किया। 1950 से 1970 के बीच विश्व व्यापार की विकास दर सालाना 8 प्रतिशत से भी ज्यादा रही। विकास दर भी कमोबेश स्थिर ही थी। उसमें ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं आए। • चर्चा करें
प्रश्न 6. कल्पना कीजिए की आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें।
उत्तर
आदरणीय,
पिताजी
चरण स्पर्श
मुझे आशा है आप सब लोग ठीक होंगे। मैं तमाम कोशिशों के बावजूद उन कार्यों को ठीक से नहीं कर पाया जो मुझे सौंपे गए थे। यहाँ कुछ ही दिनों के भीतर मेरे हाथ सब जगह से छिल गए और मैं हफ्ते भर तक काम पर नहीं जा पाया जिसके लिए मुझे सजा दी गई और 14 दिन जेल में काटने पड़े। यहाँ नए अप्रवासियों को काम बहुत भारी पड़ता था और वे दिन भर में अपना कार्य पूरा नहीं कर पाते थे। यहाँ अगर कार्य संतोषजनक ढंग से पूरा नहीं हुआ तो तनख्वाह भी काट ली जाती है। इसलिए बहुत सारे लोगों को उनका पूरा वेतन नहीं मिल पाता है और उन्हें तरह-तरह से सजा दी जाती है। दरअसल मजदूरों को अपने अनुबंध की अवधि भारी कठिनाइयों में बितानी पड़ती है।
आपका बेटा
प्रश्न 7. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर-अर्थशास्त्रियों ने अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन प्रकार की गतियों या प्रवाहों’ का उल्लेख किया है।
(1) पहला प्रवाह व्यापार का होता है जो उन्नीसवीं सदी में मुख्य रूप से वस्तुओं (जैसे-कपड़ा या गेहूँ आदि) के व्यापार तक ही सीमित था।
ब्रिटिश भारतीय सरकार ने अर्द्ध-रेगिस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया ताकि निर्यात के लिए गेहूँ और कपास की खेती की जा सके।
(2) दूसरा, श्रम का प्रवाह होता है, इसमें लोग काम या रोजगार की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं।
उन्नीसवीं सदी में भारत और चीन के लाखों मजदूरों को बागानों, खदानों और सड़क व रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए दूर-दूर के देशों में ले जाया जाता था। भारतीय अनुबंधित श्रमिकों को
मुख्य रूप से कैरीबियाई द्वीप समूह (मुख्यतः त्रिनिदाद, गुयाना और सूरीनाम) मॉरिशस व फिजी ले जाया जाता था। बहुत सारे अनुबंधित श्रमिकों को असम के चाय बागानों में काम करने के लिए भी लाया जाता था।
(3) तीसरा प्रवाह पूँजी का होता है जिसे अल्प या दीर्घ अवधि के लिए दूर-दराज के इलाकों में निवेश कर दिया जाता है।
भारत में देशी साहूकार और महाजन, उन बहुत सारे बैंकों और व्यापारियों में से थे जो मध्य एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में निर्यातोन्मुखी खेती के लिए कर्जे देते थे। इसके लिए वे या तो अपनी जेब से पैसा लगाते थे या यूरोपीय बैंकों से कर्जे लेते थे। उनके पास दूर-दूर तक पैसे पहुँचाने की एक व्यवस्थित पद्धति होती थी।
प्रश्न 8. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर महामंदी के कारण आर्थिक महामंदी की शुरूआत 1929 से हुई और यह संकट तीस के दशक के मध्य तक बना रहा। इस दौरान विश्व के ज्यादातर हिस्सों में उत्पादन, रोजगार, आय और व्यापार में तीव्र गिरावट देखी गई। इस महामंदी के कई कारण थे
(1) पहला कारण था कि कृषि क्षेत्र में अति उत्पादन की समस्या बनी हुई थी। कृषि उत्पादों की गिरती कीमतों के कारण स्थिति और भी खराब हो गई थी। कीमतें गिरी और किसानों की आय घटने लगी तो आय बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन बढ़ाने का प्रयास करने लगे जिससे कम कीमत पर ही सही लेकिन ज्यादा माल उत्पादित करके वे अपना आय स्तर बनाए रख सकें। परिणामस्वरूप, बाजार में कृषि उत्पादों की पूर्ति और ज्यादा हो गई जिससे कीमतें और नीचे चली गईं। खरीददारों के अभाव में कृषि उपज सड़ने लगी।
(2) 1920 के दशक के मध्य में बहुत सारे राष्ट्रों ने अमेरिका से ऋण लेकर अपनी निवेश सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा किया था। जब हालात अच्छे थे तो अमेरिका से कर्जा जुटाना बहुत आसान था लेकिन संकट का संकेत मिलते ही अमेरिकी उद्यमियों के होश उड़ गए।
(3) 1928 से पहले छह माह तक विदेशों में अमेरिका का कर्जा एक अरब डॉलर था। साल भर के भीतर यह कर्जा घटकर केवल चौथाई रह गया था जो देश अमेरिकी ऋण पर सबसे ज्यादा निर्भर थे उनके सामने सबसे बड़ा संकट आ गया।
(4) आखिरकार अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था भी धराशायी हो गई। निवेश से अपेक्षित लाभ न पा सकने के कारण हजारों बैंक दिवालिया हो गए और बंद कर दिए गए। इस परिघटना से जुड़े आँकड़े सकते में डाल देने वाले हैं। 1933 तक 4,000 से ज्यादा बैंक बंद हो चुके थे और 1929 से 1932 के बीच लगभग 1,10,000 कम्पनियाँ चौपट हो चुकी थीं।
प्रश्न 9. जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं ? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है? व्याख्या करें।
उत्तर– जी-77- ज्यादातर विकासशील राष्ट्रों को पचास और साठ के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तेज प्रगति से कोई लाभ नहीं हुआ। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने एक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली (New International Economic Order-NIEO) के लिए आवाज और समूह-77 (जी-77) के रूप में संगठित हो गए। एन. आई. ई. ओ. से उनका आशय एक ऐसी व्यवस्था से था जिसमें उन्हें अपने संसाधनों पर सही मायनों में नियन्त्रण मिल सके, जिसमें उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले, कच्चे माल के सही दाम मिलें, और अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिले।
जी -77 का गठन ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया थी। विकासशील राष्ट्र विकसित औद्योगिक राष्ट्रों के बराबर पहुँचने की जी तोड़ कोशिश करने लगे थे। अत: एन.आई.ई.ओ. एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें विकासशील राष्ट्र अपने संसाधनों पर सही नियंत्रण रख सकें। जिसके अनुसार उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले, कच्चे मालों को विकसित राष्ट्रों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर स्थान मिले।
अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय
प्रश्न 1. आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद जैसे खाद्य पदार्थ लगभग कितने साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे ?
(i) 500 वर्ष पहले
(ii) 400 वर्ष पहले
(iii) 300 वर्ष पहले
(iv) 200 वर्ष पहले।
उत्तर (i) 500 वर्ष पहले
2. नूडल्स किस राष्ट्र से पश्चिम में पहुँचे ?
(i) अरब
(ii) इटली
(iii) चीन
(iv) जापान।
उत्तर (iii) चीन
3. उन्नीसवीं सदी में यूरोप के लगभग कितने लोग अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में जाकर बस गए ?
(i) एक करोड़
(ii) तीन करोड़
(iii) चार करोड़
(iv) पाँच करोड़।
उत्तर (iv) पाँच करोड़।
4. 1890 के दशक में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी किस देश में फैली?
(i) न्यूजीलैण्ड
(ii) अफ्रीका
(iii) अमेरिका
(iv) जर्मनी।
उत्तर (ii) अफ्रीका
5. 1923 में विश्व को पूँजी देने वाला और विश्व का सबसे बड़ा कर्जदाता राष्ट्र कौन था ?
(i) अमेरिका
(ii) अफ्रीका
(iii) इंग्लैण्ड
(iv) फ्रांस।
उत्तर (i) अमेरिका
6. हैदराबादी सिंधी व्यापारियों ने किस दशक में दुनिया भर के बंदरगाहों पर अपने बड़े-बड़े एम्पोरियम खोल दिए ?
(i) 1790 के दशक में
(ii) 1820 के दशक में
(iii) 1860 के दशक में
(iv) 1910 के दशक में।
उत्तर (iii) 1860 के दशक में
7. सन् 1800 के आस-पास निर्यात में सूती कपड़े का प्रतिशत था ?
(i) 30 प्रतिशत
(ii) 15 प्रतिशत
(iii) 10 प्रतिशत
(iv) 3 प्रतिशत।
उत्तर (i) 30 प्रतिशत
8. प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ था
(i) 1905 में
(ii) 1907 में
(iii) 1912 में
(iv) 1914 में।
उत्तर (iv) 1914 में
9. आर्थिक महामंदी की शुरूआत किस वर्ष में हुई थी ?
(i) 1922 में
(ii) 1929 में
(iii) 1941 में
(iv) 1944 में।
उत्तर (ii) 1929 में
10. 1928 से 1934 के बीच भारत में गेहूँ की कीमत कितने प्रतिशत गिर गई ?
(i) 50 प्रतिशत
(ii) 60 प्रतिशत
(iii) 40 प्रतिशत
(iv) 25 प्रतिशत।
उत्तर (i) 50 प्रतिशत
रिक्त स्थान पूर्ति
1. पास्ता अरब यात्रियों के साथ पाँचवीं सदी में …………. पहुँचा जो अब इटली का ही एक टापू है।
2. अपनी ‘खोज’ से पहले लाखों साल से ………. का दुनिया से कोई संपर्क नहीं था।
3. अर्थशास्त्रियों ने अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में …………. तरह की गतियों या ‘प्रवाहों’ का उल्लेख किया है।
4. 1885 में यूरोप के ताकतवर देशों की …………. में एक बैठक हुई।
5. अफ्रीका में 1890 के दशक में ………… नामक बीमारी बहुत तेजी से फैल गई।
6. भारत से …………. श्रमिकों को ले जाया जाना भी उन्नीसवीं सदी की दुनिया की विविधता को प्रतिबिंबित करता है।
7. 1921 में हर पाँच में से ……… ब्रिटिश मजदूर के पास काम नहीं था।
8. आई. एम. एफ. और विश्व बैंक का गठन तो ……..” की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया था।
उत्तर-1. सिसली, 2. अमेरिका, 3. तीन, 4. बर्लिन, 5. रिंडरपेस्ट, 6. अनुबंधित (गिरमिटिया), 7. एक, 8. औद्योगिक देशों
सत्य/असत्य
1. बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का दूर-दूर तक पहुँचने का इतिहास सातवीं सदी तक ढूँढ़ा जा सकता है।
2. व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ नहीं चलती थीं।
3. अठारहवीं सदी के आखिरी दशकों में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी थी।
4. कॉर्न लॉ के निरस्त हो जाने के बाद बहुत अधिक कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयात-निर्यात किया जाने लगा।
5. 1890 के दशक के आखिरी वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका भी औपनिवेशिक ताकत बन गया।
6. रिंडरपेस्ट ने अपने रास्ते में आने वाले 90 प्रतिशत मवेशियों को मौत की नींद सुला दिया।
7. औद्योगीकरण के बाद ब्रिटेन में कपास का उत्पादन घटने लगा था।
8. अमेरिका विश्व बैंक और आई.एम.एफ. के किसी भी फैसले को वीटो कर सकता है।
उत्तर-1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. असत्य, 8. सत्य।
सही जोड़ी मिलाइए
उत्तर -1. → (घ), 2. → (ङ), 3. → (क), 4. → (ख), 5. → (ग)
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. विश्व बैंक और आई.एम.एफ. ने औपचारिक रूप से काम करना कब शुरू किया?
2. प्रथम विश्व युद्ध कब लड़ा गया ?
3. अनुबंधित श्रमिक व्यवस्था को कब समाप्त कर दिया गया ?
4. द्वितीय विश्व युद्ध कब लड़ा गया ?
5. उन्नीसवीं सदी में यूरोप के लगभग कितने लोग अमेरिका और आस्ट्रेलिया में जाकर बस गए ?
6. 1950 से 1970 के बीच विश्व व्यापार की विकास दर सालाना कितने प्रतिशत रही ?
उत्तर -1. 1947, 2. 1914-18, 3. 1923, 4.1939-45, 5.5 करोड़, 6. 8 प्रतिशत।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सिल्क मार्ग’ से क्या पता चलता है ?
उत्तर -‘सिल्क मार्ग’ नाम से पता चलता है कि इस मार्ग से पश्चिम को भेजे जाने वाले चीनी रेशम (सिल्क) का कितना महत्त्व था।
प्रश्न 2. अमेरिका पर अधिकार करने वाले प्रथम दो यूरोपीय देशों के नाम बताइए।
उत्तर अमेरिका पर सर्वप्रथम अधिकार करने वाले यूरोपीय राष्ट्र पुर्तगाल और स्पेन थे।
प्रश्न 3. ‘वैश्वीकरण’ में किसकी बात करते हैं ?
उत्तर -जब हम ‘वैश्वीकरण’ की बात करते हैं तो आमतौर पर हम एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था की बात करते हैं जो मोटे तौर पर पिछले लगभग पचास सालों में ही हमारे सामने आई है।
प्रश्न 4. ‘कार्न लॉ’ क्या था ?
उत्तर ब्रिटेन सरकार ने बड़े भू-स्वामियों के दबाव में सरकार ने मक्का के आयात पर पाबंदी लगा दी यो। जिन कानूनों के सहारे सरकार ने यह पाबंदी लागू की थी उन्हें ‘कॉर्न लॉ’ कहा जाता था।
प्रश्न 5. विदेश में भारतीय उद्यमियों के नाम बताइए।
उत्तर -शिकारीपूरी श्रॉफ और नटूकोट्टई उन बहुत सारे बैंकरों और व्यापारियों में से थे जो मध्य एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में निर्यातोन्मुखी खेती के लिए कर्ज देते थे। इसके लिए वे या तो अपनी जेब से पैसा लगाते ये या यूरोपीय बैंकों से कर्जा लेते थे।
प्रश्न 6. हायर-परचेज क्या व्यवस्था थी ?
उत्तर-हायर-परचेज एक ऐसी व्यवस्था जिसमें खरीददार वस्तुएँ कर्जे पर खरीदते थे और उनकी कीमत साप्ताहिक या मासिक किस्तों में चुकाई जाती थी।
प्रश्न 7. प्रथम विश्व युद्ध में सहयोगी (मित्र राष्ट्र) कौन से थे ?
उत्तर -सहयोगी (मित्र राष्ट्र) प्रथम विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन, फ्रांस और रूस मित्र राष्ट्र थे जो प्रथम विश्व युद्ध में एक साथ लड़े, बाद में अमेरिका भी इनके साथ हो गया।
प्रश्न 8. प्रथम विश्व युद्ध में केन्द्रीय शक्तियाँ कौन-सी थीं ?
उत्तर -केन्द्रीय शक्तियाँ यानी जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ऑटोमन तुर्की थे।
प्रश्न 9.द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र और धुरी शक्तियाँ कौन-कौन सी थीं?
उत्तर -एक गुट में धुरी शक्तियाँ (मुख्य रूप से नात्सी जर्मनी, जापान और इटली) थीं तो दूसरा खेमा मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेन, सोवियत संघ, फ्रांस और अमेरिका) के नाम से जाना जाता था।
प्रश्न 10. ‘वीटो’ निशेषाधिकार का क्या अर्थ है ?
उत्तर -वीटो (निशेषाधिकार) इस अधिकार के सहारे एक ही सदस्य की असहमति किसी भी प्रस्ताव को खारिज करने का आधार बन जाती है।
प्रश्न 11. आयात शुल्क (Tariff) से क्या आशय है ?
उत्तर -आयात शुल्क (Tariff) किसी दूसरे राष्ट्र से आने वाली चीजों पर वसूल किया जाने वाला शुल्क। यह कर या शुल्क उस जगह लिया जाता है जहाँ से वह वस्तु देश में आती है, अर्थात् सीमा पर, बंदरगाह पर या हवाई अड्डे पर।
कक्षा 10 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. नयी फसलों के आने से काश्तकारों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता था ?
उत्तर -कई बार नयी फसलों के आने से जीवन में जमीन-आसमान का फर्क आ जाता था। साधारण से आलू का इस्तेमाल शुरू करने पर यूरोप के गरीबों की जिंदगी आमूल रूप से बदल गई थी। उनका भोजन बेहतर हो गया और उनकी औसत आयु बढ़ने लगी। आयरलैंड के गरीब काश्तकार तो आलू पर इस हद तक निर्भर हो चुके थे कि जब 1840 के दशक के मध्य में किसी बीमारी के कारण आलू की फसल खराब हो गई तो लाखों लोग भुखमरी के कारण मौत के मुँह में चले गए।
प्रश्न 2. सोलहवीं सदी में दुनिया ‘सिकुड़ने लगी तो इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर -सोलहवीं सदी में जब यूरोपीय जहाजियों ने एशिया का समुद्री मार्ग ढूँढ़ लिया और वे पश्चिमी सागर पार करते हुए अमेरिका तक जा पहुँचे तो पूर्व-आधुनिक विश्व बहुत छोटा-सा दिखाई देने लगा। इससे पहले कई सदियों से हिंद महासागर के पानी में फलता-फूलता व्यापार, तरह-तरह के सामान, लोग, ज्ञान और परम्पराएँ एक जगह से दूसरी जगह आ-जा रही थीं। भारतीय उपमहाद्वीप इन प्रवाहों के रास्ते में एक अहम बिंदु था। पूरे नेटवर्क में इस क्षेत्र का भारी महत्त्व था। यूरोपियों के दाखिले से यह आवाजाही और बढ़ने लगी और इन प्रवाहों की दिशा यूरोप की तरफ भी मुड़ने लगी।
अपनी ‘खोज’ से पहले लाखों साल से अमेरिका का दुनिया से कोई सम्पर्क नहीं था। लेकिन सोलहवीं सदी से उसकी विशाल भूमि और बेहिसाब फसलें व खनिज पदार्थ हर दिशा में जीवन का रंग-रूप बदलने लगे।
प्रश्न 3. ब्रिटिश भारतीय सरकार ने अर्द्ध-रेगिस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए क्या किया था ?
उत्तर टिश भारतीय सरकार ने अर्द्ध-रेगिस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया ताकि निर्यात के लिए गेहूँ और कपास की खेती की जा सके। नयी नहरों की सिंचाई वाले इलाकों में पंजाब के अन्य स्थानों के लोगों को लाकर बसाया गया। उनकी बस्तियों को कैनाल कॉलोनी (नहर बस्ती) कहा जाता था।
प्रश्न 4. उन्नीसवीं सदी के आखिर में यूरोपीय ताकतें अफ्रीका की ओर क्यों आकर्षित हुई थीं? इसके क्या प्रभाव हुए, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उन्नीसवीं सदी के आखिर में यूरोपीय ताकतें अफ्रीका के विशाल भू-क्षेत्र और खनिज भंडारों को देखकर इस महाद्वीप की ओर आकर्षित हुई थीं। यूरोपीय लोग अफ्रीका में बागांनी खेती करने और खदानों का दोहन करना चाहते थे ताकि उन्हें वापस यूरोप भेजा जा सके। लेकिन वहाँ एक ऐसी समस्या सामने आई जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी। वहाँ के लोग तनख्वाह पर काम नहीं करना चाहते थे।
मजदूरों की भर्ती और उन्हें अपने पास रोके रखने के लिए मालिकों ने बहुत सारे हथकंडे आजमा कर देख लिए लेकिन बात नहीं बनी। उन पर भारी-भरकम कर लाद दिए गए जिनका भुगतान केवल तभी किया जा सकता था जब करदाता बागानों या खादानों में काम करता हो। काश्तकारों को उनकी जमीन से हटाने के लिए उत्तराधिकार कानून भी बदल दिए गए। नए कानून में यह व्यवस्था कर दी गई कि अब परिवार के केवल एक ही सदस्य को पैतृक सम्पत्ति मिलेगी। इस कानून के जरिए परिवार के बाकी लोगों को श्रम बाजार में ढकेलने का प्रयास किया जाने लगा। खानकर्मियों को बाड़ों में बंद कर दिया गया। उनके खुलेआम घूमने-फिरने पर पाबंदी लगा दी गई।
प्रश्न 5. ‘चटनी म्यूजिक’ क्यों और कहाँ लोकप्रिय था ?
उत्तर – त्रिनिदाद और गुयाना में मशहूर ‘चटनी म्यूजिक’ भी भारतीय अप्रवासियों के वहाँ पहुँचने के बाद सामने आई रचनात्मक अभिव्यक्तियों का उदाहरण है। सांस्कृतिक समागम के ये स्वरूप एक नयी वैश्विक दुनिया के उदय की प्रक्रिया का अंग थे। यह ऐसी प्रक्रिया थी जिसमें अलग-अलग स्थानों की चीजें आपस में घुल-मिल जाती थीं, उनकी मूल पहचान और विशिष्टताएँ गुम हो जाती थीं और बिल्कुल नया रूप सामने आता था।
प्रश्न 6. प्रथम विश्व युद्ध ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव डाला ? स्पष्ट करें।
उत्तर -प्रथम विश्व युद्ध ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव डाले
(1) ब्रिटेन में औद्योगिक उत्पादन गिरने लगा और बेरोजगारी बढ़ने लगी।
(2) एशिया में जापान की बढ़ती हुई शक्ति को रोकना ब्रिटेन के लिए जटिल हो गया।
(3) इस युद्ध ने ब्रिटेन को अमेरिकी बैंकों और अमेरिकी जनता का कर्जदार बना दिया।
(4) प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् भारतीय बाजार में अपना प्रभुत्व बनाए रखना ब्रिटेन के लिए कठिन हो गया।
प्रश्न 7. ‘नयी दास प्रथा’ से क्या आशय है ?
उत्तर -नयी दास प्रथा-मजदूरों की भर्ती का काम मालिकों के एजेंट किया करते थे। एजेंटों को कमीशन मिलता था। बहुत सारे अप्रवासी अपने गाँव में होने वाले उत्पीड़न और गरीबी से बचने के लिए भी इन अनुबंधों को मान लेते थे। एजेंट भी भावी अप्रवासियों को फुसलाने के लिए झूठी जानकारियाँ देते थे। कहाँ जाना है, यात्रा के साधन क्या होंगे, क्या काम करना होगा और नयी जगह पर काम व जीवन के हालात कैसे होंगे, इस बारे में उन्हें सही जानकारी नहीं दी जाती थी। बहुत सारे अप्रवासियों को तो यह भी नहीं बताया जाता था कि उन्हें लम्बी समुद्री यात्रा पर जाना है। अगर कोई मजदूर अनुबंध के लिए राजी नहीं होता था तो एजेंट उसका अपहरण तक कर लेते थे।
उन्नीसवीं सदी की इस अनुबंध व्यवस्था को बहुत सारे लोगों ने ‘नयी दास प्रथा’ का नाम दिया।
प्रश्न 8. उन्नीसवीं शताब्दी की शुरूआत से ही ब्रिटिश कपड़ा उत्पादक की क्या स्थिति थी ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -उन्नीसवीं शताब्दी की शुरूआत से ही ब्रिटिश कपड़ा उत्पादक दूसरे देशों में भी अपने कपड़े के लिए नए-नए बाजार ढूँढ़ने लगे थे। सीमा शुल्क की व्यवस्था के कारण ब्रिटिश बाजारों से बेदखल हो जाने के
बाद भारतीय कपड़ों को दूसरे अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों से भी भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। यदि भारतीय निर्यात के आँकड़ों का अध्ययन करें तो पता चलता है कि सूती कपड़े के निर्यात में लगातार गिरावट का ही रुझान दिखाई देता है। सन् 1800 के आस-पास निर्यात में सूती कपड़े का प्रतिशत 30 था जो 1815 में घटकर 15 प्रतिशत रह गया। 1870 तक तो यह अनुपात केवल 3 प्रतिशत रह गया था।
प्रश्न 9. संक्षेप में बताएँ कि दो महायुद्धों के बीच जो आर्थिक परिस्थितियाँ पैदा हुई उनसे अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने क्या सबक सीखे?
उत्तर -दो महायुद्धों के बीच मिले आर्थिक अनुभवों से अर्थशास्त्रियों और राजनीतिज्ञों ने दो अहम सबक निकाले। पहला, बृहत् उत्पादन पर आधारित किसी औद्योगिक समाज को व्यापक उपभोग के बिना कायम नहीं रखा जा सकता। लेकिन व्यापक उपभोग को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक था कि आमदनी काफी ज्यादा और स्थिर हो। यदि रोजगार अस्थिर होंगे तो आय स्थिर नहीं हो सकती थी। स्थिर आय के लिए पूर्ण रोजगार भी जरूरी था।
लेकिन बाजार पूर्ण रोजगार की गारण्टी नहीं दे सकता। कीमत, उपज और रोजगार में आने वाले उतार-चढ़ावों को नियंत्रित करने के लिए सरकार का दखल जरूरी था। आर्थिक स्थिरता केवल सरकारी हस्तक्षेप के द्वारा ही सुनिश्चित की जा सकती थी।
दूसरा सबक बाहरी दुनिया के साथ आर्थिक सम्बन्धों के बारे में था। पूर्ण रोजगार का लक्ष्य केवल तभी हासिल किया जा सकता है जब सरकार के पास वस्तुओं, पूँजी और श्रम की आवाजाही को नियंत्रित करने की ताकत उपलब्ध हो।
संक्षेप में, युद्धेत्तर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार बनाए रखा जाए।
प्रश्न 10. विनिमय दर से क्या आशय है ? यह मोटे तौर पर कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर -विनिमय दर-विनिमय दर वह दर होती है जिस पर एक करेंसी का दूसरी करेंसी से विनिमय किया जाता है। यह दर एक करेंसी में दूसरी करेंसी की कीमत होती है। दूसरे शब्दों में, इस व्यवस्था के द्वाराअन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की सुविधा के लिए विभिन्न राष्ट्रों की राष्ट्रीय मुद्राओं को एक-दूसरे से जोड़ा जाता है। साधारण तौर पर विनिमय दर दो प्रकार की होती है
(1) स्थिर विनिमय दर-जब विनिमय दर स्थिर होती है और उनमें आने वाले उतार-चढ़ावों को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को हस्तक्षेप करना पड़ता है, तो ऐसी विनिमय दर को स्थिर विनिमय दर कहा जाता है।
(2) परिवर्तनशील या लचीली विनिमय दर-इस प्रकार की विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाजार में विभिन्न मुद्राओं की माँग या आपूर्ति के आधार पर और सिद्धांततः सरकारों के हस्तक्षेप के बिना घटती-बढ़ती रहती है।
प्रश्न 11. सर हेनरी मार्टन स्टैनली कौन थे ?
उत्तर मार्टन स्टैनली एक पत्रकार और खोजी थे। न्यूयॉर्क हैरल्ड ने उन्हें कई साल पहले अफ्रीका गए लिविंग्स्टन नामक मिशनरी की खोज करने के लिए भेजा था। उस जमाने में अन्य यूरोपीय और अमेरिकी अन्वेषकों की भाँति स्टैनली भी हथियारों से लैस होकर गए थे। उन्होंने वहाँ जाकर स्थानीय शिकारियों, योद्धाओं और मजदूरों को एकत्र किया, स्थानीय कबीलों के साथ लड़ाइयाँ लड़ीं, अफ्रीकी भूदृश्य की पड़ताल की और विभिन्न क्षेत्रों के नक्शे बनाए। बाद में इन खोजों और अन्वेषणों से अफ्रीका को जीतने में मदद मिली। ऐसे भौगोलिक अन्वेषण केवल वैज्ञानिक जानकारियाँ एकत्र करने की सामान्य इच्छा से प्रेरित नहीं होते थे। उनका साम्राज्यवादी योजनाओं से प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. उन्नीसवीं सदी में तकनीक की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-रेलवे, भाप के जहाज, टेलिग्राफ, ये सब तकनीक बदलाव बहुत महत्त्वपूर्ण रहे। उनके बिना उन्नीसवीं सदी में आए परिवर्तनों की कल्पना नहीं की जा सकती थी। तकनीकी प्रगति अक्सर चौतरफा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारकों का परिणाम भी होती हैं। उदाहरण के लिए, औपनिवेशीकरण के कारण यातायात और परिवहन साधनों में भारी सुधार किए गए। तेज चलने वाली रेलगाड़ियाँ बनी, बोगियों का भार कम किया गया, जलपोतों का आकार बढ़ा जिससे किसी भी उत्पाद को खेतों से दूर-दूर के बाजारों में कम लागत पर और ज्यादा आसानी से पहुँचाया जा सके। मांस उत्पादों के व्यापार से इस प्रक्रिया का अच्छा अंदाजा मिलता है। 1870 के दशक तक अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात किया जाता था। उस समय केवल जिंदा जानवर ही भेजे जाते थे जिन्हें यूरोप ले जाकर ही काटा जाता था। लेकिन जिंदा जानवर बहुत ज्यादा जगह घेरते थे। बहुत सारे तो लम्बे सफर में मर जाते थे या बीमार पड़ जाते थे। इसी वजह से मांस खाना एक महँगा सौदा था और यूरोप के गरीबों की पहुँच से बाहर था। दूसरी तरफ ऊँची कीमतों के कारण मांस उत्पादों की माँग और उत्पादन भी कम रहता था। नयी तकनीक के आने पर यह स्थिति बदल गई। पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई जिससे जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी ले जाया जा सकता था।
इसके बाद तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड, सब जगह से जानवरों की बजाय उनका मांस यूरोप भेजा जाने लगा। इससे न केवल समुद्री यात्रा में आने वाला खर्चा कम हो गया बल्कि यूरोप में मांस के दाम भी गिर गए।
प्रश्न 2. उन्नीसवीं सदी के आखिर में उपनिवेशवाद की क्या स्थिति थी? स्पष्ट कीजिए। उत्तर-उन्नीसवीं सदी के आखिर में उपनिवेशवाद की स्थिति निम्नलिखित थी
(1) उन्नीसवीं शताब्दी के आखिरी दशकों में व्यापार बढ़ा और व्यापार तेजी से फैलने लगे। यह केवल फैलते व्यापार और सम्पन्नता का ही दौर नहीं था। हमें इस प्रक्रिया के स्याह (धुंधले) पक्ष को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। व्यापार में लाभ और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता का एक परिणाम यह हुआ कि विश्व के बहुत सारे भागों में स्वतन्त्रता और आजीविका के साधन छिनने लगे।