MP Board Class 10th History Chapter 2 : भारत में राष्ट्रवाद

इतिहास – भारत और समकालीन विश्व-II (History: India and The Contemporary World – II )

Chapter 2 : भारत में राष्ट्रवाद [Nationalism in India]

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • उत्पीड़न और दमन के साझा-भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था।  
  • महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इन समूहों को एकत्र करके एक विशाल आन्दोलन खड़ा किया।  
  • 1921 की जनगणना के अनुसार दुर्भिक्ष और महामारी के कारण 120-130 लाख लोग मारे गए।
  • महात्मा गांधी जनवरी 1915 में भारत लौटे। इससे पहले वे दक्षिण अफ्रीका में थे।
  • गांधीजी ने 1917 में बिहार के चंपारन इलाके का दौरा किया और दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
  • 1919 में प्रस्तावित रॉलेट एक्ट (1919) के खिलाफ सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का फैसला लिया।  
  • 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर के नेतृत्व में जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ।
  • मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया था।  
  • दिसम्बर 1920 में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में एक समझौता हुआ और असहयोग कार्यक्रम पर स्वीकृति की मोहर लगा दी गई।
  • 1928 में वल्लभभाई पटेल ने गुजरात के बारदोली तालुका में किसान आन्दोलन का नेतृत्व किया।
  • 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ के नारों से किया गया।
  • दिसम्बर 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ की माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया।
  • 5 मार्च 1931 को गांधीजी को इरविन के साथ एक समझौते पर दस्तखत कर दिये।
  • 1928 में दिल्ली स्थित फिरोजशाह कोटला मैदान में हुई बैठक में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एच. एस. आर. ए.) की स्थापना की गई।
  • 1929 में भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेंका।
  • मार्च 1930 में गांधीजी दांडी में नमक कानून का उल्लंघन करके सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करते
  • डॉ. अम्बेडकर ने 1930 में दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया।
  • अम्बेडकर ने सितम्बर 1932 में पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किए।
  • 1930 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष सर मोहम्मद इकबाल ने मुसलमानों के लिए अल्पसंख्यक राजनीतिक हितों की रक्षा के उद्देश्य से जोर दिया।
  • 14 जुलाई 1942 को अपनी कार्यकारिणी में कांग्रेस कार्य समिति ने ऐतिहासिक ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित किया।  
  • 8 अगस्त 1942 को बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।

पाठान्त अभ्यास

संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1. व्याख्या करें

(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?

(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ?

(ग) भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?

(घ) गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया ?

उत्तर –

(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन से जुड़ी थी, जिसके निम्न कारण थे

(1) दूसरे उपनिवेशों की तरह भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन के साथ गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी।

(2) औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ संघर्ष के दौरान लोग आपसी एकता को पहचानने लगे थे।

(3) उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था।

(4) हर वर्ग और समूह पर उपनिवेशवाद का प्रभाव एक जैसा नहीं था। उनके अनुभव भी अलग थे और स्वतन्त्रता के मायने भी भिन्न थे।

(5) महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इन समूहों को एकत्र करके एक विशाल आन्दोलन खड़ा किया।

(ख) 1914 में जब प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ हुआ तो ब्रिटिश सरकार ने भारत को भी इस युद्ध में सम्मिलित कर लिया। अमरीकी राष्ट्रपति विल्सन तथा ब्रिटिश प्रधानमन्त्री लायड जार्ज ने यह घोषणा की कि यह युद्ध लोकतन्त्र और राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार की रक्षा हेतु लड़ा जा रहा है अतः भारतीय जनता को इसमें अपना पूर्ण सहयोग देना चाहिए। महात्मा गांधी ने लायड जार्ज की घोषणा के आधार पर ब्रिटिश सरकार को युद्ध के संचालन में पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। अनेक भारतीय ब्रिटिश सेना में भर्ती हुए तथा उन्होंने बड़ी वीरता के साथ युद्ध में भाग लिया। इस युद्ध ने राष्ट्रीयता की भावना को और अधिक जागृत किया। भारतीय नेताओं ने यह माँग की कि जब ब्रिटेन लोकतन्त्र की रक्षा के लिए युद्ध लड़ रहा है तो उसका नैतिक कर्त्तव्य है कि युद्ध के पश्चात् वह भारत में भी स्वशासन की स्थापना करे।

(ग) राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में इसे ‘आतंकवादी अपराध नियम’ कहा जाता है। रॉलेट एक्ट में राष्ट्रीय आन्दोलन को कुचलने के लिए निम्नलिखित बातें शामिल थीं

(1) रॉलेट एक्ट के अनुसार भारत सरकार को यह अधिकार प्रदान किया गया कि वह किसी भी राजनीतिक आन्दोलन या राज्य के विरुद्ध किये गये किसी भी कार्य का दमन करने में पूर्णतया स्वतन्त्र है।

(2) सरकार बिना मुकदमा चलाये किसी भी व्यक्ति को बन्दी बना सकती थी।

(3) मजिस्ट्रेटों द्वारा किसी भी ऐसे व्यक्ति को जिस पर क्रान्तिकारी होने का सन्देह हो, नजरबन्द किया जा सकता था।

रॉलेट एक्ट का विरोध-रॉलेट एक्ट का देशव्यापी विरोध किया गया। महात्मा गांधी ने भी इस विरोध में सक्रिय भाग लिया और उत्साह के साथ सत्याग्रह आन्दोलन चलाया। 6 अप्रैल को देशव्यापी हड़ताल का निश्चय हुआ। उस दिन जनता ने देश के विभिन्न भागों में जुलूस बनाकर निकाले और रॉलेट एक्ट के विरोध में भारत में राष्ट्रवाद के नारे लगाये। यह ऐसा आन्दोलन था जिसमें अमीर-गरीब, ऊँच-नीच, हिन्दू-मुसलमान सभी एक साथ मिलकर आन्दोलन कर रहे थे।

(घ) असहयोग आन्दोलन का स्थगन-आन्दोलन जिस समय तीव्र गति से चल रहा था उस समय ही एक दुर्घटना हो गयी जिसके कारण गांधीजी को आन्दोलन समाप्त करना पड़ा। 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले में चोरी-चौरा नामक गाँव की उत्तेजित भीड़ ने पुलिस थाने में आग लगा दी। गांधीजी अहिंसात्मक आन्दोलन में विश्वास करते थे। अतः इस हिंसात्मक घटना ने उनके सिद्धान्तों को आघात पहुँचाया। अनेक राष्ट्रीय नेताओं द्वारा मना किये जाने पर भी 11 फरवरी 1922 को उन्होंने अपना आन्दोलन बन्द कर दिया। यह प्रथम आन्दोलन था जिसने राष्ट्रव्यापी रूप धारण किया था। दो दिन के पश्चात् ही ब्रिटिश शासन द्वारा महात्मा गाँधी को 6 वर्ष कारावास का दण्ड दे दिया गया।

प्रश्न 2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है ?

उत्तर-सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था। इसका आशय यह था कि अगर आपका उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए। उत्पीड़क शत्रु को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा के द्वारा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने की बजाय सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस संघर्ष में अन्ततः सत्य की जीत होती है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें

(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड, (ख) साइमन कमीशन।

उत्तर-

(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड-रॉलेट अधिनियम मार्च 1919 में लागू किया गया। विरोध में पूरे देश से आवाज उठी। पंजाब में भी रॉलेट अधिनियम का विरोध हुआ। पंजाब में ब्रिटिश सरकार ने अनेक जगहों पर लाठी-गोली चलवाई। 10 अप्रैल को कांग्रेस के दो प्रभावशाली नेता डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू गिरफ्तार किए गए और उन्हें जेल भेज दिया गया। इन गिरफ्तारियों के विरोध में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल बैसाखी के दिन विरोध सभा हुई। जैसे ही सभा प्रारम्भ हुई जनरल डायर नामक एक सैनिक अधिकारी ने सभा को किसी भी प्रकार की चेतावनी दिये बिना अपने सैनिकों को सभा की भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया। सैनिकों ने भीड़ पर गोली चलायी जिसके परिणामस्वरूप लगभग 800 से अधिक व्यक्ति मारे गये तथा 2000 के लगभग घायल हो गये। जलियाँवाला काण्ड से जनता में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध व्यापक असन्तोष की भावना जागृत हुई। इसके बाद असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हो गया।

(ख) साइमन कमीशन-1927 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 7 सदस्यों का एक कमीशन नियुक्त किया जिसका काम सरकार के सामने यह रिपोर्ट प्रस्तुत करना था कि 1919 ई. का एक्ट कहाँ तक सफल रहा है। इस कमीशन का बहिष्कार इसलिए किया गया, क्योंकि इसमें सभी सदस्य अंग्रेज ये और भारतीयों का इसमें कोई प्रतिनिधि नहीं था। जहाँ यह कमीशन जाता था वहाँ हड़तालें होती थीं, काली अण्डियाँ दिखायी जाती थीं और ‘साइमन लौट जाओ’ का नारा लगाया जाता था। इसी आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए पुलिस की लाठियों के प्रहार से लाला लाजपत राय का निधन हो गया।

प्रश्न 4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।

उत्तर-  भारत माता और जर्मेनिया की छवि की तुलना

चर्चा करें

प्रश्न 1. 1921 में असहयोग आन्दोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुनकर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाइए कि वे आन्दोलन में शामिल क्यों हुए?

उत्तर-असहयोग आन्दोलन-असहयोग आन्दोलन जनवरी 1921 में प्रारम्भ हुआ। इस आन्दोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित थे

(1) शहरी मध्यम वर्ग,

(2) ग्रामीण इलाकों में,

(3) विद्यार्थी वर्ग द्वारा,

(4) वकीलों द्वारा,

(5) जंगलों के आदिवासी समूह,

(6) बागानों में कार्य करने वाले,

(7) हिन्दू-मुस्लिम एकता,

(8) चुनावों का बहिष्कार।

यहाँ हम निम्नलिखित तीन की चर्चा करेंगे

(1) शहरी मध्यम वर्ग-आन्दोलन का प्रारम्भ शहरी-मध्यम वर्ग के साथ हुआ। बहुत बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए। हैडमास्टरों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बन्द कर दिए। मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रान्तों में परिषद् चुनावों में आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर और भी ज्यादा रहा। विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई, और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी।

(2) ग्रामीण इलाकों में – देश के विभिन्न भागों में चले किसानों व आदिवासियों के संघर्ष भी इस आन्दोलन में समा गए। किसानों की माँग थी कि लगान कम किया जाए, बेगार खत्म हो और दमनकारी जमींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए।

कांग्रेस ने अवध के किसान संघर्ष को इस आन्दोलन में शामिल करने का प्रयास किया लेकिन किसानों के आन्दोलन में ऐसे स्वरूप विकसित हो चुके थे जिनसे कांग्रेस का नेतृत्व खुश नहीं था।

1921 में जब आन्दोलन फैला तो तालुकेदारों और व्यापारियों के मकानों पर हमले होने लगे, बाजारों में लूटपाट होने लगी और अनाज के गोदामों पर कब्जा कर लिया गया। बहुत सारे स्थानों पर स्थानीय नेता किसानों को समझा रहे थे कि गांधीजी ने घोषणा कर दी है कि अब कोई लगान नहीं भरेगा और जमीन निर्धनों में बाँट दी जाएगी। गांधीजी का नाम लेकर लोग अपनी सारी कार्यवाहियों और आकांक्षाओं को सही ठहरा रहे थे।

(3) बागानों में कार्य करने वाले-गांधीजी के विचारों और स्वराज की अवधारणा के बारे में श्रमिकों की अपनी समझ थी। असम के बागान श्रमिकों के लिए स्वतन्त्रता का आशय यह था कि वे उन चारदीवारियों से जब चाहे आ-जा सकते हैं जिनमें उनको बन्द करके रखा गया था। उनके लिए आजादी का आशय था कि वे अपने गाँवों से सम्पर्क रख पाएँगे। 1859 के इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट के तहत बागानों में कार्य करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत् बागान से बाहर जाने की छूट नहीं होती थी और यह इजाजत उन्हें कभी-कभी हीभारत में राष्ट्रवाद 19 मिलती थी। जब उन्होंने असहयोग आन्दोलन के बारे में सुना तो हजारों मजदूर अपने अधिकारियों की अवहेलना करने लगे। उन्होंने बागान छोड़ दिए और अपने घर चल दिए। उनको लगता था कि अब गांधी राज आ रहा है इसलिए अब तो हरेक को गाँव में जमीन मिल जाएगी। इस प्रकार बागान मजदूरों ने भी असहयोग आन्दोलन में गांधीजी का साथ दिया।

प्रश्न 2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

उत्तर-नमक यात्रा-भारत को एकजुट करने के लिए गांधीजी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक दिखाई दिया। इसके कारण उन्होंने निम्नलिखित प्रयास किए

(1) गांधीजी ने 31 जनवरी 1930 को वायसराय इरविन को एक खत लिखा। इस खत में उन्होंने 11 माँगों का उल्लेख किया था।

(2) इनमें सबसे महत्वपूर्ण माँग नमक कर को खत्म करने के बारे में थी।

(3) नमक का अमीर-गरीब, सभी उपयोग करते थे। यह भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था। इसीलिए नमक पर कर और उसके उत्पादन पर सरकारी इजारेदारी को गांधीजी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया था।

(4) गांधीजी का यह पत्र एक अल्टीमेटम (चेतावनी) की तरह था। उन्होंने लिखा था कि अगर 11 मार्च तक उनकी माँगें नहीं मानी गईं तो कांग्रेस अवज्ञा आन्दोलन छेड़ देगी। इरविन झुकने को तैयार नहीं या। इसलिए गांधीजी ने अपने 78 विश्वस्त वॉलंटियरों के साथ नमक यात्रा शुरू कर दी।

(5) यह यात्रा साबरमती में गांधीजी के आश्रम से 240 किलोमीटर दूर दांडी नामक गुजराती तटीय कस्बे में जाकर खत्म होनी थी। गांधीजी की टोली ने 24 दिन तक हर रोज लगभग 10 मील का सफर तय किया।

(6) महात्मा गांधी जहाँ भी रुकते हजारों लोग उन्हें सुनने आते। इन सभाओं में गांधीजी ने स्वराज का अर्थ स्पष्ट किया और आह्वान किया कि लोग ब्रिटिश सरकार की शान्तिपूर्वक अवज्ञा करें यानीं अंग्रेजों का कहा न मानें। 6 अप्रैल को वह दांडी पहुँचे और उन्होंने समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया। यह कानून का उल्लंघन था।

अतः स्पष्ट है कि नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

प्रश्न 3. कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी आन्दोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता ?

उत्तर-

(1) सिविल नाफरमानी आन्दोलन में स्त्रियों ने बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया।

(2) गांधीजी के नमक सत्याग्रह के दौरान हजारों स्त्रियाँ उनकी बात सुनने के लिए घर से बाहर आ जाती थी।

(3) महिलाओं ने जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों व शराब की दुकानों की पिकेटिंग की। बहुत सारी महिलाएँ जेल भी गईं।

(4) शहरी इलाकों में ज्यादातर ऊँची जातियों की महिलाएँ सक्रिय थीं जबकि ग्रामीण इलाकों में सम्पन्न किसान परिवारों की महिलाएँ आन्दोलन में हिस्सा ले रही थीं।

(5) मैंने इस आन्दोलन के दौरान अनुभव किया कि, गाँधीजी के आह्वान के बाद महिलाओं को राष्ट्र की सेवा करना अपना पवित्र दायित्व दिखाई देने लगा था।

प्रश्न 4. राजनीतिक नेता पृथक् निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे? उत्तर-राजनीतिक नेता पृथक् निर्वाचिका के सवाल पर निम्नलिखित कारणों से बँटे हुए थे

(1) कांग्रेस ने लम्बे समय तक दलितों पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि कांग्रेस रूढ़िवादी सवर्ण हिन्दू सनातन पंथियों से डरी हुई थी।

(2) अम्बेडकर ने 1930 में दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया। दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों के सवाल पर दूसरे गोलमेज सम्मेलन में गांधीजी के साथ उनका काफी विवाद हुआ।

(3) ब्रिटिश सरकार ने अम्बेडकर की माँग मान ली तो गांधीजी आमरण अनशन पर बैठ गए। उनका मत था कि दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से समाज में उनके एकीकरण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाएगी।

(4) 1920 के दशक के मध्य से कांग्रेस हिन्दू महासभा जैसे हिन्दू धार्मिक राष्ट्रवादी संगठनों के काफी करीब दिखने लगी थी। जैसे-जैसे हिन्दू-मुसलमानों के बीच सम्बन्ध खराब होते गये, दोनों समुदाय उग्र धार्मिक जुलूस निकालने लगे। इससे कई शहरों में हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक टकराव व दंगे हुए। हर दंगे के साथ दोनों समुदायों के बीच फासला बढ़ता गया।

(5) 1930 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष सर मोहम्मद इकबाल ने मुसलमानों के लिए अल्पसंख्यक राजनीतिक हितों की रक्षा के उद्देश्य से पृथक् निर्वाचिका की जरूरत पर एक बार फिर जोर दिया।

(6) मुस्लिम लीग के नेताओं में से एक, मोहम्मद अली जिन्ना का कहना था कि अगर मुसलमानों को केन्द्रीय सभा में आरक्षित सीटें दी जाएँ और मुस्लिम बहुल प्रान्तों (बंगाल और पंजाब) में मुसलमानों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए तो वे मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचिका की माँग छोड़ने के लिए तैयार हैं।

अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

वस्तुनिष्ठ प्रश्न  

बहु-विकल्पी प्रश्न

1. गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे ?

 (i) फरवरी 1911

(ii) जनवरी 1912  

(iii) जनवरी 1915

(iv) फरवरी 1917

उत्तर- (iii) जनवरी 1915

2. दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेदी सरकार से लोहा लेने के लिए गांधीजी ने निम्नलिखित में से किस पद्धति को अपनाया था ?

(i) सत्याग्रह

(ii) प्रार्थना

(iii) जेल भरो आन्दोलन

(iv) भूख हड़ताल।

उत्तर- (i) सत्याग्रह

3. गांधीजी ने साबरमती आश्रम की स्थापना कब की ?

(i) 1915

(ii) 1916

(iii) 1917

(iv) 1920

उत्तर- (ii) 1916

4. गांधीजी ने ‘खिलाफत आन्दोलन’ का समर्थन क्यों किया?

(i) क्योंकि खलीफा भारतीय स्वतन्त्रता संघर्ष का समर्थक था

(ii) क्योंकि गांधीजी अंग्रेजों के विरुद्ध मुसलमानों का समर्थन चाहते थे

(iii) क्योंकि खलीफा भारतीय सभ्यता व संस्कृति के प्रेमी थे

(iv) क्योंकि टर्की ने भारतीय स्वतन्त्रता का समर्थन किया।

उत्तर- (ii) क्योंकि गांधीजी अंग्रेजों के विरुद्ध मुसलमानों का समर्थन चाहते थे

5. रॉलेट एक्ट का उद्देश्य था

(i) सभी हड़तालों को गैर-कानूनी घोषित करना

(ii) आन्दोलनकारियों का दमन करना

(iii) सभी के मध्य समानता स्थापित करना

(iv) उपरोक्त सभी।

उत्तर- (ii) आन्दोलनकारियों का दमन करना

6. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं है ?

(i) देशवासियों को नमक बनाना चाहिए

(ii) विदेशी वस्त्रों की होली जलाई जाए

(iii) हिंसात्मक साधनों से कानूनों का उल्लंघन किया जाए

(iv) शराब की दुकानों पर धरना दिया जाए।

उत्तर- (iii) हिंसात्मक साधनों से कानूनों का उल्लंघन किया जाए

7. गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग का कार्यक्रम अपनाया गया

(i) 1908 में

(ii) 1912 में

(iii) 1918 में

(iv) 1920 में।

उत्तर- (iv) 1920 में।

8. दिसम्बर 1929 में हुए लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष थे

(i) मोतीलाल नेहरू

(ii) पं. जवाहरलाल नेहरू

(iii) महात्मा गांधी

(iv) मौलाना आजाद

उत्तर- (ii) पं. जवाहरलाल नेहरू

9. किस स्थान पर महात्मा गांधी द्वारा आयोजित ‘नमक-मार्च’ समाप्त हुआ?

(i) दांडी

(ii) सूरत

(iii) साबरमती

(iv) पूना।

उत्तर- (i) दांडी

10. निम्नलिखित में से किस (पैक्ट) ने दलितों के लिए आम मतदाताओं द्वारा निर्वाचित काउंसिलों में स्थान आरक्षित किए

(i) पूना पैक्ट, सितम्बर 1932

(ii) गाँधी-इरविन पैक्ट

(iii) लखनऊ पैक्ट

(iv) नागपुर पैक्ट

उत्तर- (i) पूना पैक्ट, सितम्बर 1932

रिक्त स्थान पूर्ति

1 ………….. की जनगणना के अनुसार दुर्भिक्ष और महामारी के कारण 120-130 लाख लोग मारे गए।

2. गाँधीजी ने 1919 में प्रस्तावित ………….. के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन चलाने का फैसला किया।

3. मार्च 1919 में बम्बई में एक ………….. का गठन किया गया था।

4. असहयोग-खिलाफत आन्दोलन ………….. में शुरू हुआ।

5. 1928 में क्रान्तिकारियों ने ………. का गठन किया।

6. गाँधीजी ने ………….. को वायसराय इरविन को एक खत लिखा।

7. महात्मा गाँधी ने अपने …………… विश्वस्त वॉलंटियरों के साथ नमक यात्रा शुरू कर दी।

8. गाँधीजी ने …………. को इरविन के साथ एक समझौते पर दस्तखत कर दिए।

उत्तर- 1. 1921, 2. रॉलेट एक्ट, 3. खिलाफत समिति, 4. जनवरी 1921, 5. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एच.एस.आर.ए.), 6.31 जनवरी 1930, 7. 78, 8.5 मार्च 1931 ।  

सत्य/असत्य

1. 1913 से 1918 के बीच कीमतें आधी रह गई थीं।

2. गांधीजी ने 1917 में बिहार के चंपारन इलाके का दौरा किया।

3. 13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ।

4. 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात दुगना हो गया।

5. 1928 में गांधीजी ने गुजरात के बारदोली तालुका में किसान आन्दोलन का नेतृत्व किया।

6. दिसम्बर 1929 में लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस पूर्ण स्वराज’ की माँग को स्वीकार कर लेती है।

7. सिविल नाफरमानी आन्दोलन में छात्रों ने बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया।

उत्तर- 1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. असत्य, 6. सत्य, 7. असत्य।

सही जोड़ी मिलाइए  

उत्तर- 1.→ (ग), 2. → (घ), 3. → (ङ),4. → (क), 5. → (ख)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. रॉलेट अधिनियम कब लागू हुआ ?

2. राष्ट्रीय आन्दोलन में पूर्ण स्वाधीनता दिवस किस दिन मनाया गया था ?

3. ‘साइमन कमीशन’ के अध्यक्ष कौन थे?

4. किस क्रान्तिकारी ने पंजाब के पूर्व गवर्नर की गोली मारकर हत्या कर दी थी ?

5. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन को स्वीकृति प्रदान की गई ?

6. उस कारण को बताइए जिसके कारण गांधीजी को 1919 में सत्याग्रह शुरू करना पड़ा।

7. किस आन्दोलन में महिलाओं ने पहली बार बड़ी संख्या में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया ?

8. आनन्दमठ उपन्यास किसने लिखा था ?

उत्तर – 1. मार्च 1919 में, 2. 26 जनवरी 1930, 3. सर जॉन साइमन, 4. ऊधम सिंह, 5. नागपुर अधिवेशन, 6. रॉलेट एक्ट, 7. सविनय अवज्ञा आन्दोलन, 8. बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. असहयोग आन्दोलन अचानक क्यों स्थगित हो गया ?

उत्तर-असहयोग आन्दोलन का स्थगन-5 फरवरी सन् 1922 को गोरखपुर के निकट चौरी-चौरा गाँव में पुलिस ने भीड़ पर गोली चलायी। जब उसका गोला-बारूद समाप्त हो गया तो पुलिसजनों ने अपने को थाने में बन्द कर लिया। भीड़ ने थाने में आग लगा दी, जिससे 22 सिपाही जलकर मर गये। गांधीजी अहिंसात्मक आन्दोलन में विश्वास करते थे। अत: इस हिंसात्मक घटना से उन्हें आघात लगा और उन्होंने असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया।

प्रश्न 2. खिलाफत और असहयोग आन्दोलन के क्या लक्ष्य थे?

उत्तरखिलाफत आन्दोलन-प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद टर्की के साथ जो अन्यायपूर्ण व्यवहार किया गया था, उस पर वहाँ खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ हुआ। इसके समर्थन में भारत के अली भाइयों (मोहम्मद अली और शौकत अली) ने खिलाफत आन्दोलन आरम्भ किया।

असहयोग आन्दोलन-कांग्रेस ने 1920 में गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग का नया कार्यक्रम अपनाया। जलियाँवाला बाग का हत्याकाण्ड, रॉलेट एक्ट का विरोध, ब्रिटिश सरकार की वादा-खिलाफी का विरोध और स्वराज की प्राप्ति, यह असहयोग आन्दोलन के उद्देश्य थे।

प्रश्न 3. साइमन कमीशन का बहिष्कार क्यों किया गया ?

उत्तर-साइमन कमीशन का बहिष्कार इसलिए किया गया, क्योंकि इसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे और भारतीयों का इसमें कोई प्रतिनिधि नहीं था।

प्रश्न 4. पूर्ण स्वराज्य के लक्ष्य को कब और कहाँ स्वीकार किया गया ?

अथवा

1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की थी? इसमें कौन-सा महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया ?

उत्तर-दिसम्बर 1929 में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में जो कि लाहौर में हुआ, इसके अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे। यहाँ कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य को अपना लक्ष्य स्वीकार किया और इसकी प्राप्ति के लिए गांधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का फैसला किया।

प्रश्न 5. रॉलेट एक्ट क्या था?

उत्तर-यह एक ऐसा कानून था जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना अभियोग चलाये अनिश्चित समय तक जेल में डाला जा सकता था। यह सन् 1919 में पारित हुआ था। रॉलेट एक्ट का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय आन्दोलनों को कुचलना था। अत: गांधीजी ने इस एक्ट का व्यापक विरोध किया।

प्रश्न 6. ‘बहिष्कार’ से क्या आशय है ?

उत्तर-बहिष्कार किसी के साथ सम्पर्क रखने और जुड़ने से इन्कार करना या गतिविधियों में हिस्सेदारी, चीजों की खरीद व प्रयोग से इन्कार करना। आमतौर पर यह विरोध का एक रूप होता है।

प्रश्न 7. पिकेटिंग का क्या अर्थ है ?

उत्तर-पिकेटिंग प्रदर्शन या विरोध का ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।

प्रश्न 8. गिरमिटिया मजदूर किन्हें कहा जाता था ?

उत्तर-औपनिवेशिक शासन के दौरान बहुत सारे लोगों को कार्य करने के लिए फिजी, गयाना, वेस्टइंडीज आदि स्थानों पर ले जाया गया था जिन्हें बाद में गिरमिटिया कहा जाने लगा। उनहें एक एग्रीमेंट के तहत ले जाया जाता था। बाद में इसी एग्रीमेंट को ये मजदूर गिरमिट कहने लगे जिससे आगे चलकर इन मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा।

प्रश्न 9. बारदोली सत्याग्रह’ के बारे में बताइए।

उत्तर-बारदोली सत्याग्रह-1928 में वल्लभभाई पटेल ने गुजरात के बारदोली तालुका में किसान आन्दोलन का नेतृत्व किया, जो कि भू-राजस्व को बढ़ाने के खिलाफ था। यह बारदोली सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है और यह आन्दोलन वल्लभभाई पटेल के सक्षम नेतृत्व के तहत सफल रहा। इस संघर्ष का प्रचार व्यापक रूप से हुआ और इसे भारत के कई हिस्सों में अत्यधिक सहानुभूति प्राप्त हुई।

प्रश्न 10. लाला लाजपत राय का देहान्त किस प्रकार हुआ?

उत्तर-साइमन कमीशन के खिलाफ शान्तिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश पुलिस ने लाला लाजपत राय पर हमला किया। प्रदर्शन के दौरान मिले गहरे जख्मों के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्रथम विश्व युद्ध ने भारत में किस प्रकार से एक नई आर्थिक स्थिति पैदा की ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-प्रथम विश्व युद्ध ने भारत की अर्थव्यवस्था को निम्न प्रकार प्रभावित किया

(1) प्रथम विश्व युद्ध के कारण रक्षा व्यय में भारी बढ़ोत्तरी हुई। इस खर्चे की भरपाई करने के लिए युद्ध के नाम पर कर्जे लिए गए और करों में वृद्धि की गई। सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया और आयकर शुरू किया गया।

(2) युद्ध के दौरान कीमतें तेजी से बढ़ रही थीं। 1913 से 1918 के बीच कीमतें दो गुना हो चुकी थीं जिसके कारण आम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई थीं।

(3) 1918-19 और 1920-21 में देश के बहुत सारे हिस्सों में फसल खराब हो गई जिसके कारण खाद्य पदार्थों का भारी अभाव पैदा हो गया।

प्रश्न 2. भारत पहुँचने के बाद गांधीजी ने विभिन्न स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन को सफलतापूर्वक कैसे चलाया ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-भारत आने के बाद गांधीजी ने कई स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया।

(1) गांधीजी ने 1917 में बिहार के चंपारन इलाके का दौरा किया और दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।

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