MP Board Class 10th History Chapter 1 : यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

इतिहास – भारत और समकालीन विश्व-II (History: India and The Contemporary World – II )

Chapter 1 : यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के साथ हुई।
  • फ्रांस में 1804 की नागरिक संहिता जिसे आमतौर पर नेपोलियन की संहिता के नाम से जाना जाता है, ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे।
  • 1797 में नेपोलियन का इटली पर हमला; नेपोलियाई युद्धों की शुरूआत।  
  • 1814-15 में नेपोलियन का पतन, वियना शांति सन्धि ।
  • 1821 में यूनानी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष प्रारम्भ।  
  • 1848 में फ्रांस क्रान्ति।
  • 1859-1870 इटली का एकीकरण व 1866-1871 में जर्मनी का एकीकरण।  
  • 1834 में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन स्थापित किया गया जिसमें अधिकांश जर्मन राज्य शामिल हो गए।
  • 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी।
  • 18 मई 1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सजे-धजे जुलूस में जाकर फ्रेंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया।
  • जनवरी 1871 में, वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।
  • 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया।
  • ब्रितानी द्वीपसमूह में रहने वाले लोगों-अंग्रेज, वेल्स, स्कॉट या आयरिश की मुख्य पहचान नृजातीय (Ethnic) थी।
  • इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन (1707) से ‘यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ।
  • 1801 में आयरलैण्ड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में शामिल कर लिया गया।
  • 10 मरीआन का चिह्न भी स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे-लाल टोपी, तिरंगा और कलगी।
  • 1871 के बाद यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का स्रोत बाल्कन क्षेत्र था।
  • रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रो-हंगरी की हर ताकत बाल्कन पर अन्य शक्तियों की पकड़ को कमजोर करके क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहती थीं। इससे इस इलाके में कई युद्ध हुए और अंततः प्रथम विश्व युद्ध हुआ।

पाठान्त अभ्यास प्रश्न

संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें

(क) ज्युसेपे मेसिनी,

(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर,

(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध,

(घ) फ्रैंकफर्ट संसद,

(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका।

उत्तर-

(क) ज्युसेपे मेत्सिनी – ज्युसेपे इटली का एक क्रांतिकारी था। इसका जन्म 1807 में जेनोआ में हुआ था और वह कार्बोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया। मेत्सिनी ने भूमिगत संगठनों की स्थापना की। पहला था मार्सेई में यंग इटली और दूसरा बर्न में यंग यूरोप, जिसके सदस्य पोलैण्ड, फ्रांस, इटली और जर्मन राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे। मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी। अत: इटली छोटे राज्यों और प्रदेशों के पैबंदों की तरह नहीं रह सकता था। उसे जोड़कर राष्ट्रों के व्यापक गठबंधन के अंदर एकीकृत गणतंत्र बनाना ही था। यह एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था। उनके इस मॉडल की देखा-देखी जर्मनी, फ्रांस, स्विटजरलैण्ड और पोलैण्ड में गुप्त संगठन स्थापित किए गए। मेत्सिनी द्वारा राजतंत्र का घोर विरोध करके और प्रजातांत्रिक गणतंत्रों के अपने स्वप्न से मेत्सिनी ने रूढ़िवादियों को हरा दिया।

(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर – इटली के स्वतंत्रता आन्दोलन के द्वितीय चरण को सफल बनाने वाला व्यक्ति काउंट कैमिलो दे कावूर था। विक्टर इमेनुएल ने 1852 ई. में कावूर को सार्जीनिया-पीडमॉण्ट का प्रधानमंत्री बनाया। मंत्री प्रमुख कावूर, जिसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आन्दोलनों का नेतृत्व किया, न तो एक क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखने वाला। इतालवी अभिजात वर्ग के तमाम अमीर और शिक्षित सदस्यों की तरह वह इतालवी भाषा से कहीं बेहतर फ्रेंच बोलता था। फ्रांस से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट की एक चतुर कूटनीतिक संधि, जिसके पीछे कावूर का हाथ था, से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट 1859 में ऑस्ट्रियाई वालों को हरा पाने में कामयाब हुआ। 6 जून 1861 ई. को कावूर की मृत्यु हो गई। किन्तु वह अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहा, क्योंकि फरवरी 1861 ई. में इटली की संसद ने विक्टर इमेनुअल को ‘इटली का सम्राट’ घोषित किया।

(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध – पन्द्रहवीं सदी से यूनान ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। यूरोप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनानियों का स्वतंत्रता के लिए संघर्ष 1821 में आरम्भ हो गया। यूनान में राष्ट्रवादियों को निर्वासन में रह रहे यूनानियों के साथ पश्चिमी यूरोप के अनेक लोगों का भी समर्थन मिला जो प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखते थे। कवियों और कलाकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का पालना बताकर प्रशंसा की और एक मुस्लिम साम्राज्य के विरुद्ध यूनान के संघर्ष के लिए जनमत जुटाया। ब्रिटिश कवि लॉर्ड बायरन ने धन एकत्र किया और बाद में युद्ध में लड़ने भी गए जहाँ 1824 में बुखार से उनका देहान्त हो गया। अंतत: 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी।

(घ) फैकफर्ट संसद –जर्मन इलाकों में बड़ी संख्या में राजनीतिक संगठनों ने फ्रैंकफर्ट शहर में मिलकर एक सर्व-जर्मन नेशनल एसेंबली के पक्ष में मतदान का फैसला किया। 18 मई 1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सजे-धजे जुलूस में जाकर फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया। यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई। उन्होंने जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरिक विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाने की पेशकश की तो उसने उसे मना कर उन राजाओं का साथ दिया जो निर्वाचित सभा के विरोधी थे। जहाँ कुलीन वर्ग और सेना का विरोध बढ़ गया, वहीं संसद का सामाजिक आधार कमजोर हो गया। संसद में मध्य वर्गों का प्रभाव अधिक था जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों की माँगों का विरोध किया जिससे वे उनका समर्थन खो बैठे।

(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका – उदारवादी आन्दोलनों के अन्तर्गत महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा विवादास्पद या हालाँकि आन्दोलन में वर्षों से बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया था। महिलाओं ने अपने राजनीतिक संगठन स्थापित किए, अखबार शुरू किए और राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनों में भाग लिया। उन्हें एसेंबली के चुनाव के दौरान मताधिकार से वंचित रखा गया था। सेंट पॉल चर्च में फ्रैंकफर्ट संसद की सभा आयोजित की गई थी तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की हैसियत से दर्शक-दीर्घा में खड़े होने का अवसर दिया गया।

प्रश्न 2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए ?

उत्तर-राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 में फ्रांसीसी क्रान्ति के साथ हुई। प्रारम्भ से ही फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने ऐसे अनेक कदम उठाए जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा हो सकती थी।

(1) पितृभूमि (la patrie) और नागरिक (le citoyen) जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया जिसे एक संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।

(2) एक नया फ्रांसीसी झंडा-तिरंगा (the tricolour) चुना गया जिसने पहले के राजध्वज की जगह ले ली।

(3) इस्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदलकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।

(4) नयी स्तुतियाँ रची गईं, शपथें ली गईं, शहीदों का गुणगान हुआ और यह राष्ट्र के नाम पर हुआ।

(5) एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसने अपने भू-भाग में रहने वाले नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।

(6) आन्तरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और भार नापने की एकसमान प्रणाली लागू की गई।

(7) क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया और पेरिस में फ्रेंच जैसी बोली और लिखी जाती थी, वही राष्ट्र की साझा भाषा बन गई।

प्रश्न 3. मरीआन और जर्मेनिया कौन थे ? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था?

उत्तर— फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान कलाकारों ने स्वतन्त्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग किया। इन आदर्शों को विशेष वस्तुओं या प्रतीकों से व्यक्त किया गया था। इसी प्रकार के नारी रूपकों का आविष्कार कलाकारों ने उन्नीसवीं सदी में किया।

मरीआन – मरीआन की प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौकों पर लगाई गईं ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और लोग उससे तादात्म्य स्थापित कर सकें। उसके चिह्न भी स्वतन्त्रता और गणतन्त्र के थे-लाल टोपी, तिरंगा और कलगी। मरीआन की छवि सिक्कों और डाक टिकटों पर अंकित की गई।

जर्मेनिया-जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है। जर्मेनिया की तलवार पर खुदा हुआ है ‘जर्मन तलवार जर्मन राइन की रक्षा करती है’। काला, लाल और सुनहरा तिरंगा, 1848 में उदारवादी-राष्ट्रवादियों का झंडा, जिसे जर्मन राज्यों के ड्यूक्स ने प्रतिबन्धित कर दिया। उगते सूर्य की किरणें, एक नए युग का सूत्रपात दर्शाता है।

प्रश्न 4. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।

उत्तर— जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है

(1) राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्यवर्गीय जर्मन लोगों में काफी व्याप्त थीं और उन्होंने 1848 में जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया था। मगर राष्ट्र निर्माण की यह उदारवादी पहल राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दी।

(2) प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व संभाल लिया। उसका प्रमुख मंत्री ऑटो बॉन बिस्मार्क इस प्रक्रिया का जनक था।

(3) सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।

(4) जनवरी 1871 में, वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।

(5) 18 जनवरी, 1871 की सुबह, जर्मन राज्यों के राजकुमारों, सेना के प्रतिनिधियों और प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क समेत प्रशा के महत्त्वपूर्ण मंत्रियों की एक बैठक हुई। सभा ने प्रशा के काइजर विलियम प्रथम के नेतृत्व में नए जर्मन साम्राज्य की घोषणा की।

प्रश्न 5. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए ?

उत्तर— अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्न बदलाव किए

(1) नेपोलियन के नियन्त्रण में जो विशाल क्षेत्र आया, वहाँ उसने ऐसे अनेक सुधारों की शुरूआत की जिन्हें फ्रांस में पहले ही शुरू किया जा चुका था। फ्रांस में राजतंत्र वापस लाकर नेपोलियन ने प्रजातंत्र को नष्ट किया था। मगर प्रशासनिक क्षेत्र में उसने क्रान्तिकारी सिद्धान्तों का समावेश किया जिससे सम्पूर्ण व्यवस्था अधिक तर्कसंगत और कुशल बन सके।

(2) 1804 की नागरिक संहिता, जिसे आमतौर पर नेपोलियन संहिता के नाम से जाना जाता है, ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे।

(3) नेपोलियन ने कानून के समक्ष बराबरी और सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।

(4) डच गणतन्त्र, स्विट्जरलैंड, इटली और जर्मनी में नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, सामंती व्यवस्था को समाप्त किया और किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई।

(5) शहरों में भी कारीगरों के श्रेणी-संघों के नियन्त्रणों को हटा दिया गया। यातायात और संचार-व्यवस्थाओं को सुधारा गया।

चर्चा करें

प्रश्न. 1. उदारवादियों की 1848 की क्रान्ति का क्या अर्थ लगाया जाता है ? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया ?

उत्तर–1848 में जब अनेक यूरोपीय राष्ट्रों में निर्धनता, बेरोजगारी और भुखमरी से ग्रस्त किसान-मजदूर विद्रोह कर रहे थे, तब उसके समानान्तर पढ़े-लिखे मध्य वर्गों की एक क्रान्ति भी हो रही थी। उदारवादियों ने अग्रलिखित राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय 5 (1) फरवरी 1848 की घटनाओं से राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी थी और एक गणतन्त्र की घोषणा की गई जो सभी पुरुषों के सार्विक मताधिकार पर आधारित था।

(2) यूरोप के अन्य भागों में जहाँ अभी तक स्वतन्त्र राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में नहीं आए थे; जैसे-जर्मनी, इटली, पोलैण्ड, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य। वहाँ के उदारवादी मध्य वर्गों के स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग में जोड़ दिया। .

(3) उदारवादियों ने बढ़ते जन-असन्तोष का लाभ उठाया और एक राष्ट्र-राज्य निर्माण की माँग को आगे बढ़ाया।

(4) राष्ट्र राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की आजादी जैसे संसदीय सिद्धांतों पर आधारित था।

(5) उदारवादी आन्दोलन के अन्तर्गत महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा विवादास्पद था, हालाँकि आन्दोलन में वर्षों से बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया था।

।(6) उदारवादियों के प्रयासों से अधिकतर यूरोपीय राष्ट्रों में भू-दासत्व व बंधुआ मजदूरी समाप्त कर दी गई।

प्रश्न 2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।

उत्तर-राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्धों और क्षेत्रीय विस्तार से नहीं हुआ। राष्ट्र के विचार के निर्माण में संस्कृति ने एक अहम भूमिका निभाई। कला, काव्य, कहानियों-किस्सों और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को गढ़ने और व्यक्त करने में सहयोग दिया। यहाँ निम्न उदाहरणों का उल्लेख है

(1) रूमानीवाद-रूमानीवाद एक ऐसा सांस्कृतिक आन्दोलन था जो एक विशेष प्रकार की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था। साधारण तौर पर रूमानी कलाकारों और कवियों ने तर्क-वितर्क और विज्ञान के महिमामंडन की आलोचना की और उसकी जगह भावनाओं की अन्तर्दृष्टि और रहस्यवादी भावनाओं पर जोर दिया। उनका प्रयास था कि एक साझा-सामूहिक विरासत की अनुभूति और एक साझा सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाया जाए।

(2) योहान गॉटफ्रीड-जर्मन दार्शनिक योहान गॉटफ्रीड जैसे चिंतकों ने दावा किया कि सच्ची जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों में निहित थी। राष्ट्र (Volkgeist) की सच्ची आत्मा लोकगीतों, जन-काव्य और लोकनृत्यों से स्पष्ट होती थी। इसलिए लोक संस्कृति के इन स्वरूपों को एकत्र और अंकित करना राष्ट्र के निर्माण की परियोजना के लिए आवश्यक था। स्थानीय बोलियों पर जोर और स्थानीय लोक-साहित्य को एकत्र करने का उद्देश्य केवल प्राचीन राष्ट्र भावना को वापस लाना नहीं था बल्कि आधुनिक राष्ट्रीय संदेश को ज्यादा लोगों तक पहुँचाना था जिनमें से अधिकांश निरक्षर थे।

(3) पोलैण्ड-अठारहवीं सदी के आखिर में रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया जैसी बड़ी शक्तियों ने पोलैण्ड का विभाजन कर दिया था। यद्यपि पोलैण्ड अब स्वतन्त्र भू-क्षेत्र नहीं था किन्तु संगीत और भाषा के द्वारा राष्ट्रीय भावना जीवित रखी गई। मसलन, कैरोल कुर्पिस्की ने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने ऑपेरा और संगीत से गुणगान किया और पोलेनेस और माजुरका जैसे लोकनृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीकों में बदल दिया।

प्रश्न 3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए ?

उत्तर–उन्नीसवीं सदी में जर्मनी तथा इटली प्रमुख रूप से विकसित हुए, जिनका विवरण निम्न प्रकार है

(i) जर्मनी –

(1) राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्यवर्गीय जर्मन लोगों में काफी व्याप्त थीं और उन्होंने 1848 में जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया था।

(2) किन्तु राष्ट्र निर्माण की यह उदारवादी पहल राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दी। उनका प्रशा के बड़े भूस्वामियों (Junkers) ने भी समर्थन किया। उसके पश्चात् प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व सँभाल लिया। उसका प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क इस प्रक्रिया का जनक था जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद की। (3) सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई। जनवरी 1871 में, वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।

(4) जर्मनी में राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया ने प्रशा राज्य की शक्ति के प्रभुत्व को दर्शाया था। नए राज्य ने जर्मनी की मुद्रा, बैंकिंग और कानूनी तथा न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर काफी जोर दिया और प्रशा द्वारा उठाए कदम और उसकी कार्यवाहियाँ बाकी जर्मन के लिए एक मॉडल बना।

(ii) इटली  –

(1) इटली अनेक वंशानुगत राज्यों तथा बहु-राष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा हुआ था। उन्नीसवीं सदी के मध्य में इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था जिनमें से केवल एक-सार्डिनिया-पीडमॉण्ट में एक इतालवी राजघराने का शासन था। उत्तरी भाग ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्गों के अधीन था, मध्य इलाकों पर पोप का शासन था और दक्षिणी क्षेत्र स्पेन के बूढे राजाओं के अधीन थे।

(2) 1830 के दशक में ज्युसेपे मेत्सिनी ने एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कोशिश की थी। उसने अपने उद्देश्यों के प्रसार के लिए यंग इटली नामक एक गुप्त संगठन भी बनाया था।

(3) 1831 और 1848 में क्रान्तिकारी विद्रोहों की असफलता से युद्ध के जरिए इतालवी राज्यों को जोड़ने का उत्तरदायित्व सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय पर आ गया। इस क्षेत्र के शासक अभिजात वर्ग की नजरों में एकीकृत इटली उनके लिए आर्थिक विकास और राजनीतिक प्रभुत्व की संभावनाएँ उत्पन्न करता था।

(4) फ्रांस से सार्डिनिया – पीडमॉण्ट की एक चतुर कूटनीतिक संधि, जिसके पीछे काबूर का हाथ था, से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट 1859 में ऑस्ट्रियाई बलों को हरा पाने में कामयाब हुआ। नियमित सैनिकों के अलावा ज्युसेपे गैरीबॉल्डी के नेतृत्व में भारी संख्या में सशस्त्र स्वयंसेवकों ने इस युद्ध में हिस्सा लिया।

(5) 1860 में वे दक्षिण इटली और दो सिसिलियों के राज्य में प्रवेश कर गए और स्पेनी शासकों को हटाने के लिए स्थानीय किसानों का समर्थन पाने में सफल रहे। 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया।

प्रश्न 4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था ?

उत्तर— ब्रिटेन में राष्ट्र-राज्य का निर्माण अचानक हुई कोई उथल-पुथल या क्रान्ति का परिणाम नहीं था। यह एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया का नतीजा था। इस प्रकार ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप से भिन्न था। इसके निम्नलिखित कारण थे

(1) ब्रितानी द्वीपसमूह में रहने वाले लोगों  – अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश की मुख्य पहचान नृजातीय (ethnic) थी। इन सभी जातीय समूहों की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परम्पराएँ थीं। लेकिन जैसे-जैसे आंग्ल राष्ट्र की धन-दौलत, अहमियत और सत्ता में वृद्धि हुई वह द्वीपसमूह के अन्य राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सफल हुआ।

(2) एक लम्बे टकराव और संघर्ष के बाद आंग्ल संसद ने 1688 में राजतंत्र से ताकत छीन ली थी। इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र-राज्य का निर्माण हुआ जिसके केन्द्र में इंग्लैण्ड था।

(3) इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन (1707) से ‘यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ। इससे इंग्लैण्ड व्यवहार में स्कॉटलैण्ड पर अपना प्रभुत्व जमा पाया। इसके बाद ब्रितानी संसद में आंग्ल सदस्यों का दबदबा रहा। एक ब्रितानी पहचान के विकास का अर्थ यह हुआ कि स्कॉटलैण्ड की खास संस्कृति और राजनीतिक संस्थानों को योजनाबद्ध तरीके से दबाया गया।

(4) आयरलैण्ड कैथलिक और प्रोटेस्टेंट धार्मिक गुटों में गहराई में बँटा हुआ था। अंग्रेजों ने आयरलैण्ड में प्रोटेस्टेंट धर्म मानने वालों को बहुसंख्यक कैथलिक देश पर प्रभुत्व बढ़ाने में सहायता की। ब्रितानी प्रभावी के विरुद्ध हुए कैथलिक विद्रोह को निमर्मता से कुचल दिया गया।

(5) वोल्फ टोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमैन (1798) की अगुवाई में हुए असफल विद्रोह के बाद 1801 में आयरलैण्ड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में शामिल कर लिया गया। यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय 7

(6) एक नए ‘ब्रितानी राष्ट्र’ का निर्माण किया गया जिस पर हावी आंग्ल संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया गया। नए ब्रिटेन के प्रतीक-चिह्नों, ब्रितानी झंडा (यूनियन जैक) और राष्ट्रीय गान (गॉड सेव अवर नोबल किंग) को बढ़ावा दिया गया और पुराने राष्ट्र इस संघ में मातहत सहयोगी के रूप में ही रह गए।

प्रश्न 5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा ?

उत्तर-बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव पनपने के निम्नलिखित कारण थे

(1) 1871 के बाद यूरोप में गम्भीर राष्ट्रवादी तनाव का स्रोत बाल्कन क्षेत्र था। इस क्षेत्र में भौगोलिक और जातीय भिन्नता थी। इसमें आधुनिक रोमानिया, बुल्गेरिया, अल्बेनिया, यूनान, मेसिडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मॉन्टिनिग्रो शामिल थे। क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर स्लाव पुकारा जाता था।

(2) बाल्कन क्षेत्र का एक बड़ा भाग ऑटोमन साम्राज्य के नियन्त्रण में था। बाल्कन क्षेत्र में रूमानी राष्ट्रवाद के विचारों के फैलने और ऑटोमन साम्राज्य के विघटन से स्थिति काफी विस्फोटक हो गई।

(3) उन्नीसवीं सदी में ऑटोमन साम्राज्य ने आधुनिकीकरण और आन्तरिक सुधारों के जरिए मजबूत बनाना चाहा था किन्तु इसमें इसे बहुत कम सफलता मिली। एक के बाद एक उसके अधीन यूरोपीय राष्ट्रीयताएँ उसके चंगुल से निकल कर स्वतंत्रता की घोषणा करने लगीं। बाल्कन लोगों ने आजादी या राजनीतिक अधिकारों के अपने दावों को राष्ट्रीयता का आधार दिया।

(4) जैसे-जैसे विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान और स्वतन्त्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश की, बाल्कन क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र बन गया। बाल्कन राजा एक-दूसरे से बहुत ईर्ष्या करते थे और हर एक राज्य अपने लिए ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र हड़पने की उम्मीद करता था। परिस्थितियाँ और अधिक जटिल इसलिए हो गईं क्योंकि बाल्कन क्षेत्र में बड़ी शक्तियों के मध्य प्रतिस्पर्धा होने लगी।

(5) इस समय यूरोपीय शक्तियों के मध्य व्यापार और उपनिवेशों के साथ नौसैनिक और सैन्य शक्ति के लिए प्रतिस्पर्धा थी। रूस, जर्मनी, इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रो-हंगरी की हर ताकत बाल्कन पर अन्य शक्तियों की पकड़ को कमजोर करके क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहती थीं। इससे इस क्षेत्र में कई युद्ध हुए और परिणामस्वरूप प्रथम विश्व युद्ध हुआ।

अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

वस्तुनिष्ठ प्रश्न  

बहु-विकल्पीय

प्रश्न 1. फ्रेड्रिक सॉरयू कहाँ के कलाकार थे ?

(i) संयुक्त राज्य अमेरिका

(ii) फ्रांस

(iii) स्विट्जरलैण्ड

(iv) आयरलैण्ड।

उत्तर- (ii) फ्रांस

2. ‘विश्व कोश’ नामक ग्रंथ की रचना किसने की थी ? –

(i) दिदरो

(ii) नेकर

(ii) रूसो

(iv) वॉल्टेयर।

उत्तर- (i) दिदरो

3. जर्मनी के एकीकरण की आधारशिला किसने तैयार की ?

(i) नेपालियन III

(ii) विलियम प्रथम

(iii) विस्मार्क

(iv) नेपोलियन बोनापार्ट।

उत्तर- (iv) नेपोलियन बोनापार्ट।

4. राष्ट्रवाद को चित्रों के माध्यम से दर्शाने वाला निम्नलिखित में से कौन है ?

(i) इमेनुएल II

(ii) हैब्सबर्ग

(iii) फ्रेड्रिक सॉरयू

(iv) मेत्सिनी।

उत्तर- (iii) फ्रेड्रिक सॉरयू

5. निम्नलिखित में से किस देश को सभ्यता का पालना कहा जाता है ?

(i) यूनान

(ii) फ्रांस

(iii) इटली

(iv) इंग्लैण्ड।

उत्तर- (i) यूनान

6. 1832 में कुस्तुनतुनिया की सन्धि ने किस राष्ट्र की स्वतन्त्रता को मान्यता दी ?

(i) टर्की

(ii) इटली

(iii) फ्रांस

(iv) यूनान।

उत्तर- (iv) यूनान।

7. मैटरनिख ने किसको सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया ?

(i) मेत्सिनी

(ii) गैरीबॉल्डी

(iii) विक्टर इमेनुएल

(iv) काउंट कावूर।

उत्तर- (i) मेत्सिनी

8. फ्रांस में किसकी छवि सिक्कों और डाक टिकटों पर अंकित की गई?

(i) गैरीबॉल्डी

(ii) किंग विक्टर

(iii) मरीआन

(iv) जर्मेनिया।

उत्तर- (iii) मरीआन

9. आँखों पर पट्टी बाँधे हुए और तराजू लिए हुए महिला किस बात का प्रतीक है ?

(i) न्याय

(ii) स्वतंत्रता

(iii) शान्ति

(iv) साक्षरता।

उत्तर- (i) न्याय

10. एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए एक कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कोशिश किसने की ?

(i) कावूर

(ii) मेत्सिनी

(iii) विक्टर इमेनुएल

(iv) गैरीबॉल्डी।

उत्तर- (ii) मेत्सिनी

रिक्त स्थान पूर्ति

1. फ्रांसीसी कलाकार फ्रेड्रिक सॉरयू ने ……….. चित्रों की एक श्रृंखला बनाई।

2. राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति सन् …………. में फ्रांसीसी क्रांति के साथ हुई।

3. 1804 की नागरिक संहिता जिसे आमतौर पर ………..’ की संहिता के नाम से जाना जाता है।

4. गालीसिया में कुलीन वर्ग …………… भाषा बोलता था।

5. 1834 में प्रशा की पहल पर एक ……………जॉलवेराइन स्थापित किया गया।

6. रूमानीवाद एक ऐसा सांस्कृतिक आन्दोलन था जो एक खास तरह की …………… का विकास करना चाहता था।

7. प्रशा ने ………… के नेतृत्व में नए जर्मन साम्राज्य की घोषणा की।

8. ब्रितानी द्वीपसमूह में रहने वाले लोगों-अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश की मुख्य पहचान …………….थी।

9. 1801 में आयरलैण्ड को बलपूर्वक ……….. में शामिल कर लिया गया।

10. 1871 के बाद यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का स्रोत …………… क्षेत्र था।

उत्तर -1. चार, 2. 1789, 3. नेपोलियन, 4. पोलिश, 5. शुल्क संघ, 6. राष्ट्रीय भावना, 7. काइजर विलियम प्रथम, 8. नृजातीय (ethnic), 9. यूनाइटेड किंग्डम, 10. बाल्कन।

सत्य/असत्य

1. फ्रांस में राजतंत्र वापस लाकर नेपोलियन ने प्रजातन्त्र को नष्ट किया था।

2. हैब्सबर्ग साम्राज्य प्रारम्भ से ही अखण्ड साम्राज्य था।

3. इंग्लैण्ड में औद्योगीकरण अठारहवीं सदी के दूसरे भाग में आरम्भ हुआ।

4. 1820 में वियना संधि (Treaty of Vienna) तैयार की गई।

5. यूनानियों का आजादी के लिए संघर्ष 1821 में आरम्भ हो गया।

6. रूमानी कलाकारों और कवियों ने तर्क-वितर्क और विज्ञान के महिमामंडन की प्रशंसा की।

7. उन्नीसवीं सदी के प्रथम भाग में पूरे यूरोप में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई।

8. जर्मेनिया फ्रांस राष्ट्र का रूपक बन गई।

उत्तर-1. सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. असंत्य, 7. सत्य, 8. असत्य।

सही जोड़ी मिलाइए

उत्तर– 1. → (ग), 2. -→ (घ), 3. → (ङ), 4. → (ख), 5. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. इस्टेट ननरल का नाम बदल कर क्या कर दिया गया ?

उत्तर- नेशनल असेंबली,

2. 1813 में लाइप्सिग की लड़ाई हारकर फ्रांस लौटते हुए डाकिए के रूप में किसको दर्शाया गया है ?

उत्तर- नेपोलियन,

3. नेपोलियन ने इटली पर हमला कब किया ?

उत्तर- 1797

4. नेपोलियन ने प्रशासनिक कदमों से अनगिनत छोटे प्रदेशों से कितने राज्यों का एक महासंघ बना ?

उत्तर- 29 राज्यों

5. अर्थशास्त्र के प्रोफेसर फ्रइडरीस लिस्ट किस देश से थे?

उत्तर- जर्मनी

6. “जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को सर्दी जुकाम हो जाता है।” यह टिप्पणी किसने की थी ?

उत्तर- मैटरनिख

7. लॉर्ड बायरन कौन था ?

उत्तर- अंग्रेज कवि,

8. 18 मई 1848 को फ्रैंकफर्ट संसद कहाँ आयोजित हुई ?

उत्तर-सेंट पॉल चर्च

9. 1861 में किसको एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया ?

उत्तर- इमेनुअल द्वितीय

10. मरीआन की प्रतिमाएँ कहाँ लगाई गई थीं ?

उत्तर- सार्वजनिक चौकों पर

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निरंकुशवाद से क्या आशय है ?

उत्तर – निरंकुशवाद ऐसी सरकार या शासन व्यवस्था है जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोई नियन्त्रण नहीं होता। इतिहास में ऐसी राजशाही सरकारों को निरंकुश सरकार कहा जाता है जो अत्यन्त केन्द्रीयकृत, सैन्य बल पर आधारित और दमनकारी सरकारें होती थीं।

प्रश्न 2. फ्रेड्रिक सॉरयू कौन था ?

उत्तर-फ्रेड्रिक सॉरयू एक फ्रांसीसी कलाकार जिसने 1848 में चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई। इनमें उसने सपनों का एक संसार रचा जो उसके शब्दों में ‘जनतांत्रिक और सामाजिक गणतंत्रों’ से मिल कर बना था।

प्रश्न 3. जनमत संग्रह का क्या अर्थ है ?

उत्तर-जनमत-संग्रह एक प्रत्यक्ष मतदान होता है जिसके जरिए एक क्षेत्र के सभी लोगों से एक प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पूछा जाता है।

प्रश्न 4. जर्मन पंचाँग को कब और किसने डिजाइन किया था ? वह किसका सदस्य था ?

उत्तर-जर्मन पंचाँग (या तिथिपत्र) का मुखपृष्ठ जिसे पत्रकार ऐंड्रियास रेबमान ने 1798 में डिजाइन किया। रेबमान जर्मन जेकोबिन गुट का सदस्य था।

प्रश्न 5. 1804 की नागरिक संहिता क्या थी?

उत्तर-1804 की नागरिक संहिता जिसे आमतौर पर नेपोलियन की संहिता के नाम से जाना जाता है, ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे। उसने कानून के समक्ष बराबरी और सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया। इस संहिता को फ्रांसीसी नियन्त्रण के अधीन क्षेत्रों में भी लागू किया गया।

प्रश्न 6. रूढ़िवाद से क्या आशय है ?

उत्तर-रूढ़िवाद ऐसा राजनीतिक दर्शन है जो परम्परा, स्थापित संस्थानों और रिवाजों पर जोर देता है और तेज बदलावों की बजाय क्रमिक और धीमे-धीमे विकास पर जोर देता है।

प्रश्न 7. उदारवाद का अर्थ बताइए।

उत्तर-उदारवाद यानि liberalism शब्द लातिन भाषा के मूल liber पर आधारित है जिसका अर्थ है ‘आजाद’। नए मध्य वर्गों के लिए उदारवाद का आशय था व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष सबकी बराबरी। राजनीतिक रूप से उदारवाद एक ऐसी सरकार पर जोर देता था जो सहमति से बनी हो।

प्रश्न 8. जॉलवेराइन (Zollverein) क्या था? इसका क्या उद्देश्य था ?

उत्तर-1834 में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन (Zollverein) स्थापित किया गया, जिसमें अधिकांश जर्मन राज्य शामिल हो गए। इस संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या दो कर दी जो उससे पहले तीस से ऊपर थी।

प्रश्न 9. नारीवाद से क्या आशय है ?

उत्तर -नारीवाद, स्त्री-पुरुष की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समानता की सोच के आधार पर महिलाओं के अधिकारों और हितों का बोध है।

प्रश्न 10. नृजातीय (ethnic) से क्या अर्थ है ?

उत्तर– ब्रितानी द्वीपसमूह में रहने वाले लोगों-अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश की मुख्य पहचान नृजातीय (ethnic) थी। इन सभी जातीय समूहों की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परम्पराएँ थीं।

प्रश्न 11. फ्रांसीसी क्रांतिकारियों की उन महत्त्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन कीजिए। जिन्होंने यूरोप के अन्य हिस्सों को प्रभावित किया।

उत्तर-फ्रांसीसी क्रांतिकारियों की प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित थीं

(1) फ्रांस की घटनाओं की खबर यूरोप के विभिन्न शहरों में पहुँची तो छात्र तथा शिक्षित मध्य वर्गों के अन्य सदस्य जैकोबिन क्लबों की स्थापना करने लगे।

(2) उनकी गतिविधियों और अभियानों ने उन फ्रेंच सेनाओं के लिए रास्ता तैयार किया जो 1790 के दशक में हॉलैण्ड, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड और इटली के बड़े क्षेत्र में घुसी।

(3) क्रान्तिकारी युद्धों के आरम्भ होने के साथ ही फ्रांसीसी सेनाएँ राष्ट्रवाद के विचार को विदेशों में ले जाने लगी।

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