MP Board Class 10 th Political Science -II लोकतांत्रिक राजनीति-II
Chapter 1 : सत्ता की साझेदारी (Power-Sharing)
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- बेल्जियम की कुल आबादी का 59 फीसदी हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। 40 फीसदी लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं और फ्रेंच बोलते हैं। शेष एक फीसदी लोग जर्मन बोलते हैं।
- श्रीलंका एक द्वीपीय देश है, जो तमिलनाडु के दक्षिणी तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी आबादी करीब दो करोड़ है।
- श्रीलंका में सिंहलियों की कुल जनसंख्या 74 फीसदी व तमिल 18 फीसदी हैं।
- सन् 1948 में श्रीलंका स्वतन्त्र राष्ट्र बना, 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
- 1980 के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम (सरकार) बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
- आर्थिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में श्रीलंका का रिकॉर्ड हमारे क्षेत्र के राष्ट्रों में सबसे अच्छा है।
- बेल्जियम के नेताओं ने 1970 और 1993 के बीच अपने संविधान में चार संशोधन सिर्फ इस बात के लिए किए कि देश में रहने वाले किसी भी आदमी को बेगानेपन का अहसास न हो।
- बेल्जियम के संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच-भाषीमंत्रियों की संख्या समान रहेगी।
- सत्ता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का आशय ही होता है कि जो लोग शासन-व्यवस्था के अन्तर्गत हैं उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए।
- शासन के विभिन्न अंग, जैसे-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है।
- न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है पर न्यायपालिका ही कार्यपालिका पर और विधायिका द्वारा बनाए कानूनों पर अंकुश रखती है।
- परे देश के लिए बनने वाली सामान्य सरकार को अक्सर संघ या केन्द्र सरकार कहते हैं।
- प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तर की सरकारों को राज्य सरकार कहते हैं।
- पार्टियाँ सत्ता के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करती हैं।
पाठान्त अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. आधुनिक लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं ? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें।
उत्तर – आधुनिक लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के प्रमुख रूप निम्नलिखित हो सकते हैं
(1) शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता की साझेदारी – शासन के विभिन्न अंग, जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। इसे हम सत्ता का क्षैतिज वितरण कहेंगे क्योंकि इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं। ऐसे बँटवारे से यह सुनिश्चित हो जाता है कि कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता। हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है। इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बनता है।
भारत में कार्यपालिका सत्ता का उपयोग करती जरूर है लेकिन यह संसद के अधीन कार्य करती है, न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका पर और विधायिका द्वारा बनाए कानूनों पर नियत्रंण रखती है। इस व्यवस्था को नियन्त्रण और संतुलन की व्यवस्था भी कहते हैं।
(2) सरकार के बीच विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी – सरकार के मध्य भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा हो सकता है, जैसे – पूरे देश के लिए एक सामान्य सरकार हो और फिर प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकार हो। पूरे राष्ट्र के लिए बनने वाली ऐसी सामान्य सरकार को अक्सर संघ या केन्द्र सरकार कहते हैं। प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तर की सरकारों को हर जगह अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। भारत में हम इन्हें राज्य सरकार कहते हैं। राज्य सरकारों से नीचे के स्तर की सरकारों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था हो सकती है। नगरपालिका और पंचायतें ऐसी ही इकाइयाँ हैं। उच्चतर और निम्नतर स्तर की सरकारों के बीच सत्ता के इस प्रकार के बँटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है।
(3) विभिन्न सामाजिक, भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी-सत्ता का बँटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों, जैसे-भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता है। बेल्जियम की ‘सामुदायिक सरकार’ इस व्यवस्था का एक अच्छा उदाहरण है। कुछ राष्ट्रों के संविधान में प्रावधान है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए। इस प्रकार की व्यवस्था विधायिका और प्रशासन में अलग-अलग सामाजिक समूहों को हिस्सेदारी देने के लिए की जाती है जिससे लोग खुद को शासन से अलग न समझें। अल्पसंख्यक समुदायों को भी इसी प्रकार से सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी जाती है।
(4) विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों व आन्दोलनों से सत्ता की साझेदारी-एक बड़ी समयावधि पर ध्यान दें तो पाएँगे कि सत्ता बारी-बारी से अलग-अलग विचारधारा और सामाजिक समूहों वाली पार्टियों के हाथ आती-जाती रहती है। कई बार सत्ता की यह भागीदारी एकदम प्रत्यक्ष दिखती है। क्योंकि दो या अधिक पार्टियाँ मिलकर चुनाव लड़ती हैं या सरकार का गठन करती हैं। लोकतंत्र में हम व्यापारी, उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मजदूर जैसे कई संगठित हित-समूहों को भी सक्रिय देखते हैं। सरकार की विभिन्न समितियों में सीधी भागीदारी करके या नीतियों पर अपने सदस्य-वर्ग के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समूह भी सत्ता में भागीदारी करते हैं।
प्रश्न 2. भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ।
उत्तर – प्रजातंत्र में सत्ता की भागीदारी के दो कारण दिए जाते हैं
(1) युक्तिपरक कारण – युक्तिपरक कारण शक्ति के बँटवारे से होने वाले लाभदायक परिणामों पर बल देते हैं। सत्ता का बँटवारा ठीक है क्योंकि इससे विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कमसत्ता की साझेदारी 159) हो जाता है। क्योंकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है। इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है। बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना तात्कालिक तौर पर लाभकारी लग सकता है पर आगे चलकर यह देश की अखण्डता के लिए अत्यन्त नुकसानदायक हो सकता है। बहुसंख्यकों का आतंक सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही जटिलताएँ पैदा नहीं करता अक्सर यह बहुसंख्यकों के लिए भी बर्बादी का कारण बन जाता है।
(2) नैतिक कारण – नैतिक कारण इसकी स्वाभाविक योग्यता पर बल देते हैं। सत्ता का विभाजन लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए ठीक है-इसके पक्ष में एक और बात कही जा सकती है और वह बात कहीं ज्यादा गहरी है। सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का आशय होता है कि जो लोग इस शासन-व्यवस्था के अंतर्गत हैं उनके मध्य सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढर्रे से रहें। इसलिए वैध सरकार वही है जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।
इस प्रकार युक्तिपरक या समझदारी का तर्क लाभकर परिणामों पर जोर देता है जबकि नैतिक तर्क सत्ता के बँटवारे के अंतर्भूत महत्व को बताता है।
प्रश्न 3. इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग-अलग निष्कर्ष निकाले। आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों ? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें।
थम्मन – जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ वहीं सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
मथाई – सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजद होते हैं।
औसेफ – हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है भले ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हो।
उत्तर – उपरोक्त तीनों कथनों में हम औसेफ के विचार से सहमत हैं क्योंकि वह कहता है कि प्रत्येक समाज में सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता होती है, भले ही वह छोटा या उसमें सामाजिक विभाजन न हो। चूँकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है। सत्ता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का आशय ही होता है कि जो लोग इस शासन व्यवस्था के अन्तर्गत हैं उनके बीच को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढर्रे से रहें।
प्रश्न 4. बेल्जियम में ब्रूसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है ? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें।
उत्तर-मर्चटेम के महापौर द्वारा बेल्जियम की राजधानी के पास फ्रांसीसी भाषा बोलने पर पाबंदी लगाना बेल्जियम में शक्ति की भागीदारी की व्यवस्था के अनुकूल है। ब्रूसेल्स में अलग सरकार है और इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है। फ्रेंच-भाषी लोगों ने ब्रूसेल्स में समान प्रतिनिधित्व के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया क्योंकि डच-भाषी लोगों ने केन्द्रीय सरकार में बराबरी का प्रतिनिधित्व स्वीकार किया था। केन्द्रीय और राज्य सरकारों के अलावा यहाँ एक तीसरे स्तर की सरकार भी कार्य करती है यानी सामुदायिक सरकार। इस सरकार का चुनाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते हैं। डच, फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले समुदायों के लोग चाहे वे जहाँ भी रहते हों, इस सामुदायिक सरकार को चुनते हैं। इस सरकार को संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर फैसले लेने का अधिकार हैं। इस प्रकार मर्चटेम के मेयर का फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है।
प्रश्न 5. नीचे दिए गए उदाहरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्तिपरक कारण बताए गए हैं उसमें से किसी एक का चुनाव करें।
“महात्मा गाँधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचौलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा।”
उत्तर
पंचायती राज व्यवस्था गाँव के लिए यह व्यवस्था पंचायत राज व्यवस्था के नाम से प्रसिद्ध है। गाँधी जी पंचायती राज व्यवस्था के बड़े पक्षधर थे। उनका मत था कि जब तक भारत के ग्रामों में जीवन का आधार लोकतान्त्रिक नहीं होगा तब तक भारत में वास्तविक प्रजातन्त्र की स्थापना नहीं होगी। पंचायती राज सत्ता उन लोगों के हाथों में सौपता है जिसके हाथों में इसे होना चाहिए। इससे भ्रष्ट बिचौलियों को समाप्त किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा।
प्रश्न 6. सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चुनाव करें।
सत्ता की साझेदारी :
(क) विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है।
(ख) पक्षपात का अंदेशा कम करती है।
(ग) निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है।
(घ) विविधताओं को अपने में समेट लेती है।
(ङ) अस्थिरता और आपसी फूट को बढ़ाती है।
(च) सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है।
(छ) देश की एकता को कमजोर करती है।
उत्तर – (सा) – क, ख, घ, च। –
प्रश्न 7. बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें
(क) बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया।
(ख) सरकार की नीतियों ने सिंहली-भाषी बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।
(ग) अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा तथा रोजगार में समानता के अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढाँचे पर बाँटने की माँग की।
(घ) बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के आधार पर टूटने से बचा लिया गया।
ऊपर दिए गए बयानों में कौन-से सही हैं ?
(सा) क, ख, ग और घ,
(रे) क, ख और घ,
(गा) ग और घ,
(मा) ख, ग और घ।
उत्तर – (मा) – ख, ग और घ।
प्रश्न 8. सूची I [सत्ता के बँटवारे के स्वरूप] और सूची 2 [शासन के स्वरूप] में मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड का उपयोग करते हुए सही जवाब दें:
उत्तर – (गा) – ख, घ, क, ग
प्रश्न 9. सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर करें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर जवाब दें:
(अ) सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर है।
(ब) इससे सामाजिक समूहों में टकराव का अंदेशा घटता है। इन बयानों में कौन सही है और कौन गलत ?
(क) अ सही है लेकिन ब गलत है।
(ख) अ और ब दोनों सही हैं।
(ग) अ और ब दोनों गलत हैं।
(घ) अ गलत है लेकिन ब सही है।
उत्तर-(ख) अ और ब दोनों सही हैं।
अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय
प्रश्न 1. सिंहली को श्रीलंका में कब राजभाषा घोषित किया गया ?
(i) 1956 में
(ii) 1958 में
(iii) 1965 में
(iv) 1972 में।
उत्तर : (i) 1956 में
2. श्रीलंका की आबादी में ईसाई लोगों का हिस्सा कितना है ?
(i) 18 फीसदी
(ii) 12 फीसदी
(iii) 7 फीसदी
(iv) 3 फीसदी।
उत्तर : (iii) 7 फीसदी
3. बेल्जियम ने 1970 और 1993 के बीच अपने संविधान में कितनी बार संशोधन किया ?
(i) चार
(ii) पाँच
(iii) सात
(iv) आठ।
उत्तर (i) चार
4. बेल्जियम में जर्मन भाषी लोग कितने प्रतिशत हैं ?
(i) 11 प्रतिशत
(ii) 8 प्रतिशत मशाल
(iii) 6 प्रतिशत
(iv) 1 प्रतिशत।
उत्तर : (iv) 1 प्रतिशत
5. सत्ता की साझेदारी में “नियन्त्रण और संतुलन की व्यवस्था” क्या है ?
(i) यह आर्थिक व्यवस्था को सन्तुलित करती है।
(ii) यह सरकार को असीमित शक्तियाँ प्रदान करती है
(iii) यह सुनिश्चित करती है कि सरकार का कोई भी अंग असीमित शक्तियों का दुरुपयोग नहीं कर सकता
(iv) यह किसी भी प्रकार के भेद-भाव की अनुमति नहीं देती है।
उत्तर : (iii) यह सुनिश्चित करती है कि सरकार का कोई भी अंग असीमित शक्तियों का दुरुपयोग नहीं कर सकता
6. सत्ता की साझेदारी के पीछे बुद्धिमतापूर्ण कारण क्या है ?
(i) यह विदेशी निवेश को सुनिश्चित करती है
(ii) यह सामाजिक समूहों के बीच टकरावों को कम करती है
(iii) यह सरकार को स्वतन्त्र शक्तियाँ प्रदान करती है
(iv) यह नागरिकों को स्वतंत्र शक्तियाँ प्रदान करती है।
उत्तर : (ii) यह सामाजिक समूहों के बीच टकरावों को कम करती है
रिक्त स्थान पूर्ति
1. श्रीलंका में सिंहलियों की जनसंख्या कुल आबादी का …………….. फीसदी है।
2. श्रीलंका में तमिलों की जनसंख्या कुल आबादी का ……………..फीसदी है।
3. श्रीलंका में गृहयुद्ध की समाप्ति वर्ष …………….. हुई।
4. बेल्जियम में सामुदायिक सरकार का चुनाव ……………..के आधार पर किया जाता है।
5. पार्टियाँ सत्ता के लिए आपस में ……………..करती हैं।
उत्तर– 1.74, 2. 18, 3. 2009, 4. भाषा, 5. प्रतिस्पर्धा।
सत्य/असत्य
1. 1950 और 1960 के दशक में फ्रेंच और डच बोलने वाले समूहों के बीच मेल-जोल बढ़ा।
2. सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक-परस्ती के तहत कई कदम उठाए।
3. बेल्जियम के नेताओं ने श्रीलंका के समान रास्ता अपनाने का फैसला किया।
4. यूरोपीय संघ का मुख्यालय ब्रूसेल्स है। 5. सत्ता का बँटवारा लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं के लिए ठीक है।
उत्तर-1. असत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य।
सही जोड़ी मिलाइए
उत्तर 1.→ (घ), 2. → (ङ), 3. → (क), 4. → (ख), 5. → (ग)।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. बेल्जियम की राजधानी बताइए।
2. श्रीलंका में कितने प्रतिशत लोग तमिल भाषा बोलते हैं ?
3. उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम (सरकार) बनाने की माँग को संगठन किस वर्ष में बना ?
4. श्रीलंका कब स्वतन्त्र राष्ट्र बना ?
5. यूरोपीय संघ का मुख्यालय कहाँ है ?
उत्तर-1. ब्रूसेल्स, 2. 18 प्रतिशत, 3. 1980, 4. 1948, 5. ब्रूसेल्स।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बेल्जियम की सीमाएँ किन-किन राष्ट्रों से लगती हैं ?
उत्तर-बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा देश है, इसकी सीमाएँ फ्रांस, नीदरलैण्ड, जर्मनी और लक्जमबर्ग से लगती हैं।
प्रश्न 2. श्रीलंका में दो प्रमुख सामाजिक समूह कौन-से हैं ?
उत्तर -सिंहली-74 प्रतिशत और तमिल-18 प्रतिशत।
प्रश्न 3. गृहयुद्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर -किसी मुल्क में सरकार विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले ले कि वह युद्ध सा लगे तो उसे गृहयुद्ध कहते हैं।
प्रश्न 4. युक्तिपरक से क्या आशय है ?
उत्तर – हानि-लाभ का सावधानीपूर्वक हिसाब लगाकर लिया गया फैसला पूरी तरह से नैतिकता पर आधारित फैसले के अक्सर उलट होता है।
प्रश्न 5. नैतिक तर्क का महत्व बताइए।
उत्तर -नैतिक तर्क सत्ता के बँटवारे के अन्तर्भूत महत्व को बताता है।
प्रश्न 6. सत्ता का उर्ध्वाधर विभाजन क्या है ?
उत्तर-इस व्यवस्था में सत्ता का विभाजन सरकार के विभिन्न स्तरों-केन्द्रीय, प्रांतीय तथा स्थानीय स्तर के बीच किया जाता है।
प्रश्न 7. सत्ता का क्षैतिज बँटवारा क्या है ?
उत्तर – सत्ता के क्षैतिज विभाजन का आशय है-सरकार के विभिन्न-अंगों विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच शक्ति का विभाजन । सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहते हुए अपनी-अपनी शक्ति का प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 8. श्रीलंका के कई तमिलों को भारतीय तमिल क्यों कहा जाता है?
उत्तर – उन्हें भारतीय तमिल इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे औपनिवेशिक शासनकाल में बागानों में काम करने के लिये भारत से लाए गए लोगों की संतान हैं।
प्रश्न 9. दबाव समूह क्या हैं ?
उत्तर -दबाव समूह वे संगठन हैं, जो सरकार की नीतियों के प्रभावों का विरोध करते हैं जिनसे उनके व्यक्तिगत लाभ प्रभावित होते हैं।
प्रश्न 10. संघीय सरकार किसे कहते हैं ?
उत्तर -पूरे देश के लिए बनने वाली एक सामान्य सरकार को संघीय या केन्द्रीय सरकार कहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. श्रीलंकाई तमिलों की प्रमुख माँगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियाँ बनाईं और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया। लेकिन तमिलों की आबादी वाले इलाके की स्वायत्तता की उनकी मांगों को लगातार नकारा गया। 1980 के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतन्त्र तमिल ईलम (सरकार) बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
प्रश्न 2. बेल्जियम में जातीय संरचना जटिल कैसे है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर -(i) देश की कुल आबादी का 59 फीसदी हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है।
(ii) शेष 40 फीसदी लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं और फ्रेंच भाषा बोलते हैं।
(iii) शेष एक फीसदी लोग जर्मन बोलते हैं।
(iv) राजधानी ब्रूसेल्स के 80 फीसदी लोग फ्रेंच बोलते हैं और 20 फीसदी लोग डच भाषा। इस प्रकार बेल्जियम में जातीय संरचना जटिल है।
प्रश्न 3. बेल्जियम और श्रीलंका में अपनी सांस्कृतिक विभिन्नताओं को किस प्रकार से सुलझाया तुलना कीजिए।
उत्तर-बेल्जियम और श्रीलंका दोनों ही देश लोकतान्त्रिक हैं। फिर भी सत्ता में साझेदारी के सवाल को उन्होंने अलग-अलग ढंग से निपटाने की कोशिश की। बेल्जियम के नेताओं को लगा कि विभिन्न समुदाय और क्षेत्रों की भावनाओं का आदर करने पर ही देश की एकता संभव है। इस एहसास के चलते दोनों पक्ष सत्ता में साझेदारी करने पर सहमत हुए। श्रीलंका में ठीक उलटा रास्ता अपनाया गया। इससे यह पता चलता है कि अगर बहुसंख्यक समुदाय दूसरों पर प्रभुत्व कायम करने और सत्ता में उनको हिस्सेदार न बनाने का फैसला करता है, तो इससे देश की एकता ही संकट में पड़ सकती है।
प्रश्न 4. श्रीलंकाई सरकार द्वारा अपनाई गई बहुसंख्यकवाद की नीतियों के मुख्य परिणामों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-एक-एक करके आए सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया। उन्हें लगा कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पार्टियाँ उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं। उन्हें लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं। नौकरियों और फायदे के अन्य कामों में उनके साथ भेदभाव हो रहा है और उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए।
प्रश्न 5. आधुनिक लोकतंत्र में, सत्ता का बँटवारा सरकार के विभिन्न अंगों के बीच में है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर – शासन के विभिन्न अंग; जैसे-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के मध्य सत्ता का बँटवारा रहता है। इस व्यवस्था को “नियंत्रण व संतुलन” की व्यवस्था भी करते हैं, क्योंकि
(i) तीनों अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं। (ii) कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता है।
(iii) हर अंग एक-दूसरे पर नियन्त्रण रखता है। इससे संस्थाओं के मध्य सन्तुलन बनता है।
प्रश्न 6. सत्ता के क्षैतिज व लम्बवत् वितरण के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – सत्ता के क्षैतिज व लम्बवत् वितरण के बीच अन्तर
प्रश्न 7. “सत्ता की साझेदारी देश को शक्तिशाली और संगठित बनाती है।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं और क्यों ?
उत्तर – सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र की आत्मा है, क्योंकि
(1) सत्ता की साझेदारी अधिकतम भागीदारी को आश्वस्त करती है। यह लोगों के शासन की पुष्टि करती है। इससे हमेशा लोकतंत्र के अच्छे परिणाम आते हैं। इससे लोकतंत्र में राजनैतिक स्थिरता आती है।
(2) सत्ता की साझेदारी विभिन्न समूहों में अनुकूलता बनाती है। इससे सामाजिक समूहों के बीच आपसी विरोध को कम करने की संभावनाएँ बढ़ती हैं।
(3) सत्ता की साझेदारी सभी लोगों की सरकार में दावेदारी को आश्वस्त करती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बेल्जियम ने अपनी जातीय समस्या को कैसे हल किया था ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – बेल्जियम ने अपनी समस्या को निम्न प्रकार से हल किया
(1) बेल्जियम के नेताओं ने क्षेत्रीय अंतरों और सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार किया।
(2) 1970 और 1993 के बीच उन्होंने अपने संविधान में चार संशोधन सिर्फ इस बात के लिए किए कि देश में रहने वाले किसी भी आदमी को बेगानेपन का अहसास न हो और सभी मिल-जुलकर रह सकें।
(3) संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच-भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी। कुछ विशेष कानून तभी बन सकते हैं। जब दोनों भाषायी समूह के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में हो। इस प्रकार किसी एक समुदाय के लोग एकतरफा फैसला नहीं कर सकते।
(4) केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ राष्ट्र के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द कर दी गई है यानी राज्य सरकारें केन्द्रीय सरकार के अधीन नहीं हैं।
(5) ब्रूसेल्स में अलग सरकार है और इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है। फ्रेंच-भाषी लोगों ने ब्रूसेल्स में समान प्रतिनिधित्व के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया क्योंकि डच-भाषी लोगों ने केन्द्रीय सरकार में बराबरी का प्रतिनिधित्व स्वीकार किया था।
(6) केन्द्रीय और राज्य सरकारों के अलावा यहाँ एक तीसरे स्तर की सरकार भी कार्य करती है यानी सामुदायिक सरकार। इस सरकार का चुनाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते हैं। डच, फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले समुदायों के लोग चाहे वे जहाँ भी रहते हों, इस सामुदायिक सरकार को चुनते हैं। इस प्रकार सरकार को संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर फैसले लेने का अधिकार है।
प्रश्न 2.बहुसंख्यकवाद ने श्रीलंकाई तमिलों के बीच अविश्वास की भावनाओं को कैसे बढ़ा दिया ? व्याख्या कीजिए।
अथवा
श्रीलंकाई सरकार ने सिंहलियों का प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अपनाए गए किन्हीं पाँच बहुसंख्यकवादों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – (1) सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा। इस वजह से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक-परस्ती के तहत कई कदम उठाए।
(2) 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
(3) विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी चली।
(4) नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।
(5) एक-एक करके आए इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया। उन्हें लगा कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पार्टियाँ उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं।
(6) परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए। श्रीलंका में दो समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने बड़े टकराव का रूप ले लिया, अंततः यह टकराव गृहयुद्ध में परिणत हुआ।
NCERT Class 10th Social Science Book Solution Hindi medium Chapter 1 : Power Sharing