M.P. Board solutions for Class 10 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 2 – गद्य खंड
क्षितिज गद्य खंड Chapter 13 – मानवीय करुणा की दिव्या चमक
पाठ 13 – मानवीय करुणा की दिव्या चमक
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?
उत्तर – लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का फादर बुल्के के साथ पारिवारिक सम्बन्ध था। हर सुख-दुःख में फादर लेखक एवं उसके परिवारीजनों का साथ देते थे। लेखक भी फ़ादर को अपने परिवार का एक बड़ा सदस्य मानते थे। फ़ादर के मन में लेखक के परिवारीजनों के लिए वात्सल्य भाव भरा हुआ था। इन्हीं सब कारणों से फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी शीतल एवं सघन लगती थी।
प्रश्न 2. फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है ?
उत्तर – एक बार लेखक ने फादर बुल्के से पूछा कि आप अपना परिवार छोड़कर भारत क्यों चले आए ? फ़ादर ने कहा कि “प्रभु की इच्छा थी।” भारत में आकर फादर ने ‘जिसेट संघ’ में दो साल तक पादरियों के बीच रहकर धर्माचार की पढ़ाई की। फिर 9-10 वर्ष तक दार्जिलिंग में पढ़ते रहे। कलकत्ता (कोलकाता) से बी.ए. किया और फिर इलाहाबाद से एम.ए.। उन दिनों डॉ. धीरेन्द्र वर्मा हिन्दी विभाग के अध्यक्ष थे। शोधप्रबन्ध प्रयाग विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में रहकर 1950 में पूरा किया – ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास।’ ‘परिमल’ में उसके अध्याय पढ़े गए थे। फादर ने मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लू बर्ड’ का रूपान्तर भी किया है ‘नीलपंछी’ के नाम से। बाद में वह सेंट जेवियर्स कॉलेज, राँची में हिन्दी तथा संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष हो गए और यहीं उन्होंने अपना प्रसिद्ध अंग्रेज़ी – हिन्दी कोश तैयार किया और बाइबिल का अनुवाद भी किया। इन्हीं सब कारणों के आधार पर फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के – अभिन्न अंग थे।
प्रश्न 3. पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फादर बुल्के का हिन्दी प्रेम प्रकट होता है।
उत्तर– फादर बुल्के ने प्रयाग विश्वविद्यालय से सन् 1950 में ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास’ विषय पर हिन्दी में शोध कार्य पूर्ण किया तथा मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लू बर्ड’ का हिन्दी रूपान्तर भी किया जो ‘नीलपंछी’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
आप ‘जेवियर्स कॉलेज राँची में हिन्दी तथा संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष भी बने। इन्हीं कारणों से फ़ादर बुल्के का हिन्दी के प्रति प्रेम प्रकट होता है।
प्रश्न 4. इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के एक धार्मिक, शिक्षित, सदाचारी, परोपकारी तथा वात्सल्य जैसे गुणों से युक्त थे। सभी प्राणियों एवं जीवों पर उनका ममत्व था। भारत को वे एक महान् देश मानते थे। अपने देश में संन्यास लेते समय भी आपने भारत देश में आने की शर्त रखी थी। वे जहाँ भी जाते सबको अपना लेते थे। हिन्दी एवं हिन्दुस्तान के प्रति आपके मन में विशेष अनुराग था।
प्रश्न 5. लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है ?
उत्तर – लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ इसलिए कहा है कि उनका मन मानव के प्रति करुणा-भाव से ओत-प्रोत था। उनकी आँखों में करुणा का भाव समाया हुआ था। उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सांत्वना व्यक्तियों के बड़े-से-बड़े दु:खों को भी दूर करती थी। उनके हृदय में स्नेह एवं ममता का वास था।
प्रश्न 6. फादर बुल्के ने संन्यासी की परम्परागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है, कैसे ?
उत्तर – फादर बुल्के संन्यासी होते हुए भी गृहस्थी के कार्यों से संलग्न देखे जाते थे। लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के परिवार के साथ तो उनका घनिष्ठ सम्बन्ध था। लेखक भी फ़ादर को अपने परिवार का एक बड़ा सदस्य या पुरोहित के रूप में मानते थे। उनके मन में सभी देशवासियों के लिए करुणा का भाव समाया हुआ था। वे संन्यासियों के समान रंगीन कपड़े नहीं पहनते थे परन्तु उनका मन राम रंग में रंगा हुआ था।
प्रश्न 7.आशय स्पष्ट कीजिए
(क) नम आँखें को गिनना स्याही फैलाना है।
(ख) फादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
उत्तर
(क) आशय – प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि फादर बुल्के की मृत्यु पर इतने लोगों ने आँसू बहाए जिन्हें गिना नहीं जा सकता।
(ख) आशय –प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि जिस प्रकार दु:ख एवं उदासी के समय संगीत सुनकर दु:ख कम हो जाता है। उसी प्रकार फादर को याद करके मन को शांति मिलती है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8. आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
उत्तर – हमारे विचार से बुल्के ने भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर भारत आने का मन बनाया होगा। भारत का ज्ञान
और संस्कृति विश्व में सबसे पुरानी है। वेद भारत के ही ग्रन्थ हैं। यहाँ भगवान भी जन्म लेते हैं और यहाँ छः ऋतुएँ पायी जाती हैं जो अन्य देशों में नहीं हैं।
प्रश्न 9. बहुत सुन्दर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल।’ इस पंक्ति में फादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं ? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं ?
उत्तर-‘बहुत सुन्दर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल।’ इस पंक्ति में फादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति श्रद्धा, प्रेम और लगाव की भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं। जननी और जन्मभूमि को तो स्वर्ग से भी बड़ा माना गया है। ये दोनों मनुष्य को सर्वाधिक प्रिय होती हैं।
हमें भी अपनी जन्मभूमि प्राणों से प्यारी है। अपनी जन्म भूमि की मिट्टी में लोट-पोटकर हम बड़े हुए हैं तथा इसी भूमि का अन्न खाकर बलवान बने हैं। अतः जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 10. ‘मेरा देश भारत’ विषय पर 200 शब्दों का निबन्ध लिखिए।
उत्तर – मेरा देश भारत “कह रही अजन्ता पूजा जिसकी छेनी की यह ताजमहल जिसके हाथों का दर्पण है। यह कुतुब-लाट जिसकी उँगली की करामात यह पिरामिडों का घर जिसका तन-रजकण है।”
भारत एक अनुपम, लुभावना तथा पावन देश है। इस देश की धरती पर जन्म लेने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। इतिहास मनीषी-फिरदौसी ने तो यहाँ तक कहा था कि यदि पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह भारत की धरती पर ही है। यहाँ राम तथा श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। महावीर स्वामी तथा गौतम बुद्ध की क्षमा, अहिंसा तथा त्याग की वाणी इस देश की धरती पर गूंजी। हम इसकी रज में लोट-लोटकर बड़े हुए। इसकी गोद में हमारा लालन-पालन हुआ। इस हेतु हमारा यह दायित्व बन जाता है कि हम अपने देश के प्रति अनुराग रखें। श्री मैथिलीशरण गुप्त की निम्न पंक्तियाँ इस सन्दर्भ में अवलोकनीय हैं
“जिसको न निज भाषा तथा निज देश का अभिमान है। वह नर नहीं है पशु निरा और मृत समान है।”
हमारा देश उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। पश्चिम में गुजरात तथा पूर्व में असम तक व्याप्त है। दक्षिण में हिन्द महासागर इसके चरणों को पखार रहा है। उत्तर में हिम किरीट धारण किये हिमालय पर्वत सीमा पर प्रहरीवत् विद्यमान है।
भारतवर्ष का प्राकृतिक सौन्दर्य राशि-राशि रूप में बिखरा पड़ा है। कहीं हिम-आच्छादित पर्वत हैं, हरी-भरी उनकी घाटियाँ हैं तो कहीं रंग-बिरंगे पुष्प अपनी छटा बिखेर रहे हैं। आमों की अमराई में कहीं कोयल कूक रही है तो कहीं चौकड़ी भरते हिरणों का झुण्ड, मदमस्त गज, विभिन्न रंग के पक्षी इसके प्राकृतिक सौन्दर्य में चार-चाँद लगा देते हैं। समतल मैदान, नदियों का करलव सबका मन मोह लेते हैं। यहाँ की ऋतुएँ भी प्राकृतिक सौन्दर्य को द्विगुणित करने वाली हैं। बसन्त तथा वर्षा ऋतु में जब कोयल तथा मयूर अपनी आवाज निकालते हैं तो प्रकृति सौन्दर्य देखते ही बनता है। प्राकृतिक छटा के सन्दर्भ में निम्न पंक्तियाँ दृष्टव्य हैं
“श्याम-घटा बिजली बरखा मन भावनी।
रिमझिम बूंद-फुहार चंदनियाँ सावनी।” पहले यह देश आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था। शकुन्तला के बेटे भरत के नाम पर इसका नाम भारत हुआ।
प्रश्न 11. आपका मित्र हडसन एंड्री ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों में भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर
104/02
विकास नगर
ग्वालियर (म. प्र.)
20 अप्रैल 20 ….
प्रिय मित्र, हडसन एंड्री सस्नेह नमस्कार।
यहाँ सब ठीक प्रकार से हैं। आशा करता हूँ कि आप लोग भी सपरिवार कुशलपूर्वक होंगे। तुम्हारा पत्र कल प्राप्त हुआ था जिसमें तुमने ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के विषय में लिखा था। छुट्टियों का नाम सुनकर मन में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। मेरी भी ग्रीष्मकालीन छुट्टियाँ हो चुकी हैं।
इस बार हम सभी परिवारीजन पिताजी के साथ छुट्टियाँ मनाने के लिए हिमालय की यात्रा करना चाहते हैं। हिमालय का पर्वतीय दृश्य बड़ा सुहावना है। मेरे मन में भी बहुत दिनों से इस यात्रा को करने की व्याकुलता थी। यदि तुम भी हमारे साथ इस यात्रा पर चलोगे तो मेरे मन का आनन्द और भी बढ़ जायेगा। यहाँ तुम्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी भी नहीं होगी। हम सभी लोगों की यही इच्छा है कि तुम ऑस्ट्रेलिया से आकर हम लोगों के साथ इस पर्वतीय यात्रा का आनन्द लो। शेष सब ठीक प्रकार से हैं। पत्र मिलते ही यात्रा पर जाने की भूमिका बनाते हैं।
तुम्हारा मित्र
रोहित
प्रश्न 12. निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चयबोधक छाँटकर अलग लिखिए
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।
(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते। –
उत्तर
(क) और
(ख) कि,
(ग) तो,
(घ) जो,
(ङ) लेकिन
पाठेतर सक्रियता
1. फादर बुल्के का अंग्रेजी-हिन्दी कोश’ उनकी एक महत्त्वपूर्ण देन है। इस कोश को देखिए-समझिए।
उत्तर -इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने आदरणीय गुरुजनों के सहयोग से प्राप्त करें।
2. फादर बुल्के की तरह ऐसी अनेक विभूतियाँ हुईं हैं जिनकी जन्मभूमि अन्यत्र थी लेकिन कर्मभूमि के रूप में उन्होंने भारत को चुना। ऐसे अन्य व्यक्तियों के बारे में जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर– फादर बुल्के की तरह अगनेस गोंझा वोयाजिजू (मदर टेरेसा) जैसी महान् विभूति का जन्म 26 अगस्त, सन् 1910 में ‘यूगोस्लाविया’ में हुआ था। आप एक महान व्यक्तित्व वाली महिला थीं। मदर टेरेसा सम्पूर्ण संसार में परोपकार के लिए प्रसिद्ध हैं। आपने अपना सम्पूर्ण जीवन गरीब तथा असहायों की सेवा में लगा दिया था।
आप 06 जनवरी, सन् 1929 को भारत देश में आयीं और समाज सेवा में लग गईं। सन् 1944 में ‘सेन्ट मैरी स्कूल’ की प्रधानाचार्या बनीं। सन् 1949 में आपने असहायों, गरीबों तथा अस्वस्थ लोगों हेतु ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की।
3. कुछ ऐसे व्यक्ति भी हुए हैं जिनकी जन्मभूमि भारत है लेकिन उन्होंने अपनी कर्मभूमि किसी और देश को बनाया है, उनके बारे में भी पता लगाइए।
उत्तर– ऐसे प्रमुख व्यक्तियों के नाम इस प्रकार हैं – कल्पना चावला, अमृता सेन, जुविन मेहता, सबीर भाटिया आदि।
4. एक अन्य पहलू यह भी है कि पश्चिम की चकाचौंध से आकर्षित होकर अनेक भारतीय विदेशों की ओर उन्मुख हो रहे हैं – इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर– पश्चिम की चकाचौंध से आकर्षित होकर भारतीय लोगों को विदेशों की ओर उन्मुख नहीं होना चाहिए। हमारा देश भारत एक देवभूमि कहलाता है। भारत की महिमा सभी देशों से अलग है। यहाँ विदेशी तो क्या भगवान भी अवतार लेने हेतु व्याकुल रहते हैं। पश्चिम की चकाचौंध तो क्षणिक है। अतः भारतीय लोगों को पश्चिमी देशों की ओर पलायन नहीं करना चाहिए।