पाठ : चतुर्थ : – शिशुलालनम्
Chapter 4 – शिशुलालनम् हिन्दी अनुवाद, शब्दार्थ एवं अभ्यास
पाठ का अभ्यास
प्रश्न १. एकपदेन उत्तरं लिखत
(एक शब्द में उत्तर लिखिए-)
(क) कुशलवौ कम् उपसृत्य प्रणमतः ?
(कुश और लव किसके पास पहुँचकर प्रणाम करते हैं ?)
उत्तर – रामम्। (राम के)।
(ख) तपोवनवासिनः कुशस्य मातरं केन नाम्ना आह्वयन्ति ?
(तपोवनवासी कुश की माता को किस नाम से बुलाते हैं ?)
उत्तर– देवीति। (‘देवी’ इस)।
(ग) वयोऽनुरोधात् कः लालनीयः भवति ?
(छोटी उम्र के कारण कौन लालनीय होता है ?)
उत्तर -शिशुः। (शिशु)।
(घ) केन सम्बन्धेन वाल्मीकिः लवकुशयोः गुरुः?
(किस सम्बन्ध से वाल्मीकि लवकुश के गुरु थे ?)
उत्तर – उपनयनोपदेशेन। ( यज्ञोपवीत की दीक्षा के कारण से)।
(ङ) कुत्र लवकुशयोः पितुः नाम न व्यवह्रियते ?
(कहाँ लव कुश के पिता का नाम नहीं लिया जाता है ?)
उत्तर -तपोवने। (तपोवन में)।
प्रश्न २. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में लिखिए-)
(क) रामाय कुशलवयोः कण्ठाश्लेषस्य स्पर्शः कीदृशः आसीत् ?
(राम के लिए कुश-लव को गले लगाने का स्पर्श कैसा था ?)
उत्तर – रामाय कुशलवयोः कण्ठाश्लेषस्य स्पर्शः हृदयग्राही आसीत्।
(राम के लिए कुश-लव को गले लगाने का स्पर्श हृदय को छूने वाला था।)
(ख) रामः लवकुशौ कुत्र उपवेशयितुम् कथयति ?
(राम लव कुश को कहाँ बैठने के लिए कहते हैं ?)
उत्तर -रामः लवकुशौ सिंहासने उपवेशयितुम् कथयति।
(राम लव कुश को सिंहासन पर बैठने के लिए कहते हैं।)
(ग) बालभावात् हिमकरः कुत्र विराजते ?
(बालभाव के कारण चन्द्रमा कहाँ शोभित होता है ?)
उत्तर – बालभावात् हिमकरः पशुपति-मस्तक-केतकच्छदत्वम् विराजते।
(बालभाव के कारण चन्द्रमा शङ्कर जी के मस्तक का आभूषण बनकर केतकी के पुष्पों से निर्मित आभूषण की भाँति सुशोभित होता है।)
(घ) कुशलवयोः वंशस्य कर्ता कः?
(कुश लव के कुल के जनक कौन हैं ?)
उत्तर -कुशलवयोः वंशस्य कर्त्ता भगवान् सहस्रदीधितिः।
(कुश लव के कुल के जनक भगवान् सूर्य हैं।)
(ङ) कुशलवयोः मातरं वाल्मीकिः केन नाम्ना आह्वयति ?
(कुश लव की माता को वाल्मीकि किस नाम से पुकारते हैं ?)
उत्तर-कुशलवयोः मातरं वाल्मीकिः वधूरिति नाम्ना आह्वयति।
(कुश लव की माता को वाल्मीकि वधू इस नाम से पुकारते हैं।)
प्रश्न ३. रेखाङ्कितेषु पदेषु विभक्तिं तत्कारणंच उदाहरणानुसारं निर्दिशत
(रेखांकित शब्दों में विभक्ति और उसके कारण का उदाहरण के अनुसार निर्देश कीजिए-)
प्रश्न ४. यथानिर्देशम् उत्तरत
(जैसा निर्देश हो उत्तर दीजिए-)
(क) ‘जानाम्यहं तस्य नामधेयम्’ अस्मिन् वाक्ये कर्तृपदं किम् ?
उत्तर-अहम्।
(ख) ‘किं कुपिता एवं भणति उत प्रकृतिस्था’-अस्मात् वाक्यात् ‘हर्षिता’ इति पदस्य विपरीतार्थकपदं चित्वा लिखत।
उत्तर – कुपिता।
(ग) विदूषकः (उपसृत्य) ‘आज्ञापयतु भवान् !’ अत्र भवान् इति पदं कस्मै प्रयुक्तम् ?
उत्तर – रामाय।
(घ) ‘तस्मादङ्क-व्यवहितम् अध्यास्याताम् सिंहासनम्’-अत्र क्रियापदं किम् ?
उत्तर – अध्यास्याताम्।
(ङ) ‘वयसस्तु न किञ्चिदन्तरम्’-अत्र ‘आयुषः इत्यर्थे किं पदं प्रयुक्तम् ?
उत्तर -वयसः।
प्रश्न ५. अधोलिखितानि वाक्यानि कः कं प्रति कथयति
(नीचे लिखे वाक्य कौन किससे कहता है ?)
प्रश्न ६. मञ्जूषातः पर्यायद्वयं चित्वा पदानां समक्षं लिखत
(मंजूषा से दो पर्याय चुनकर शब्दों के सामने लिखिए-)
शिवः शिष्टाचारः शशिः चन्द्रशेखरः सुतः इदानीम् अधुना पुत्रः सूर्यः सदाचारः निशाकरः भानु
उत्तर –
(क) हिमकरः शशि: निशाकरः
(ख) सम्प्रति इदानीम् अधुना
(ग) समुदाचारः शिष्टाचारः सदाचारः
(घ) पशुपतिः शिवः चन्द्रशेखरः
(ङ) तनयः सुतः पुत्रः
(च) सहस्रदीधितिः सूर्यः भानुः
(अ) विशेषण – विशेष्यपदानि योजयत (विशेषण और विशेष्य शब्दों को मिलाइए-)
यथा-विश्लेषण पदानि विशेष्य पदानि
श्लाघ्या कथा
(1) उदात्तरम्यः (क) समुदाचारः
(2) अतिदीर्घः (ख) स्पर्श
(3) समरूपः (ग) कुशलवयोः
(4) हृदयग्राही (घ) प्रवास:
(5) कुमारयोः (ङ) कुटुम्बवृत्तान्तः
उत्तर – (1) → (क), (2)→ (घ), (3) → (ङ), (4) → (ख), (5)→ (ग)।
प्रश्न ७. (क) अधोलिखितपदेषु सन्धिं कुरुत (नीचे लिखे शब्दों में सन्धि कीजिए-)
(क) द्वयोः + अपि
(ख) द्वौ + अपि
(ग) कः + अत्र
(घ) अनभिज्ञः + अहम्
(ङ) इति + आत्मानम्
उत्तर-
(क) द्वयोरपि,
(ख) द्वावपि,
(ग) कोऽत्र,
(घ) अनभिज्ञोऽहम्,
(ङ) इत्यात्मानम्।
(ख) अधोलिखितपदेषु विच्छेदं कुरुत (नीचे लिखे शब्दों में विच्छेद कीजिए-)
(क) अहमप्येतयोः
(ख) वयोऽनुरोधात्
(ग) समानाभिजनौ
(घ) खल्वेतत्
उत्तर –
(क) अहम् + अपि + एतयोः,
(ख) वयः + अनुरोधात्,
(ग) समान + अभिजनौ,
(घ) खलु + एतत्।