म.प्र. बोर्ड कक्षा सातवीं संपूर्ण हल- इतिहास– हमारे अतीत 2 (History: Our Pasts – II)
Chapter 4 : मुग़ल साम्राज्य
प्रश्न – अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)
फिर से याद करें
प्रश्न 1.
सही जोड़े बनाएँ-
उत्तर-
1. → (v),
2. → (iii),
3. → (iv),
4. → (i),
5. → (vi),
6. → (ii)
प्रश्न 2. रिक्त स्थान भरें-
(क) …………………..अकबर के सौतेले भाई, मिर्जा हाकिम के राज्य की राजधानी थी ।
(ख) दक्कन की पाँचों सल्तनत बरार, खानदेश, अहमद नगर ……………….. और …………………थीं।
(ग) यदि जात एक मनसबदार के पद और वेतन का द्योतक था, तो सवार उसके ……………….. को दिखाता था।
(घ) अकबर के दोस्त और सलाहकार, अबुल फजल ने उसकी ………………… के विचार को गढ़ने में मदद की जिसके द्वारा वह विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और जातियों से बने समाज पर राज्य कर सका।
उत्तर-(क) काबुल, (ख) बीजापुर और गोलकुंडा (ग) सैन्य उत्तरदायित्व, (घ) सुलह-ए-कुल।
प्रश्न 3. मुगल राज्य के अधीन आने वाले केन्द्रीय प्रान्त कौन से थे ?
उत्तर-मुगल राज्य के अधीन आने वाले केन्द्रीय प्राप्त दिल्ली और आगरा थे।
प्रश्न 4. मनसबदार और जागीर में क्या सम्बन्ध था ?
उत्तर- मुगलों की सेवा में आने वाले नौकरशाह’ मनसबदार’ कहलाते थे। मनसबदार अपना वेतन राजस्व एकत्रित करने वाली भूमि के रूप में पाते थे। उन्हें जागीर कहते थे। मनसबदार अपनी जागीरों पर नहीं रहते थे और न ही उन पर प्रशासन करते थे। उनके पास अपनी जागीरों से केवल राजस्व एकत्रित करने का अधिकार व था। यह राजस्व उनके नौकर उनके लिए एकत्रित करते थे।
आइए समझें
प्रश्न 5. मुगल प्रशासन में जमींदार की क्या भूमिका थी ?
उत्तर- मुगल प्रशासन में जमींदार की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण थी, क्योंकि मुगलों की आमदनी का प्रमुख साधन किसानों की उपज से मिलने वाला राजस्व था। किसानों से राजस्व या कर एकत्रित करने का कार्य जमींदारों या ग्राम के मुखिया का था। जमींदार मध्यस्थ हुआ करते थे। कुछ क्षेत्रों में जमींदार इतने शक्तिशाली थे कि मुगल प्रशासकों द्वारा शोषण किये जाने की स्थिति में वे विद्रोह कर सकते थे। कभी-कभी एक ही जाति के जमींदार और किसान मुगल सत्ता के खिलाफ मिलकर विद्रोह कर देते थे। सत्रहवीं शताब्दी के आखिर में ऐसे किसान विद्रोह ने मुगल साम्राज्य के स्थायित्व को चुनौती दी।
प्रश्न 6. शासन-प्रशासन सम्बन्धी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चर्चाएँ कितनी महत्वपूर्ण थीं ?
उत्तर-धार्मिक चर्चाओं और परिचर्चाओं से अकबर को यह ज्ञात हुआ कि धार्मिक कट्टरता प्रजा में असन्तोष और असामंजस्य उत्पन्न कर देती है। तब अकबर ने अपने विश्वसनीय मित्र और मंत्री अबुल फजल के साथ एक नई नीति सुलह-ए-कुल या ‘सर्वत्र शान्ति’ के विचार को विकसित किया। शासन के इस सिद्धान्त को जहाँगीर और शाहजहाँ ने भी अपनाया। इसलिए शासन-प्रशासन सम्बन्धी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चर्चाएँ अत्यन्त महत्वपूर्ण थीं।
प्रश्न 7. मुगलों ने खुद को मंगोल की अपेक्षा तैमूर के वंशज होने पर क्यों बल दिया ?
उत्तर- मुगल दो महान शासक वंशों के वंशज थे। माता की ओर से वे मंगोल शासक चंगेज खान के वंशज थे। पिता की ओर से वे तैमूर के वंशज थे। परन्तु अपने को मंगोल कहलवाना पसन्द नहीं करते थे। ऐसा इसलिए था, क्योंकि चंगेज खान से जुड़ी स्मृतियाँ सैकड़ों व्यक्तियों के नरसंहार से सम्बन्धित थीं। दूसरी तरफ मुगल तैमूर के वंशज होने पर गर्व का अनुभव करते थे क्योंकि उनके महान पूर्वज ने 1398 में दिल्ली पर कब्जा कर लिया था ।
आइए विचार करें
प्रश्न 8. भू-राजस्व से प्राप्त होने वाली आय, मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए कहाँ तक जरूरी थी ?
उत्तर- भू-राजस्व से प्राप्त होने वाली आय मुगल साम्राज्य के अर्थतन्त्र का आधार भाग थी। भू-राजस्व राज्य की आय का प्रमुख स्रोत था। इस एकत्र धन को किलों के निर्माण, युद्ध और जनकल्याण के लिए खर्च किया जाता था। राजदरबार के कर्मचारियों, प्रशासनिक कर्मचारियों के वेतन तथा अन्य खर्चों की पूर्ति राजस्व पर ही निर्भर थी।
प्रश्न 9. मुगलों के लिए केवल तुरानी या ईरानी ही नहीं, बल्कि विभिन्न पृष्ठभूमि के मनसबदारों की नियुक्ति क्यों महत्वपूर्ण थी ?
उत्तर-मुगलों के साम्राज्य में जैसे-जैसे विभिन्न क्षेत्र सम्मिलित होते गए, वैसे-वैसे मुगलों ने तरह-तरह के राजनीतिक समूह के सदस्यों को प्रशासन में नियुक्त करना आरम्भ किया। शुरू-शुरू में ज्यादातर सरदार, तुर्की (तूरानी) थे, लेकिन इस छोटे समूह के साथ-साथ उन्होंने शासक वर्ग में ईरानियों, भारतीय मुसलमानों, अफगानों, राजपूतों, मराठों और अन्य समूहों को सम्मिलित किया। मुगलों की सेवा में आने वाले नौकरशाह मनसबदार कहलाये। इस प्रकार मुगलों को भारत में अपने शासन का विस्तार करने में सहायता मिली।
प्रश्न 10. मुगल साम्राज्य के समाज की ही तरह वर्तमान भारत, आज भी अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक इकाइयों
से बना हुआ है ? क्या यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक चुनौती है ?
उत्तर- मुगल साम्राज्य के समाज की ही तरह वर्तमान भारत अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक इकाइयों से बना है फिर भी भारत में एकता कायम है क्योंकि राष्ट्रीय एकीकरण एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो विभिन्न जातियों, संस्कृतियों, धर्मों और क्षेत्रों में रहने के बाद भी एक मजबूत और विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए हृदय से प्रतिबद्ध है। यह विविधता में एकता लोगों के बीच राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देती है जो कि राष्ट्रीय एकीकरण के लिए चुनौती कदापि नहीं हो सकती ।
प्रश्न 11. मुगल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए कृषक अनिवार्य थे। क्या आप सोचते हैं कि वे आज भी इतने ही महत्वपूर्ण हैं ? क्या आज भारत में अमीर और गरीब के बीच आय का फासला मुगलों के काल की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ गया है ?
उत्तर-मुगल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर थी। वर्तमान की अर्थव्यवस्था भी कृषि पर आधारित है लेकिन राष्ट्रीय आय में कृषि के अलावा दूसरे क्षेत्र; जैसे-उद्योग, संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, यातायात, व्यापार, पर्यटन इत्यादि का भी योगदान बढ़ता जा रहा है। अतः वर्तमान की अर्थव्यवस्था पूर्णतः किसानों पर निर्भर नहीं है। आज भारत में अमीर और गरीब के बीच का फासला मुगल काल की अपेक्षा अधिक बढ़ा है क्योंकि लोगों में सामाजिक असमानता, प्रतिस्पर्धा अमीर और गरीब की खाई को विस्तृत करती जा रही है। अत्यधिक संग्रह की प्रवृत्ति ने संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित किया है।
आइए करके देखें
प्रश्न 12. मुगल साम्राज्य का उपमहाद्वीप के विभिन्न क्षेत्रों पर अनेक तरह से प्रभाव पड़ा। पता लगाइए कि जिस नगर, गाँव अथवा क्षेत्र में आप रहते हैं, उस पर इसका कोई प्रभाव पड़ा था ?
उत्तर – भारतीय उपमहाद्वीप के लिए मुगलों का प्रमुख योगदान उनकी अनूठी वास्तुकला थी। मुगलकाल के दौरान मुस्लिम सम्राटों द्वारा ताजमहल सहित कई महान स्मारक बनाए गए थे। मुस्लिम मुगल राजवंश ने भव्य महलों, कब्रों, मीनारों और किलों को निर्मित किया था जो आज दिल्ली, ढाका, आगरा, जयपुर, लाहौर, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कई अन्य शहरों में खड़े हैं। इतिहास के इन अद्वितीय सम्पदा से धन और संसाधनों को बढ़ावा मिला है। पर्यटन क्षेत्र में प्रगति हुई है।