पाठ 1 पाषाणकाल से ताम्रपाषाण काल तक

MP Board Class 8th Solution For Hindi Medium Sahayak Vachan म.प्र. बोर्ड कक्षा 8th का संपूर्ण हल सहायक वाचन

खण्ड 1 हमारा मध्यप्रदेश

पाठ 1 पाषाणकाल से ताम्रपाषाण काल तक

लघुउत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. पाषाण युग किसे माना जाता है ?

उत्तर-पाषाण युग उस युग को माना जाता है जब मनुष्य पत्थरों के औजार बनाकर हिंसक जानवरों से अपनी रक्षा करने वाला आदि मानव दिखाई पड़ता था। तब मानव जंगलों, पर्वतों और नदी घाटियों में विचरण करता था तथा कंदमूल फल या पशुओं का शिकार कर अपना पेट भरता था एवं पहाड़ों की सुरक्षित गुफाओं को आश्रय स्थल बना लिया करता था।

प्रश्न 2. पाषाण युग को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ? लिखिए।

उत्तरपाषाण युग को निम्नलिखित तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

1. पुरा पाषाण युग, 2. मध्य पाषाण युग, 3. नव पाषाण युग।

प्रश्न 3. पाषाण युग का मानव किस प्रकार का जीवन जीता?

उत्तर- पाषाण युग का मानव जंगलों, पर्वतों और नदी घाटियों में विचरण करता था। कन्दमूल, फल और पशुओं का शिकार कर अपना पेट भरता था तथा पहाड़ों की गुफाओं में रहता था।

प्रश्न 4. मध्य प्रदेश को आदि मानव की जीवन स्थली क्यों कहा जाता है ?

उत्तरमध्य प्रदेश के विभिन्न भागों में किये गये उत्खननों और खोजों में प्रागैतिहासिक सभ्यता के चिह्न एवं प्राचीनतम आदि मानवों के छह लाख वर्ष पुराने अवशेष मिले हैं। इन खोजों के आधार पर मध्य प्रदेश को आदि मानव की जीवन स्थली कहा जाता है।

प्रश्न 5. मध्य प्रदेश में शैलचित्र कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?

उत्तर मध्य प्रदेश में शैलचित्र विन्ध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियों में तथा पचमढ़ी, होशंगाबाद, सागर, छिंदवाड़ा, छतरपुर,, पन्ना, ग्वालियर, सीहोर, रायसेन, विदिशा, गुना, रीवा, मंदसौर, शिवपुरी में प्राप्त हुए हैं। भीमबेटका तथा जावरा के चित्र समूह सबसे बड़े चित्र समूह हैं।

प्रश्न 6. नव पाषाण काल में मानव किस प्रकार प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ? समझाइए।

उत्तरनव पाषाण काल में मनुष्य घुमन्तू (खानाबदोश) जीवन को त्याग कर सामाजिक जीवन में प्रवेश करने लगा। इस युग में कई विधाएँ प्रारम्भ हुईं। आदि मानव भ्रमणशील जीवन को छोड़कर एक निश्चित स्थान पर रहने लगा। इस युग के पॉलिस युक्त चमकीले उपकरण सेल्ट, कुल्हाड़ी, वसूला, चीजेक, रचक, घन तथा ओप करने वाले उपकरण प्रमुख थे। इन उपकरणों के साथ अस्थि निर्मित पॉलिस युक्त रोटो हेडकिस हुक, रिंग, प्वॉइंट आदि उपकरण भी थे। इस काल में मनुष्य सभ्यता के दृष्टिकोण से प्रगति की ओर अग्रसर हुआ। मनुष्य ने कृषि और पशुपालन कार्य प्रारम्भ किया। मिट्टी के बर्तनों का आविष्कार किया। वस्त्र निर्माण, गृह निर्माण और अग्नि का प्रयोग करना सीख गया। इस प्रकार नव पाषाण युग में वर्तमान सभ्यता के अनेक अंगों का बीजारोपण हुआ।

प्रश्न 7. ताम्र पाषाण संस्कृति के प्रमाण मध्य प्रदेश में कहाँ मिले हैं एवं वे किस प्रकार के मानव जीवन को इंगित करते हैं?

उत्तरताम्र पाषाण संस्कृति के प्रमाण मध्य प्रदेश में नर्मदा, चम्बल और बेतवा के तट पर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की समकालीन सभ्यता के अवशेष कायथा तथा दंगवाड़ा (उज्जैन), आवरा तथा अहार (मंदसौर), पियल्या लोरका (रायसेन), एरण (सागर), महेश्वर तथा नवदाटोली (पश्चिम निमाड़), बेसनगर (विदिशा) में मिले हैं।

इस काल में मानव के क्रिया-कलापों में बहुत से परिवर्तन दिखाई पड़े। इस समय मानव पक्के मकान बनाने के लिए ईंटों का निर्माण करने लगा। उद्योग-धन्धे व व्यापार करने लगा। धर्म के प्रति उसकी आस्था बढ़ी व उसने पूजा व प्रार्थना करना शुरू किया। इसके साथ ही नृत्य, संगीत और पारिवारिक जीवन के विभिन्न दृश्य भी इस युग के मानव जीवन में होना पाया गया।

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