कक्षा नवमीं संस्कृत – शेमुषी (Class 9 Sanskrit Shemushi)
पाठ: षष्ठ: – भ्रान्तो बालः
पाठ का अभ्यास
पाठ का हिन्दी अनुवाद/भावार्थ
प्रश्न १. एकपदेन उत्तरं लिखत- (एक शब्द में उत्तर लिखिए – )
(क) कः तन्द्रालुः भवति ?
(कौन आलसी होता है ?)
उत्तर – बालः । (बच्चा) ।
(ख) बालकः कुत्र व्रजन्तं मधुकरम् अपश्यत् ?
(बच्चे ने कहाँ घूमते हुए भौरे को देखा ?)
उत्तर – पुष्पोद्यानम्। ( फूलों के बगीचे में) ।
(ग) के मधुसंग्रहव्यग्राः अभवन् ?
(कौन फूलों के रस को इकट्ठा करने में लगे हुए थे ?)
उत्तर– मधुकराः । (भौरे) ।
(घ) चटकः कथा तृणशलाकादिकम् आददाति ?
(चिड़ा किससे घास तिनके आदि लाता है ?)
उत्तर – चञ्चवा। (चोंच से)।
(ङ) चटकः कस्य शाखायां नीडं रचयति ?
(चिड़ा किसकी शाखा में घोंसला बनाता है ?)
उत्तर– वटद्रुमस्य । ( वट वृक्ष की) ।
(च) बालकः कीदृशं श्वानं पश्चति ?
(बालक कैसे कुत्ते को देखता है ?)
उत्तर-पलायमानम्। ( भागते हुए)।
(छ) श्वानः कीदृशे दिवसे पर्यंतसि ?
(कुत्ता कैसे दिन में घूमता है ?)
उत्तर-विदाधदिवसे । (गर्मी के दिन में) ।
प्रश्न २. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-
(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर संस्कृतभाषा के द्वारा लिखिए-)
(क) बालः कदा क्रीडितुं अगच्छत् ?
(बालक कब खेलने के लिए चला गया ?)
उत्तर—बालः पाठशालागमनवेलायां क्रीडितुं अगच्छत् ।
(बालक विद्यालय जाने के समय खेलने के लिए चला गया।)
(ख) बालस्य मित्राणि किमर्थं त्वरमाणा अभवन् ?
(बालक के मित्र किसलिए जल्दी में थे ? )
उत्तर – बालस्य मित्राणि विद्यालयगमनाय त्वरमाणा अभवन्।
(बालक के मित्र विद्यालय जाने के लिए जल्दी में थे ।)
(ग) मधुकरः बालकस्य आह्वानं केन कारणेन तिरस्कृतवान् ?
(भौरे ने बालक के बुलावे को किसलिए नहीं माना ? )
उत्तर-मधुकरः मधुसंग्रहव्यग्रः आसीत् अतः सः बालकस्य आह्वानं तिरस्कृतवान् ।
(भौंरा फूलों के रस को इकट्ठा करने में लगा था इसलिए उसने बालक के बुलावे को नहीं माना।)
(घ) बालकः कीदृशं चटकम् अपश्यत् ?
(बालक ने कैसे चिड़े को देखा ?)
उत्तर–बालकः चञ्चवा तृणशलाकादिकमाददानं चटकम् अपश्यत्।
(बालक ने चोंच से घास तिनके आदि ले जाते हुए चिड़े को देखा।)
(ङ) बालकः चटकाय क्रीडनार्थं कीदृशं लोभं दत्तवान् ?
(बालक ने चिड़े को खेलने के लिए किस प्रकार का लालच दिया ? )
उत्तर-बालकः चटकाय क्रीडनार्थं स्वादुभक्ष्यकवलानां लोभं दत्तवान् ।
(बालक ने चिड़े को खेलने के लिए स्वादिष्ट खाने के ग्रास का लालच दिया।)
(च) खिन्नः बालकः श्वानं किम् अकथयत् ?
(दुःखी बालक ने कुत्ते से क्या कहा ?)
उत्तर- खिन्नः बालकः श्वानम् अकथयत्- “रे मनुष्याणां मित्र ! किं पर्यटसि अस्मिन् निदाघदिवसे ? इदं प्रच्छायशीतलं तरुमूलम् आश्रयस्व । अहमपि क्रीडासहायं त्वामेवानुरूपं पश्यामि ” इति ।
(दुःखी बालक ने कुत्ते से कहा- “अरे मनुष्यों के मित्र ! इस गर्मी के दिन में किसलिए घूम रहे हो ? इस छायादार शीतल पेड़ के नीचे आश्रय लो। मैं भी तुम्हारे ही जैसे खेलने के साथी को देख (खोज) रहा हूँ ।”)
(छ) भग्नमनोरथः बालः किम् अचिन्तयत् ?
(टूटी इच्छाओं वाले बालक ने क्या सोचा ?)
उत्तर- भग्नतमनोरथः बालः अचिन्तयत्-” अस्मिन् जगति प्रत्येकं स्व-स्वकृत्ये निमग्नो भवति । न कोऽपि मामिव वृथा कालक्षेपं सहते । अथ स्वोचितम् अहम् अपि करोमि” इति ।
(टूटी इच्छाओं वाले बालक ने सोचा- “इस संसार में हर कोई अपने-अपने कार्यों में लगे हुए होते हैं। कोई भी मेरी तरह व्यर्थ में समय नहीं बिताता है। अब अपने योग्य कार्य मैं भी करता हूँ।”)
प्रश्न ३. निम्नलिखितस्य श्लोकस्य भावार्थं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत-
(नीचे लिखे श्लोक का भावार्थ हिन्दी भाषा या अंग्रेजी भाषा के द्वारा लिखिए-)
यो मां पुत्रप्रीत्या पोषयति स्वामिनो गृहे तस्य ।
रक्षानियोगकरणान्न मया भ्रष्टव्यमीषदपि ॥
उत्तर – जो मुझे पुत्रवत् प्रेम से पालता है उस स्वामी के घर पर रक्षा के कार्य में लगे होने से मेरे द्वारा थोड़ा सा भी हटना नहीं चाहिए। अर्थात् इस श्लोक में कुत्ते के माध्यम से कर्तव्यपालन की भावना की अभिव्यक्ति की गई है। जिस प्रकार एक कुत्ता कर्तव्य का पालन करते हुए अपने स्वामी के प्रति वफादारी दिखाता है। उसी प्रकार से प्रत्येक मनुष्य को अपने-अपने कर्तव्यों का पालन पूर्ण निष्ठा के साथ करना चाहिए।
प्रश्न ४. “भ्रान्तो बालः” इति कथायाः सारांशं हिन्दीभाषया आङग्लभाषया वा लिखत ।
(“भ्रमित बालक” इस कहानी का सारांश हिन्दी भाषा अथवा अंग्रेजी भाषा के द्वारा लिखो – )
उत्तर- कोई भ्रमित बालक विद्यालय जाने के समय खेलने के लिए निकलता है परन्तु उस समय विद्यालय जाने की जल्दी में होने के कारण कोई भी मित्र उसके साथ खेलने नहीं आता । वह बगीचे में पहुँचकर वहाँ के प्राणियों के साथ खेलने का निश्चय करता है। सर्वप्रथम वह भौरे को खेलने के लिए बुलाता है परन्तु भौंरा फूलों का रस इकट्ठा करने के काम में लगे होने के कारण मना कर देता है। इसी प्रकार चिड़िया अपना घोंसला बनाने तथा कुत्ता अपने स्वामी की रक्षा के कार्य में लगा होने के कारण खेलने से मना कर देते हैं । अन्त में उस बालक को भी आभास होता है कि जब सभी अपने-अपने कार्यों में लगे हैं तो वही अपना समय व्यर्थ गंवा रहा है। अतः वह भी पढ़ने के लिए विद्यालय चला जाता है।
प्रश्न ५. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(मोटे शब्दों के आधार पर प्रश्ननिर्माण करो- )
(क) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि ।
(स्वादिष्ट खाने के लिए ग्रास तुम्हें देता है।)
प्रश्ननिर्माणम् – कीदृशानि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि ?
(कैसे खाने के ग्रास तुम्हें दूँगा ?)
(ख) चटकः स्वकर्मणि व्यग्रः आसीत् ।
(चिड़ा अपने कर्म में लगा हुआ था ।)
प्रश्ननिर्माणम् – चटकः कस्मिन् व्यग्रः आसीत् ?
(चिड़ा किसमें लगा हुआ था ?)
(ग) कुक्कुरः मानुषाणां मित्रम् अस्ति ।
(कुत्ता मनुष्यों का मित्र है ।)
प्रश्ननिर्माणम् -कुक्कुरः केषां मित्रम् अस्ति ?
(कुत्ता किसका मित्र है ?)
(घ) स महतीं वैदुषीं लब्धवान् ।
(उसने बहुत विद्वता प्राप्त की।)
प्रश्ननिर्माणम् – सः कीदृशीं वैदुषीं लब्धवान् ?
(उसने कैसी विद्वता प्राप्त की ?)
(ङ) रक्षानियोगकरणात् मया न भ्रष्टव्यम् इति ।
(रक्षा के कार्य में लगे होने से मेरे द्वारा थोड़ा सा भी हटना नहीं चाहिए ।)
प्रश्ननिर्माणम् – कस्मात् मया न भ्रष्टव्यम् इति ?
(किससे मेरे द्वारा थोड़ा-सा भी हटना नहीं चाहिए ? )
प्रश्न ६. “एतेभ्यः नमः” – इति उदाहरणमनुसृत्य नमः इत्यस्य योगे चतुर्थी विभक्तेः प्रयोगं कृत्वा पञ्चवाक्यानि रचयत ।
(“इनको नमस्कार है” इस प्रकार उदाहरण के अनुसार ‘नम:’ इसके योग में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग करके पाँच वाक्यों की रचना करें ।)
उत्तर-
(i) गुरवे नमः ।
(ii) नमः शिवाय ।
(iii) गणेशाय नमः।
(iv) कृष्णाय नमः ।
(v) अध्यापकाय नमः ।
प्रश्न ७. ‘क’ स्तम्भे समस्तपदानि ‘ख’ स्तम्भे च तेषां विग्रहः दत्तानि तानि यथासमक्ष लिखत-
(‘क’ स्तम्भ में समस्त पद और ‘ख’ स्तम्भ में उनके विग्रह दिये गए हैं, उनको सही जगह पर लिखो -)
उत्तर– (क)→(3), (ख) → (4), (ग) →(2), (घ) →(1)।
(अ) अधोलिखितेषु पदयुग्मेषु एकं विशेष्यपदम् अपरञ्च विशेषणपदम् । विशेषणपदम् विशेष्यपदं च पृथक्-पृथक् चित्वा लिखत-
(नीचे लिखे शब्दों के जोड़ों में एक विशेष्य पद और दूसरा विशेषण पद है। विशेषण पद और विशेष्यपद को अलग-अलग चुनकर लिखिए – )
परियोजनाकार्यम्
प्रश्न – (क) एकस्मिन् स्फोरकपत्रे (chart-paper) एकस्य उद्यानस्य चित्रं निर्माय संकलय्य वा पञ्चवाक्येषु तस्य वर्णनं कुरुत ।
(एक चार्ट पेपर पर एक उद्यान का चित्र बनाकर अथवा संकलित करके पाँच वाक्यों में उसका वर्णन कीजिए । )
उत्तर-चित्र छात्र स्वयं बनाएँ। नीचे पाँच वाक्य दिए जा रहे हैं-
(1) उद्यानं रमणीयं स्थानं भवति ।
(2) तत्र सर्वे जनाः भ्रमन्ति ।
(3) उद्यानस्य वातावरणं मनोहरं भवति ।
(4) उद्याने बालकानां क्रीडनाय स्थानं लभते ।
(5) उद्याने विभिन्नाः वृक्षाः भवन्ति ।
प्रश्न – (ख) “परिश्रमस्य महत्त्वम्” इति विषये हिन्दी भाषया आङ्ग्लभाषया वा पञ्चवाक्यानि लिखत ।
(“परिश्रम का महत्त्व ” इस विषय पर हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में पाँच वाक्य लिखिए-)
उत्तर-
(1) जीवने परिश्रमस्य बहु महत्त्वं वर्तते।
(2) परिश्रमं बिना जीवनं निरर्थकं भवति ।
(3) परिश्रमहीनः जनः सदैव दुःखम् अनुभवति ।
(4) परिश्रमैव सफलतायाः आधारः अस्ति।
(5) जगति सर्वे जनाः परिश्रमम् एव कुर्वन्ति ।