MP Board Class 9th Political Science Chapter 4 : संस्थाओं का कामकाज

MP Board Class 9 Political Science  लोकतान्त्रिक राजनीति-1

Chapter 4- संस्थाओं का कामकाज [Working of Institutions]

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • लोकतांत्रिक व्यवस्था में शासकों को भी कुछ कायदे-कानूनों को मानना होता है। उन्हें भी संस्थाओं के साथ और संस्थाओं के भीतर रहकर कार्य करना होता है।
  • राष्ट्रपति देश के राष्ट्राध्यक्ष होते हैं और औपचारिक रूप से देश का सबसे बड़ा अधिकारी होता है।
  • प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं और सरकार की ओर से अधिकांश अधिकारों का प्रयोग वही करते हैं।
  • प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति मंत्रियों को नियुक्त करते हैं।
  • संसद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं-लोकसभा और राज्यसभा ।
  • भारत सरकार ने 1989 में दूसरा पिछड़ी जाति आयोग गठित किया था। इसे मंडल आयोग भी कहते हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय वह संस्था है, जहाँ नागरिक और सरकार के बीच विवाद अंततः सुलझाए जाते हैं। 
  • भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय सभा को संसद कहा जाता है।
  • किसी भी देश में कानून बनाने का सबसे बड़ा अधिकार संसद को होता है।
  • सरकार के हर पैसे पर संसद का नियंत्रण होता है।
  • हमारे देश में केन्द्र की व्यवस्थापिका का नाम संसद है। इसके दो सदन हैं-लोकसभा (निम्न सदन) व राज्यसभा (उच्च सदन) ।
  • लोकसभा मंत्रिपरिषद् को नियंत्रित करती है। सिर्फ वही व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है जिसे लोकसभा में बहुमत हासिल हो ।
  • सभी अधिकारियों को सामूहिक रूप से कार्यपालिका के रूप में जाना जाता है।
  • भारत में प्रधानमंत्री सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक संस्था है।
  • मंत्रिपरिषद् उस निकाय का सरकारी नाम है जिसमें सारे मंत्री होते हैं।
  • कैबिनेट मंत्री अमूमन सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन की पार्टियों के वरिष्ठ नेता होते हैं।
  • राज्य मंत्री अपने विभाग के कैबिनेट मंत्रियों से जुड़े होते हैं।
  • भारत में कैबिनेट सबसे अधिक प्रभावशाली संस्था है तो कैबिनेट के भीतर सबसे प्रभावशाली व्यक्ति प्रधानमंत्री होता है।
  • राष्ट्रपति का चयन संसद सदस्य और राज्य की विधानसभाओं के सदस्य करते हैं।
  • राष्ट्रपति कहने मात्र के लिए कार्यपालक की भूमिका निभाता है।
  • राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय और राज्य के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, राज्यपालों, चुनाव आयुक्तों और दूसरे देशों में राजदूतों आदि को नियुक्त करते हैं।
  • भारत में न्यायपालिका एकीकृत है। अर्थात् सर्वोच्च न्यायालय देश में न्यायिक प्रशासन को नियंत्रित करता है।
  • किसी भी न्यायाधीश को संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग दो-तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित करके ही हटाया जा सकता है।

पाठान्त अभ्यास

प्रश्न 1. अगर आपको भारत का राष्ट्रपति चुना जाए तो आप निम्नलिखित में से कौन-सा फैसला खुद कर सकते हैं-

(क) अपनी पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं।

(ख) लोकसभा में बहुमत वाले प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं।

(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।

(घ) मंत्रिपरिषद् में अपनी पसंद के नेताओं का चयन कर सकते हैं।

उत्तर-

(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकतें हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में कौन राजनैतिक कार्यपालिका का हिस्सा होता है

(क) जिलाधीश,

(ग) गृह मंत्री,

(ख) गृह मंत्रालय का सचिव,

(घ) पुलिस महानिदेशक ।

उत्तर– (ग) गृह मंत्री ।

प्रश्न 3. न्यायपालिका के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा बयान गलत है ?

(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।

(ख) अगर कोई कानून संविधान की भावना के खिलाफ है तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है।

(ग) न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है।

(घ) अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो वह अदालत में जा सकता है।

उत्तर—

(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित राजनैतिक संस्थाओं में से कौन-सी संस्थादेश के मौजूदा कानून में संशोधन कर सकती है ?

(क) सर्वोच्च न्यायालय,

(ख) राष्ट्रपति,

(ग) प्रधानमंत्री,

(घ) संसद ।

उत्तर- (घ) संसद।

प्रश्न 5. उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार जारी किया होगा-

उत्तर– (क) → (4), (ख) → (5), (ग) → (2), (घ) → (3), (ङ) → (1) ।

प्रश्न 6. देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में से उस राजनैतिक संस्था का नाम बताइए जो निम्नलिखित मामलों में अधिकारों का इस्तेमाल करती है।

(क) सड़क, सिंचाई जैसे बुनियादी ढाँचों के विकास और नागरिकों की विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों पर कितना पैसा खर्च किया जाएगा।

(ख) स्टॉक एक्सचेंज को नियमित करने सम्बन्धी कानून बनाने की कमेटी के सुझाव पर विचार विमर्श करती है।

(ग) दो राज्य सरकारों के बीच कानूनी विवाद पर निर्णय लेती है।

(घ) भूकंप पीड़ितों की राहत के बारे में सूचना माँगती है।

उत्तर- (क) राजनैतिक कार्यपालिका, (ख) विधायिका (संसद), (ग) न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय), (घ) स्थायी कार्यपालिका (लोक सेवा) ।

प्रश्न 7. भारत का प्रधानमंत्री सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चुना जाता ? निम्नलिखित चार जवाबों में सबसे सही को चुनकर अपनी पसंद के पक्ष में कारण दीजिए-

(क) संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है।

(ख) लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।

(ग) चूँकि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति नियुक्त करता है लिहाजा उसे जनता द्वारा चुने जाने की जरूरत ही नहीं है।

(घ) प्रधानमंत्री के सीधे चुनाव में बहुत ज्यादा खर्च आएगा।

उत्तर-

(क) संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है। क्योंकि राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी या पार्टियों के गठबंधन के नेता को ही प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। इसके अतिरिक्त भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले राष्ट्र में जहाँ पर वोटरों की संख्या करोड़ों में है वहाँ प्रत्यक्ष चुनाव लड़ना व उसका खर्च वहन करना अत्यन्त जटिल कार्य है।

प्रश्न 8. तीन दोस्त एक ऐसी फिल्म देखने गए जिसमें हीरो एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनता है और राज्य में बहुत से बदलाव लाता है। इमरान ने कहा कि देश को इसी चीज की जरूरत है। रिजवान ने कहा कि इस तरह का, बिना संस्थाओं वाला एक व्यक्ति का राज खतरनाक है। शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है। कोई भी मुख्यमंत्री एक दिन में कुछ भी नहीं कर सकता। ऐसी फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है ?

उत्तर-

– मैं रिजवान व शंकर के विचारों से सहमत हूँ क्योंकि रिजवान ने कहा कि इस तरह का, बिना संस्थाओं वाला एक व्यक्ति का राज खतरनाक है वहीं शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है। कोई भी मुख्यमंत्री एक दिन में कुछ नहीं कर सकता है। वास्तव में एक दिन के मुख्यमंत्री की कल्पना फिल्मों में ही की जा सकती है।

प्रश्न 9. एक शिक्षिका छात्रों की संसद के आयोजन की तैयारी कर रही थी। उसने दो छात्राओं से अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की भूमिका करने को कहा। उसने उन्हें विकल्प भी दिया। यदि वे चाहें तो राज्यसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता हो सकती हैं और अगर चाहे तो लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्प दिया गया तो आप क्या चुनेंगे और क्यों ?

उत्तर– मुझे अगर यह अवसर मिला तो मैं लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता की भूमिका पसन्द करूँगा क्योंकि लोकसभा में बहुमत दल का नेता प्रधानमंत्री होता है। हमारे देश में प्रधानमंत्री सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक संस्था है। प्रधानमंत्री कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करता है।

प्रश्न 10. आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढ़कर तीन विद्यार्थियों की न्यायपालिका की भूमिका पर अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। इनमें से कौन-सी प्रतिक्रिया, न्यायपालिका की भूमिका को सही तरह समझाती है ?

सर्वोच्च न्यायालय सरकार के साथ सहमत हो गई है लिहाजा

(क) श्रीनिवास का तर्क है कि चूँकि सर्वोच्च न्य वह स्वतंत्र नहीं है।

(ख) अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ फैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन का निर्देश दिया।

(ग) विजया का मानना है कि न्यायपालिका न तो स्वतंत्र है और न ही किसी के अनुसार चलने वाली है बल्कि वह विरोधी समूहों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। न्यायालय ने इस आदेश के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़िया सन्तुलन बनाया ।

आपकी राय में कौन-सा विचार सबसे सही है ?

उत्तर-

(ख) अंजैया की प्रतिक्रिया न्यायपालिका की भूमिका को सही तरह से समझाती है। क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को देश के संविधान की व्याख्या का अधिकार है। अगर उन्हें लगता है कि विधायिका का कोई कानून या कार्यपालिका की कोई कार्यवाही संविधान के खिलाफ है तो वे केन्द्र और राज्य स्तर पर ऐसे कानून या कार्यवाही को अमान्य घोषित कर सकते हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

(C) अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

1. सरकारी नौकरियों में सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से आरक्षण है-

(i) 21 फीसदी,

(iii) 30 फीसदी,

(ii) 27 फीसदी,

(iv) 35 फीसदी।

2. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए न्यूनतम आयु सीमा है-

(i) 45 वर्ष,

(ii) 35 वर्ष,

(iii) 40 वर्ष,

(iv) 21 वर्ष ।

3. वित्त विधेयक का निर्णय करता है-

(i) वित्तमंत्री,

(ii) प्रधानमंत्री,

(iii) लोकसभा अध्यक्ष,

(iv) राष्ट्रपति ।

4. राज्यसभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु है-

(i) 21 वर्ष,

(ii) 25 वर्ष,

(iii) 30 वर्ष,

(iv) 35 वर्ष।

5. किसी राज्य का राज्यपाल किसका अनिवार्य अंग रहता है ?

(i) संसद,

(ii) विधानसभा,

(iii) न्यायपालिका,

(iv) राज्यसभा।

6. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करता है-

(i) कानून मंत्री,

(ii) प्रधानमंत्री,

(iii) गृह मंत्री,

(iv) राष्ट्रपति ।

7. राज्य सभा के सदस्यों को नामजद करने का अधिकार किसे है ?

(i) राष्ट्रपति को,

(ii) प्रधानमंत्री को,

(iii) राज्यपाल को,

(iv) सर्वोच्च न्यायालय को ।

8. राज्यसभा की सदस्य संख्या है-

(i) 300,

(ii) 275,

(iii) 250,

(iv) 350।

उत्तर– 1. (ii), 2. (ii), 3. (iv), 4. (iii), 5. (ii), 6. (iv), 7. (i), 8. (iii)।

रिक्त स्थान पूर्ति

1. संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति ……………………….का शासक होता है।..

2. संसद के दो सदन हैं ………………… और ………………………..

3. लोकसभा में बहुमत दल के नेता को ………………………….. कहते हैं।

4. स्थानीय प्रशासन की सबसे छोटी इकाई …………………………. है।

5. भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय सभा को ………………………… कहा जाता है।

6. किसी भी देश में कानून बनाने का सबसे बड़ा अधिकार ………………………… को होता है।

7. भारत में ………………………………. सबसे अधिक प्रभावशाली संस्था है।

उत्तर-1. नाममात्र, 2. लोकसभा और राज्यसभा, 3. प्रधानमन्त्री, 4. ग्राम पंचायत, 5. संसद, 6. संसद, 7. कैबिनेट ।

सत्य/असत्य

1. लोकसभा को उच्च सदन कहा जाता है।

2. धन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत होता है।

3. भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रधानमंत्री करते हैं।

4. प्रधानमन्त्री की सलाह पर राष्ट्रपति लोकसभा को कभी भी भंग कर सकता है।

5. सरकारी निर्णय से उठने वाले विवादों का निपटारा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय करते हैं।

6. राज्य मंत्री अपने विभाग के कैबिनेट मंत्रियों से स्वतंत्र होते हैं।

7. किसी भी न्यायाधीश को संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग दो-तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित करके ही हटाया जा सकता है।

उत्तर– 1. असत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. असत्य, 7. सत्य ।

सही जोड़ी मिलाइए

उत्तर- 1.→ (ख), 2. (घ), 3. (ङ), 4. (ग), 5. (क)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. लोकसभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम आय क्या है ?

2. भारत में मौलिक अधिकारों का संरक्षक कौन है ?

3. राज्यपाल को पद की शपथ कौन दिलाता है ?

4. राज्यसभा सदस्य के निर्वाचन के लिए न्यूनतम आयु कितनी है ?

5. राज्य की कार्यपालिका का प्रधान कौन होता है ?

6. सरकार का प्रमुख कौन होता है ?

7. ‘अपर हाउस’ किसे कहा जाता है

8. जब हम ‘सरकार’ के बारे में बात करते हैं तो हमारा तात्पर्य आमतौर पर किससे होता है

उत्तर– 1. 25 वर्ष, 2. सर्वोच्च न्यायालय, 3. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, 4. 30 वर्ष, 5. मुख्यमंत्री, 6. प्रधानमंत्री, 7. राज्यसभा, 8. कार्यपालिका ।

अति लघु ‘उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. राजनैतिक संस्था से क्या अर्थ है ?

उत्तर-देश की सरकार और राजनैतिक जीवन के आचार को नियमित करने वाली प्रक्रियाओं का समूह को राजनैतिक संस्था कहा जाता है।

प्रश्न 2. गठबंधन सरकार (साझा सरकार) किसे कहते हैं ?

उत्तर– किसी एक दल का बहुमत न आने पर जब दो या दो से अधिक दल मिलकर सरकार बनाते हैं, तब वह सरकार साझा सरकार कहलाती है। इसे गठबन्धन सरकार भी कहते हैं।

प्रश्न 3. ‘कार्यपालिका’ से क्या आशय है ?

उत्तर– ‘कार्यपालिका’ से आशय व्यक्तियों का ऐसा निकाय जिसके पास देश के संविधान और कानून के आधार पर प्रमुख नीति बनाने, फैसले करने और उन्हें लागू करने का अधिकार होता है।

प्रश्न 4. ‘न्यायपालिका’ से क्या आशय है ? लिखिए।

उत्तर – एक राजनैतिक संस्था जिसके पास न्याय करने और कानूनी विवादों के निपटारे का अधिकार होता है। देश की सभी अदालतों को एक साथ न्यायपालिका के नाम से पुकारा जाता है।

प्रश्न 5. केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् में किन-किन स्तर के मन्त्री होते हैं ?

उत्तर-केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं –

(1) कैबिनेट मंत्री, (2) स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री, (3) राज्य मंत्री ।

प्रश्न 6. ‘सरकार’ से क्या अर्थ है ? बताइए।

उत्तर-संस्थाओं का ऐसा समूह जिसके पास देश में व्यवस्थित जन-जीवन सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने, लागू करने और उसकी व्याख्या करने का अधिकार होता है। व्यापक अर्थ में सरकार किसी देश के लोगों और संसाधनों को नियंत्रित और उनकी निगरानी करती ‘सरकार’ कहलाती है।

प्रश्न 7. ‘आरक्षण’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर-भेदभाव के शिकार, वंचित और पिछड़े लोगों और समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों तथा शैक्षिक संस्थाओं में पद एवं सीटें ‘आरक्षित’ करने की नीति ।

प्रश्न 8. ‘कार्यालय ज्ञापन’ क्या है ?

उत्तर– कार्यालय ज्ञापन से आशय सक्षम अधिकारी द्वारा जारी पत्र जिसमें सरकार के फैसले या नीति के बारे में बताया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. राजनैतिक संस्थाएँ क्यों महत्वपूर्ण हैं ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-राजनैतिक संस्थाएँ नियम और कानून बनाती हैं। ये संस्थाएँ किसी निर्णय के लिए लोगों से परामर्श करने के लिए अवसर उपलब्ध कराती हैं। निर्णय लागू होने पर यदि कोई विवाद पैदा होता है तो कुछ संस्थाएँ क्या सही है और क्या गलत ? इसका भी निर्णय करती हैं। जैसा कि निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है-

(1) प्रधानमंत्री और कैबिनेट ऐसी संस्थाएँ हैं जो सभी महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले करती हैं।

(2) मंत्रियों द्वारा किए गए फैसले को लागू करने के उपायों के लिए एक निकाय के रूप में नौकरशाह जिम्मेदार होते हैं।

(3) सर्वोच्च न्यायालय वह संस्था है, जहाँ नागरिक और सरकार के बीच विवाद अंतत: सुलझाए जाते हैं।

प्रश्न 2. प्रधानमंत्री के कार्य लिखिए।

उत्तर – प्रधानमन्त्री के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

(1) प्रधानमन्त्री का सर्वप्रथम कार्य मन्त्रिपरिषद् का गठन करना होता है।

(2) मन्त्रियों के बीच विभागों का वितरण।

(3) मन्त्रिपरिषद् की बैठकों की अध्यक्षता करना ।

(4) मन्त्रियों के विभागों तथा कार्यों की देखभाल करना ।

(5) प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति तथा मन्त्रिमण्डल के बीच कड़ी का काम करता है।

(6) विदेशों के साथ सम्बन्धों की स्थापना, सन्धियाँ तथा समझौते करना प्रधानमन्त्री का ही उत्तरदायित्व है।

(7) राष्ट्रपति के संकटकालीन अधिकारों का प्रयोग करना ।

प्रश्न 3. प्रधानमन्त्री शासन का केन्द्र बिन्दु है। स्पष्ट कीजिए ।

अथवा

प्रधानमन्त्री के पद का महत्त्व लिखिए।

उत्तर- भारत में प्रधानमन्त्री का पद विशेष महत्त्व का होता है। वह प्रशासनिक व्यवस्था का आधार होता है। वह मन्त्रिमण्डल का अध्यक्ष, राष्ट्रपति का प्रमुख परामर्शदाता तथा लोकसभा का नेता होता है। मन्त्रिमण्डल के सदस्यों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमन्त्री की सिफारिश के अनुसार की जाती है। वह अपने मन्त्रिमण्डल के सहयोग से राष्ट्र की प्रशासनिक तथा आर्थिक नीतियों का निर्माण करता है। वह शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करता है। अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रधानमन्त्री राष्ट्र का नेतृत्व करता है। इस प्रकार संसद, देश तथा विदेश में प्रधानमन्त्री शासन-सम्बन्धी नीति का प्रमुख अधिकृत प्रवक्ता होता है।

प्रश्न 4. प्रधानमन्त्री और मन्त्रिपरिषद् के आपसी सम्बन्धों की चर्चा कीजिए।

उत्तर- (1) प्रधानमन्त्री, मन्त्रिपरिषद् की बैठकों की अध्यक्षता करता है और मन्त्रिमण्डल की समस्त कार्यविधि पर उसका पूर्ण नियन्त्रण होता है।

(2) मन्त्रिपरिषद् के सदस्यों में विभागों का वितरण प्रधानमन्त्री के द्वारा ही किया जाता है।

(3) प्रधानमन्त्री मन्त्रियों के विभागों में परिवर्तन कर सकता है और उनसे त्यागपत्र की माँग कर सकता है।

प्रश्न 5. ‘केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद्’ का गठन किस तरह किया जाता है ?

उत्तर – लोकसभा के बहुमत दल वाले नेता को राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है और प्रधानमन्त्री की सलाह से अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है। राष्ट्रपति के लिए यह आवश्यक है कि वह लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल के नेता को ही प्रधानमन्त्री चुने । अन्य मन्त्रियों के चुनाव में भी राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री का परामर्श मानने के लिए बाध्य है। संविधान में यह निश्चित नहीं किया गया है कि मन्त्रिमण्डल में कितने मन्त्री होंगे। इनकी संख्या आवश्यकतानुसार प्रधानमन्त्री निश्चित करता है। प्रत्येक मन्त्री को प्राय: एक या अधिक विभागों का अध्यक्ष बनाया जाता है।

प्रश्न 6. ‘विधायिका’ क्या है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर– विधायिका – जनप्रतिनिधियों की सभा जिसके पास देश का कानून बनाने का अधिकार होता है। कानून बनाने के अलावा विधायिका को कर बढ़ाने, बजट बनाने और दूसरे वित्त विधेयकों को बनाने का विशेष अधिकार होता है।

प्रश्न 7. मन्त्रिपरिषद् के मंत्रियों को उसके पदों के अनुसार पद पर किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

मंत्रिपरिषद् उस निकाय का सरकारी नाम है जिसमें सारे मंत्री होते हैं। मंत्रिपरिषद के मंत्रियों को उसके पदों के अनुसार पद पर तीन प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है-

(1) कैबिनेट मन्त्री – ये सत्ताधारी पार्टी या गठबन्धन की पार्टियों के वरिष्ठ नेता होते हैं। ये प्रमुख मंत्रालयों के प्रभारी होते हैं। केबिनेट मंत्री मंत्रिपरिषद् के नाम पर फैसले करने के लिए बैठक करते हैं। इस तरह कैबिनेट मंत्रिपरिषद् का शीर्ष समूह होता है।

(2) स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री – ये प्राय: छोटे मंत्रालयों के प्रभारी होते हैं। ये विशेष रूप से आमंत्रित किए जाने पर ही कैबिनेट की बैठकों में भाग लेते हैं।

(3) राज्य मंत्री – ये अपने विभाग के कैबिनेट मंत्रियों से जुड़े होते हैं और उनकी सहायता करते हैं।

प्रश्न 8. राष्ट्रपति पद के लिए निर्धारित योग्यताएँ बताइए एवं उसका कार्यकाल क्या है ?

उत्तर-राष्ट्रपति पद के लिए निर्धारित योग्यताएँ निम्न प्रकार हैं-

(1) वह भारत का नागरिक हो ।

(2) उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो।

(3) उसमें वे सभी योग्यताएँ हों, जो लोकसभा के सदस्यों के लिए निर्धारित की गई हैं।

(4) वह केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन आर्थिक लाभ वाले पद पर कार्य न करता हो ।

कार्यकाल – राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष निश्चित किया गया है।

प्रश्न 9. भारत के राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियाँ लिखिए ।

उत्तर-भारत के राष्ट्रपति की कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं-

(1) राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की नियुक्ति करता है तथा उसके परामर्श पर अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है।

(2) राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति तथा नियन्त्रक व महालेखा परीक्षक की शक्तियों से सम्बन्धित नियमों का निर्माण करता है।

(3) राज्यों के राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य, विदेशों के लिए राजदूतों आदि की नियुक्ति वही करता है।

(4) अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में वह अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है।

(5) वह भारत की जल, थल और वायु तीनों प्रकार की सेनाओं का प्रधान सेनापति होता है। उसी के नाम से युद्ध या युद्धबन्दी की घोषणा होती है।

(6) राष्ट्रपति यह देखता है कि राज्यों का शासन प्रबन्ध संविधान के अनुसार चल रहा है या नहीं।

प्रश्न 10. भारत के राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ क्या हैं ?

उत्तर-भारत के राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं—

(1) राष्ट्रपति संसद के अधिवेशन को बुलाता है और अधिवेशन समाप्ति की घोषणा करता है।

(2) राष्ट्रपति को राज्यसभा के 12 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है।

(3) संसद द्वारा पास किया गया विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों से कानून बनता है।

(4) अध्यादेश जारी करके आवश्यकता पड़ने पर संसद का अधिवेशन बुलाता है।

(5) राष्ट्रपति को लोकसभा भंग करने का अधिकार है लेकिन इस अधिकार का प्रयोग राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की सलाह से करता है।

प्रश्न 11. भारत के राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियों का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर– भारत के राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं-

(1) राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।

(2) राष्ट्रपति को किसी भी कानूनी मामले में उच्चतम न्यायालय से परामर्श प्राप्त करने का अधिकार है।

(3) राष्ट्रपति को एक अन्य महत्त्वपूर्ण शक्ति क्षमादान की प्राप्त है। राष्ट्रपति को न्यायिक शक्ति के अन्तर्गत दण्ड प्राप्त व्यक्तियों को क्षमा प्रदान करने या दण्ड को कुछ समय के लिए स्थगित करने का भी प्राप्त है।

प्रश्न 12. संसद किस प्रकार लोगों की ओर से राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग करती है ? स्पष्ट कीजिए ।

अथवा

“हमें संसद क्यों चाहिए ?” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर– हमें संसद की आवश्यकता निम्न कारणों से होती है-

(1) किसी भी देश में कानून बनाने का सबसे बड़ा अधिकार संसद को होता है। कानून बनाने या विधि निर्माण का यह कार्य इतना महत्वपूर्ण होता है कि इन सभाओं को विधायिका कहते हैं। दुनिया भर की संसदें नए कानून बना सकती हैं, या मौजूदा कानून को खत्म कर उसकी जगह नये कानून बना सकती हैं।

(2) दुनिया भर में संसद सरकार चलाने वालों को नियंत्रित करने के लिए कुछ अधिकारों का प्रयोग करती हैं। भारत जैसे देश में उसे सीधा और पूर्ण नियंत्रण हासिल है। संसद के पूर्ण समर्थन की स्थिति में ही सरकार चलाने वाले फैसले कर सकते हैं।

(3) सरकार के हर पैसे पर संसद का नियंत्रण होता है। अधिकांश देशों में संसद की मंजूरी के बाद ही सार्वजनिक पैसे को खर्च किया जा सकता है।

(4) सार्वजनिक मसलों और किसी देश की राष्ट्रीय नीति पर चर्चा और बहस के लिए संसद ही सर्वोच्च संघ है। संसद किसी भी मामले में सूचना माँग सकती है।

प्रश्न 13. ” भारत की न्यायपालिका दुनिया की सबसे अधिक प्रभावशाली न्यायपालिकाओं में से एक है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – भारत की न्यायपालिका दुनिया की सबसे अधिक प्रभावशाली न्यायपालिकाओं में से एक है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को देश के संविधान की व्याख्या का अधिकार है। अगर उन्हें लगता है कि विधायिका का कोई कानून या कार्यपालिका की कोई कार्यवाही संविधान के खिलाफ है तो वे केन्द्र और राज्य स्तर पर ऐसे कानून या कार्यवाही को अमान्य घोषित कर सकते हैं। इस तरह जब उनके सामने किसी कानून या कार्यपालिका की कार्यवाही को चुनौती मिलती है तो वे उसकी संवैधानिक वैधता तय करते हैं। इसे न्यायिक समीक्षा के रूप में जाना जाता है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी फैसला दिया है कि संसद, संविधान के मूलभूत सिद्धान्तों को बदल नहीं सकती।

भारतीय न्यायपालिका के अधिकार और स्वतंत्रता उसे मौलिक अधिकारों रक्षक के रूप में कार्य करने की क्षमता प्रदान करते हैं।

प्रश्न 14. किस प्रक्रिया के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पदच्युत किया जा सकता है ?

उत्तर- संसद के प्रत्येक सदन की समस्त संख्या के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के विरुद्ध उसे दुराचारी होने का प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति द्वारा उसे उसके पद से अपदस्थ किया जा सकता है। अभी तक महाभियोग लगाकर किसी भी न्यायाधीश को नहीं हटाया गया है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. लोकसभा की किन्हीं पाँच शक्तियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर– लोकसभा की शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं-

(1) विधायी शक्ति -लोकसभा का प्रमुख कार्य विधि निर्माण है। संविधान के अनुसार विधि निर्माण में लोकसभा एवं राज्यसभा की शक्तियाँ बराबर हैं परन्तु व्यवहार में लोकसभा ज्यादा शक्तिशाली है। साधारण रूप से समस्त महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तुत किए जाते हैं।

(2) कार्यपालिका पर नियन्त्रण – संविधान के अनुसार मन्त्रिमण्डल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। मन्त्रिमण्डल तब तक ही क्रियाशील रह सकता है जब तक लोकसभा का उसमें विश्वास है। लोकसभा के सदस्य मंत्रियों से प्रश्न पूछकर, शासकीय नीतियों पर कार्यस्थगन प्रस्ताव तथा अविश्वास प्रस्ताव रखकर सरकार पर नियन्त्रण रखते हैं।

(3) वित्तीय शक्ति -संविधान के द्वारा वित्तीय मामलों में लोकसभा को शक्तिशाली बनाया गया है। वित्त विधेयक लोकसभा में ही पारित किए जाते हैं- यद्यपि वित्त विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा मैं जाते हैं किन्तु राज्यसभा के द्वारा धन विधेयकों पर 14 दिन के अन्दर स्वीकृति देनी होती है।

(4) संविधान में संशोधन – लोकसभा राज्यसभा के साथ मिलकर संविधान में संशोधन कर सकती है।

(5) विविध कार्य-लोकसभा राष्ट्रपति पर महाभियोग लगा सकती है, उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए राज्यसभा के पारित प्रस्ताव पर चर्चा करती है, उच्च एवं उच्चतम न्यायालयों के न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग प्रस्तावों पर चर्चा करती है, राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए संकटकाल की पुष्टि एक माह के भीतर लोकसभा द्वारा होना अनिवार्य है। अन्यथा ऐसी घोषणा अपने आप निरस्त हो जायेगी।

प्रश्न 2. लोकसभा बनाम राज्यसभा पर टिप्पणी कीजिए ।

अथवा

लोकसभा, राज्यसभा की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है। स्पष्ट कीजिए।

अथवा

लोकसभा तथा राज्यसभा की शक्तियों की तुलना कीजिए।

उत्तर-लोकसभा राज्यसभा की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है। यह निम्नलिखित बातों से स्पष्ट है-

(1) किसी भी सामान्य कानून को पारित करने के लिए दोनों सदनों की आवश्यकता होती है। किन्तु अगर दोनों सदनों के बीच कोई मतभेद हो तो अन्तिम फैसला दोनों के संयुक्त अधिवेशन में किया जाता है। इसमें दोनों सदनों के सदस्य एक साथ बैठते हैं। सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण इस तरह की बैठक में लोकसभा के विचार को प्राथमिकता मिलने की सम्भावना रहती है।

(2) लोकसभा धन के मामलों में अधिक अधिकारों का प्रयोग करती है। लोकसभा में सरकार का बजट या धन से सम्बन्धित कोई कानून पारित हो जाए तो राज्यसभा उसे खारिज नहीं कर सकती। राज्यसभा उसे पास करने में केवल 14 दिनों के लिए विलम्ब कर सकती है या उसमें संशोधन के सुझाव दे सकती है। यह लोकसभा का अधिकार है कि वह उन सुझावों को माने या न माने।

(3) एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि लोकसभा मंत्रिपरिषद् को नियंत्रित करती है। सिर्फ वही व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है जिसे लोकसभा में बहुमत शामिल हो। अगर आधे से अधिक लोकसभा सदस्य यह कह दें कि उन्हें मंत्रिपरिषद् पर ‘विश्वास नहीं’ है तो प्रधानमंत्री समेत सभी मंत्रियों को पद से त्यागपत्र देना होगा जबकि राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त नहीं है।

प्रश्न 3. सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ

भारत के सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ निम्नानुसार हैं-

(1) प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार-ऐसे विवाद जो देश के अन्य न्यायालयों में नहीं जाते केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही प्रस्तुत होते हैं।

(i) राज्यों के मध्य विवाद

(1) जब केन्द्रीय सरकार तथा एक राज्य या अधिक राज्यों के मध्य विवाद हो ।

(2) जिस विवाद में एक ओर केन्द्रीय सरकार तथा दूसरी ओर एक या कुछ राज्य हों। केन्द्रीय सरकार तथा एक राज्य या अधिक राज्यों के मध्य विवाद हो ।

(3) यदि विवाद दो राज्यों के मध्य हो।

(ii) मौलिक अधिकारों से सम्बन्धित विवाद:

नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय को समुचित कार्यवाही करने की शक्ति प्राप्त है।

(2) अपीलीय क्षेत्राधिकार – सर्वोच्च न्यायालय भारत का अन्तिम अपीलीय न्यायालय है। सर्वोच्च न्यायालय के अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

(i) संवैधानिक अपील- यदि किसी मामले में संविधान की व्याख्या का प्रश्न निहित है, तो उसकी अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।

(ii) दीवानी अपीलें – सर्वोच्च न्यायालय में उस दीवानी मुकदमे की अपील की जा सकती है। जब वही उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर दे कि मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय में अपील के योग्य है।

(iii) फौजदारी की अपीलें – सर्वोच्च न्यायालय में निम्नलिखित फौजदारी की अपीलें की जा सकती हैं-

 (क) यदि उच्च न्यायालय ने निम्न न्यायालय के निर्णय को बदलकर किसी व्यक्ति को मृत्यु – दण्ड, आजन्म कारावास या 10 वर्ष का कारावास का दण्ड दिया हो।

(ख) यदि उच्च न्यायालय इस प्रकार का प्रमाणपत्र दे दे कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में अपील करने योग्य है।

(ग) यदि उच्च न्यायालय ने किसी मुकदमे को अपने पास मँगाकर किसी व्यक्ति को दण्ड दिया हो।

(3) परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार-संविधान की धारा 143 के अनुसार यदि राष्ट्रपति किसी संवैधानिक या कानूनी प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श लेना चाहे तो राष्ट्रपति को परामर्श दे सकता है।

(4) न्यायिक पुनरावलोकन सम्बन्धी क्षेत्राधिकार- सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अधिकार भी प्राप्त है । इस अधिकार के प्रयोग से वह संसद या राज्य विधान मण्डल द्वारा पारित किये गये किसी भी ऐसे कानून को अवैध घोषित कर सकता है जो संविधान के विरुद्ध हो । संविधान की व्याख्या करने का अन्तिम अधिकार सर्वोच्च न्यायालय के पास है। इस प्रकार संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय की महत्वपूर्ण भूमिका है।

(5) अभिलेख न्यायालय – उच्चतम न्यायालय देश का सबसे बड़ा न्यायालय है। यह अभिलेख न्यायालय के रूप में कार्य करता है। इसका अर्थ यह है कि इसके निर्णयों का रिकॉर्ड रखा जाता है तथा अन्य वैसे मुकदमे आने पर उनका हवाला दिया जाता है। अभिलेख न्यायालय के दो अर्थ हैं-

(i) इस न्यायालय के निर्णय सब जगह साक्षी के रूप में स्वीकार किये जायेंगे और इन्हें भी किसी भी न्यायालय में प्रस्तुत किये जाने पर उनकी प्रामाणिकता के विषय में प्रश्न नहीं उठाया जायेगा।

(ii) इस न्यायालय के द्वारा ‘न्यायालय अवमानना’ के लिए किसी भी प्रकार का दण्ड दिया जा सकता है।

(6) अन्य कार्य – सर्वोच्च न्यायालय उपरोक्त अधिकारों के अतिरिक्त निम्न कार्य भी करता है-

(i) अपने अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण एवं जाँच ।

(ii) अपने तथा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों व अधिकारियों की सेवा शर्तों का निर्धारण ।

(iii) न्यायालय की अवमानना करने वाले किसी भी व्यक्ति को दण्डित करने की शक्ति ।

सर्वोच्च न्यायालय के कार्य एवं व्यवहार से हमारे देश में लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत हुई हैं तथा नागरिकों के मौलिक अधिकार सुरक्षित हुए हैं।

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