MP Board Class 9 Economic  Solution Chapter 3 :  निर्धनता : एक चुनौती

MP Board Class 9 Economic – I अर्थशास्त्र – आर्थिक विकास की समझ  I

Chapter 3 : निर्धनता : एक चुनौती [Poverty as Challenge]

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • किसी समाज में व्यक्तियों का बहुत बड़ा भाग जब जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ रहता है तब इस स्थिति को ‘निर्धनता’ कहा जाता है।
  • निर्धनता का अर्थ भुखमरी और आश्रय का न होना है।
  • निर्धनता का अर्थ स्वच्छ जल और सफाई सुविधाओं का अभाव भी है। इसका अर्थ नियमित रोजगार की कमी भी है तथा न्यूनतम शालीनता स्तर का अभाव भी है।
  • सामाजिक अपवर्जन लोगों की आय ही बहुत कम नहीं करता बल्कि यह इससे भी कहीं अधिक क्षति पहुँचा सकता है।  
  • असुरक्षा का निर्धारण परिसम्पत्तियों, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों के रूप में जीविका खोजने के लिए विभिन्न समुदायों के पास उपलब्ध विकल्पों से होता है।
  • ‘निर्धनता रेखा’ से आशय नागरिकों के उस न्यूनतम आर्थिक स्तर से है जो उनके जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक होता है।
  • भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है।
  • निर्धनता रेखा का आकलन हर पाँच वर्ष पर राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एन.एस.एस.ओ.) द्वारा कराए जाते हैं।
  • भारत में निर्धनता का अनुपात वर्ष 1993-94 में लगभग 45 प्रतिशत से वर्ष 2011-12 में गिरकर 22 प्रतिशत पर आ गया।
  • अनुसूचित जनजातियों के 100 में से 43 लोग अपनी मूल आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं।
  • इसी प्रकार नगरीय क्षेत्रों में 34 प्रतिशत अनियत मजदूर निर्धनता रेखा के नीचे हैं।
  • बिहार और ओडिशा क्रमश: 33.7 और 32.6 प्रतिशत निर्धनता औसत के साथ दो सर्वाधिक निर्धन राज्य बने हुए हैं।
  • पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य उच्च कृषि वृद्धि दर से निर्धनता कम करने में पारम्परिक रूप से सफल रहे हैं।
  • विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार प्रतिदिन $1.9 से कम पर जीवन निर्वाह करना, में रहने वाले लोगों का अनुपात 1990 के 36 प्रतिशत से गिरकर 2015 में 10 प्रतिशत हो गया है।
  • चीन में निर्धनों की संख्या 1981 के 88.3 प्रतिशत से घटकर 2008 में 14.7 प्रतिशत और वर्ष 2015 में 0.7 प्रतिशत रह गई है।
  • दक्षिण एशिया के देशों (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान) में निर्धनों की संख्या 2005 में 34 प्रतिशत से गिरकर 2013 में 16.2 प्रतिशत हो गई है।
  • संयुक्त राष्ट्र के नये सतत् विकास के लक्ष्य को 2030 तक सभी प्रकार की गरीबी खत्म करने का प्रस्ताव है।
  • भारत में निर्धनता निरोधी प्रमुख कार्यक्रम-महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम, 2005 (मनरेगा), राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष, राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम (2004), प्रधानमंत्री रोजगार योजना (1993 में), ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (1995 में), स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (2000 में) तथा अंत्योदय अन्न योजना।

पाठान्त अभ्यास

प्रश्न 1. भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है ?

उत्तर – भारत में निर्धनता रेखा का आकलन

(1) भारत में निर्धनता रेखा का आकलन करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूते, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा सम्बन्धी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है।

(2) इन भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है। निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकताओं पर आधारित है।

(3) खाद्य वस्तुएँ; जैसे-अनाज, दालें, सब्जियाँ, दूध, तेल, चीनी आदि मिलकर इस आवश्यक कैलोरी की पूर्ति करती हैं।

(4) आयु, लिंग, कार्य करने की प्रकृति आदि के आधार पर कैलोरी आवश्यकताएँ बदलती रहती हैं।

(5) भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है।

(6) मौद्रिक अवस्था में इसका मूल्यांकन वर्ष 2011-12 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 816 प्रतिमाह और शहरी क्षेत्रों में ₹ 1000 प्रतिमाह किया गया।

प्रश्न 2. क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है ?

उत्तर – निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही नहीं है। क्योंकि यह केवल एक मात्रात्मक अवधारणा है। लोगों के लिए निर्धनता की आधिकारिक परिभाषा उनके केवल एक सीमित भाग पर लागू होती है। यह न्यूनतम जीवन निर्वाह के ‘उचित स्तर’ की अपेक्षा जीवन निर्वाह के ‘न्यूनतम स्तर’ के विषय में है।

प्रश्न 3. भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।

उत्तर – योजना आयोग ने राष्ट्रीय स्तर पर कुछ वर्षों के लिए निर्धनता की रेखा के नीचे रहने वाले व्यक्तियों का अनुमान लगाया है। यह अनुमान राष्ट्रीय न्यादर्श सर्वेक्षण (NSS) के उपभोग व्यय के आँकड़ों पर आधारित है। नीचे तालिका 19.1 में यह अनुमान दिये गये हैं

प्रश्न 4. भारत में निर्धनता में अन्तर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।

उत्तर – भारत में राज्यवार निर्धनता-भारत में विभिन्न राज्यों में गरीबी की व्यापकता समान नहीं है। भिन्न-भिन्न राज्यों में निर्धनता की 2011-12 की स्थिति को निम्न तालिका में दर्शाया गया है

तालिका 19.2: प्रमख राज्यों में गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या प्रतिशत

उपर्युक्त तालिका के अनुसार भारत में बिहार, ओडिशा व मध्य प्रदेश राज्य में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों की संख्या सबसे अधिक है।

इसकी तुलना में केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल में निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य उच्च कृषि वृद्धि दर से निर्धनता कम करने में पारम्परिक रूप से सफल रहे हैं। केरल ने मानव संसाधन विकास पर अधिक ध्यान दिया है। पश्चिम बंगाल में भूमि सुधार उपायों से निर्धनता कम करने में सहायता मिली है।

प्रश्न 5. उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय है।

उत्तर -निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों का अनुपात भी भारत में सभी सामाजिक समूहों और आर्थिक वर्गों में एक समान नहीं है। जो सामाजिक समूह निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित हैं, वे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवार हैं। इसी प्रकार, आर्थिक समूहों में सर्वाधिक असुरक्षित समूह, ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियत मजदूर परिवार हैं। अनुसूचित जनजातियों के 100 में से 43 लोग अपनी मूल आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं। इसी तरह नगरीय क्षेत्रों में 34 प्रतिशत अनियत मजदूर निर्धनता रेखा के नीचे हैं। लगभग 34 प्रतिशत अनियत कृषि श्रमिक ग्रामीण क्षेत्र में और 29 प्रतिशत अनुसूचित जातियाँ भी निर्धन हैं।

अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सामाजिक रूप से सुविधा वंचित सामाजिक समूहों का भूमिहीन अनियत दिहाड़ी श्रमिक होना उनकी दोहरी असुविधा की समस्या की गम्भीरता को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 6. भारत में अन्तर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।

उत्तर-भारत में अन्तर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के निम्नलिखित कारण हैं-

(1) प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक समान नहीं है।

(2) किसी राज्य में भूमि सुधार उपायों से निर्धनता कम करने में सहायता मिली है।

(3) प्रत्येक राज्य का प्राकृतिक वातावरण समान नहीं है।

(4) प्रत्येक राज्य में मानव संसाधन के विकास पर समान नीति नहीं अपनाई है।

(5) कुछ राज्य उच्च कृषि वृद्धि दर से निर्धनता कम करने में पारम्परिक रूप से सफल रहे हैं।

(6) कुछ राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उचित प्रयोग सुधार का कारण रहा है।

प्रश्न 7. वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।

उत्तर – विभिन्न राष्ट्रों में अत्यन्त आर्थिक निर्धनता (विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार प्रतिदिन 1.9 डॉलर से कम पर जीवन निर्वाह करना) में रहने वाले लोगों का अनुपात 1990 के 36 प्रतिशत से गिरकर 2015 में 10 प्रतिशत हो गया है। यद्यपि वैश्विक निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है, लेकिन इसमें वृहद क्षेत्रीय विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। जैसा कि निम्न बातों से स्पष्ट है

(1) तीव्र आर्थिक प्रगति और मानव संसाधन विकास में वृहद निवेश के कारण चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के राष्ट्रों में निर्धनता में विशेष कमी आई है। चीन में निर्धनों की संख्या 1981 के 88.3 प्रतिशत से घटकर 2008 में 14.7 प्रतिशत और वर्ष 2015 में 0.7 प्रतिशत रह गई है।

(2) दक्षिण एशिया के राष्ट्रों (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान) में निर्धनों की संख्या में गिरावट इतनी ही तीव्र रही है और 2005 में 3-4 प्रतिशत से गिरकर 2013 में 16-2 प्रतिशत हो गई है।

(3) निर्धनों के प्रतिशत में गिरावट के साथ ही निर्धनों की संख्या में भी कमी आई, जो 2005 में 510-4 मिलियन से घटकर 2013 में 274-5 मिलियन रह गई है। भिन्न निर्धनता रेखा परिभाषा के कारण भारत में भी निर्धनता राष्ट्रीय अनुमान से अधिक है।

(4) सब-सहारा अफ्रीका में निर्धनता वास्तव में 2005 के 51 प्रतिशत से घटकर 2015 में 41 प्रतिशत हो गई है। लैटिन अमेरिका में निर्धनता रेखा 2005 में 10 प्रतिशत से गिरकर 2015 में 4 प्रतिशत रह गई है।

(5) रूस जैसे पूर्व समाजवादी देशों में भी निर्धनता पुनः व्याप्त हो गई, जहाँ पहले आधिकारिक रूप से कोई निर्धनता थी ही नहीं।

तालिका 19.3 अन्तर्राष्ट्रीय निर्धनता रेखा (अर्थात् $ 1.9 प्रतिदिन से नीचे की जनसंख्या) की परिभाषा के अनुसार विभिन्न राष्ट्रों में निर्धनता के नीचे रहने वाले लोगों का अनुपात प्रदर्शित करती है।

तालिका 19.3 : निर्धनता हैडकाउंट अनुपात

प्रश्न 8. निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें।

उत्तर-निर्धनता उन्मूलन भारत की विकास रणनीति का एक प्रमुख उद्देश्य रहा है। सरकार की वर्तमान निर्धनता-निरोधी रणनीति साधारण तौर पर दो कारकों-

(i) आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन और (2) लक्षित निर्धनता-निरोधी कार्यक्रमों पर निर्भर है।

(i) आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन -1980 के दशक से भारत की आर्थिक संवृद्धि-दर विश्व में सबसे अधिक रही। संवृद्धि-दर 1970 के दशक के करीब 3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई। विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है।

(ii) लक्षित निर्धनता निरोधी कार्यक्रम – सरकार ने अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किये जिनमें महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम, 2005 (मनरेगा), राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष, राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम (2004), प्रधानमंत्री रोजगार योजना (1993 में), ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (1995 में), स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (2000 में) तथा अंत्योदय अन्न योजना आदि प्रमुख हैं।

प्रश्न 9. निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षेप में उत्तर दें

(क) मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं ?

(ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन हैं ?

(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर –

(क) किसी व्यक्ति को निर्धन माना जाता है, यदि उसकी आय या उपभोग स्तर किसी ऐसे ‘न्यूनतम स्तर’ से नीचे गिर जाए जो मूल आवश्यकताओं, जैसे भोजन, कपड़ा, आवास व शिक्षा को पूरा करने के लिए आवश्यक है।

(ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन के अन्तर्गत महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चियों को भी ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच से वंचित किया जाता है। निर्धनों में भी सबसे निर्धन कहलाते हैं।

(ग) महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम, 2005 (मनरेगा)

(1) इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षित करने के लिए हर घर के लिये मजदूरी रोजगार कम से कम 100 दिनों के लिए उपलब्ध कराना है।

(2) इसके अन्तर्गत सतत् विकास में, मदद करना ताकि सूखा, वन कटाई एवं मिट्टी के कटाव जैसी समस्याओं से बचा जा सके। इस प्रावधान के तहत एक-तिहाई रोजगार महिलाओं के लिये सुरक्षित किया गया

(3) इस स्कीम के अन्तर्गत 4.78 करोड़ परिवार को 220 करोड़ प्रति व्यक्ति रोजगार उपलब्ध कराया गया है।

(4) इस योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं का हिस्सा क्रमश: 23 प्रतिशत, 17 प्रतिशत एवं 53 प्रतिशत है। औसतन रोजगार वर्ष 2006-07 में ₹ 65 से बढ़ाकर ₹ 132 वर्ष 2013-14 में कर दिया गया है।

(5) मार्च 2018 में विभिन्न राज्यों में अकुशल मेनुअल श्रमिकों के लिये मजदूरी दर संशोधित कर दी गई है। इन राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों में मजदूरी दर की सीमा-परिसर ₹ 281 प्रतिदिन (हरियाणा के श्रमिकों के लिये) से ₹ 168 प्रतिदिन (बिहार और झारखण्ड के श्रमिकों के लिये) तय की गई है।

(C) अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

वस्तुनिष्ठ प्रश्न  

बहु-विकल्पीय

प्रश्न 1. 2011-12 में निर्धनता रेखा से नीचे जनसंख्या का प्रतिशत था

(i) 22,

(ii) 24,

(iii) 26,

(iv) 28.

2. मध्य प्रदेश में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत है

(i) 31.7,

(ii) 30.0,

(iii) 28.5,

(iv) 24.5.

3. भारत में सर्वाधिक गरीबी जनसंख्या वाला राज्य है

(i) मेघालय,

(ii) असम,

(iii) बिहार,

(iv) मध्य प्रदेश।

4. ग्रामीण भारत में निवास कर रहे एक व्यक्ति को निर्धन कहा जाएगा यदि इसका दैनिक कैलोरी उपभोग निम्नलिखित से कम है

(i) 2600 कैलोरी,

(ii) 2500 कैलोरी,

(iii) 2400 कैलोरी,

(iv) 2800 कैलोरी

5. भारत में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली जनसंख्या का आकलन किसके द्वारा किया जाता है ?

(i) भारतीय रिजर्व बैंक,

(ii) केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन,

(iii) राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन,

(iv) वित्त मंत्रालय।

6. प्रधानमन्त्री रोजगार योजना प्रारम्भ हुई

(i) 1993,

(ii) 1995,

(iii) 1997,

(iv) 2000.

7. ‘मनरेगा’ में कम से कम कितने दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है ?

(i) 25 दिन,

(ii) 50 दिन,

(iii) 75 दिन,

(iv) 100 दिन।

उत्तर-1. (i), 2. (i), 3. (iii), 4. (iii), 5. (iii), 6. (i), 7. (iv)।  

रिक्त स्थान पूर्ति

1. वास्तव में देश का हर ……………… व्यक्ति निर्धन है।

2. वर्ष 2011-12 में मोटे तौर पर ………….  करोड़ लोग निर्धनता में जीते हैं।

3. भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता नगरीय क्षेत्रों में प्रति ……………. व्यक्ति प्रतिदिन है।

4. 2011-12 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में …………. प्रतिमाह था।

5. चीन में निर्धनों की संख्या 1981 के 88.3 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2015 में ……………. रह गई।

6. संयुक्त राष्ट्र के नये सतत् विकास के लक्ष्य को वर्ष …………….. तक सभी प्रकार की गरीबी खत्म करने का प्रस्ताव है।

उत्तर- 1. चौथा, 2. 27,  3. 2100 कैलोरी, 4.₹ 816, 5. 0.7 प्रतिशत, 6. 2030  

सत्य/असत्य

1. जनसंख्या वृद्धि गरीबी को बढ़ाती है।

2. भारत का सबसे गरीब राज्य पंजाब है।

3. रोजगार गारण्टी अधिनियम के अन्तर्गत 5 किलो अनाज एवं न्यूनतम 20 प्रतिशत मजदूरी दी जाती है।

4. भारतवर्ष में अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि पर आधारित है।

5. वर्ष 2011-12 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण शहरी क्षेत्रों में ₹ 100 प्रतिमाह किया गया था।

6. निर्धन लोगों का एक बड़ा भाग गाँव में रहता है और कृषि पर आश्रित है।

उत्तर-1. सत्य, 2. असत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य।  

सही जोड़ी मिलाइए

उत्तर-1.→ (ग), 2. → (घ), 3. → (ङ), 4. → (क), 5. → (ख)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र किस वांछित आवश्यकताओं पर आधारित है ?

2. भारत में निर्धनता का अनुपात वर्ष 1993-94 में कितने प्रतिशत था ?

3. 2004-05 में निर्धनों की संख्या कितनी थी ?

4. अनुसूचित जनजातियों के 100 में से कितने लोग अपनी मूल आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ

5. केरल ने किस संसाधन के विकास पर अधिक ध्यान दिया है ?

6. राष्ट्रीय काम के बदले अनाज योजना कार्यक्रम किस वर्ष में लागू किया गया ? 7. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना का आरम्भ किस वर्ष में हुआ ?

उत्तर-1. कैलोरी, 2.45 प्रतिशत, 3. 40.7 करोड़, 4. 43 लोग, 5. मानव संसाधन, 6. वर्ष 2004 में, 7. वर्ष 1999 में।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ‘गरीबी रेखा से क्या आशय है ?

उत्तर – भारतीय योजना आयोग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2100 कैलोरी निर्धारित की गयी है। कोई भी व्यक्ति जो इससे कम पा रहा है, उसे गरीबी रेखा से नीचे माना गया है।

प्रश्न 2. भारत में सर्वाधिक गरीब जनसंख्या वाले तीन राज्यों के नाम लिखिए।

उत्तर – भारत में बिहार, ओडिशा व असम राज्य में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों की संख्या सबसे अधिक है।

प्रश्न 3. गरीबी के लिए उत्तरदायी सामाजिक कारण लिखिए।

उत्तर – भारत में विद्यमान सामाजिक व्यवस्थाएँ गरीबी का कारण बनी रही हैं। इसमें जन्म, मरण और शादी इत्यादि पर अनावश्यक व्यय हैं उनके फलस्वरूप ऋण का भार गरीबों को निरन्तर गरीब बनाये रखता है।

भारत में व्याप्त भाग्यवादी दृष्टिकोण में गरीबी को भी किस्मत का खेल’ मान लिया जाता है और उससे बाहर निकलने के लिए अधिक सक्रिय प्रयासों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता।

प्रश्न 4. नवीनतम आँकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या का कितना भाग निर्धनता रेखा के नीचे रहता है ?

उत्तर – मध्य प्रदेश का 31.7 प्रतिशत भाग निर्धनता रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहा है।

प्रश्न 5. तीन राज्यों के नाम बताइए जहाँ निर्धनता अनुपात सबसे कम है।

उत्तर (1) केरल, (2) हिमाचल प्रदेश, (3) पंजाब।

प्रश्न 6. उन तीन देशों के नाम बताइए जहाँ निर्धनता अनुपात अधिक है ?

उत्तर– (1) नाइजीरिया, (2) भारत, (3) बांग्लादेश।

प्रश्न 7. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना क्या है ?

उत्तर – यह योजना 2000 में शुरू की गई इसके अन्तर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 8. विश्व के उन तीन क्षेत्रों को बताइए जहाँ निर्धनता अनुपात में गिरावट आई है ?

उत्तर – (1) चीन, (2) श्रीलंका, (3) ब्राजील।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. गरीबी से क्या आशय है?

उत्तर – गरीबी का अर्थ-धन का अभाव निर्धनता को जन्म देता है। केवल कुछ व्यक्तियों की निम्न आर्थिक स्थिति ही गरीबी को जन्म नहीं देती है, बल्कि किसी समाज में व्यक्तियों का बहुत बड़ा भाग जब जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ रहता है, तब इस स्थिति को ‘गरीबी’ के नाम से जाना जाता है। आशय यह है कि समाज में अधिकांश व्यक्तियों को रहने, खाने और पहनने की अति आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध न हों तो इस प्रकार की स्थिति को ‘गरीबी’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 2. गरीबी की पहचान किस प्रकार कर सकते हैं ?

उत्तर – गरीबी की पहचान तो बहुत सरल है, किन्तु इसको परिभाषित करना कठिन है। जब हम अपने आस-पास टूटे झोंपड़ों एवं झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले परिवारों, रेलवे स्टेशनों और चौराहों पर भीख माँगते भिखारियों, खेतों में काम करने वाले श्रमिकों को देखते हैं तो उनके अभावग्रस्त जीवन को देखकर गरीबी को पहचान सकते हैं। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले व्यक्ति ‘गरीबी’ की परिभाषा में आते हैं। ‘गरीबी रेखा’ से आशय नागरिकों के उस न्यूनतम आर्थिक स्तर से है, जो उसके जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक होता है।

प्रश्न 3. यह कहना कहाँ तक उचित है कि सामाजिक अपवर्जन निर्धनता का एक कारण एवं परिणाम दोनों हो सकता है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – सामान्य अर्थ में सामाजिक अपवर्जन निर्धनता का एक कारण और परिणाम दोनों हो सकता है। साधारण तौर पर यह एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति या समूह उन सुविधाओं, लाभों और अवसरों से अपवर्जित रहते हैं, जिनका उपभोग दूसरे (उनसे अधिक अच्छे) करते हैं। इसका एक विशेष उदाहरण भारत में जाति व्यवस्था की कार्य-शैली है, जिसमें कुछ जातियों के लोगों को समान अवसरों से अपवर्जित रखा जाता है। इस प्रकार सामाजिक अपवर्जन लोगों की आय ही बहुत कम नहीं करता बल्कि यह इससे भी कहीं अधिक हानि पहुँचा सकता है।

प्रश्न 4. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान निम्न आर्थिक विकास किस सीमा तक भारत की निर्धनता के लिए उत्तरदायी है ?

उत्तर -ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन भारत की निर्धनता के लिए अग्र कारणों से उत्तरदायी है

(1) औपनिवेशिक सरकार की नीतियों ने पारम्परिक हस्तशिल्पकारी को नष्ट कर दिया और वस्त्र जैसे उद्योगों के विकास को हतोत्साहित किया।

(2) विकास की धीमी दर 1980 के दशक तक जारी रही। इसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर घटे और आय की वृद्धि दर गिरी।

(3) इसके साथ-साथ जनसंख्या में उच्च दर से वृद्धि हुई। इन दोनों ने प्रति व्यक्ति आय की संवृद्धि दर को बहुत कम कर दिया।

(4) आर्थिक प्रगति को बढ़ावा और जनसंख्या नियंत्रण, दोनों मोर्चों पर असफलता के कारण गरीबी का चक्र बना रहा।

प्रश्न 5. गरीबी का आकलन करने के लिए किन दो बातों को ध्यान में रखा जाता है ? भारत में कौन-से सामाजिक एवं आर्थिक समूह निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित है?

उत्तर – गरीबी के आकलन की एक सर्वमान्य सामान्य विधि आय अथवा उपभोग स्तरों पर आधारित है।

(1) सामाजिक असुरक्षित समूह -जो सामाजिक समूह निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित हैं, वे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवार हैं।

(2) आर्थिक असुरक्षित समूह -आर्थिक समूहों में सर्वाधिक असुरक्षित समूह, ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियत मजदूर परिवार हैं।

प्रश्न 6. भारत में गरीबी उन्मूलन के मार्ग में आने वाली चुनौतियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – भारत में गरीबी उन्मूलन के मार्ग में आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ निम्न हैं

(1) भारत में निर्धनता में निश्चित रूप से गिरावट आई है, लेकिन प्रगति के बावजूद निर्धनता उन्मूलन भारत की एक सबसे बाध्यकारी चुनौती है।

(2) ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों और विभिन्न राज्यों में भी निर्धनता में व्यापक असमानता है। कुछ सामाजिक और आर्थिक समूह निर्धनता के प्रति अधिक असुरक्षित हैं।

(3) आशा की जा रही है कि निर्धनता उन्मूलन में अगले दस से पन्द्रह वर्षों में अधिक प्रगति होगी। यह मुख्यतः उच्च आर्थिक संवृद्धि, सर्वजनीय निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा पर जोर, जनसंख्या विकास में गिरावट, महिलाओं और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बढ़ते सशक्तीकरण के कारण सम्भव हो सकेगा।

प्रश्न 7. पंजाब, केरल एवं आंध्र प्रदेश में निर्धनता दूर करने के लिये अपनाये गये मुख्य उपायों को बताइए।

अथवा

कुछ राज्यों में निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट क्यों आई है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

(1) पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य उच्च कृषि वृद्धि दर से निर्धनता कम करने में पारम्परिक रूप से सफल रहे हैं।

(2) केरल ने मानव संसाधन विकास पर अधिक ध्यान दिया है।

(3) पश्चिम बंगाल में भूमि सुधार उपायों से निर्धनता कम करने में सहायता मिली है।

(4) आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अनाज के वितरण के कारण।।

प्रश्न 8. आय एवं उपभोग के अतिरिक्त निर्धनता के किन्हीं तीन सामाजिक सूचकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर – पाठान्त अभ्यास में प्रश्न 1 के उत्तर में प्रारम्भ के तीन बिन्दु देखें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में गरीबी का प्रमुख कारण क्या है ?

अथवा

भारत में निर्धनता के कोई पाँच कारण लिखिए।

उत्तर – भारत में गरीबी के कारण-भारत में गरीबी के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण निम्नलिखित है

(1) तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या – इस समय जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। बढ़ती हुई जनसंख्या का अर्थ है, वस्तुओं की माँग में अपार वृद्धि होना। देश की सम्पत्ति का एक बड़ा भाग अपनी जनसंख्या के पालन में व्यय हो जाता है, जिससे विकास कार्यों को पूँजी नहीं मिल पाती है।

(2) पूँजी निर्माण का अभाव – पूँजी-निर्माण आर्थिक विकास की आधारशिला है, परन्तु पूँजी निर्माण की दर भारत में अपेक्षाकृत कम है।

(3) बेरोजगारी – निर्धनता का एक प्रमुख कारण बेरोजगारी है। देश में बेरोजगारी की समस्या व्यापक और भीषण है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 5 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। बेरोजगारों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है, जो निर्धनता के लिए एक उत्तरदायी कारण है।

(4) कीमत स्तर में वृद्धि – कीमतों में वृद्धि परिणामस्वरूप मुद्रा की क्रय-शक्ति कम हो जाने के कारण वास्तविक आय कम हो जाती है जबकि भारत में आय वृद्धि की दर कीमत वृद्धि दर से कम रही है। अत: लोगों के पास उपलब्ध क्रय-शक्ति का ह्रास हुआ है।

(5) असमान वितरण – उत्पादन के साधनों तथा आय का असमान वितरण भी निर्धनता के लिए उत्तरदायी है। सम्पत्ति का चन्द हाथों में केन्द्रीयकरण हो गया है। स्वभावतः इन्हें अपार आय प्राप्त होती है जबकि अधिकांश लोगों को गरीबी की रेखा से नीचे रहना पड़ता है।

(6) प्रति व्यक्ति निम्न आय – भारत में प्रति व्यक्ति आय कम होने से यहाँ गरीबी व्याप्त है। विश्व के विकसित देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति आय का स्तर भारत में बहुत कम है।

(7) दोषपूर्ण विकास-रणनीति – भारत में निर्धनता तथा आय की विषमताओं के लिए विकास की दोषपूर्ण रणनीति भी बहुत सीमा तक उत्तरदायी है क्योंकि अर्थव्यवस्था के विकास का लाभ कुछ व्यक्तियों तक ही सीमित हो गया है। परिणामस्वरूप निर्धन और निर्धन हो रहा है और अमीर और अधिक अमीर हो रहे हैं। शिक्षित व सुविधा सम्पन्न व्यक्तियों के पास आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध हैं, जबकि धनाभाव के कारण निर्धन व्यक्ति उच्च व तकनीकी शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर पाते हैं। शासन द्वारा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये हैं लेकिन रोजगार के अवसरों में बहुत ही धीमी वृद्धि हुई है।

(8) सामाजिक कारण – भारत में प्रचलित सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाएँ निर्धनता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। समाज में व्याप्त जाति प्रथा, उत्तराधिकार का नियम, निरक्षरता, भाग्यवादिता तथा धार्मिक रूढ़िवादिता, लोगों को नये विचार तथा तकनीकों को अपनाने से रोकता है। सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने और झूठी प्रतिष्ठा को प्राप्त करने हेतु लोग फिजूलखर्ची करते हैं और निर्धन बने रहते हैं।

उत्तर भारत में निर्धनता दूर करने हेतु उपाय बताइए।

अथवा

भविष्य में भारत में निर्धनता को कैसे कम किया जा सकता है ? कोई पाँच उपाय बताइए।

अथवा

भारत में गरीबी उन्मूलन के प्रमुख उपाय बताइए।

उत्तर

भारत में गरीबी दूर करने हेतु सुझाव भारत में गरीबी दूर करने के लिए अनेक सुझाव दिये जा सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं

(1) कृषि विकास – देश में कृषि के विकास पर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए। कृषि में यंत्रीकरण को बढ़ावा न देकर श्रम को बढ़ावा दिया जाना चाहिए तथा इसे व्यावसायिक आधार पर किया जाना चाहिए ताकि कृषि से सम्बद्ध श्रमिक पूरे वर्ष कृषि कार्यों में लगे रहें। इसके लिए सिंचाई की सुविधाओं में पर्याप्त वृद्धि की जानी चाहिए, उन्नतशील बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशक दवाइयों व अन्य आवश्यक वस्तुओं को उचित दर पर उपलब्ध कराना चाहिए।

(2) जनसंख्या नियन्त्रण-सामान्यतया यह देखने में आता है कि गरीब परिवारों में जन्म दर ऊँची होती है। अतः इसे घटाया जाना बहुत आवश्यक है। सरकार को चाहिए कि वह जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए प्रोत्साहनमूलक तथा स्वैच्छिक कार्यक्रम विकसित करे और इसका पर्याप्त प्रचार व प्रसार किया जाना चाहिए। इससे छोटे परिवारों को बढ़ावा देने का उद्देश्य पूरा हो सकेगा।

(3) आर्थिक विकास में तेजी – गरीबी दूर करने के लिए देश में आर्थिक विकास की गति को तेज करना होगा। तीव्र आर्थिक विकास से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन होगा जिससे अधिक-से-अधिक श्रमिकों को रोजगार मिलेगा। फलस्वरूप आय में वृद्धि होगी।

(4) ग्रामीण सार्वजनिक निर्माण – ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक निर्माण कार्यों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण, नहर, कुएँ, ग्रामीण आवास, विद्युत् आदि के निर्माण कार्य प्रारम्भ किए जा सकते हैं। इससे ग्रामीण लोगों को रोजगार मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।

(5) शोषण से मुक्ति – ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता की समस्या का स्थायी हल करने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि उन्हें जमींदारों, साहूकारों और बड़े किसानों के दबाव और शोषण से मुक्ति दिलाई जाये। इसके लिए निर्धनता की रेखा के नीचे के परिवारों के ऋण माफ किये जायें, उन्हें खेती करने के लिए उचित मात्रा में भूमि उपलब्ध कराई जाये तथा उनकी उपज को उचित मूल्य पर बिकवाने में सहायता की जाये।

(6) सामाजिक सेवाएँ व सुरक्षा – सामाजिक सेवाओं; जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन आदि का विस्तार किया जाना चाहिए। लोगों को यह सिखाया जाना चाहिए कि वे कम आय में किस प्रकार अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते हैं। गरीबों को अपना घर बनाने के लिए सहायता व अनुदान दिया जाना चाहिए। गाँवों में उचित मूल्य की दुकानें खोली जानी चाहिए। इससे गरीबी दूर करने में सहायता मिलेगी।

(7) उपयुक्त वातावरण – गरीबी उन्मूलन के लिए देश में उपयुक्त वातावरण का निर्माण किया जाना भी आवश्यक है। जब तक समाज के समस्त वर्ग गरीबी के प्रति जागरूक नहीं होंगे, इसमें अधिक सफलता नहीं मिल सकती। इसके लिए कारगर प्रयासों की आवश्यकता है। लोगों में प्रचलित पुरानी मान्यताओं तथा अन्धविश्वासों को समाप्त करना होगा। इसके लिए शिक्षा का प्रसार नितान्त आवश्यक है। शिक्षा रोजगारमूलक होनी चाहिए। शिक्षा गरीबी मिटाने में सबसे अधिक सहायक सिद्ध होगी।

प्रश्न 3. भारत सरकार द्वारा लागू किए गए निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।

अथवा

भारत में गरीबी निवारण के प्रमुख कार्यक्रमों को संक्षेप में लिखिए।

उत्तर – भारत में गरीबी निवारण के प्रमुख कार्यक्रम-गरीबी निवारण के प्रमुख कार्यक्रम निम्नलिखित है।

(1) प्रधानमन्त्री रोजगार योजना – यह योजना 2 अक्टूबर, 1993 से प्रारम्भ की गई। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे शहरों के 18 से 35 वर्ष के शिक्षित बेरोजगारों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।

(2) ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम – अप्रैल 1995 में यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे कस्बों में परियोजनाएँ लगाने और रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए आरम्भ की गई।

(3) स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY) – यह योजना 1 अप्रैल, 1999 को आरम्भ की गई थी। इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र के निर्धनों को रोजगार देने के उद्देश्य से सूक्ष्म तथा लघु उद्योग की स्थापना की जाती है। इन उद्योगों में कार्य करने वाले लोगों को स्वरोजगारी कहा जाता है।

(4) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना – यह योजना 2000 में आरम्भ की गई। इस योजना के अन्तर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

(5) राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम – यह योजना 2004 में देश के सबसे पिछले 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मजदूरी पर रोजगार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक हैं। इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केन्द्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम के रूप में किया गया है और राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

(6) मनरेगा – पाठान्त अभ्यास में प्रश्न 9 (ग) का उत्तर देखें।

MP Board Class 9 Economic  Solution Chapter 3 :  निर्धनता : एक चुनौती

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