MP Board Class 8th History Chapter 9 :  राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन : 1870 के दशक से 1947 तक

म.प्र. बोर्ड कक्षा आठवीं संपूर्ण हल- इतिहास– हमारे अतीत 3 (History: Our Pasts – III)

Chapter 9 : राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन : 1870 के दशक से 1947 तक

प्रश्न – अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)

महत्वपूर्ण बिन्दु

  • राष्ट्रवाद का तात्पर्य – यह एक ऐसी भावना है जिसमें राष्ट्र में रहने वाले सभी लोग, सभी नागरिक समस्त भेदभाव भूलकर अपने देश के प्रति समर्पित हो जाते हैं, उसे ही राष्ट्रवाद कहते हैं।  
  • 1857 की क्रान्ति के बाद, भारत के लोग देश से अंग्रेज का नियन्त्रण खत्म करना चाहते थे।  
  • पूना सार्वजनिक सभा, इंडियन एसोसिएशन, मद्रास महाजन सभा, बॉम्बे रेजीडेंसी एसोसिएशन और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इत्यादि अन्य संगठनों ने भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया।  
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर, 1885 को बम्बई के गोकुलदास संस्कृत कॉलेज में हुई थी।
  • बाल गंगाधर तिलक ने भारतीयों को सम्बोधित करते हुए “स्वतन्त्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा” का नारा दिया।
  • 1919 के बाद अंग्रेजों के खिलाफ चल रहा संघर्ष, जन आन्दोलन में तब्दील हो गया।  
  • महात्मा गाँधी के भारत आगमन के पश्चात् कई सत्याग्रह और आन्दोलन; जैसे – रॉलेट सत्याग्रह, खिलाफत आन्दोलन,
  • असहयोग आन्दोलन, दाण्डी मार्च, भारत छोड़ो आन्दोलन इत्यादि के पश्चात् 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हो गया।

महत्वपूर्ण शब्दावली

सम्प्रभु – बाहरी हस्तक्षेप के बिना स्वतन्त्र रूप से कदम उठाने की क्षमता।

निरस्त करना – किसी कानून की वैधता अधिकृत रूप से समाप्त करना।

परिषद – प्रशासकीय, सलाहकारी प्रतिनिधिक दायित्व निभाने वाली मनोनीत या निर्वाचित संस्था। 

प्रान्तीय स्वायत्तता – संघ के भीतर रहते प्रांतों को तुलनात्मक रूप से स्वतन्त्र निर्णय लेने की क्षमता देना।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

1905 – बंगाल का विभाजन।

1919 – रॉलेट सत्याग्रह का प्रारम्भ। 

1920-असहयोग आन्दोलन।

1929 – कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया। 

1942 – भारत छोड़ो आन्दोलन।

1947 – भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्त की तथा एक नए देश पाकिस्तान का जन्म।

पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

पृष्ठ संख्या # 111

प्रश्न 1.शुरूआत से ही कांग्रेस सभी भारतीय लोगों के हक में और उनकी ओर से बोलने का संकल्प व्यक्त कर रही थी। कांग्रेस ने ऐसा क्यों किया ?

उत्तर – कांग्रेस का मानना था कि कांग्रेस का लक्ष्य सभी भारतीयों का लक्ष्य है। उनके लक्ष्य किसी खास इलाके, समुदाय या वर्ग के लक्ष्य नहीं थे बल्कि समस्त भारतीय जनता को अपने मामलों के बारे में फैसले लेने की आजादी होनी चाहिए। कांग्रेस एक अखिल भारतीय संगठन बनाने के लिए ऐसा कर रही थी।

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प्रश्न 2. उपरोक्त टिप्पणी के आधार पर शुरूआती कांग्रेस के बारे में कौन-सी समस्याओं का पता चलता है ?

उत्तर -कांग्रेस के शुरूआती नेता धनी थे वे अपने व्यक्तिगत (निजी) कार्यों में व्यस्त रहते थे। उनके पास देश की जनता के विषय में सोचने का समय नहीं था। कांग्रेस के शुरूआती नेता संगठन में रुचि नहीं ले रहे थे।

प्रश्न 3. पता लगाएँ कि पहला विश्व युद्ध किन देशों ने लड़ा था ?

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध मित्रराष्ट्रों तथा केन्द्रीय शक्तियों के बीच में लड़ा गया।

मित्रराष्ट्र – ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और इटली तथा बाद में अमेरिका भी मित्रराष्ट्र में शामिल हो गया था।

केन्द्रीय शक्तियाँ – जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी एवं ऑटोमन साम्राज्य।

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प्रश्न 4. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के बारे में जानकारियाँ इकट्ठा करें, जलियाँवाला बाग क्या है ? यहाँ किस तरह के अत्याचार हुए ? ये अत्याचार कैसे हुए ?

उत्तर-13 अप्रैल, 1919 के दिन एक प्रतिबंधित मैदान में रॉलेट एक्ट के विरोध में जनता एकत्रित थी। जिसे जलियाँवाला बाग कहा जाता है। यहाँ निहत्थी भीड़ पर बगैर किसी चेतावनी के जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश सैनिकों ने अंधा-धुंध गोलियाँ चला दी थीं। इसी हत्याकाण्ड को जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड कहते हैं।

पृष्ठ संख्या # 119

प्रश्न 5. स्रोत 4 को पढ़ें।

इस रिपोर्ट के मुताबिक लोग महात्मा गाँधी को किस तरह देखते थे। आपकी राय में लोग ऐसा क्यों सोचते थे कि गांधीजी जमींदारों के विरोधी हैं परन्त सरकार के विरोधी नहीं हैं। आपकी राय में लोग गाँधीजी के अनुयायी क्यों थे ?

उत्तर-

  • रिपोर्ट के मुताबिक लोग महात्मा गांधी को एक महात्मा या साधु, एक पंडित, इलाहाबाद के एक ब्राह्मण यहाँ तक कि एक देवता के रूप में देखते थे।
  • गाँधीजी के नेतृत्व के बारे में लोग ऐसा सोचते थे कि यह हमें आजाद करा सकते हैं क्योंकि वह सरकार से सीधा संघर्ष कर सकते थे।
  • लोग गाँधीजी के अनुयायी इसलिए थे क्योंकि वह देश को बिना किसी स्वार्थ के स्वाधीनता दिलाना चाहते थे।

पाठान्त प्रश्नोत्तर

आइए कल्पना करें

प्रश्न – मान लीजिए कि आप भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय हैं। इस अध्याय को पढ़ने के बाद संक्षेप में बताइए कि आप संघर्ष के लिए कौन से तरीके अपनाते और आप किस तरह का स्वतंत्र भारत रचते ?

उत्तर –

(1) भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय संघर्ष के लिए गाँधीजी के तरीकों सत्याग्रह, अहिंसा इत्यादि को प्राथमिकता देते।

(2) एक सम्प्रभुत्व, नये अखण्डित राष्ट्र की कल्पना करते।

(3) समान अधिकार, कर्तव्यपरायण जनता की कामना करते।

फिर से याद करें

प्रश्न 1. 1870 और 1800 के दशकों में लोग ब्रिटिश शासन से क्यों असन्तुष्ट थे ?

उत्तर-1870 और 1800 के दशकों में लोग ब्रिटिश शासन से निम्नलिखित कारणों से असन्तुष्ट थे

(1) 1878 में आर्स एक्ट पारित किया गया जिसके जरिए भारतीयों द्वारा अपने पास हथियार रखने का अधिकार छीन लिया गया।

(2) वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित किया गया जिससे सरकार की आलोचना करने वालों को चुप कराया जा सके। इस कानून में प्रावधान था कि अगर किसी अखबार में कोई आपत्तिजनक’ चीज छपती है तो सरकार उसकी प्रिंटिंग प्रेस सहित सारी सम्पत्ति को जब्त कर सकती है।

(3) 1833 में सरकार ने इल्बर्ट बिल लागू करने का प्रयास किया। अंग्रेजों के विरोध से सरकार ने इसे वापस ले लिया गया। इस बिल के अनुसार भारतीय न्यायाधीश भी यूरोपीय नागरिकों के मुकदमे की सुनवाई कर सकते थे।

प्रश्न 2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस किन लोगों के पक्ष में बोल रही थी?

उत्तर-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत के किसी एक वर्ग या समुदाय के पक्ष में नहीं बल्कि विभिन्न समुदायों के सभी लोगों के पक्ष में बोल रही थी।

प्रश्न 3. पहले विश्व युद्ध से भारत पर कौन से आर्थिक असर पड़े ?

उत्तर-पहले विश्व युद्ध से भारत पर निम्नलिखित आर्थिक असर पड़े

(1) प्रथम विश्व युद्ध की वजह से ब्रिटिश सरकार ने रक्षा व्यय का खर्च निकालने के लिए भारतीयों की निजी आय और व्यावसायिक मुनाफे पर कर बढ़ा दिया था।

(2) आवश्यक वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि हो गयी। लोगों का जीना मुश्किल हो गया।

(3) इस युद्ध में औद्योगिक वस्तुओं (जूट के बोरे, कपड़े, पटरियाँ) की मांग बढ़ा दी और अन्य देशों से भारत आने वाले आयात में कमी आयी जिसके कारण भारतीय उद्योगों का विस्तार हुआ।

प्रश्न 4. 1940 के मुस्लिम लीग के प्रस्ताव में क्या माँग की गई थी?

उत्तर-1940 में मुस्लिम लीग ने देश के पश्चिमोत्तर तथा पूर्वी क्षेत्रों में मुसलमानों के लिए “स्वतन्त्र राज्यों” की माँग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। न आइए विचार करें

प्रश्न 5. मध्यमार्गी कौन थे ? वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ किस तरह का संघर्ष करना चाहते थे?

उत्तर –  कांग्रेस के वे नेता मध्यमार्गी कहलाते थे, जो अपने उद्देश्यों और तरीकों से मध्यमार्गी थे, वे देश का प्रतिनिधित्व भी करना चाहते थे और सरकार में शामिल होकर शासन भी.करना चाहते थे। इन नेताओं में दादाभाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले इत्यादि प्रमुख व्यक्ति थे। ये ब्रिटिश शासन के अन्यायपूर्ण रवैया, गलत नीतियाँ, अत्याचार से जनता को अवगत कराना चाहते थे।

प्रश्न 6. कांग्रेस में आमूल परिवर्तनवादी की राजनीति मध्यमार्गी की राजनीति से किस तरह भिन्न थी?

उत्तर – कांग्रेस में आमूल परिवर्तनवादी राजनीति, मध्यमार्गी की राजनीति से निम्नलिखित तरह से भिन्न थी

(1) आमूल परिवर्तनवादी (गरमपंथी) उग्र एवं क्रान्तिकारी तरीका अपनाते थे जबकि मध्यमार्गी (नरमपंथी) निवेदन की राजनीति अपनाते थे।

(2) आमूल परिवर्तनकारी सोचते थे कि लोगों को सरकार के नेक इरादों पर नहीं बल्कि अपनी ताकत पर भरोसा करना चाहिए जबकि मध्यमार्गी मानते थे कि सरकार उनकी न्यायसंगत माँगों को मान लेगी।

(3) आमूल परिवर्तनवादी के प्रमुख नेता विपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय जैसे नेता थे जबकि मध्यमार्गीय प्रमुख नेता गोपाल कृष्ण गोखले, दादाभाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी इत्यादि थे।

प्रश्न 7. चर्चा करें कि भारत के विभिन्न भागों में असहयोग आन्दोलन ने किस-किस तरह के रूप ग्रहण किये? लोग गांधीजी के बारे में क्या समझते थे?

उत्तर – भारत के विभिन्न भागों में असहयोग आन्दोलन ने निम्नलिखित रूप ग्रहण किए

(1) हजारों विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए।

(2) बड़े-बड़े वकीलों ने वकालत छोड़ दी और अंग्रेजों के द्वारा दी गयी उपाधियों को वापस लौटा दिया।

(3) विधान मंडलों का बहिष्कार किया गया। जगह-जगह विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।

(4) खेड़ा गुजरात में पाटीदार किसानों ने अंग्रेजों द्वारा थोप दिए गए भारी लगान के खिलाफ अभियान चलाया।

(5) तटीय आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के भीतरी भागों में शराब की दुकानों की घेरेबंदी की गई।

(6) किसानों, आदिवासियों ने वन सत्याग्रह किए।

लोगों को यकीन था कि गाँधीजी उन पर लगे कर कम करा देंगे। वन कानूनों को खत्म करा देंगे। बहुत सारे वन गाँवों में किसानों ने स्वराज का ऐलान कर दिया क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि “गाँधी राज” जल्दी ही स्थापित होने वाला है।

प्रश्न 8. गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने का फैसला क्यों लिया ?

उत्तर -1930 में गाँधीजी ने फैसला लिया कि वह नमक कानून तोड़ने के लिए यात्रा निकालेंगे। उस समय नमक के उत्पादन और बिक्री पर सरकार का एकाधिकार होता था। महात्मा गाँधी और अन्य राष्ट्रवादियों का कहना था कि नमक पर टैक्स वसूलना पाप है क्योंकि यह भोजन का एक बुनियादी हिस्सा होता है। इसलिए गाँधीजी और उनके समर्थकों ने साबरमती से 240 किलोमीटर दूर स्थित दांडी तक पैदल चलकर गए और वहाँ उन्होंने समुद्र तट पर बिखरा नमक इकट्ठा करते हुए नमक कानून का सार्वजनिक रूप से उल्लंघन किया।

प्रश्न 9. 1937 – 47 की उन घटनाओं पर चर्चा करें जिनके फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ?

उत्तर-1937 – 47 की उन घटनाओं पर चर्चा जिनके फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ निम्नलिखित हैं

(1) 1937 के चुनाव – मुस्लिम लीग संयुक्त प्रान्त में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहती थी। परन्तु कांग्रेस को उनका यह प्रस्ताव पसंद नहीं आया जिससे कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच दूरी बढ़ गई। (2) मुस्लिम लीग द्वारा स्वतन्त्र राज्यों की माँग -1940 में मुस्लिम लीग ने देश के पश्चिमोत्तर तथा पूर्वी क्षेत्रों में मुसलमानों के लिए स्वतन्त्र राज्यों की माँग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।

(3) मुस्लिम लीग के जनाधार का विस्तार – कांग्रेस तीस के दशक में मुस्लिम जनता को अपने साथ लामबंद करने में असफल रही। इससे मुस्लिम लीग को अपना सामाजिक जनाधार फैलाने में मदद मिली।

(4) कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के बीच वार्ता –1945 में विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेजों ने भारतीय स्वतन्त्रता के लिए कांग्रेस और लीग से बातचीत शुरू की। वार्ता में लीग का कहना था कि उसे भारतीय मुसलमानों का एकमात्र प्रतिनिधि माना जाये। कांग्रेस ने इस दावे को अस्वीकार कर दिया क्योंकि बहुत सारे मुसलमान अभी भी कांग्रेस के साथ थे। अत: यह वार्ता असफल रही।

(5) 1946 के प्रान्तीय चुनाव -1946 में दोबारा प्रान्तीय चुनाव हुए। सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा परन्तु मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटों पर लीग को बेजोड़ सफलता मिली। लीग ‘पाकिस्तान’ की माँग पर चलती रही।

(6) केबिनेट मिशन का आगमन – मार्च 1946 में ब्रिटिश सरकार ने इस माँग के अध्ययन के लिये और स्वतन्त्र भारत के लिए तीन सदस्यीय परिसंघ (केबिनेट मिशन) भारत भेजा। परिसंघ का सुझाव दिया कि भारत अविभाजित रहे और उसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को कुछ स्वायत्तता देते हुये एक ढीले-ढाले महासंघ के रूप में संगठित किया जाये। कांग्रेस और मुस्लिम लोग, दोनों को ही इस प्रस्ताव में कुछ खास प्रावधानों पर सहमत नहीं थे। अब देश का विभाजन अवश्यंभावी था।

(7) मुस्लिम लीग द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाना – मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की अपनी माँग मनवाने के लिए जन आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया। उसने 16 अगस्त, 1946 को प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस मनाने का आह्वान किया।

इसी दिन कलकत्ता में दंगे भड़क उठे। हजारों लाखों लोग मारे गए। 1 मार्च, 1947 तक भारत के विभिन्न भागों में हिंसा फैल गयी थी।

असंख्य महिलाओं को विभाजन की इस हिंसा में अकथनीय अत्याचारों का सामना करना पड़ा और एक नए देश पाकिस्तान का जन्म हुआ। इस तरह ब्रिटिश शासन से स्वतन्त्रता का यह आनंद विभाजन की पीड़ा और हिंसा के साथ हमारे सामने आया।

आइए करके देखें

प्रश्न 10. पता लगाएँ कि आपके शहर, जिले, इलाके या राज्य में राष्ट्रीय आन्दोलन किस तरह आयोजित किया गया। किन लोगों ने उसमें हिस्सा लिया और किन लोगों ने उसका नेतृत्व किया? आपके इलाके में आन्दोलन को कौन सी सफलताएँ मिलीं?

उत्तर -मध्य प्रदेश-राष्ट्रीय आन्दोलन में मध्य भारत के नेताओं में बापूराव, दादकिन खेड़े, गंगाधर चिटनिस व अब्दुल अजीज आदि ने भाग लिया था।

  • जब 1891 में कांग्रेस का सातवाँ सम्मेलन इस क्षेत्र के भू-भाग में हुआ तब इस क्षेत्र के लोगों में राष्ट्रीय चेतना के प्रति जागरूकता आई।
  • बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव में मध्य भारत, मालवा आदि क्षेत्रों में गणेश उत्सव, शिवाजी उत्सव आदि के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का प्रचार किया जाने लगा।
  • खंडवा से “सुबोधसिन्धु” व जबलपुर से “जबलपुर टाइम्स” समाचार-पत्रों का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया।
  • 1907 में जबलपुर में एक क्रान्तिकारी दल का गठन किया गया।
  • 1923 में जबलपुर सत्याग्रह प्रारम्भ हुआ। इस सत्याग्रह का नेतृत्व देवदास गाँधी, राजगोपालाचारी तथा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने किया।
  • जबलपुर के ही सेठ गोविन्ददास व पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र के नेतृत्व में 6 अप्रैल, 1930 को नमक सत्याग्रह की शुरूआत की गई। बैतूल जिले के घोड़ा-डोगरी के आदिवासियों ने भी नमक आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • 1934 में झाबुआ जिले में प्रजामंडल की सहायता से विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, शराब बंदी व हरिजन उद्धार सम्बन्धी आन्दोलन प्रारम्भ किये गये।
  • .जब देश 15 अगस्त, 1947 ई. को स्वतन्त्र हुआ तब मध्य भारत व उसके अन्तर्गत की सभी रियासतों को मिलाकर मध्य प्रांत नामक राज्य बना तथा पन्ना, छतरपुर व रीवा क्षेत्र को मिलाकर विंध्य प्रदेश, भोपाल व महाकौशल तथा छत्तीसगढ़ के भू-भाग को मिलाकर म. प्र. बनाया गया।

नोट – इस विषय पर विद्यार्थी अपने परिवार के सदस्यों से जानकारी प्राप्त कर और भी कई क्षेत्रों, जिलों व राज्यों के बारे में पता लगाने का प्रयास करें।

प्रश्न 11. राष्ट्रीय आन्दोलन के किन्हीं दो सहभागियों या नेताओं के जीवन और कृतित्व के बारे में और पता लगाएँ तथा उनके बारे में एक संक्षिप्त निबन्ध लिखें। आप किसी ऐसे व्यक्ति को भी चुन सकते हैं जिसका इस अध्याय में जिक्र नहीं आया है।

उत्तर –

भगत सिंह – सरदार भगत सिंह का नाम शहीदों में सबसे प्रमुख रूप से लिया जाता है। भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गाँव (जो अभी पाकिस्तान में है) के एक देशभक्त सिक्ख परिवार में हुआ था।

विवरण – अमृतसर में 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर इतना गहरा प्रभाव डाला कि लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भारत की आजादी के लिए ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसम्बर, 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक अंग्रेज अधिकारी जेपी सांडर्स को मारा। लाहौर षड्यन्त्र मुकदमे में 23 मार्च, 1931 को फाँसी पर लटका दिया।

चन्द्रशेखर आजाद – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतन्त्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ। 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहाँ एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। वहाँ उन्होंने कानून भंग आन्दोलन में योगदान दिया था।

विवरण – 1920-21 के वर्षों में चन्द्रशेखर आजाद गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन से जुड़े और गिरफ्तार हो गये। वहाँ जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जहाँ उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम स्वतन्त्रता और जेल को अपना निवास बताया। उन्हें 15 कोड़ों की सजा सुनायी गयी। हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने वन्देमातरम् और महात्मा गाँधी की जय का स्वर बुलंद किया। इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए।

क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर का जन्मस्थान भाबरा अब आजाद नगर के रूप में जाना जाता है।

नोट – विद्यार्थी इस तरह अन्य स्वतन्त्रता सेनानियों के विषय में जानकारी एकत्रित करके निबन्ध लिखने का प्रयास करें।

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