म.प्र. बोर्ड कक्षा आठवीं संपूर्ण हल- नागरिकशास्त्र – सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन 3 (Civics: Social & Political Life – III )
पाठ 6 : हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली
प्रश्न – अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)
महत्वपूर्ण बिन्दु
- पुलिस, सरकारी वकील, बचाव पक्ष का वकील और न्यायाधीश, ये चार अधिकारी आपराधिक न्याय व्यवस्था में मुख्य लोग होते हैं।
- पुलिस का एक महत्वपूर्ण काम किसी अपराध की शिकायत लिखना तथा उसकी जाँच करना होता है।
- पुलिस को मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए जाँच करनी होती है।
- सरकारी वकील राज्य का पक्ष प्रस्तुत करता है।
- आरोपी की तरफ से पेश होने वाले वकील को बचाव पक्ष का वकील कहा जाता है।
- न्यायाधीश सारे गवाहों के बयान सुनकर अभियोजन पक्ष तथा बचाव पक्ष की तरफ से पेश किए गए सबूतों की जाँच करते है।
- न्यायाधीश कानून के अनुसार यह तय करते हैं कि आरोपी सचमुच दोषी है या नहीं।
महत्वपूर्ण शब्दावली
आरोपी – वह व्यक्ति जिस पर अदालत में किसी अपराध के लिए मुकदमा चल रहा हो।
संज्ञेय – गम्भीर मामले जिसमें गिरफ्तारी के लिए पुलिस को किसी वारंट की जरूरत नहीं होती।
जिरह – किसी बात या तथ्य की सत्यता के लिए की जाने वाली पूछताछ।
हिरासत – निगरानी, पहरा, पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति को पकड़कर इस प्रकार अपने बन्धन में रखना कि वह भागकर कहीं जाने न पाये।
निष्पक्ष – स्पष्ट या न्यायसंगत व्यवहार करना।
गवाह-ऐसा व्यक्ति जिसने घटना स्वयं देखी हो अथवा किसी घटना, तथ्य, बात आदि की उसे ठीक और पूरी जानकारी हो।
पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर
पृष्ठ संख्या # 71
प्रश्न 1. आपको ऐसा क्यों लगता है कि पुलिस हिरासत के दौरान अपनी गलती मानते हुए आरोपी द्वारा दिए गए बयानों को उसके खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ?
उत्तर- पुलिस हिरासत के दौरान अपनी गलती मानते हुए आरोपी द्वारा दिए गए बयानों को उसके खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि पुलिस हिरासत में दिये गये इकबालिया बयान आरोपी को डराकर, धमकाकर या मारपीट करके लिये गये हों या आरोपी ने पुलिस की मारपीट से डरकर किसी दबाव में आकर बयान दिया हो। इसलिए उन बयानों को सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
पृष्ठ संख्या # 72
प्रश्न 2. आइए अब शान्ति की कहानी पर वापस लौटते हैं और इन सवालों के जवाब खोजते हैं
(क) जब चोरी के इल्जाम में शान्ति को गिरफ्तार किया गया, उसी समय सब-इंस्पेक्टर राव ने उसके भाई सुशील को भी दो दिन तक पुलिस हिरासत में रखा। क्या उसको हिरासत में रखने की कार्रवाई कानूनन सही थी ? क्या इससे डी. के. बसु दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ है ?
उत्तर – सब-इंस्पेक्टर राव द्वारा शान्ति के भाई सुशील को दो दिन तक पुलिस हिरासत में रखने की कार्रवाई कानूनन सही नहीं थी । यकीनन इस कार्रवाई से डी. के. बसु के दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ है।
(ख) क्या सब-इंस्पेक्टर राव ने शान्ति को गिरफ्तार करने और उसके खिलाफ मुकदमा दायर करने से पहले गवाहों से पर्याप्त सवाल पूछे और जरूरी सबूत इकट्ठा किए थे? पुलिस की जिम्मेदारियों के हिसाब से आपकी राय में सब-इंस्पेक्टर राव को जाँच के लिहाज से और क्या-क्या करना चाहिए था ?
उत्तर – सब-इंस्पेक्टर राव ने शान्ति को गिरफ्तार करने और उसके खिलाफ मुकदमा दायर करने से पहले गवाहों से पर्याप्त सवाल नहीं पूछे और न ही पर्याप्त सबूत इकट्ठे किये थे। पुलिस की जिम्मेदारियों के हिसाब से सब इंस्पेक्टर राव को जाँच के लिहाज से निम्नलिखित कार्य करने चाहिए थे
(1) शान्ति की गिरफ्तारी के समय अरेस्ट मेमो के रूप में गिरफ्तारी सम्बन्धी पूरी जानकारी के कागज तैयार करने चाहिए थे।
(2) अरेस्ट मेमो पर सत्यापन के लिए कम से कम एक गवाह अवश्य होना चाहिए था।
(3) अरेस्ट मेमो पर शान्ति के दस्तखत करवाने चाहिए थे।
प्रश्न 3. आइए अब थोड़ी अलग स्थिति में मामले को देखते हैं। मान लीजिए कि शान्ति और उसका भाई सुशील थाने में जाकर यह शिकायत लगाते हैं कि शिंदे के 20 वर्षीय बेटे ने उनकी बचत के 15,000 हजार रुपए चुरा लिए हैं। क्या आपको लगता है कि थाने का प्रभारी अधिकारी फौरन उनकी एफ.आई.आर. दर्ज कर लेगा ? ऐसे कारक लिखिए जो आपकी राय में एफ.आई.आर. लिखने या न लिखने के पुलिस के फैसले को प्रभावित करते हैं।
उत्तर – थाने का प्रभारी अधिकारी शान्ति और उसके भाई सुशील की एफ.आई.आर फौरन दर्ज नहीं करेगा। एफ.आई.आर. न लिखने के पुलिस के फैसले को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं
(1) शान्ति गरीब घरेलू नौकरानी है और उस पर चोरी का इल्जाम लगा है। शिंदे का 20 वर्षीय बेटा एक अमीर घर से है। इसलिए शान्ति और उसके भाई की बातों का पुलिस विश्वास न करते हुये उन्हें झिड़क कर वापस भेज देगी।
(2) पुलिस अफसर उल्टा शान्ति व उसके भाई से सवाल करेगा कि उसके पास ₹ 15,000 कहाँ से आये।
पृष्ठ संख्या # 73
प्रश्न 4. सारे गवाहों के बयान सुनने के बाद न्यायाधीश ने शान्ति के मुकदमे में क्या कहा ? .
उत्तर – सारे गवाहों के बयान सुनने के बाद न्यायाधीश ने शान्ति से कहा-शान्ति आपको चोरी के इल्जाम से बरी किया जाता है। पुलिस ने जो ₹ 10,000 आपके पास से बरामद किये थे, उन्हें भी आपको लौटा दिया जायेगा।
न्यायाधीश ने लिखित फैसले में कहा कि सब-इंस्पेक्टर राव ने ठीक से जाँच नहीं की जिसके कारण शान्ति को जेल जाना पड़ा।
पृष्ठ संख्या # 75
प्रश्न 5. पाठ्य-पुस्तक के पृष्ठ 74 पर मोटे अक्षरों में जो प्रक्रियायें लिखी गई हैं वे सभी निष्पक्ष सुनवाई के लिए बहुत जरूरी हैं। शान्ति के मुकदमे के इस विवरण के आधार पर अपने शब्दों में लिखें कि निम्नलिखित प्रक्रियाओं का आप क्या मतलब समझते हैं
(1) खुली अदालत, (2) सबूतों के आधार पर, (3) अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह।
उत्तर-
(1) खुली अदालत – खुली अदालत से तात्पर्य खुले वातावरण में जनता के सामने मुकदमे की सुनवाई करना। शान्ति का मुकदमा जनता के सामने खुली अदालत में चलाया गया।
(2) सबूतों के आधार पर – अभियोजन पक्ष तथा रक्षा पक्ष द्वारा दिये गऐ सबूतों के आधार पर निर्णय सुनाना कानून के शासन के अन्तर्गत आता है।
न्यायाधीश ने अदालत के सामने पेश किए गए सबूतों के आधार पर ही शान्ति को मुकदमे से बरी कर दिया।
(3) अभियोजन पक्ष के गवाहों की जिरह – रक्षा पक्ष का अधिवक्ता अभियोजन पक्ष के गवाहों से तर्क-वितर्क करके ठीक निर्णय पर पहुँच जाता है।
शान्ति की अधिवक्ता रॉय को अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सारे गवाहों से जिरह करने का मौका दिया गया।
प्रश्न 6. अपनी कक्षा में चर्चा करें कि अगर शान्ति के मुकदमे में निम्नलिखित प्रक्रियाओं का पालन न किया जाता तो क्या हो सकता था ?
(1) अगर उसे अपने बचाव के लिए वकील न मिलता।
(2) अगर अदालत उसे निर्दोष नहीं मानते हुए मुकदमा चलाती।
उत्तर-
(1) अगर शान्ति को अपने बचाव के लिए वकील न मिलता तो शान्ति का पक्ष न्यायाधीश के सामने नहीं आ पाता और न्यायाधीश शान्ति को दण्ड दे सकते थे।
(2) अगर अदालत उसे निर्दोष नहीं मानते हुए मुकदमा चलाती तो मुकदमे की सारी प्रक्रिया गलत होती और एक निर्दोष को सजा मिल जाती है।
पाठान्त प्रश्नोत्तर
पीसलैंड नामक शहर में फिएस्ता फुटबॉल टीम के समर्थकों को पता चलता है कि पास के एक शहर में जो वहाँ से लगभग 40 किमी. है, जुबली फुटबॉल टीम के समर्थकों ने खेल के मैदान को खोद दिया है। वहीं अगले दिन दोनों टीमों के बीच अन्तिम मुकाबला होने वाला है। फिएस्ता के समर्थकों का एक झुण्ड घातक हथियारों से लैस होकर अपने शहर के जुबली समर्थकों पर धावा बोल देता है। इस हमले में दस लोग मारे जाते हैं, पाँच औरतें बुरी तरह जख्मी होती हैं, बहुत सारे घर नष्ट हो जाते हैं और पचास से ज्यादा लोग घायल होते हैं।
कल्पना कीजिए कि आप और आपके सहपाठी आपराधिक न्याय व्यवस्था के अंग हैं। अब अपनी कक्षा को इन चार समूहों में बाँट दीजिए
(1) पुलिस, (2) सरकारी वकील, (3) बचाव पक्ष का वकील, (4) न्यायाधीश।
नीचे दी गई तालिका के दाएँ कॉलम में कुछ जिम्मेदारियाँ दी गई हैं। इन जिम्मेदारियों को बाईं ओर दिए गए अधिकारियों की भूमिका के साथ मिलाएँ। प्रत्येक टोली को अपने लिए उन कामों का चुनाव करने दीजिए जो फिएस्ता समर्थकों की हिंसा से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक हैं। ये काम किस क्रम में किए जाएँगे?
अब यही स्थिति लें और किसी ऐसे विद्यार्थी को उपरोक्त सारे काम करने के लिए कहें जो फिएस्ता क्लब का समर्थक है। यदि आपराधिक न्याय व्यवस्था के सारे कामों को केवल एक ही व्यक्ति करने लगे तो क्या आपको लगता है कि पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा ? क्यों नहीं ?
प्रश्न 1. आप ऐसा क्यों मानते हैं कि आपराधिक न्याय व्यवस्था में विभिन्न लोगों को अपनी अलग-अलग भूमिका निभानी चाहिए ? दो कारण बताएँ।
उत्तर-फिएस्ता समर्थकों की हिंसा से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक काम निम्नलिखित क्रम में किए जायेंगे