MP Board Class 7th Solution For Sahayak Vachan Chapter 6 :  ध्यान

Class 7th सहायक वाचन Solution

खण्ड 2 : योग शिक्षा ( yoga siksha )

पाठ 6 : ध्यान

रिक्त स्थान की पूर्ति

1. शरीर ………………………विराट तत्वों से बना है।

2. आत्मा ……………………. का अंश है।

उत्तर- 1. पाँच, 2. परमात्मा ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ध्यान से आप क्या समझते हो ?

उत्तर—ध्यान ” वह प्रक्रिया जिसमें मानव की चेतना विकासोन्मुख होकर सुषुम्ना नाड़ी में स्थित चक्रों का भेदन करती हुई मूलाधार, स्वाधिष्ठान, नाभि, मणिपुर, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्रार चक्र में जाकर समष्टिगत अनुभूति करती है, ध्यान कहलाती है।

प्रश्न 2. ध्यान की विधि लिखिए।

उत्तरध्यान की विधि-ध्यान की विधि के निम्नलिखित चरण होते हैं—

(1) साफ सुथरे, पुष्पों से सुगन्धित एकान्त कक्ष में शरीर को सीधा रखकर शान्त भाव से बैठ जाइए ।

(2) मन को तनावमुक्त कीजिए, कहीं भी तनाव नहीं रहना चाहिए तथा सम्पूर्ण जगत से नाता तोड़ते हुए संसार को भूल जाइए।

(3) शरीर और मन को पूर्णतया शिथिल कर दीजिए इसके बाद धीरे-धीरे भीतर प्रवेश कीजिए ।

(4) अपने श्वास पर ध्यान दीजिए। श्वास के साथ ऊपर नीचे जाइए। आपको यह महसूस होना चाहिए कि केवल आप और आपका श्वास ही शेष रह गए हैं।

(5) श्वास के साथ ऊपर-नीचे जाते मन ही मन ॐ का उच्चारण कीजिए। “ आप और आपका सम्पूर्ण कक्ष ॐ मय हो गया है’ ऐसा अनुभव कीजिए।

(6) कुछ देर ॐ के उच्चारण के साथ श्वास को भी देखिए ।

(7) अब जो जिसका है, उसे अपने विचार द्वारा उसको ही समर्पित कर दीजिए। आपका शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है। पृथ्वी तत्व पृथ्वी को, जल तत्व जल को, अग्नि तत्व अग्नि को, वायु तत्व वायु को और आकाश तत्व आकाश को समर्पित कर दीजिए ।

(8) आत्मा शेष बचती है, जो परमात्मा का एक अंश है। उस आत्मा को परमात्मा में विलीन कर दीजिए ।

(9) अब विचार कीजिए कि आपका अस्तित्व क्या है ? आप कौन हैं ? आप कहाँ से आये हो ? इसमें आप कहाँ थे ?

(10) आप केवल अहंकार स्वरूप थे जो मिथ्या है, झूठ है। अब आप इस समर्पण भाव में खो जाइए।

(11) अब कल्पना कीजिए कि कक्ष में चारों ओर ॐ युक्त प्रकाशमयी, चेतनामयी, संजीवनी शक्ति व्याप्त है। आपके भीतर और बाहर उस ईश्वरीय शक्ति का सागर बह रहा है।

(12) आप जो सात्विक कल्पना कर रहे हैं वास्तव में वही सत्य है।

(13) इस क्षण आप अपने विचार द्वारा उस शक्ति से जुड़े रहे हैं। शक्ति तो पहले भी वहीं थी पर आपके विचार कहीं और असत्व में डूबे थे।

(14) विचार एक तार के समान हैं। आप जिससे जुड़ना चाहते हैं इस विचार के द्वारा उससे जुड़ सकते हैं।

(15) अब आप कल्पना कीजिए कि आप उस शक्ति के सरोवर में डुबकियाँ लगा रहे हैं और शक्ति की दिव्य लहरें आपके भीतर शक्ति का संचार कर रही हैं। आप स्वस्थ और आनन्दमय हो रहे हैं।

आप जितना गहरा विचार और विश्वास करेंगे, आपका ध्यान उतना ही प्रभावशाली होगा।

प्रश्न 3. ध्यान से क्या लाभ होते हैं ?

उत्तर— ध्यान से लाभ-ध्यान से निम्नलिखित अनेक लाभ होते हैं-

(1) ध्यान मानव को अन्तर्मुखी, धीर एवं जागरूक बनाता है।

(2) ध्यान विचार की शक्ति लक्ष्य साधक बनाता है।

(3) ध्यान विचार का संशोधन कर चेतना शक्ति को ऊर्ध्वगामी बनाता है।

(4) ध्यान के द्वारा मानव की चेतना विकासोन्मुखी होकर सुषुम्ना नाड़ी में स्थित चक्रों का भेदन करती हुई मूलाधार, स्वाधिष्ठान, नाभि, मणिपुर, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्रार चक्र में जाकर समष्टिगत अनुभूति करती है ।

(5) ध्यान के द्वारा मानव अपने ब्रह्मस्वरूप स्वभाव आत्मा को परमात्मा में विलीन कर पाता है।

(6) प्रतिदिन ध्यान करने से मानव अस्तित्व के चारों कोषों (अन्नमय, मनोमय, प्राणमय, विज्ञानमय) को शुद्ध करके उसे पंचम शुद्धतम आनन्द कोष में प्रवेश करने के योग्य बनाता है।

(7) ध्यान के द्वारा विद्यार्थियों में उत्तम अनुशासन, उत्तम शैक्षिक परिणाम, आध्यात्मिक शिक्षा, एकाग्रता एवं मानसिक स्थिरता प्रतिस्थापित किए जा सकते हैं।

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