पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- जल को स्वच्छ करना ……. को दूर करने का प्रक्रम है।
- घरों द्वारा निर्मुक्त किए जाने वाला अपशिष्ट जल ……. कहलाता है।
- शुष्क ……. का उपयोग खाद के रूप में किया जाता
- नालियाँ ….. और ……. के द्वारा अवरुद्ध हो जाती हैं।
उत्तर:
- प्रदूषकों।
- वाहित मल।
- आपंक।
- चाय की पत्ती, ठोस खाद्य पदार्थ।
प्रश्न 2.
वाहित मल क्या है? अनुपचारित वाहित मल को नदियों अथवा समुद्र में विसर्जित करना हानिकारक क्यों है, समझाइए।
उत्तर:
घरों, उद्योगों, कृषि कार्य, खेतों और अन्य मानव क्रिया कलापों में उपयोग किया हुआ अपशिष्ट जल वाहित मल कहलाता है। अनुपचारित वाहित मल को नदियों अथवा समुद्र में विसर्जित करने से जल प्रदूषित हो जाता है जिससे नहाने से त्वचा सम्बन्धी रोग तथा पीने से पेट से सम्बन्धित बीमरियाँ उत्पन्न होती हैं। कभी-कभी जल सम्बन्धित रोगों से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है।
प्रश्न 3.
तेल और वसाओं को नाली में क्यों नहीं बहाना चाहिए? समझाइए।
उत्तर:
तेल और वसा पाइपों में कठोर पदार्थों की परत जमाकर उन्हें अवरुद्ध कर सकते हैं। खली नालियों में वसा, मदा के रन्ध्रों को बन्द कर देती है जिससे उसकी जल को फिल्टर करने की प्रभाविता कम हो जाती है। अतः तेल और वसाओं को नाली में नहीं बहाना चाहिए।
प्रश्न 4.
अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने के प्रक्रम में सम्मिलित चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम चरण:
सर्वप्रथम अपशिष्ट जल को ऊर्ध्वाधर छड़ों से बने शलाका से गुजारा जाता है। यहाँ अपशिष्ट जल में उपस्थित बड़े साइज के संदूषक, जैसे- कपड़ों के टुकड़े, प्लास्टिक के पैकेट, नैपकिन, इंडियाँ आदि अलग हो जाते हैं।
द्वितीय चरण:
अब वाहित जल को ग्रिट और बालू को अलग करने की टंकी में ले जाया जाता है। इस टंकी में अपशिष्ट जल को कम प्रवाह से छोड़ा जाता है जिससे उसमें उपस्थित बालू, ग्रिट और कंकड़-पत्थर उसकी पेंदी में बैठ जाते हैं।
तृतीय चरण:
द्वितीय चरण से प्राप्त जल को एक ऐसी टंकी में ले जाया जाता है जिसका पेंदा मध्य भाग की ओर ढलानदार होता है। जल को इस टंकी में कई घण्टों तक रखा जाता है जिससे मल जैसे ठोस मध्य भाग की तली में बैठ जाते हैं। इन अशुद्धियों को खुरचकर बाहर निकाल दिया जाता है। यह आपंक (स्लज) होता है।
जल में तैरने वाले तेल और ग्रीज जैसी अशद्धियों को अपमथित्र (स्किमर) द्वारा अलग कर लिया जाता है। इस प्रकार प्राप्त जल निर्मलीकृत जल कहलाता है। आपंक को पृथक टंकी में स्थानान्तरित कर दिया जाता है, जहाँ यह अवायवीय जीवाणुओं द्वारा अपघटित हो जाता है तथा इस प्रक्रम में उत्पन्न बायोगैस को ईंधन अथवा विद्युत् उत्पादन के लिए किया जाता है।
चतुर्थ चरण:
निर्मलीकृत जल में पम्प द्वारा वायु प्रवाहित की जाती है जिससे वायवीय जीवाणुओं की वृद्धि होती है। ये जीवाणु निर्मलीकृत जल में बचे हुए मानव एवं खाद्य अपशिष्ट पदार्थों, साबुन व अन्य अवांछित पदार्थों का उपयोग कर लेते हैं। अब शीर्ष भाग से जल को निकाल कर उसे रोगाणुमुक्त करने के लिए क्लोरीन अथवा ओजोन से गुजार कर शुद्ध कर लिया जाता है।
प्रश्न 5.
आपंक क्या है? समझाइए इसे कैसे उपचारित किया जाता है?
उत्तर:
आपंक अपशिष्ट जल का सह-उत्पाद है। यह मल जैसा ठोस अपशिष्ट है। टंकी की पेंदी में एकत्रित सक्रियित आपंक में लगभग 97% जल होता है। जल को बालू द्वारा बनाए गए शुष्कन तलों द्वारा अथवा मशीनों द्वारा हटा दिया जाता है। इससे आपंक शुष्क हो जाता है। इसका उपयोग खाद से रूप में करते हैं जिससे कार्बनिक पदार्थ और पोषक तत्त्व पुनः मृदा में चले जाते है।
प्रश्न 6.
अनुपचारित मानव मल एक स्वास्थ्य संकट है। समझाइए।
उत्तर:
अनुपचारित मानव मल के वातावरण में बने रहने से विषैले पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं। इससे दुर्गन्ध आने लगती है जिससे श्वास सम्बन्धी एवं अन्य रोग होने की सम्भावना रहती है। मल के ढेर पर मक्खियाँ, मच्छर एवं विभिन्न रोगाणु पनपने लगते हैं जो हैजा, तपेदिक, हेपैटाइटिस, पोलियो, पेचिश, मेनिन्जाइटिस आदि बीमारियाँ फैलाते हैं। इससे जल और मृदा भी प्रदूषित होते हैं। अतः अनुपचारित मानव मल स्वास्थ्य संकट का एक कारक है।
प्रश्न 7.
जल को रोगाणुनाशित (रोगाणुमुक्त) करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दो रसायनों के नाम बताइए।
उत्तर:
रोगाणुनाशित रसायन-ओजोन और क्लोरीन।
प्रश्न 8.
अपशिष्ट जल उपचार संयन्त्र में शलाका छन्नों के कार्यों को समझाइए।
उत्तर:
शलाका छन्नों (बार स्क्रीन) द्वारा अपशिष्ट जल में उपस्थित कपड़ों के टुकड़े, डंडियाँ, डिब्बे, प्लास्टिक पैकेट, नैपकिन आदि बड़े साइज के सन्दूषक अलग कर दिए जाते हैं।
प्रश्न 9.
स्वच्छता और रोग के बीच सम्बन्ध को समझाइए।
उत्तर:
स्वच्छता की कमी और सन्दूषित पेयजल अनेक रोगों को जन्म देते हैं। हमारी जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग खुले स्थानों, नदी के किनारों, रेल की पटरियों, खेतों, जल स्रोतों आदि में ही मल त्याग करते हैं। इससे जल और मृदा दोनों ही प्रदूषित हो जाते हैं। इससे दुर्गन्ध फैलती है तथा अनुपचारित मल पर विभिन्न रोगाणु पनपते हैं जिससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 10.
स्वच्छता के सन्दर्भ में एक सक्रिय नागरिक के रूप में अपनी भूमिका को समझाइए।
उत्तर:
स्वच्छता के सन्दर्भ में सक्रिय नागरिक की भूमिका:
- अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा और उनकी विविधता को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
- अपने पास-पड़ोस, सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर फैले हुए कूड़े-कचरे के ढेरों की जानकारी नगरपालिका अथवा ग्राम पंचायत को देनी चाहिए तथा उनसे यथोचित कदम उठाने के लिए आग्रह करना चाहिए।
- यदि किसी के घर से निकलने वाला वाहित जल पास-पड़ोस में गन्दगी फैला रहा हो, तो उन्हें अन्य नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति समझाना चाहिए।
प्रश्न 11.
प्रस्तुत वर्ग पहेली को दिए गए संकेतों की सहायता से हल कीजिए।
संकेत:
बाएं से दाएँ:
2. वाहित मल उपचार संयन्त्र से प्राप्त गैसीय उत्पाद।
4. इस प्रक्रम में प्रदूषित जल से वायु को गुजारा जाता है।
7. वाहित मल ले जाने वाले पादपों की व्यवस्था।
8. उपयोग के बाद नालियों में बहता जल।
ऊपर से नीचे:
1. जल उपचार में रोगाणुनाशन के लिए प्रयुक्त एक रसायन।
3. वह सूक्ष्मजीव, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव पदार्थों का विघटन करते हैं।
5. सन्दूषित जल।
6. वह स्थान, जहाँ वाहित मल से प्रदूषण पृथक् किये जाते हैं।
9. अनेक व्यक्ति इसका विसर्जन खुले स्थानों में करते हैं।
प्रश्न 12.
ओजोन के बारे में निम्नलिखित वक्तव्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए:
(क) यह सजीव जीवों के श्वसन के लिए अनिवार्य है।
(ख) इसका उपयोग जल के रोगाणुरहित करने के लिए किया जाता है।
(ग) यह पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है।
(घ) वायु में इसका अनुपात 3% है।
इनमें से कौन-से वक्तव्य सही हैं?
- (क), (ख) और (ग)।
- (ख) और (ग)।
- (क) और (ग)।
- सभी चार।
उत्तर:
(ख) और (ग)।