Class 6th सहायक वाचन Solution
खण्ड 1 : नैतिक शिक्षा
पाठ 3 : विनम्रता
रिक्त स्थानों की पूर्ति
(1) ऐसी बानी बोलिये, मन का ……………. खोय।
(2) विनम्र व्यक्ति स्वयं ……………. रहता है।
(3) महान संत तिरुवल्लुवर का लिखा हुआ ग्रन्थ ……………. है।
उत्तर-(1) आपा, (2) अनुशासित, (3) कुरल।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. विनम्रता से क्या आशय है?
उत्तर-विनम्रता का आशय शिष्ट, सुशील, मृदु तथा विनयी स्वभाव से है।
प्रश्न 2. हम कुछ हैं’ की भावना से किस बात का संकेत मिलता है?
उत्तर- ‘हम कुछ हैं’ की भावना से अहंकार एवं अभिमान में डूबे होने का संकेत मिलता है।
प्रश्न 3.विनम्रता का हमारे जीवन में क्या महत्व है ?
उत्तर – विनम्रता से व्यक्ति सफलता के शिखर पर पहुँच जाता है। विनम्रता हमारे जीवन को अनुशासित, संस्कारवान बनाती है तथा आत्मसंतोष इत्यादि गुणों से भर देती है।
प्रश्न 4. “व्यक्ति की वाणी उसके पद प्रतिष्ठा की पहचान अपने आप करा देती है।” उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर – महाराज विक्रमादित्य शिकार खेलने के दौरान अपने मन्त्री एवं सैनिकों से बिछड़कर एक छायादार वृक्ष के नीचे बैठे एक नेत्रहीन वृद्ध साधु से उनके बारे में पूछते हैं। साधु ने उत्तर दिया-“महाराज सर्वप्रथम आपका सेवक, फिर सेनानायक और उसके बाद आपके मन्त्री अभी यहाँ से निकले हैं।” विक्रमादित्य के आश्चर्यचकित होने पर कि उन्होंने सभी की पहचान किस प्रकार की, वृद्ध नेत्रहीन साधु ने बताया कि उन्होंने तीनों की वाणी सुनकर उनके पद का अनुमान लगा लिया। सर्वप्रथम साधु से सेवक ने कहा था कि “क्यों रे अंधे, यहाँ से कोई निकला है?” फिर कुछ देर बाद नायक ने पूछा कि “सूरदास यहाँ से कोई गया है?” इसके पश्चात् मन्त्री ने पूछा, “सूरदास जी यहाँ से कोई निकला है ?” और अन्त में विक्रमादित्य ने पूछा था कि “साधु महाराज, क्या यहाँ से कोई राहगीर अभी-अभी निकला है?”
प्रश्न 5. संत जुलाहे के समक्ष लड़का शर्म से पानी-पानी क्यों हो गया ?
उत्तर – धनवान लड़के द्वारा संत जुलाहे द्वारा बनाई गई साड़ी नष्ट कर दिए जाने के बावजूद भी जुलाहा क्रोधित न होकर लड़के के प्रति सहृदयता तथा सहानुभूति के भाव रखता था। संत जुलाहे की इस विनम्रता के समक्ष लड़का शर्म से पानी-पानी हो गया।
प्रश्न 6. “तुम्हारा पश्चाताप ही मेरे लिए बहुत कीमती है” प्रसंग को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – धनवान बालक के द्वारा अपने द्वारा किए गए कार्य पर पश्चाताप किए जाने पर संत जुलाहे ने उससे कहा था कि, “नष्ट हुई साड़ी के बदले में मैं तुमसे रुपए ले लेता तो मेरा काम तो चल जाता लेकिन तुम्हारी जिन्दगी का हाल इस साड़ी जैसा हो जाता तथा कोई भी उससे लाभान्वित नहीं होता। मैं एक साड़ी नष्ट होने पर तो दूसरी बना सकता हूँ, लेकिन यदि एक बार तुम्हारी जिन्दगी अहंकार में नष्ट हो गयी तो दूसरी कहाँ से लाओगे? तुमने अपनी भूल का पश्चाताप कर लिया, मेरे लिए यही बहुत कीमती है।