MP Board Class 10th Political Science Solution Chapter 3 : लोकतंत्र और विविधता

MP Board Class 10  Political Science II लोकतांत्रिक राजनीति-II

Chapter 3 : लोकतंत्र और विविधता (Democracy and Diversity )

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • अश्वेत शब्द उन अफ्रीकी लोगों के वंशजों के लिए प्रयुक्त होता है जिन्हें 17वीं सदी से लेकर 19वीं सदी की शुरूआत तक अमरीका में गुलाम बनाकर लाया गया था।
  • अश्वेत आन्दोलन मार्टिन लूथर किंग जूनियर की अगुवाई में लड़ा गया।
  • अश्वेत शक्ति आन्दोलन 1966 में उभरा और 1975 तक चलता रहा। नस्लवाद को लेकर इस आन्दोलन का रवैया ज्यादा उग्र था।
  • अमरीकी धावक टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस एफ्रो-अमरीकी थे। इन्होंने क्रमश: ओलम्पिक में स्वर्ण और कांस्य पदक जीता था।
  • एफ्रो-अमरीकी या अश्वेत शब्द का प्रयोग उन अफ्रीकी लोगों के लिए किया जाता है जिनके वंशजों को गुलाम बनाकर अमेरिका लाया गया था।
  • सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है। जन्म पर आधारित सामाजिक विभाजन • का अनुभव हम अपने दैनिक जीवन में लगभग रोज करते हैं।
  • सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अन्तर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं।
  • समरूप समाज एक ऐसा समाज जिसमें सामुदायिक, सांस्कृतिक या जातीय विभिन्नताएँ ज्यादा गहरी नहीं होतीं ।
  • ग्रेट ब्रिटेन दो प्रमुख पंथों में बुरी तरह बँटा है। 53 फीसदी आबादी प्रोटेस्टेंट है जबकि 44 फीसदी रोमन कैथोलिक ।
  • यूनियनिस्टों और नेशनलिस्टों के बीच चलने वाले हिंसक टकराव में ब्रिटेन के सुरक्षा बलों सहित सैकड़ों लोग और सेना के जवान मारे जा चुके हैं।
  • अधिकतर देशों में मतदान के स्वरूप और सामाजिक विभाजनों के बीच एक प्रत्यक्ष सम्बन्ध दिखाई देता है।
  • अगर लोग खुद को सबसे विशिष्ट और अलग मानने लगते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
  • संविधान के दायरे में आने वाली और दूसरे समुदाय को नुकसान न पहुँचाने वाली माँगों को मान लेना आसान है।
  • ताकत के दम पर एकता बनाए रखने की कोशिश अक्सर विभाजन की ओर ले जाती है।
  • लोकतन्त्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है और यह एक स्वस्थ राजनीति का लक्षण भी हो सकता है।

पाठान्त अभ्यास

प्रश्न 1. सामाजिक विभाजनों को राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा

उत्तर – सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम तीन बातों पर निर्भर करता है-

(1) पहली बात है लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना । अगर लोग खुद को सबसे विशिष्ट और अलग मानने लगते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत कठिन हो जाता है। उदाहरण के लिए, जब तक उत्तरी आयरलैंड के लोग खुद को सिर्फ प्रोटेस्टेंट या कैथोलिक के तौर पर देखते रहेंगे तब तक उनका शांत हो जाना सम्भव नहीं है। अगर लोग अपनी बहु-स्तरीय पहचान के प्रति सचेत हैं और उन्हें राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा या सहयोगी मानते हैं तब कोई समस्या नहीं होती। दूसरे, बेल्जियम के अधिकतर लोग खुद को बेल्जियाई ही मानते हैं भले ही वे डच या जर्मन बोलते हों। इस नजरिए से उन्हें साथ-साथ रहने में मदद मिलती है। हमारे राष्ट्र में भी ज्यादातर लोग अपनी पहचान को लेकर ऐसा ही नजरिया रखते हैं। वे अपने को पहले भारतीय मानते हैं फिर किसी प्रदेश, क्षेत्र, भाषा समूह या धार्मिक और सामाजिक समुदाय का सदस्य ।

(2) दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि किसी समुदाय की माँगों को राजनीतिक दल कैसे उठा रहे हैं। संविधान के अन्तर्गत आने वाली और दूसरे समुदाय को हानि न पहुँचाने वाली माँगों को मान लेना सरल है। जैसे श्रीलंका में ‘श्रीलंका केवल सिंहलियों के लिए’ की माँग तमिल समुदाय की पहचान और हितों के खिलाफ थी। यूगोस्लाविया में विभिन्न समुदायों के नेताओं ने अपने जातीय समूहों की तरफ से ऐसी माँगें रख दीं जिन्हें एक देश की सीमा के भीतर पूरा करना असम्भव था।

(3) तीसरी बात है सरकार का रुख । सरकार इन माँगों पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है, यह भी महत्त्वपूर्ण है। अगर शासन सत्ता में साझेदारी करने को तैयार हो और अल्पसंख्यक समुदाय की उचित माँगों को पूरा करने का प्रयास ईमानदारी से किया जाए तो सामाजिक विभाजन मुल्क के लिए खतरा नहीं बनते। अगर शासन राष्ट्रीय एकता के नाम पर किसी इस प्रकार की माँग को दबाना शुरू कर देता है तो अक्सर उल्टे और नुकसानदेह परिणाम ही निकलते हैं। ताकत के दम पर एकता बनाए रखने की कोशिश विभाजन की ओर ले जाती है।

इस प्रकार किसी राष्ट्र में सामाजिक विभिन्नताओं पर जोर देने की बात को हमेशा खतरा मानकर नहीं चलना चाहिए। लोकतंत्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है और यह एक स्वस्थ राजनीति का लक्षण भी हो सकता है।

प्रश्न 2. सामाजिक अन्तर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं ?

उत्तर – सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है। जन्म पर आधारित सामाजिक विभाजन का अनुभव हम अपने दैनिक जीवन में रोज करते हैं। हम अपने आस-पास देखते हैं कि चाहे कोई स्त्री हो या पुरुष, लम्बा हो या छोटा-सबकी चमड़ी का रंग अलग-अलग है, उनकी शारीरिक क्षमताएँ या अक्षमताएँ अलग-अलग हैं। सभी किस्म के सामाजिक विभाजन सिर्फ जन्म पर आधारित नहीं होते। कुछ बातें हमारी पसन्द या चुनाव के आधार पर भी तय होती हैं। बहुत से लोग अपने माँ-बाप और परिवार से अलग अपनी पसन्द का भी धर्म चुन लेते हैं। हम सभी लोग पढ़ाई के विषय, पेशे, खेल या सांस्कृतिक गतिविधियों का चुनाव अपनी पसन्द से करते हैं। इन सबके आधार पर भी सामाजिक समूह बनते हैं और ये जन्म पर आधारित नहीं होते।

हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती। सामाजिक विभिन्नताएँ लोगों के बीच बँटवारे का एक बड़ा कारण होती जरूर हैं लेकिन यही विभिन्नताएँ कई बार अलग-अलग तरह के लोगों के मध्य सेतु का कार्य भी करती हैं। विभिन्न सामाजिक समूहों के लोग अपने समूहों की सीमाओं से परे भी समानताओं और असमानताओं का अनुभव करते हैं।

एक ही धर्म को मानने वाले लोग खुद को एक ही समुदाय का सदस्य नहीं मानते क्योंकि उनकी जाति या उनका पंथ अलग होता है। यह भी सम्भव है कि अलग-अलग धर्म के अनुयायी होकर भी एक जाति वाले लोग खुद को एक-दूसरे के ज्यादा करीब महसूस करें। एक ही परिवार के अमीर और निर्धन ज्यादा घनिष्ठ सम्बन्ध नहीं रख पाते क्योंकि सभी अलग-अलग तरीके से सोचने लगते हैं।

प्रश्न 3. सामाजिक विभाजन किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं ? दो उदाहरण भी दीजिए ।

उत्तर-राजनीति और सामाजिक विभाजनों का मेल बहुत खतरनाक और विस्फोटक है। प्रजातन्त्र में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के मध्य प्रतिद्वंद्विता का माहौल होता है। इस प्रतिद्वंद्विता के कारण भी समाज फूट का शिकार बन सकता है। यदि राजनीतिक पार्टियाँ समाज में मौजूद विभाजनों के हिसाब से राजनीतिक होड़ करने लगे तो इससे सामाजिक विभाजन राजनीतिक विभाजन में परिवर्तित कर सकता है और ऐसे में राष्ट्र विखण्डन की ओर जा सकता है।

उत्तरी आयरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन का यह हिस्सा, काफी लम्बे समय से हिंसा, जातीय कटुता और राजनीतिक टकराव की गिरफ्त में रहा है। यहाँ की आबादी मुख्यतः ईसाई ही है पर वह इस धर्म के दो प्रमुख पंथों में बुरी तरह बँटी है। 53 फीसदी जनसंख्या प्रोटेस्टेंट है जबकि 44 फीसदी रोमन कैथोलिक । कैथोलिकों का प्रतिनिधित्व नेशनलिस्ट पार्टियाँ करती हैं। उनकी माँग है कि उत्तरी आयरलैंड को आयरलैंड गणराज्य के साथ मिलाया जाए जोकि मुख्यत: कैथोलिक बहुल है। प्रोटेस्टेंट लोगों का प्रतिनिधित्व यूनियनिस्ट पार्टियाँ करती हैं जो ग्रेट ब्रिटेन के साथ ही रहने के पक्ष में हैं क्योंकि ब्रिटेन मुख्यत: प्रोटेस्टेंट देश है। यूनियनिस्टों और नेशनलिस्टों के मध्य चलने वाले हिंसक टकराव में ब्रिटेन के सुरक्षा बलों सहित सैकड़ों लोग और सेना के जवान मारे जा चुके हैं। 1998 में ब्रिटेन की सरकार और नेशनलिस्टों के मध्य शांति समझौता हुआ जिसमें दोनों पक्षों ने हिंसक आन्दोलन बन्द करने की बात स्वीकार की । युगोस्लाविया में कहानी का ऐसा सुखद अन्त नहीं हुआ। वहाँ धार्मिक और जातीय विभाजन के आधार पर शुरू हुई राजनीतिक होड़ में युगोस्लाविया कई टुकड़ों में बँट गया।

इस प्रकार के उदाहरणों के आधार पर कुछ लोग यह निष्कर्ष निकालते हैं कि राजनीति और सामाजिक विभाजन का मेल नहीं होना चाहिए। उनका मानना है कि सर्वश्रेष्ठ स्थिति तो यह है कि समाज में किसी किस्म का विभाजन ही न हो। अगर किसी राष्ट्र में सामाजिक विभाजन है तो उसे राजनीति में अभिव्यक्त ही नहीं होने देना चाहिए।

अधिकतर राष्ट्रों में मतदान के स्वरूप और सामाजिक विभाजनों के मध्य एक प्रत्यक्ष सम्बन्ध दिखाई देता है। इसके तहत एक समुदाय के लोग आमतौर पर किसी एक दल को दूसरों के मुकाबले ज्यादा पसन्द करते हैं और उसी को वोट देते हैं। कई राष्ट्रों में ऐसी पार्टियाँ हैं जो सिर्फ एक ही समुदाय पर ध्यान देती हैं और उसी के हित में राजनीति करती हैं। किन्तु इस सबकी परिणति राष्ट्र के विखण्डन में नहीं होती।

प्रश्न 4 ………………………..सामाजिक अन्तर गहरे सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा करते हैं। ………………………सामाजिक अन्तर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।

उत्तर- (i) कुछ, (ii) सभी।

प्रश्न 5. सामाजिक विभाजनों को सँभालने के सन्दर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता ?

(क) लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी पड़ती है।

(ख) लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना सम्भव है।

(ग) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।

(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखण्डन की ओर ले जाता है।

उत्तर– (घ) ।

प्रश्न 6. निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें-

(अ) जहाँ सामाजिक अन्तर एक-दूसरे से टकराते हैं वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।

(ब) यह संभव है कि एक व्यक्ति की कई पहचान हो ।

(स) सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं।

इन बयानों में से कौन-कौन से बयान सही हैं।

(क) अ, ब और स

(ख) अ और ब

(ग) ब और स

(घ) सिर्फ स ।

उत्तर– (ख) अ और ब ।

प्रश्न 7. निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब ढूँढें।

(अ) सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक अभिव्यक्तियाँ खतरनाक ही हों यह जरूरी नहीं है।

(ब) हर देश में किसी न किसी तरह के सामाजिक विभाजन रहते ही हैं।

(स) राजनीतिक दल सामाजिक विभाजनों के आधार पर राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।

(द) कुछ सामाजिक अन्तर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।

(क) द, ब, स, अ,

(ख) द, ब, अ, स,

(ग) द, अ, स, ब,

(घ) अ, ब, स, द ।

उत्तर– (क) द, ब, स, अ ।

प्रश्न 8. निम्नलिखित में किस देश को धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर विखण्डन का सामना करना पड़ा ?

(क) बेल्जियम,

(ख) भारत,

(ग) युगोस्लाविया,

(घ) नीदरलैंड ।

उत्तर– (ग) भारत ।

प्रश्न 9. मार्टिन लूथर किंग जूनियर 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़ें। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं ? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थीं ? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलम्पिक की उस घटना में कोई सम्बन्ध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था ?

“मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतन्त्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद से बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे जब ईश्वर की सारी संतानें- अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक- हाथ में हाथ डालेंगे और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी- ‘मिली आजादी, मिली आजादी ! प्रभु बलिहारी, मिली आजादी!’ मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, “हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं।”

उत्तर– मार्टिन लूथर किंग का यह बयान नस्ल के आधार पर भेदभाव करने वाले कानूनों और व्यवहार पर है। उनकी आशाएँ और चिंताएँ यह हैं कि उन्होंने अपने चार छोटे बच्चों के लिए एक सपना देखा है जो उनके अनुसार एक ऐसे राज्य में जीवित होंगे जिनमें लोग, उन्हें उनके रंग (या चमड़ी) के आधार पर नहीं बल्कि उन्हें उनके चरित्र के गुणों के आधार पर परखेंगे। वे उस दिन की दुआ कर रहे हैं जब सभी व्यक्ति-काले-गोरे, यहूदी तथा गैर-यहूदी, कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट एक ही प्रकार के अधिकारों तथा स्वतंत्रता का प्रयोग कर पाएँगे। मार्टिन लूथर किंग के बयान और मेक्सिको ओलंपिक की घटना में निश्चित सम्बन्ध देखते हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली रंग-भेद की नीति के प्रति विरोध प्रदर्शित करने का एक तरीका था।

अमरीकी धावक टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस । ये एफ्रो-अमरीकी हैं। इन्होंने क्रमश: स्वर्ण और कांस्य पदक जीता था। उन्होंने जूते नहीं पहने थे। सिर्फ मोजे चढ़ाए पुरस्कार लेकर दोनों ने यह जताने की कोशिश की कि अमरीकी अश्वेत लोग गरीब हैं। रजत पदक जीतने वाले आस्ट्रेलियाई धावक पीटर नार्मन ने पुरस्कार समारोह में अपनी जर्सी पर मानवाधिकार का बिल्ला लगाकर इन दोनों अमरीकी खिलाड़ियों के प्रति अपना समर्थन जताया ।

अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ ने कार्लोस और स्मिथ द्वारा राजनीतिक बयान देने की इस युक्ति को ओलम्पिक भावना के विरुद्ध बताते हुए उन्हें दोषी करार दिया और उनके पदक वापस ले लिए गए। नार्मन को भी अपने फैसले की कीमत चुकानी पड़ी और अगले ओलम्पिक में उन्हें आस्ट्रेलिया टीम में जगह नहीं दी गई पर इनके फैसलों ने अमरीका में बढ़ते नागरिक अधिकार आन्दोलन के प्रति विश्व का ध्यान खींचने सफलता पाई।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

• बहु-विकल्पीय प्रश्न

(C) अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

1. 1968 में ओलम्पिक खेलों का आयोजन किस शहर में हुआ ?

(i) फ्रांस,

(ii) टोकियो,

(iii) मेक्सिको,

(iv) न्यूयार्क।

2. अश्वेत शक्ति आन्दोलन किस वर्ष में उभरा ?

(i) 1966,

(ii) 1976,

(iii) 1986,

(iv) 1996.

3. टॉमी स्मिथ का किस खेल से सम्बन्ध था ?

(i) फुटबॉल,

(ii) धावक,

(iii) हॉकी,

(iv) कुश्ती ।

4. आयरिश रिपब्लिकन आर्मी और ब्रिटेन की सरकार के बीच किस वर्ष में एक समझौता हुआ

था ?

(i) 2000 में,

(ii) 2002 में,

(iii) 2005 में,

(iv) 2007 में।

5. ताकत के दम पर एकता बनाए रखने की कोशिश अक्सर किस ओर ले जाती है ?

(i) विभाजन,

(ii) एकता,

(iii) संगठन,

(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।

उत्तर- 1. (iii), 2. (i), 3. (ii), 4. (iii), 5. (i).

• रिक्त स्थान पूर्ति

1. स्मिथ ने अपने गले में एक……………………………… जैसा परिधान भी पहना था जो अश्वेत लोगों के आत्मगौरव का प्रतीक है।

2. अश्वेत शक्ति आन्दोलन 1966 में उभरा और………………………तक चलता रहा ।

3. कई लोग अपने माँ-बाप और परिवार से अलग अपनी पसन्द का ……………………………..भी’ चुन लेते हैं।

4. उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच……………………………..है।

5. आज दुनिया के अधिकतर देश ……………………………हो गए हैं।

उत्तर-1. काला मफलर, 2. 1975, 3. धर्म, 4. गहरी समानता, 5. बहु- सांस्कृतिक ।

सत्य/असत्य

1. कार्लोस ने मारे गए अश्वेत लोगों की याद में लाल मनकों की माला पहनी थी।

2. बेल्जियम में अलग-अलग इलाकों में रहने वाले लोग अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं ।

3. आज अधिकतर समाजों में कई किस्म के विभाजन दिखाई देते हैं।

4. उत्तरी आयरलैंड, सोवियत संघ का हिस्सा है।

5. अधिकतर देशों में मतदान के स्वरूप और सामाजिक विभाजनों के बीच एक प्रत्यक्ष सम्बन्ध दिखाई देता है।

उत्तर– 1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य ।

सही जोड़ी मिलाइए

‘अ’ ‘ब’

1. जॉन कार्लोस (क) श्वेत

2. पीटर नार्मन (ख) सिंहलियों

3. पीटर नार्मन (ग) एफ्रो-अमरीकी

4. श्रीलंका (घ) आस्ट्रेलियाई धावक

5. बेल्जियम (ङ) डच या जर्मन भाषा

उत्तर– 1. → (ग), 2. (घ), 3. (क), 4. (ख), 5. (ङ) ।

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

1. सामाजिक विभाजनों का प्रमुख आधार क्या है ?

2. कौन उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिक लोगों का प्रतिनिधि राजनीतिक दल है ?

3. वह समाज जिसमें कोई खास जातीय अन्तर नहीं होता, कौन-सा समाज कहलाता है ?

4. सामाजिक भेदभाव की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उत्पत्ति क्या है ?

5. पीटर नार्मन (आस्ट्रेलियाई धावक) की मृत्यु कब हुई ?

उत्तर- 1. जन्म, 2. नेशनलिस्ट पार्टी, 3. समरूप समाज, 4. जन्म पर आधारित, 5. 2006 में।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. एफ्रो-अमरीकी कौन थे ?

उत्तर- एफ्रो-अमरीकन, अश्वेत अमरीकी या अश्वेत शब्द उन अफ्रीकी लोगों के वंशजों के लिए प्रयुक्त होता है जिन्हें 17वीं सदी से लेकर 19वीं सदी के प्रारम्भ तक अमरीका में गुलाम बनाकर लाया गया था ।

प्रश्न 2. अश्वेत शक्ति आन्दोलन क्या था ?

उत्तर – यह आन्दोलन 1966 में उभरा और 1975 तक चलता रहा । नस्लवाद को लेकर इस आन्दोलन का रवैया ज्यादा उग्र था । इसका यह भी मानना था कि अमरीका से नस्लवाद मिटाने के लिए हिंसा का सहारा लेने में भी हर्ज नहीं है।

प्रश्न 3. अमेरिकी समाज के दो सामाजिक विभाजन कौन-से हैं ?

उत्तर- (1) श्वेत अमेरिकी समाज, (2) अश्वेत अमेरिकी समाज ।

प्रश्न 4. टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस में दो समानताएँ बताइए ।

उत्तर– (1) अमरीकी धावक स्मिथ और जॉन कार्लोस एफ्रो-अमरीकी थे।

(2) दोनों ने मैक्सिको ओलम्पिक में स्वर्ण और कांस्य पदक जीते थे।

प्रश्न 5. समरूप समाज से क्या आशय है ?

उत्तर-समरूप समाज एक ऐसा समाज जिसमें सामुदायिक, सांस्कृतिक या जातीय विभिन्नताएँ ज्यादा गहरी नहीं होतीं ।

प्रश्न 6. भारत में सामाजिक विभाजन का क्या आधार ?

उत्तर- भारत में सामाजिक विभाजन का आधार सांस्कृतिक विभिन्नता तथा सामाजिक भिन्नता है। प्रश्न 7. मतदान के स्वरूप और सामाजिक विभाजनों के बीच कैसा सम्बन्ध दिखाई देता है ? उत्तर-अधिकतर देशों में मतदान के स्वरूप और सामाजिक विभाजनों के बीच एक प्रत्यक्ष सम्बन्ध दिखाई देता है।

प्रश्न 8. टॉमी स्मिथ तथा जॉन कार्लोस ने क्यों बिना जूते पहने पदक ग्रहण किया था ?

उत्तर – अमेरिका में अश्वेत लोगों की निर्धनता एवं नस्लवादी भेद-भाव की ओर विश्व का ध्यान आकर्षित करने के लिए ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सामाजिक विभाजन कब होता है ?

अथवा

सामाजिक विभाजन की स्थिति कब उत्पन्न होती है ?

उत्तर-सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अन्तर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं। अमरीका में श्वेत और अश्वेत का अन्तर एक सामाजिक विभाजन भी बन जाता है क्योंकि अश्वेत लोग आमतौर पर निर्धन हैं, बेघर हैं, भेदभाव का शिकार हैं। हमारे राष्ट्र में भी दलित आमतौर पर निर्धन और भूमिहीन हैं। उन्हें भी अक्सर भेदभाव और अन्याय का शिकार होना पड़ता है। जब एक तरह का सामाजिक अन्तर अन्य अन्तरों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बन जाता है और लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं तो इससे एक सामाजिक विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 2. भारत में सामाजिक विभिन्नताओं के प्रमुख तीन उदाहरण दीजिए ।

उत्तर– भारत में सामाजिक विभिन्नता के प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं-

(1) भारत में अनेक जातियों के लोग रहते हैं। वास्तव में भारतीय समाज जाति पर आधारित समाज है।

(2) भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। इनमें हिन्दू, जैन, बौद्ध, ईसाई, इस्लाम, सिक्ख, पारसी आदि धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं।

(3) भारत में 500 से अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें से 22 भाषाओं को संविधान में मान्यता दी गई है।

प्रश्न 3. कुछ दलित समूह ने 2001 में डरबन में हुए संयुक्त राष्ट्र के नस्लभेद विरोधी सम्मेलन में हिस्सा लेने का फैसला किया और माँग की कि सम्मेलन की कार्यसूची में जातिभेद को भी रखा जाए। इस फैसले पर ये तीन प्रतिक्रियाएँ सामने आईं-

अमनदीप कौर (सरकारी अधिकारी) – हमारे संविधान में जातिगत भेदभाव को गैर-कानूनी करार दिया गया है। अगर कहीं-कहीं, जातिगत भेदभाव होता है तो यह हमारा आंतरिक मामला है और इसे प्रशासनिक अक्षमता के रूप में देखा जाना चाहिए। मैं इसे अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाए जाने के खिलाफ हूँ।

ओइनम (समाजशास्त्री) – जाति और नस्ल एक जैसे सामाजिक विभाजन नहीं हैं इसलिए इसके खिलाफ हूँ। जाति का आधार सामाजिक है जबकि नस्ल का आधार जीवशास्त्रीय होता है। नस्लवाद विरोधी सम्मेलन में जाति के मुद्दे को उठाना दोनों को एक समान मनाने जैसा होगा ।

अशोक (दलित कार्यकर्ता) – किसी मुद्दे को आन्तरिक मामला कहना दमन और भेदभाव पर खुली चर्चा को रोकना है। नस्ल विशुद्ध रूप से जीवशास्त्रीय नहीं है, यह जाति की तरह ही काफी हद तक समाजशास्त्रीय और वैधानिक वर्गीकरण है। इस सम्मेलन में जातिगत भेदभाव का मसला जरूर उठना चाहिए।

इनमें से किस राय को आप सबसे सही मानते हैं ? कारण बताइए ।

उत्तर- मैं अशोक की राय से सहमत हूँ क्योंकि उसका यह कहना नस्ल विशुद्ध रूप से जीवशास्त्रीय नहीं है, यह जाति की तरह ही काफी हद तक समाजशास्त्रीय और वैधानिक वर्गीकरण है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र के नस्लभेद विरोधी सम्मेलन में जातिगत भेदभाव का मसला जरूर उठाना चाहिए।

प्रश्न 4. क्या आज दुनिया के अधिकतर देश बहु-सांस्कृतिक हो गए हैं ?

उत्तर-आज अधिकतर समाजों में कई किस्म के विभाजन दिखाई देते हैं। देश बड़ा हो या छोटा इससे फर्क नहीं पड़ता। भारत काफी बड़ा राष्ट्र है और इसमें अनेक समुदायों के लोग रहते हैं। बेल्जियम छोटा राष्ट्र है वहाँ भी अनेक समुदायों के लोग हैं। जर्मनी और स्वीडन जैसे समरूप समाज में भी, जहाँ पर अधिकतर लोग एक ही नस्ल और संस्कृति के हैं, विश्व के दूसरे क्षेत्रों में पहुँचने वाले लोगों के कारण तेजी से परिवर्तन हो रहा है। ऐसे लोग अपने साथ अपनी संस्कृति लेकर पहुँचते हैं। उनमें अपना अलग समुदाय बनाने की प्रवृत्ति होती है। इस हिसाब से आज दुनिया के अधिकांश देश बहु-सांस्कृतिक हो गए हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 1968 में मैक्सिको ओलम्पिक ने अमरीका में बढ़ते नागरिक अधिकार आन्दोलन के प्रति विश्व का ध्यान खींचने में सफलता पाई। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-1968 में मैक्सिको सिटी में हुए ओलम्पिक मुकाबलों की 200 मीटर दौड़ में एफ्रो-अमरीकी धावक टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस ने क्रमश: स्वर्ण और कांस्य पदक जीता था। उन्होंने जूते नहीं पहने थे। सिर्फ मोजे चढ़ाए पुरस्कार लेकर दोनों ने यह प्रदर्शित करने की कोशिश की कि अमरीकी अश्वेत लोग निर्धन हैं। स्मिथ ने अपने गले में एक काला मफलर जैसा परिधान भी पहना था जो अश्वेत लोगों के आत्मगौरव का प्रतीक था। कार्लोस ने मारे गए अश्वेत लोगों की याद में काले मनकों की एक माला पहनी थी। अपने इन प्रतीकों और तौर-तरीकों से उन्होंने अमरीका में होने वाले रंगभेद के प्रति अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी का ध्यान खींचने की कोशिश की। काले दस्ताने और बँधी हुई मुट्ठियाँ अश्वेत शक्ति का प्रतीक थीं । रजत पदक जीतने वाले आस्ट्रेलियाई धावक पीटर नार्मन ने पुरस्कार समारोह में अपनी जर्सी पर मानवाधिकार का बिल्ला लगाकर इन दोनों अमरीकी खिलाड़ियों के प्रति अपना समर्थन जताया।

अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ ने कार्लोस और स्मिथ द्वारा राजनीतिक बयान देने की इस युक्ति को ओलम्पिक भावना के विरुद्ध बताते हुए उन्हें दोषी करार दिया और उनके पदक वापस ले लिए गए। नार्मन को भी अपने फैसले की कीमत चुकानी पड़ी और अगले ओलम्पिक में उन्हें आस्ट्रेलिया की टीम में जगह नहीं दी गई पर इनके फैसलों ने अमरीका में बढ़ते नागरिक अधिकार आन्दोलन के प्रति दुनिया का ध्यान खींचने में सफलता पाई।

प्रश्न 2. “जब सामाजिक विभिन्नताएँ एक-दूसरे से गुँथ जाती हैं तो एक गहरे सामाजिक विभाजन की जमीन तैयार होने लगती है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर– यदि एक-सी सामाजिक विभिन्नताएँ कई समूहों में मौजूद हों तो फ़िर एक समूह के लोगों के लिए दूसरे समूहों से अलग पहचान बनाना कठिन हो जाता है। इसका आशय यह है कि किसी एक मुद्दे पर कई समूह के हित एक जैसे हो जाते हैं जबकि किसी दूसरे मुद्दे पर उनके नजरिए में अन्तर हो सकता है। उदाहरण के लिए, आयरलैंड और नीदरलैंड दोनों ही ईसाई बहुल राष्ट्र हैं लेकिन यहाँ के लोग प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक खेमे में बँटे हैं।

उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच गहरी समानता है। वहाँ का कैथोलिक समुदाय निर्धन है। लम्बे समय से उसके साथ भेदभाव होता आया है। नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच ऐसा मेल दिखाई नहीं देता। वहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंटों, दोनों में अमीर और निर्धन है। परिणाम यह है कि उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिकों और प्रोटेस्टेंटों के बीच भारी मारकाट चलती रही है पर नीदरलैंड में ऐसा नहीं होता। जब सामाजिक विभिन्नताएँ एक-दूसरे से गुँथ जाती हैं तो एक गहरे सामाजिक विभाजन की जमीन तैयार हो जाती है। जहाँ ये सामाजिक विभिन्नताएँ एक साथ कई समूहों में विद्यमान होती हैं वहाँ उन्हें सँभालना अपेक्षाकृत सरल होता है।

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