MP Board Class 10th Geography Solution Chapter 6:  विनिर्माण उद्योग

MP Board Class 10 th Geography Solution भूगोल-समकालीन भारत-II

Chapter 6 : विनिर्माण उद्योग [Manufacturing Industries]

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • मनुष्य का वस्तु निर्माण करने का कार्य उद्योग कहलाता है।
  • कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माणकहा जाता है।
  • विनिर्माण उद्योग सामान्यत: आर्थिक विकास की रीढ़ समझे जाते हैं।
  • कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे से पृथक नहीं हैं, ये एक-दूसरे के पूरक हैं।
  • पिछले दो दशकों में सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण उद्योग का योगदान 17 प्रतिशत है।
  • कृषि पर आधारित उद्योग हैं-सूती वस्त, ऊनी वस्त्र, पटसन, रेशम वस्त्र, रबर, चीनी, चाय, कॉफी तथा वनस्पति तेल उद्योग।
  • खनिज पर आधारित उद्योग हैं-लोहा तथा इस्पात, सीमेन्ट, एलुमिनियम, मशीन, औजार तथा पेट्रो रसायन उद्योग।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग; जैसे-भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, ओएनजीसी।
  • निजी क्षेत्र के उद्योग-टिस्को, रिलायन्स आदि।
  • आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित थे।
  • पहला पटसन उद्योग कोलकाता के निकट रिशरा में 1855 में लगाया गया।
  • भारत पटसन व पटसन निर्मित सामान का सबसे बड़ा उत्पादक तथा बांग्लादेश के बाद दूसरा बड़ा निर्यातक है।
  • लोहा तथा इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के और मध्यम उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर हैं।
  • भारत में छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग संकेन्द्रित हैं।
  • भारत में एलुमिनियम प्रगलन दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण धातु शोधन उद्योग है।
  • भारत में रसायन उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है तथा सकल घरेलू उत्पाद में इसकी भागीदारी तीन प्रतिशत है।
  • अकार्बनिक रसायनों में सल्फ्यूरिक अम्ल, उर्वरक, कृत्रिम वस्त्र, प्लास्टिक, गोंद, रंग-रोगन, डाई आदि के निर्माण में प्रयुक्त किया जाता है।
  • कार्बनिक रसायनों में पेट्रोरसायन शामिल हैं, जो कृत्रिम वस्त्र, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक, दवाइयाँ बनाने में प्रयोग किये जाते हैं
  • सीमेन्ट उद्योग निर्माण कार्यों; जैसे-घर, कारखाने, पुल, सड़कें, हवाई अड्डा, बाँध तथा अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के निर्माण में आवश्यक हैं।
  • इलैक्ट्रोनिक उद्योग के अन्तर्गत आने वाले उत्पादों में टेलीविजन, सेल्यूलर टेलीकॉम, रडार, कम्प्यूटर तथा दूरसंचार उद्योग के लिए उपकरण बनाये जाते हैं।
  • उद्योग चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं -वायु, जल, भूमि व ध्वनि।

पाठान्त अभ्यास

प्रश्न 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्न में कौन-सा उद्योग चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है ?

(क) एल्यूमिनियम

(ख) प्लास्टिक

(ग) सीमेन्ट

(घ) मोटरगाड़ी।

उत्तर- (ग) सीमेन्ट

(ii) निम्न में कौन-सी एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाजार में उपलब्ध कराती है ?

(क) हेल (HAIL)

(ख) सेल (SAIL)

(ग) टाटा स्टील

(घ) एमएनसीसी (MNCC)।

उत्तर- (ख) सेल (SAIL)

(iii) निम्न में कौन-सा उद्योग बॉक्साइट को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करता है ?

(क) एलुमिनियम प्रगलन

(ख) सीमेन्ट

(ग) कागज

(घ) स्टील।

उत्तर- (क) एलुमिनियम प्रगलन

(iv) निम्न में कौन-सा उद्योग दूरभाष, कम्प्यूटर आदि संयंत्र निर्मित करते हैं ?

(क) स्टील

(ख) एलुमिनियम प्रगलन

(ग) इलैक्ट्रॉनिक

(घ) सूचना प्रौद्योगिकी।

उत्तर- (घ) सूचना प्रौद्योगिकी।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

(i) विनिर्माण क्या है ?

उत्तर – कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण कहा जाता है, जैसे-कागज बाँस से, चीनी गन्ने से, लोहा-इस्पात लौह-अयस्क से तथा एलुमिनियम बॉक्साइट से निर्मित है।

(ii) उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताएँ।

उत्तर – उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन कारक निम्न हैं-

(1) कच्चे माल की प्राप्ति, (2) शक्ति के साधन, (3) उपयुक्त जलवायु।

(iii) औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताएँ।

उत्तर-औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक निम्न हैं-

(1) श्रम, (2) बाजार, (3) परिवहन एवं संचार की सुविधाएँ।

(iv) आधारभूत उद्योग क्या हैं ? उदाहरण देकर बताएँ।

उत्तर-वे उद्योग जो अन्य उद्योगों के आधार होते हैं। इनके उत्पादन अन्य उद्योगों के निर्माण तथा संचालन के काम आते हैं; जैसे-लोहा इस्पात, ताँबा प्रगलन व एलुमिनियम प्रगलन उद्योग।

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए

(i) समन्वित इस्पात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न हैं ? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं ? किन सुधारों के अन्तर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है ?

उत्तर– समन्वित (संकलित) इस्पात व मिनी इस्पात उद्योगों में अन्तर

इस्पात उद्योग की समस्याएँ यद्यपि भारत में इस्पात उद्योग के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं, परन्तु इसके बावजूद इस्पात के उत्पादन में घरेलू माँग के अनुरूप वृद्धि नहीं हो पा रही है। इसका प्रमुख कारण समयानुकूल इस्पात उद्योग में पूँजी निवेश का अभाव एवं नयी प्रौद्योगिकी के लागू करने में देरी होना है। इसी के साथ कुछ अन्य कारण भी हैं, जैसे

(1) इस्पात के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले भारतीय कोयले का निम्न स्तर का होना (जिसमें राख के मात्रा अधिक होती है) भी इस उद्योग के विकास में बाधक है।

(2) इस्पात उद्योग के क्षेत्र में स्थित इस्पात संयंत्रों को बिजली की नियमित सप्लाई न मिलना तथा बिजलं की बढ़ी हुई दरों के कारण उत्पादित इस्पात की लागत अधिक होना भी इस उद्योग की प्रगति में बाधक है।

(3) इस्पात क्षेत्र के मुख्य कच्चा माल खासतौर से आयातित स्क्रप की ऊँची कीमत भी इस उद्योग के विकास में बाधक है।

(4) इस उद्योग में कच्चे माल एवं उत्पादन दोनों की दृष्टि से भारी पदार्थों का परिवहन होता है। इससे उद्योग के सामने परिवहन की कठिनाइयाँ बनी रहती हैं।

(5) देश की औद्योगिक नीति के अनुसार लोहा व इस्पात उद्योग के भावी विकास का दायित्व सरकार के ऊपर है, किन्तु सार्वजनिक क्षेत्र में इस उद्योग का संचालन सन्तोषप्रद नहीं है।

सुधारों द्वारा उत्पादन क्षमता-निजी क्षेत्र में उद्यमियों के प्रयत्न से तथा उदारीकरण व प्रत्यक्ष विदेश निवेश ने इस्पात उद्योग को प्रोत्साहन दिया है। वर्ष 2018 में भारत 106.5 मिलियन टन इस्पात का विनिर्माण कर विश्व में कच्चा इस्पात उत्पादकों में दूसरे स्थान पर था। यह स्पंज लौह का सबसे बड़ा उत्पादक है।

(ii) उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं ?

उत्तर – औद्योगिक प्रदूषण औद्योगिक प्रगति ने अर्थव्यवस्था को विकसित व उन्नत बनाने में जहाँ अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिय वहीं दूसरी ओर पर्यावरण सम्बन्धी ऐसी कठिनाइयों को जन्म दिया जो आज विकराल रूप से हमारे समक्ष खड़े हैं। आज पर्यावरणविद् इस बात का अनुभव कर रहे हैं कि औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला कचरा, दूषित जल, विषैली गैस आदि सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं, पारिस्थितिकी तन्त्र का सन्तुलन बिगड़ रहा है तथा प्रदूषण की स्थिति संकट बिन्दु तक पहुँच गई है और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन हो गया है। औद्योगीकरण से होने वाले प्रमुख प्रदूषण निम्नलिखित हैं

(1) वायु प्रदूषण – औद्योगिक कारखानों की चिमनियों के कारण निकलने वाला धुआँ वायु प्रदूषण क प्रमुख कारण है। विभिन्न उद्योगों से होने वाले प्रदूषण की मात्रा एवं प्रकृति, उद्योग के प्रकार, प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल एवं निर्माण आदि पर निर्भर करती है। इस दृष्टि से कपड़ा उद्योग, रासायनिक उद्योग, धातु उद्योग, तेल शोधक एवं चीनी उद्योग अन्य उद्योगों की अपेक्षा अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। इन उद्योगों से वायुमण्डल में, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, धूल आदि हानिकारक व विषैले तत्व मिल जाते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं। .

(2) जल प्रदूषण – जल जीवन का आधार है। जल निरन्तर प्रदूषित हो रहा है। इसका प्रमुख कारण कारखानों का कूड़ा-करकट नदियों और जलाशयों में बहाना है। कागज और चीनी की मिलें तथा चमड़ा साफ करने के कारखाने अपना कूड़ा-कचरा नदियों में बहा देते हैं या भूमि पर सड़ने के लिए छोड़ देते हैं, जिससे भूमिगत जल प्रदूषित होता है, क्योंकि कूड़े-कचरे का अंश रिस-रिस कर भूमिगत जल में मिल जाता है। इस जल का उपयोग या सम्पर्क प्राणियों और वनस्पतियों के लिए हानिकारक होता है।

(3) भूमि प्रदूषण – इसे ‘मृदा प्रदूषण’ भी कहते हैं। औद्योगिक अपशिष्ट का भूतल पर फैलाव भूमि जदूषण का कारण बनता है। इस प्रकार के अपशिष्ट में अनेक ऐसे पदार्थ होते हैं, जो प्राकृतिक रूप में घटित नहीं होते तथा इनका प्रकृति में पुनः चक्रीकरण नहीं होता जिससे भूमि की गुणवत्ता में कमी आती है।

(4) ध्वनि प्रदूषण – मानव के कानों में भी ध्वनि को साधारणतया ग्रहण करने की एक सीमा होती है। वास्तव में शोर वह ध्वनि है जिसके द्वारा मानव के अन्दर अशान्ति व बेचैनी उत्पन्न होने लगती है, इसी को वनि प्रदूषण कहते हैं। उद्योगों में अनेक प्रकार की मशीनें प्रयोग की जाती हैं जिनसे निरन्तर शोर होता रहता है। इसके अतिरिक्त कारखानों में जनरेटर भी चलाये जाते हैं, इन सभी से निरन्तर अधिक शोर होता है। इससे इनमें कार्य करने वाले श्रमिक अनेक मानसिक रोगों तथा बहरेपन के शिकार हो जाते हैं।

(iii) उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें।

उत्तर औद्योगिक प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय औद्योगिक प्रदूषण के नियन्त्रण हेतु निम्न उपाय किए जाने चाहिएवायु प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय

(1) कारखानों की चिमनियों की ऊँचाई बढ़ाकर उनसे निकलने वाली हानिकारक गैसों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

(2) कारखानों में कम-से-कम प्रदूषण करने वाले ऊर्जा संसाधनों का उपयोग होना चाहिए, जैसे-सौर उर्जा।

(3) औद्योगिक इकाई की स्थापना से पूर्व ही प्रदूषण अनुमान लगाकर उसको नियन्त्रित करने के साधन जैसे वनस्पति आवरण आदि कारखाना परिसर में विकसित किया जाना चाहिए।

(4) उद्योगों में प्रदूषण नियन्त्रक उपकरण लगाए जाने चाहिए।

जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय

(1) उद्योगों में प्रयोग किए गए जल के उपचार की व्यवस्था कारखाने की स्थापना के साथ ही की जानी चाहिए।

(2) रासायनिक उद्योग जो कि जल को सर्वाधिक प्रदूषित करते हैं, को जलाशयों व नदियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए।

(3) सड़क के किनारे तथा कारखानों के निकट खाली स्थानों पर वृक्ष लगाए जाने चाहिए।

(4) उद्योग संचालकों को जल प्रदूषण नियन्त्रण परामर्श नियमित दिए जाने चाहिए तथा उद्योगों से विसर्जन जल की प्रशासनिक निगरानी होनी चाहिए।

भू-प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय

(1) औद्योगिक संस्थानों को अपने अपशिष्ट पदार्थों को बिना उपचार किए विसर्जित करने से रोका जाना चाहिए।

(2) औद्योगिक अपशिष्टों के निक्षेपण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। अपशिष्ट निक्षेपण खुले स्थानों में नहीं होना चाहिए।

(3) अपशिष्टों को आधुनिक तकनीक से जलाकर उससे उत्पन्न ताप को ऊर्जा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

(4) औद्योगिक अपशिष्टों को पुनरुत्पादन हेतु प्रयुक्त करने की तकनीक विकसित की जानी चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय

(1) औद्योगिक इकाइयों को शहर से दूर स्थापित करना चाहिए।

(2) कारखानों में ध्वनि निरोधक यन्त्रों का उपयोग किया जाना चाहिए।

(3) कल-कारखानों में मशीनों का रख-रखाव सही करके, मशीनों का शोर कम किया जा सकता है। खराब मशीनें अधिक शोर करती हैं।

(4) अधिक शोर उत्पन्न करने वाली औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों को कर्ण बन्दकों का प्रयोग करना चाहिए।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए औद्योगिक विकास अवरुद्ध न किया जाये बल्कि औद्योगिक विकास नियोजित ढंग से हो, जिससे पर्यावरण में किसी भी प्रकार का असन्तुलन उत्पन्न न हो।

(C) अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय

प्रश्न 1. भारत का सबसे प्राचीन और प्रमुख उद्योग है

(i) लोहा तथा इस्पात उद्योग 

(ii) जूट उद्योग

(iii) सूती वस्त्र उद्योग

(iv) कागज उद्योग।

उत्तर (iii) सूती वस्त्र उद्योग

2. कौन-सा उद्योग कृषि पर आधारित नहीं है ?

(i) सूती वस्त्र

(ii) पटसन

(iii) चीनी

(iv) सीमेन्ट।

उत्तर (iv) सीमेन्ट।

3. भिलाई इस्पात संयंत्र कहाँ है ?

(i) उत्तर प्रदेश

(ii) बिहार

(iii) मध्य प्रदेश

(iv) ओडिसा।

उत्तर (iii) मध्य प्रदेश

4. दुर्गापुर इस्पात संयंत्र कहाँ है ?

(i) बिहार

(ii) मध्य प्रदेश

(iii) उत्तर प्रदेश

(iv) पश्चिम बंगाल।

उत्तर (i) बिहार

5. भारत की जूट निर्यात में क्या स्थिति है ?

(i) प्रथम

(ii) द्वितीय

(iii) तृतीय

(iv) पाँचवीं।

उत्तर (ii) द्वितीय

6. सेल उद्यम किस क्षेत्र के अन्तर्गत आता है ? .

(i) निजी क्षेत्र

(ii) सहकारी क्षेत्र

(iii) सार्वजनिक क्षेत्र

(iv) संयुक्त क्षेत्र।

उत्तर (iii) सार्वजनिक क्षेत्र

7. टिस्को किस क्षेत्र के अन्तर्गत आता है ?

(i) निजी क्षेत्र

(ii) संयुक्त क्षेत्र

(iii) सार्वजनिक क्षेत्र

(iv) सहकारी क्षेत्र।

उत्तर (i) निजी क्षेत्र

रिक्त स्थान पूर्ति

1. वे उद्योग जिन पर कई अन्य उद्योग निर्भर होते हैं, उन्हें ……………. कहते हैं।

2. राउरकेला इस्पात कारखाना के सहयोग से स्थापित किया गया।

3. लोहा-इस्पात उद्योग को ………………. की संज्ञा प्राप्त है।

4. जूट का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला राज्य …………….है।

5. टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, जमशेदपुर ………………..राज्य में स्थित है।

6. बोकारो इस्पात संयंत्र सन् …………….. में स्थापित किया गया।

उत्तर-1. आधारभूत उद्योग, 2. जर्मनी, 3. आधारभूत उद्योग, 4. पश्चिम बंगाल, 5. झारखण्ड, 6. 1972.

सत्य/असत्य

1. तृतीयक कार्यों में लगे व्यक्ति कच्चे माल को परिष्कृत वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं।

2. कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं।

3. भारत जापान को सूत निर्यात करता है।

4. वस्त्र उत्पादन में गुजरात का पहला स्थान है।

5. ‘टिस्को’ एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना है।

उत्तर-1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य। 

सही जोड़ी मिलाइए

उत्तर -1. → (घ), 2. → (ङ),3. → (क),4.→ (ख), 5. → (ग)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. पटसन उद्योग किस राज्य व किस नदी तट पर स्थित है ?

2. सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग सभी उपक्रम अपने इस्पात को किसके माध्यम से बेचते हैं ?

3. हवाई जहाज, बर्तन व तार बनाने में किस धातु का प्रयोग किया जाता है ?

4. पूर्णत: भारतीय तकनीक पर आधारित कौन-सा इस्पात कारखाना है ?

5. उद्योग स्थापना विस्तार व निवेश की उदार नीति को क्या कहते हैं ?

उत्तर -1. पश्चिम बंगाल, हुगली नदी, 2. स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया, 3. एलुमिनियम, 4. विजयनगर इस्पात कारखाना (कर्नाटक में), 5. उदारीकरण।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. उद्योग किसे कहते हैं ?

उत्तर -मनुष्य का वस्तु निर्माण करने का कार्य उद्योग कहलाता है। उद्योग की इस प्रक्रिया में मानव कच्चे माल का उपयोग कर श्रम, शक्ति व तकनीक के माध्यम से आवश्यकतानुसार पक्का माल तैयार करता है।

प्रश्न 2. भारत का सबसे बड़ा लोहा इस्पात कारखाना कब और कहाँ स्थापित किया गया ?

उत्तर -टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (टिस्को) 1907 में जमशेदपुर (झारखण्ड) में स्थापित किया गया।

प्रश्न 3. भारत में कृषि पर आधारित उद्योग कौन-से हैं ?

उत्तर– वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, कागज उद्योग, पटसन उद्योग, वनस्पति उद्योग कृषि पर आधारित उद्योग हैं।

प्रश्न 4. लोहा इस्पात उद्योग कहाँ स्थापित किया जा सकता है

उत्तर– जहाँ इस उद्योग से सम्बन्धित कच्चा माल (लौह अयस्क, चूना पत्थर और मैंगनीज) व पर्याप्त मात्रा में शक्ति साधन उपलब्ध हों।

प्रश्न 5. आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग कहाँ पर केन्द्रित था ?

उत्तर– आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित था।

प्रश्न 6. संयुक्त उद्योग से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – वे उद्योग जो राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलाये जाते हैं; जैसे-ऑयल इण्डिया लिमिटेड (OIL)।

प्रश्न 7. विदेशी सहायता से स्थापित किन्हीं दो इस्पात कारखानों के नाम लिखें।

उत्तर-(1) भिलाई इस्पात कारखाना – सोवियत संघ।

(2) राउरकेला इस्पात कारखाना – जर्मनी।

प्रश्न 8. प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर विनिर्माण उद्योगों को दो वर्गों में वर्गीकृत कीजिए ?

उत्तर– (1) कृषि आधारित, (2) खनिज आधारित।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. स्पष्ट कीजिए कि कृषि और उद्योग किस प्रकार साथ-साथ बढ़ रहे हैं ?

उत्तर– भारत कृषि-प्रधान राष्ट्र है। आज कृषि का विकास पूर्णतया उद्योगों के विकास पर निर्भर है। कृषि में उर्वरकों, कीटनाशकों, प्लास्टिक, बिजली और डीजल का प्रयोग निरन्तर बढ़ रहा है जो उद्योगों से प्राप्त होता है। दूसरी ओर उद्योगों के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है। यह कच्चा माल हमें कृषि से ही प्राप्त होता है। अतः कृषि हमारे उद्योगों का आधार है। इस प्रकार कृषि और उद्योग एक-दूसरे से अलग नहीं हैं। वास्तव में इन दोनों में निकट का सम्बन्ध है। इससे स्पष्ट है कि कृषि और उद्योग साथ-साथ बढ़ रहे हैं।

प्रश्न 2. उद्योगों का विकास किन कारकों पर निर्भर करता है ?

उत्तर– (1) जहाँ विशेष उद्योग से सम्बन्धित कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो।

(2) अधिकांश उद्योग-धन्धे वहीं स्थापित होते हैं जहाँ पर्याप्त मात्रा में शक्ति के साधन उपलब्ध होते हैं।

(3) बाजार समीप हो।

(4) यातायात, श्रम तथा नकनीकी सुविधाएँ उपलब्ध हों।

(5) पर्याप्त पूँजी व्यवस्था हो।

प्रश्न 3. उद्योगों में हमारी प्राथमिकता क्या है – आत्मनिर्भरता या उच्चकोटि की कार्यकुशलता और प्रतिस्पर्धा ?

उत्तर – एक समय ऐसा था जब औद्योगिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर अधिक बल दिया जाता था, परन्तु अब आत्मनिर्भरता काफी नहीं है। आज के कौशल-विशिष्टीकरण के युग में उद्योगों में कार्यक्षमता और स्पर्धा की भावना पर अधिक जोर दिया जाता है। अपने कौशल और प्रवीणता के फलस्वरूप हम कच्चे माल का उचित प्रयोग विभिन्न प्रकार के उद्योगों में कर उद्योगों का विकास कर सकते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि उद्योगों की आत्मनिर्भरता की अपेक्षा दक्षता, कार्यकुशलता और प्रतिस्पर्धा की भावना पर बल देना ही हमारी प्राथमिकता है।

प्रश्न 4. सूती वस्त्र उद्योग की प्रमुख समस्याओं का वर्णन करो।

उत्तर -सूती वस्त्र उद्योग की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं

(1) देश के विभाजन के समय अच्छे किस्म की कपास का क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया, जिससे अच्छे कपास की कमी हो गयी।

(2) अधिकांश सूती कपड़े की मिलों में परम्परागत प्राचीन तकनीक का ही प्रयोग हो रहा है जिससे उत्पादन की मात्रा व गुणवत्ता दोनों ही प्रभावित होती हैं।

(3) हमारे देश के वस्त्र उद्योग को विदेशी स्पर्धा का सामना करना पड़ता है।

(4) सूती वस्त्र उद्योग में अनेक मिलें ऐसी हैं जो दोषपूर्ण प्रबन्ध, अनार्थिक आकार और वित्तीय कठिनाई के कारण अत्यन्त कमजोर स्थिति में हैं।

(5) देश में कपास के उत्पादन में वर्ष-प्रतिवर्ष उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। जहाँ तक लम्बे रेशे वाली कपास का प्रश्न है, भारत में इसकी कमी रहती है। अतः आयातों पर निर्भर रहना पड़ता है।

प्रश्न 5. लोहा और इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है ?

अथवा

किसी भी देश के आर्थिक विकास में लोहा एवं इस्पात उद्योगों का महत्वपूर्ण स्थान है। स्पष्ट करें।

अथवा

लोहा एवं इस्पात उद्योग को आजकल अधिक महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है ?

उत्तर – लोहा एवं इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योगों में से एक महत्वपूर्ण उद्योग है। किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए लोहा एवं इस्पात उद्योग का विकास आवश्यक होता है। इस उद्योग की गणना महत्वपूर्ण उद्योगों में की जाती है। किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का यह आधार-स्तम्भ होता है। यह आधुनिक औद्योगिक ढाँचे का आधार और राष्ट्रीय शक्ति का मापदण्ड है। लोहा-इस्पात उद्योग का उपयोग मशीनें, रेलवे लाइन, यातायात के साधन, रेल-पुल, जलयान, अस्त्र शस्त्र एवं कृषि-यन्त्र आदि बनाने में किया जाता है। इसीलिए लोहा इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग कहा जाता है।

प्रश्न 6. छोटा नागपुर पठार पर लोहा-इस्पात उद्योग क्यों केन्द्रित हो गया है ?

उत्तर– (1) इस पठार पर झारखण्ड और ओडिशा की खानों से पर्याप्त लौह-अयस्क की प्राप्ति होती है।

(2) ऊर्जा के रूप में कोयले की प्राप्ति रानीगंज, बोकारो, झरिया की खदानों से होती है।

(3) यह पठार रेलमार्गों द्वारा देश के सभी भागों से जुड़ा है।

(4) निकटवर्ती क्षेत्रों में सस्ते श्रमिक उपलब्ध हैं।

(5) कोलकाता बन्दरगाह से विदेशी व्यापार की सुविधा उपलब्ध है।

प्रश्न 7. सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर सार्वजनिक एवं निजी उद्योगों में अन्तर

प्रश्न 8. भारत में वस्त्र उद्योग तथा लोहा-इस्पात उद्योग की तुलना कीजिए।

उत्तर

प्रश्न 9. आधारभूत उद्योग और उपभोक्ता उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर आधारभूत उद्योग और उपभोक्ता उद्योग

प्रश्न 10. पटसन उद्योग मिलों के मुख्यतः हुगली नदी के किनारे अवस्थित होने के लिए उत्तरदायी कारकों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -पटसन उद्योग हुगली नदी तट पर स्थित होने के निम्न कारण हैं

(1) पटसन उत्पादक क्षेत्रों की निकटता।

(2) सस्ता जल एवं परिवहन, (सड़क, रेल व जल परिवहन का जाल, कच्चे माल का मिलों तक ले जाने में सहायक होना।) की सुविधा।

(3) कच्चे पटसन को संसाधित करने में प्रचुर जल उपलब्ध होना।

(4) पश्चिम बंगाल तथा समीपवर्ती राज्य ओडिसा, बिहार व उत्तर प्रदेश से सस्ता श्रमिक उपलब्ध होना।

(5) कोलकाता का एक बड़े नगरीय केन्द्र के रूप बैंकिंग, बीमा और जूट के सामान के निर्यात के लिए पत्तन की सुविधाएँ प्रदान करना आदि सम्मिलित हैं।

प्रश्न 11. जूट उद्योग की चुनौतियाँ व सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए।

उत्तरपटसन उद्योग की चुनौतियाँ  – इस उद्योग की चुनौतियों में अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कृत्रिम वस्त्रों से और बांग्लादेश, ब्राजील, फिलीपीन्स, मिस्र तथा थाइलैण्ड जैसे अन्य राष्ट्रों में कड़ी प्रतिस्पर्धा शामिल है।सरकार द्वारा प्रयास-पटसन पैंकिंग की अनिवार्य प्रयोग की सरकारी नीति के कारण इसकी घरेलू माँग बढ़ी हैं तथापि माँग बढ़ाने हेतु उत्पाद में विविधता भी आवश्यक है। पटसन के प्रमुख खरीददार-अमेरिका, कनाडा, घाना, सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया हैं। बढ़ते वैश्विक पर्यावरण अनुकूलन, जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के लिए विश्व की बढ़ती जागरूकता ने पुनः जूट उत्पादों के लिए अवसर प्रदान किया है।

प्रश्न 12. तापीय प्रदूषण से क्या आशय है ? इसके जलीय जीवन पर प्रभाव बताइए।

उत्तर-तापीय प्रदूषण-जब कारखानों तथा तापघरों से गर्म जल को बिना ठण्डा किए ही नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है, तो जल में तापीय प्रदूषण होता है।

तापीय प्रदूषण का प्रभाव-

(1) परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्र उत्पादक कारखानों से कैंसर, जन्मजात विकार तथा अकाल प्रसव जैसी बीमारियाँ होती हैं।

(2) मृदा व जल प्रदूषण आपस में संबंधित हैं। 

(3) मलबे का ढेर विशेषकर काँच, हानिकारक रसायन, औद्योगिक बहाव, पैंकिंग, लवण तथा कूड़ा-करकट मृदा को अनुपजाऊ बनाता है।

(4) वर्षा जल के साथ ये प्रदूषक जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँच कर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. विनिर्माण उद्योग का महत्व बताइए।

अथवा

“विनिर्माण उद्योग सामान्यतः विकास की तथा विशेषतः आर्थिक विकास की रीढ़ समझे जाते हैं,” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर– राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों के विकास से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हुए हैं

(1) विनिर्माण उद्योग न केवल कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक है वरन् द्वितीयक व तृतीयक सेवाओं से रोजगार उपलब्ध कराकर कृषि पर हमारी निर्भरता को कम करते हैं।

(2) उद्योगों के विकास से उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है तथा जीवन स्तर उन्नत होता है।

(3) रोजगार के साधनों में वृद्धि होती है। साथ ही मानव संसाधन भी पुष्ट होते हैं।

(4) देश में औद्योगिक विकास बेरोजगारी तथा गरीबी उन्मूलन की एक आवश्यक शर्त है। भारत में सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्र में लगे उद्योग इसी विचार पर आधारित हैं। जनजातीय तथा पिछड़े क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना का उद्देश्य भी क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना था।

(5) निर्मित वस्तुओं का निर्यात वाणिज्य व्यापार को बढ़ाता है जिससे अपेक्षित विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।

(6) उद्योगों के विकास से अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों, जैसे कृषि, खनिज, परिवहन आदि में प्रगति होती है।

(7) वे देश ही विकसित हैं, जो कच्चे माल को विभिन्न तथा अधिक मूल्यवान तैयार माल में विनिर्मित करते हैं। भारत का विकास विविध व शीघ्र औद्योगिक विकास में निहित है।

प्रश्न 2. उद्योगों को किस प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है ? स्पष्ट कीजिए।

अथवा उद्योगों का विभिन्न आधारों पर वर्गीकरण कीजिए।

उत्तर – उद्योगों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है

(1) कच्चे माल के स्रोत के आधार पर – ये दो प्रकार के होते हैं

(i) कृषि आधारित उद्योग-जिन्हें कच्चा माल कृषि उत्पादन से प्राप्त होता है; जैसे – सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रबर, चाय, कॉफी तथा वनस्पति तेल उद्योग।

(ii) खनिज आधारित उद्योग-जिन्हें कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है, जैसे-लोहा-इस्पात, सीमेन्ट, एलुमिनियम, मशीन, औजार तथा पेट्रोरसायन उद्योग।

(2) प्रमुख भूमिका के आधार पर – इस आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं

(i) आधारभूत उद्योग – वे उद्योग जो अन्य उद्योगों के आधार होते हैं। इनके उत्पादन अन्य उद्योगों के निर्माण तथा संचालन के काम आते हैं, जैसे-लोहा-इस्पात, ताँबा प्रगलन व एलुमिनियम प्रगलन उद्योग।

(ii) उपभोक्ता उद्योग – वे उद्योग जो लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के काम आते हैं; जैसे-चीनी, कागज, पंखे आदि।

(3) पूँजी निवेश के आधार पर-एक लघु उद्योग को परिसंपत्ति की एक इकाई पर अधिकतम निवेश मूल्य के परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया जाता है। यह निवेश सीमा, समय के साथ परिवर्तित होती रहती है। यह अधिकतम स्वीकार्य निवेश के आधार पर की जाती है। यह निवेश मूल्य समय के साथ बदलता गया है। वर्तमान में अधिकतम निवेश एक करोड़ रुपये तक स्वीकार्य है।

(4) स्वामित्व के आधार पर-स्वामित्व के आधार पर उद्योग निम्न प्रकार के होते हैं

(i) निजी उद्योग – निजी क्षेत्र के उद्योग जिनका एक व्यक्ति के स्वामित्व में और उसके द्वारा संचालित अथवा लोगों के स्वामित्व में या उनके द्वारा संचालित है। टिस्को, बजाज ऑटो आदि।

(ii) सार्वजनिक क्षेत्र-सार्वजनिक क्षेत्र में लगे, सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रबंधित तथा सरकार द्वारा संचालित उद्योग-जैसे स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (SAIL) तथा ओएनजीसी (ONGC) आदि।

(iii) सहकारी उद्योग-जिनका स्वामित्व कच्चे माल की पूर्ति करने वाले उत्पादकों, श्रमिकों या दोनों के हाथों में होता है। संसाधनों का कोष संयुक्त होता है तथा लाभ-हानि का विभाजन भी आनुपातिक होता है; जैसे-महाराष्ट्र के चीनी उद्योग, केरल के नारियल पर आधारित उद्योग।

(5) कच्चे माल के आधार पर-कच्चे माल के आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं

(i) भारी उद्योग-जैसे लोहा तथा इस्पात आदि।

(ii) हल्के उद्योग-वे उद्योग जो कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग कर हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं, जैसे-विद्युतीय उद्योग।

प्रश्न 3. आरम्भिक वर्षों में सूती कपड़ा उद्योग कपास पैदा करने वाले क्षेत्रों में क्यों संकेन्द्रित हो गए थे?

अथवा

शुरूआती वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग के महाराष्ट्र व गुजरात में केन्द्रित होने के उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए।

अथवा

सूती वस्त्र उद्योग मुख्यत: महाराष्ट्र और गुजरात में केन्द्रित क्यों हैं ?

उत्तर – आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित था, क्योंकि

(1) सूती कपड़ा मिलों के लिए आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। चूंकि महाराष्ट्र तथा गुजरात सागरीय तट पर स्थित हैं, अतः यहाँ की जलवायु आर्द्र है।

(2) भारत में कपास के क्षेत्र महाराष्ट्र एवं गुजरात में विस्तृत हैं, अतः इस क्षेत्र में कपास मुम्बई के केन्द्रों को आसानी से मिल जाता है। दूसरे, मुम्बई बन्दरगाह होने के कारण मिस्र तथा संयुक्त राज्य अमेरिका से बढ़िया कपास आसानी से आयात हो जाता है।

(3) मुम्बई सागर तट पर स्थित है, अतः स्थापित जल-विद्युत् संस्थान से जल-विद्युत् आसानी से प्राप्त हो जाती है।

(4) यहाँ पूँजी एवं बैंकिंग सुविधा उपलब्ध है।

(5) इस उद्योग का कृषि से निकट का संबंध है और कृषकों, कपास चुनने वालों, गाँठ बनाने वालों, कताई करने वालों, रंगाई करने वालों, डिजाइन बनाने वालों, पैकट बनाने वालों और सिलाई करने वाले सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता है।

प्रश्न 4. लोहा-इस्पात उद्योग के उत्पादन एवं वितरण पर प्रकाश डालिए।

अथवा

भारत में लोहा-इस्पात उद्योग किन चार चरणों में केन्द्रित है और क्यों है ?

उत्तर

लोहा – इस्पात उद्योग प्राचीन काल में भारत में यह लघु उद्योग के रूप में था। वृहद् पैमाने का भारत का प्रथम लोहा-इस्पात कारखाना सन् 1907 में जमशेद जी टाटा द्वारा झारखण्ड राज्य के साकची नामक स्थान पर खोला गया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् सरकार द्वारा विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से इस उद्योग के क्रमबद्ध व तीव्र विकास के प्रयास किए गए। यह उद्योग सार्वजनिक व निजी दोनों ही क्षेत्रों में विकसित हुआ। भारत सरकार ने इन उद्योगों में समन्वय स्थापित करने हेतु ‘स्टील ऑथोरिटी ऑफ इण्डिया’ (SAIL) की स्थापना की जो विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक संस्था है।

यह उद्योग मुख्यतः चार क्षेत्रों में केन्द्रित है

(1) कोयला क्षेत्रों में स्थित इस्पात केन्द्र-बर्नपुर, हीरापुर, कुल्टी, दुर्गापुर तथा बोकारो।

(2) लौह-अयस्क क्षेत्रों में स्थित इस्पात केन्द्र-भिलाई, राउरकेला, भद्रावती, सलेम, विजयनगर और चन्द्रपुर लौह-अयस्क खानों के समीप स्थित है।

(3) कोयला व लौह-अयस्क के बीच जोड़ने वाले परिवहन सुविधा प्राप्त स्थानों पर स्थित इस्पात केन्द्र-जमशेदपुर।

(4) तटीय सुविधा स्थल पर स्थित इस्पात केन्द्र-विशाखापत्तनम ।

प्रश्न 5. लौह-इस्पात उद्योग की प्रमुख समस्याएँ कौन-कौन सी हैं ?

उत्तर यद्यपि भारत में इस्पात उद्योग के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं, परन्तु इसके बावजूद इस्पात के उत्पादन में घरेलू माँग के अनुरूप वृद्धि नहीं हो पा रही है। इसका प्रमुख कारण समयानुकूल इस्पात उद्योग में पूँजी निवेश का अभाव एवं नयी प्रौद्योगिकी को लागू करने में देरी होना है। इसी के साथ कुछ अन्य कारण भी हैं, जैसे

(1) इस्पात के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले भारतीय कोयले का निम्न स्तर का होना (जिसमें राख की मात्रा अधिक होती है) भी इस उद्योग के विकास में बाधक है।

(2) इस्पात उद्योग के क्षेत्र में स्थित इस्पात संयंत्रों को बिजली की नियमित सप्लाई न मिलना तथा बिजली की बढ़ी हुई दरों के कारण उत्पादित इस्पात की लागत अधिक होना भी इस उद्योग की प्रगति में बाधक है।

(3) इस्पात क्षेत्र के मुख्य कच्चा माल खासतौर से आयातित स्क्रेप की ऊँची कीमत भी इस उद्योग के विकास में बाधक है।

(4) इस उद्योग में कच्चे माल एवं उत्पादन दोनों की दृष्टि से भारी पदार्थों का परिवहन होता है। इससे उद्योग के सामने परिवहन की कठिनाइयाँ बनी रहती हैं।

(5) देश की औद्योगिक नीति के अनुसार लौह व इस्पात उद्योग के भावी विकास का दायित्व सरकार के ऊपर है, किन्तु सार्वजनिक क्षेत्र में इस उद्योग का संचालन सन्तोषप्रद नहीं है।

प्रश्न 6. निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए

(i) रसायन उद्योग, (ii) सीमेन्ट उद्योग, (iii) मोटर-गाड़ी उद्योग, (iv) सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलैक्ट्रॉनिक उद्योग।

उत्तर

(i) रसायन उद्योग-

(1) भारत में रसायन उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। सकल घरेलू उत्पाद में इसकी भागीदारी लगभग 3 प्रतिशत है।

(2) यह उद्योग एशिया का तीसरा बड़ा तथा विश्व में आकार की दृष्टि से 12वें स्थान पर है। इसमें लघु तथा बृहत् दोनों प्रकार की विनिर्माण इकाइयाँ सम्मिलित हैं।

(3) अकार्बनिक रसायनों में सल्फ्यूरिक अम्ल (उर्वरक, कृत्रिम वस्त्र, प्लास्टिक, गोंद, रंग-रोगन, डाई आदि के निर्माण में प्रयुक्त), नाइट्रिक अम्ल, क्षार, सोडा ऐश, (काँच, साबुन, शोधक या अपमार्जक, कागज में प्रयुक्त होने वाले रसायन) तथा कास्टिक सोडा आदि शामिल हैं। इन उद्योगों का भारत में व्यापक फैलाव है।

(4) कार्बनिक रसायनों में पेट्रोरसायन शामिल हैं, जो कृत्रिम वस्त्र, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक, रंजक पदार्थ, दवाइयाँ, औषध रसायनों के बनाने में प्रयोग किये जाते हैं। ये उद्योग तेल शोधन शालाओं या पेट्रोरसायन संयंत्रों के समीप स्थापित हैं।

(5) रसायन उद्योग अपने आप में एक बड़ा उपभोक्ता भी है। आधारभूत रसायन एक प्रक्रिया द्वारा अन्य रसायन उत्पन्न करते हैं जिनका उपयोग औद्योगिक अनुप्रयोग, कृषि या उपभोक्ता बाजारों के लिए किया जाता है।

(ii) सीमेन्ट उद्योग-

(1) निर्माण कार्यों; जैसे-घर, कारखाने, पुल, सड़कें, हवाई अड्डा, बाँध तथा अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के निर्माण में सीमेन्ट आवश्यक है।

(2) इस उद्योग को भारी व स्थूल कच्चे माल; जैसे-चूना पत्थर, सिलिका और जिप्सम की आवश्यकता होती है।

(3) रेल परिवहन के अतिरिक्त इसमें कोयला तथा विद्युत् ऊर्जा भी आवश्यक है।

(4) इस उद्योग की इकाइयाँ गुजरात में लगाई गई हैं, क्योंकि यहाँ से इसे खाड़ी के देशों के बाजार की उपलब्धता है।

(5) गुणवत्ता में सुधार के कारण, भारत की बड़ी घरेलू माँग के अतिरिक्त, पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका तथा दक्षिण एशिया के बाजारों में माँग बढ़ी है। यह उद्योग उत्पादन तथा निर्यात दोनों ही रूपों में प्रगति पर है।

(iii) मोटर-गाड़ी उद्योग-

(1) मोटरगाड़ी यात्रियों तथा सामान के तीव्र परिवहन के साधन हैं।

(2) भारत में विभिन्न केन्द्रों पर ट्रक, बसें, कारें, मोटर साइकिल, स्कूटर, तिपहिया तथा बहुउपयोगी बाहन निर्मित किये जाते हैं।

(3) उदारीकरण के पश्चात् नए और आधुनिक मॉडल के वाहनों का बाजार तथा वाहनों की माँग बढ़ी है जिससे इस उद्योग में विशेषकर कार, दोपहिया तथा तिपहिया वाहनों में काफी वृद्धि हुई है।

(4) यह उद्योग दिल्ली, गुड़गाँव, मुम्बई, पुणे, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरू, इंदौर, जमशेदपुर तथा लखनऊ में स्थित है।

(iv) सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलैक्ट्रॉनिक उद्योग –

(1) इलैक्ट्रॉनिक उद्योग के अन्तर्गत आने वाले उत्पादों में ट्रांजिस्टर से लेकर टेलीविजन, टेलीफोन, सेल्यूलर टेलीकॉम, टेलीफोन एक्सचेंज, रडार, कम्प्यूटर व्या दूरसंचार उद्योग के लिए उपयोगी अनेक अन्य उपकरण तक बनाये जाते हैं।

(2) बेंगलुरु भारत की इलैक्ट्रॉनिक राजधानी के रूप में उभरा है। इलैक्ट्रॉनिक सामान के अन्य महत्वपूर्ण उत्पादक केन्द्र मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई, कोलकाता तथा लखनऊ हैं।

(3) इस उद्योग का सर्वाधिक संकेन्द्रण बेंगलुरू, नोएडा, मुम्बई, पुणे, चेन्नई और हैदराबाद में है।

(4) भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के सफल होने का कारण हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर का निरन्तर विकास है।

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