M.P. Board solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 – नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

M.P. Board solutions for Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1 – गद्य खंड

क्षितिज गद्य खंड Chapter 5 – नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

पाठ 5 – नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1. बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया ?

उत्तर – बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को यह तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया कि “आपके विरुद्ध जिन्होंने शस्त्र उठाए थे, वे दोषी हैं; पर इस जड़ पदार्थ मकान ने आपका क्या अपराध किया है ? मेरा उद्देश्य इतना ही है कि यह स्थान मुझे बहुत प्रिय है । इसलिए मैं प्रार्थना करती हूँ कि इस मकान की रक्षा कीजिए ।

प्रश्न 2. मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों ?

उत्तर – मैना जड़ पदार्थ मकान को प्रिय होने के कारण बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे इसलिए नष्ट करना चाहते थे कि यह मकान (महल) नाना साहब का था । नाना साहब सन् 1857 ई. में कानपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने वाले प्रमुख क्रान्तिकारी थे । कानपुर की घटना में नाना साहब ने अंग्रेजों को जान से मार दिया तथा वहाँ से भागने में सफल रहे। अतः नाना साहब के हाथ न लगने के कारण अंग्रेज़ उनके महल को लूटकर उसे नष्ट करना चाहते थे ।

प्रश्न 3. सर टॉमस ‘हे’ के मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे ?

उत्तर- सर टॉमस ‘हे’ ने मैना को नाना साहब की पुत्री के रूप में पहचान लिया था। पूर्व में सर टॉमस ‘हे’ मैना के घर आते जाते थे। मैना की मित्रता भी सर टामस की पुत्री मेरी से थी। मैना ने टॉमस ‘हे’ को बतलाया कि ” कई वर्ष पूर्व मेरी मेरे पास आती थी और मुझे हृदय से चाहती थी। “मेरी की मृत्यु से मैं बहुत दु:खी हुई थी, उसकी एक चिट्ठी भी मेरे पास है।” ऐसा सुनकर टामस हे को मैना पर भी दया आ गई।

प्रश्न 4. मैना की अन्तिम इच्छा थी कि वह इस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी।

उत्तर – मैना की अन्तिम इच्छा थी कि वह इस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने उसकी इच्छा इस भय से पूर्ण न होने दी कि उसे भय था कियह मैना नाना साहब की तरह भाग न जाये। अतः वह अंग्रेजी सरकार को क्या उत्तर देगा ? अतः उसे हथकड़ी पहना दी गई।

प्रश्न 5. बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों ?

उत्तर – बालिका मैना के चरित्र की साहसी, निडर, बलिदानी, महल प्रेमी इत्यादि जैसी विशेषताएँ हम अपनाना चाहेंगे क्योंकि ऐसे गुण पाकर ही हमारा व्यक्तित्व निखरेगा तथा हम देश सेवा के प्रति बलिदान भी दे सकते हैं।

प्रश्न 6. ‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितम्बर को लिखा था-‘ – ‘बड़े दुःख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी।’ इस वाक्य में ‘भारत ‘सरकार’ से क्या आशय है ?

उत्तर- इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ का आशय ब्रिटिश सरकार से है क्योंकि उस समय भारत देश में ब्रिटिश सरकार का ही साम्राज्य स्थापित था ।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7. स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी ?

उत्तर-स्वाधीनता आन्दोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन स्वतंत्रता संग्रामियों में उत्साह पैदा करके उनमें देश के लिए आत्म बलिदान देने हेतु जाग्रत करने की भूमिका रही होगी।

प्रश्न 8. कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।

उत्तर – नमस्कार, हमें कानपुर नगर के मनोज नामक संवाददाता से आज ज्ञात हुआ कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कर्मशील सेनानी नाना साहब की पुत्री मैना को किले की धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दिया गया है। मैना को अंग्रेजी सेना के जनरल अउटरम ने कानपुर के किले से बंदी बनाया था। छः सितम्बर को सर टामस की अध्यक्षता में नाना साहब के परिवारीजनों तथा रिश्तेदारों को जान से मारने का निर्णय लियागया था।

भीषण अग्निकाण्ड में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपम बालिका को जलती देखकर, सभी ने उसे देवी समझकर प्रणाम किया।

प्रश्न 9. इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारम्भिक रूप की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज शैली में लिखी जाती हैं। आप –

(क) कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए ।

(ख) अपने आसपास की किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए ।

उत्तर- (क)

(I) असम में भूस्खलन की घटनाओं में 20 की मौत

दक्षिणी असम में मंगलवार को भूस्खलन की तीन अलग- अलग घटनाओं में 20 लोगों की मौत हो गई। इनमें तीन बच्चे भी शामिल हैं। जिला प्रशासन के मुताबिक, मारे गए लोगों में सात-सात काचर और हैलाकांडी के और छह लोग करीमगंज के हैं। इन घटनाओं में कई अन्य लोग घायल भी हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि काचर जिले के जयपुर में ताजिमुद्दीन लस्कर, उसकी तीन बेटियां और तीन बेटे उस समय जिंदा दफन हो गए, जब उनका मकान भूस्खलन की चपेट में आ गया। पुलिस ने लस्कर की पत्नी और उसके एक अन्य बेटे को मलबे से निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया ।

एक अन्य घटना में हैलाकांडी जिले में सात लोगों की मौत हो गई। चार महिलाएं और एक बच्चा शामिल है। तीसरी घटना में करीमगंज जिले के कालीगंज इलाके में तीन महिलाओं और दो बच्चों सहित छह लोगों की मौत हो गई। असम राज्य आपदा प्रबंधन बल और पुलिस की कई टीमों ने स्थानीय लोगों की मदद से हादसे में मारे गए लोगों का शव निकाला और घायल लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों की मौत पर दुःख जताया है और जिला प्रशासनों को पीड़ित परिवारों की मदद करने का निर्देश दिया है। उन्होंने पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद देने के लिए भी कहा है।

(II) आज खुल जाएगी फूलों की घाटी

चमोली जिले में समुद्रतल से 12995 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी सोमवार को खोल दी जाएगी। सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हालांकि, कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल पर्यटकों को घाटी जाने की अनुमति नहीं है। उधर, समुद्रतल से 11,480 फीट की औसत ऊंचाई पर स्थित नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क भी सोमवार को खोला जाएगा। डीएफओ किशन चंद्र ने बताया कि पर्यटक पार्क क्षेत्र में धरासी पास तक ही जा पाएंगे।

(ख) एक बार मैं एक संस्कार कार्यक्रम में सम्मिलित होने गया था। लौटते समय हम एक ट्रैक्टर में सवार हो गए थे परन्तु मार्ग में मैं अनजाने भय से भयभीत था । राजमार्ग पार करने के बाद रेलमार्ग (चौकी) पार करते समय एक लम्बे जाम में फँस गए थे। चौकी का फाटक खुलने के बाद वाहन निकलने लगे। उसी क्रम में हमारा वाहन ट्रैक्टर भी निकलने लगा, परन्तु इसी बीच तीव्र गति से एक रेलगाड़ी आ गई तथा ट्रैक्टर की ट्राली से टकराती हुई गुजर गई।

हमारे पूर्वजों ने ठीक ही कहा है कि जब मौत आती है आँख-कान-दिमाग आदि भी कार्य करना बंद कर देते हैं। इस घटना में छः लोगों की मौत हो गई तथा कुछ लोगों के अंग-भंग हो गए परन्तु स्वयं हनुमान ने मुझे अपने हाथों में उठा लिया था जिसका मुझे प्रत्यक्ष दर्शन भी हुआ था ।

प्रश्न 10. आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो ।

उत्तर-एक गाँव में किसी किसान के राम तथा श्याम नामक दो लड़के थे। दोनों ही बुद्धिमान थे तथा कक्षा में अच्छा स्थान प्राप्त करते थे। एक दिन राम अपने खेतों पर जा रहा था तभी उसे एक वृद्ध पुरुष की करुण पुकार सुनाई दी। राम उसी ओर दौड़ने लगा। उसने देखा कि एक जंगली लोमड़ी ने वृद्ध को . . नीचे गिरा लिया है तथा माँस को नौंचकर खा रही है। राम अपनी जान की चिंता न करते हुए, एक डंडा लेकर लोमड़ी की ओर दौड़ा तो उसे देखकर लौमड़ी भाग गई और वृद्ध की जान बच गई। जब गाँव में इस बात का पता चला तो अनेक ग्रामीण भी वहाँ आ गए और राम को वीर बालक कहने लगे ।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 11. भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इस पाठ में हिन्दी गद्य का प्रारम्भिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिन्दी रूप में लिखिए ।

उत्तर – पाठ का हिन्दी गद्य-उस समय लण्डन के सुप्रसिद्ध “टाइम्स” पत्र में छठी सितम्बर को यह एक लेख में लिखा गया—“बड़े दुःख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दान्त नाना साहब को नहीं पकड़ सकी, जिस पर समस्तअंगरेज़ जाति का भीषण क्रोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंगरेज़ों के हत्याकाण्ड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगे ।

वर्तमान मानक हिन्दी रूप-उस समय लंदन के सुप्रसिद्ध ‘टाइम्स'” पत्र में छः सितम्बर को एक लेख में यह लिखा गया—”बड़े दुःख का विषय है, कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दान्त नाना साहब को नहीं पकड़ पाई जिस पर समस्त अंग्रेज जाति का भयंकर क्रोध है । जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक हम लोग कानपुर में अंग्रेज़ों के हत्याकाण्ड का बदला लेना न भूलेंगे।

पाठेतर सक्रियता

1. अपने साथियों के साथ मिलकर बहादुर बच्चों के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों की सूची बनाइए ।

2. इन पुस्तकों को पढ़िए-

‘भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएँ’– राजम कृष्णन, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।

‘1857 की कहानियाँ’ – ख्वाजा हसन निजामी, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।

– उपर्युक्त प्रश्नों का उत्तर विद्यार्थी अपने साथियों तथा गुरुजनों की सहायता से स्वयं करें ।

उत्तर-

3. अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

आज़ाद भारत में दुर्गा भाभी की उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें ₹51 हजार भेंट किये। भाभी ने वे रुपये वहीं वापस कर दिए। कहा- ” जब हम आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी। केवल देश की स्वतंत्रता ही हमारा ध्येय था। उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो ₹51 हजार दिए गए हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए, जिसमें क्रांतिकारी आन्दोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।

मुझे याद आता है सन् 1937 का जमाना, जब कुछ क्रांतिकारी साथियों ने गाजियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी। भाभी ने तार से उत्तर दिया – “चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है । अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता ।

मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट सम्पर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया ।

प्रश्न – (1) स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया ?

(2) दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपये लेने से इंकार क्यों कर दिया ?

(3) दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रहीं ?

(4) आजादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा ?

(5) दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे ?

उत्तर-

(1) स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान उन्हें उपेक्षा, आदर तथा पुरस्कार आदि देकर किया गया।

(2) दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए रुपये लेने से इंकार इसलिए कर दिया कि उन रुपयों से वे देश हित में शहीद हुए क्रांतिकारियों की स्मृति में उनके स्मारक बनवाना चाहती थीं ।

(3) दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर इसलिए रहीं कि चुनाव में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी तथा वे दलगत राजनीति से दूर रहकर नई पीढ़ी का निर्माण करना चाहती थीं।

(4) आजादी के बाद उन्होंने अपने को नई पीढ़ी के निर्माण कार्यों में लगाकर व्यस्त रखा ।

(5) दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व को ‘लोभ रहित समाज’ सेवा की विशेषता को हम अपनाना चाहेंगे।

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