म.प्र. बोर्ड कक्षा सातवीं संपूर्ण हल- इतिहास– हमारे अतीत 2 (History: Our Pasts – II)
पाठ 5 : शासक और इमारतें
प्रश्न – अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)
महत्त्वपूर्ण बिन्दु
- आठवीं और अठारहवीं शताब्दियों के बीच राजाओं तथा उनके अधिकारियों ने इमारतों का निर्माण किया।
- इमारतों में किले, महल, मकबरे, मन्दिर, मस्जिद, हौज, कुएँ, सराय इत्यादि का निर्माण किया गया।
- अकबर द्वारा निर्मित आगरा किले के निर्माण हेतु 2,000 पत्थर काटने वालों, 2000 सीमेण्ट व चूना बनाने वालों तथा 8,000 मजदूरों की आवश्यकता पड़ी।
- राजा प्रजा के उपयोग और आराम के लिए इमारतों का निर्माण करवा कर उनकी प्रशंसा पाने की आशा करते थे।
- बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर और विशेष रूप से शाहजहाँ, साहित्य, कला और वास्तुकला में व्यक्तिगत रुचि लेते थे।
- आगरा के ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में पूरा हुआ।
- वृन्दावन में गोविन्द देव के मन्दिर का निर्माण 1590 ई. में लाल बलुआ पत्थर से हुआ था।
- 12वीं शताब्दी से फ्रांस के आरम्भिक भवनों की तुलना में अधिक ऊँचे व हल्के चर्चों के निर्माण के प्रयास किये गये।
महत्त्वपूर्ण शब्दावली
अधिरचना – भूतल के ऊपर किसी भवन का भाग।
दीवान-ए-आम – यहाँ आम जनता के साथ-साथ उच्चाधिकारियों को भी सम्बोधित करते थे।
दीवान-ए-खास – जहाँ राजा खास मंत्रियों के साथ मंत्रणा करता था।
गोथिक शैली – फ्रांस में अधिक ऊँचे व हल्के चर्चों का निर्माण वास्तुकला की गोथिक शैली कहलाती है।
हौज ए सुल्तानी – सुल्तान इल्तुतमिश ने देहली-ए-कुहना के एकदम निकट एक विशाल तालाब का निर्माण कराया। इस जलाशय को हौज ए सुल्तानी कहा जाता है।
महत्त्वपूर्ण तिथियाँ
0999 – कंदरिया महादेव मन्दिर का निर्माण चंदेल राजा धंगदेव ने किया।
1199-1229 – कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुबमीनार की पहली मंजिल का निर्माण कराया। शेष मंजिलों का निर्माण इल्तुतमिश ने कराया।
1590 – वृन्दावन में गोविन्ददेव के मन्दिर का निर्माण।
1632-1653 – शाहजहाँ द्वारा ताजमहल का निर्माण।
पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर
प्रश्न – तेरहवीं शताब्दी में कुतुबमीनार जैसी इमारत का देखने वालों पर क्या प्रभाव पड़ा होगा?
उत्तर – कुतुबुद्दीन ऐबक ने लगभग 1199 ई. में कुतुबमीनार का निर्माण शुरू किया था। इस इमारत की पहली मंजिल का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने तथा शेष मंजिलों का निर्माण 1229 में इल्तुतमिश ने करवाया। यह इमारत मानव का एक करिश्मा-सा प्रतीत होती है। इस इमारत को देखने वाले आश्चर्यचकित रह जाते हैं।
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प्रश्न – दो मन्दिरों के शिखरों में आप क्या अन्तर देखते हैं? क्या आप यह समझ सकते हैं कि राज राजेश्वर मन्दिर का शिखर कंदरिया महादेव मन्दिर के शिखर से दोगुना ऊँचा है।
उत्तर – शिव की स्तुति में बनाए गए कंदरिया महादेव मन्दिर का निर्माण चंदेल राजवंश के राजा धंगदेव द्वारा 999 में किया गया था। तंजावूर के राजराजेश्वर मन्दिर का शिखर, उस समय के मन्दिरों में सबसे ऊँचा था। इसका निर्माण कार्य आसान नहीं था, क्योंकि उन दिनों कोई क्रेन नहीं थी। शिखर के शीर्ष पर 90 टन का पत्थर ले जाना इतना कठिन होता था कि उसे केवल व्यक्ति नहीं उठा सकते थे। वास्तुकारों ने मन्दिर के शीर्ष तक पहुँचने के लिए चढ़ाईदार रास्ता बनवाया।
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प्रश्न 1. चित्र 2 क व 2 ख की तुलना चित्र 5 क और 5 ख से करें।
उत्तर –
(1) चित्र 2 (क) व 2 (ख) में चापाकार निर्माण दिखाया गया है जो बीच से नोंकदार है। यह वास्तुकला की अनुप्रस्थ टोडा निर्माण शैली है।
(2) चित्र 5 (क) और 5 (ख) में चाप गोलाकार है, इनके बीच में चापबन्द पत्थर लगे हैं।
प्रश्न 2. बताइए कि मजदूर क्या कर रहे हैं, कौन से औजार दिखाए गए हैं तथा पत्थरों को ढोने के लिए किन साधनों का प्रयोग किया गया है ?
उत्तर – मजदूर किले के निर्माण के लिए सीमेण्टेड प्लास्टर का उपयोग कर रहे हैं। कुछ मजदूर लोहे की बड़ी-बड़ी छड़ों से पत्थरों को लुढ़का कर ले जा रहे हैं। घोड़े भी पत्थरों और निर्माण के अन्य सामान को ढो रहे हैं।
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प्रश्न – राजेन्द्र प्रथम तथा महमूद गजनवी की नीतियाँ किन रूपों में समकालीन समय की देन थीं और किन रूपों में ये एक-दूसरे से भिन्न थीं?
उत्तर – गजनी का सुल्तान महमूद गजनवी राजेन्द्र प्रथम का समकालीन था। चोल राजा राजेन्द्र प्रथम ने दूसरे राज्यों से युद्ध में जब्त मूर्तियों को अपनी राजधानी में निर्मित मन्दिरों में लगवाया था। इसी तरह से महमूद गजनवी ने जो भारत से धन प्राप्त किया था, उसे अपनी राजधानी को भव्य बनाने में खर्च किया।
दोनों में कई रूपों में भिन्नता थी। महमूद गजनवी ने भारत के कई मन्दिरों को विध्वंस कर दिया था, लेकिन राजेन्द्र प्रथम ने मन्दिरों को ध्वस्त नहीं किया था। महमूद गजनवी भारत से धन लूटकर ग़जनी ले गया लेकिन राजेन्द्र प्रथम ने जो दूसरे राज्यों से धन प्राप्त किया, उसे अपने राज्य में ही रहने दिया।
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प्रश्न – चित्र पर एक नजर डालें और घंटी वाले बुर्ज को पहचानने की कोशिश करें।
उत्तर – चित्र में घंटी वाले बुर्ज तीसरी मंजिल पर इमारत के सबसे ऊपर बने हुए हैं।
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कल्पना करें
प्रश्न – आप एक शिल्पकार हैं और जमीन से पचास मीटर की ऊँचाई पर बाँस और रस्सी की सहायता से बनाए गए लकड़ी के एक छोटे से प्लेटफार्म पर खड़े हैं। आपको कुतुबमीनार के पहले छज्जे के नीचे एक अभिलेख लगाना है। आप यह कार्य कैसे करेंगे ?
उत्तर – मैं एक शिल्पकार हूँ और जमीन से पचास मीटर की ऊँचाई पर बाँस और रस्सी की सहायता से बनाए गए लकड़ी के एक छोटे से प्लेटफॉर्म पर खड़ा हूँ। अब मैं हथौड़े और छैनी की सहायता से अभीष्ट अभिलेख की खुदाई करूँगा। यह काम अत्यन्त जोखिम का है। मुझे डर लग रहा है। लेकिन मुझे यह काम करना अच्छा लग रहा है।
फिर से याद करें
प्रश्न 1. वास्तुकला का अनुप्रस्थ टोडा निर्माण’ सिद्धान्त ‘चापाकार’ सिद्धान्त से किस तरह भिन्न है ?
उत्तर – वास्तुकला का ‘अनुप्रस्थ टोडा निर्माण’ सिद्धान्त ‘चापाकार’ सिद्धान्त से निम्नलिखित प्रकार से भिन्न है
प्रश्न 2. ‘शिखर’ से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – मन्दिर का शीर्ष भाग जिसके नीचे गर्भगृह स्थित होता है, मन्दिर का शिखर कहलाता है।
प्रश्न 3. ‘पितरा दूरा’ क्या है ?
उत्तर – ‘पितरा दूरा’ एक वास्तु शैली थी। जिसका प्रयोग शाहजहाँ के शासनकाल में बनी इमारतों में किया गया। इस शैली के अन्तर्गत उत्कीर्णित संगमरमर अथवा बलुआ पत्थर पर रंगीन, ठोस पत्थरों को दबाकर सुन्दर तथा अलंकृत नमूने बनाए जाते थे।
प्रश्न 4. एक मुगल चारबाग की क्या खास विशेषताएँ हैं
उत्तर – मुगल चारबाग की विशेषताएँ निम्न हैं
(1) चारबाग चार समान हिस्सों में बँटे होते थे।
(2) यह बाग दीवारों से घिरे होते थे।
(3) बाग कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभाजित आयताकार अहाते में स्थित थे।
न आइए समझें
प्रश्न 5. किसी मन्दिर से एक राजा की महत्ता की सूचना कैसे मिलती थी?
उत्तर – सभी विशालतम मन्दिरों का निर्माण राजाओं ने करवाया था। मन्दिर के अन्य लघु देवता शासक के सहयोगियों तथा अधीनस्थों के देवी-देवता थे। यह मन्दिर शासक और उसके सहयोगियों द्वारा शासित विश्व का लघु रूप ही था। राजा और उसके देवता के नाम काफी मिलते-जुलते थे। राजा स्वयं को ईश्वर के रूप में ही दिखाना चाहता था। धार्मिक अनुष्ठान के जरिए मन्दिर में एक देवता (राजा राजदेव) दूसरे देवता (राज राजेश्वरम्) का सम्मान करता था। जिस तरह से वे राजकीय मन्दिरों में इकट्ठे होकर अपने देवताओं की उपासना करते थे, ऐसा प्रतीत होता था मानो उन्होंने देवताओं के न्यायप्रिय शासन को पृथ्वी पर ला दिया हो। राजा स्वयं को भगवान के अवतार का दावा करते थे।
प्रश्न 6. दिल्ली में शाहजहाँ के दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है-‘अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।’ यह धारणा कैसे बनी ?
उत्तर – शाहजहाँ ने दिल्ली के लाल किले के अपने दरबार में सार्वजनिक सभा भवन (दीवान-ए-खास) का निर्माण करवाया जो कि संगमरमर का बना एक अद्भुत नमूना था जिसमें कई तरह की नक्काशियाँ बनाई गयीं। शाहजहाँ के सार्वजनिक सभा भवन का निर्माण यह सूचित करता था कि न्याय करते समय राजा ऊँचे और निम्न सभी प्रकार के लोगों के साथ समान व्यवहार करेगा और सभी सद्भाव के साथ रह सकेंगे। इसकी सुन्दरता और न्यायप्रियता को देखते हुए ही.दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है-अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो बस यहीं है, यहीं है, यहीं है।
प्रश्न 7.मुगल दरबार से इस बात का कैसे संकेत मिलता था कि बादशाह से धनी, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर सभी को न्याय मिलेगा?
उत्तर – मुगल दरबार में निर्मित इमारतों में प्रयुक्त प्रतीकों से इस अवधारणा को बल मिलता है कि धनी, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर सभी को बादशाह से समान न्याय मिलेगा।
(1) बादशाह के नवनिर्मित दरबार में राजकीय न्याय और शाही दरबार के अन्तर्सम्बन्ध पर बहुत बल दिया।
(2) बादशाह के सिंहासन के पीछे पितरा-दूरा के जड़ाऊ काम की एक श्रृंखला बनाई थी जिसमें पौराणिक यूनानी देवता आर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था। ऐसा माना जाता था कि आर्फियस का संगीत आक्रामक जानवरों को भी शान्त कर सकता है और वे शान्तिपूर्वक एक-दूसरे के साथ रहने लगते हैं।
(3) शाहजहाँ के सार्वजनिक सभा भवन का निर्माण यह सूचित करता है कि न्याय करते समय राजा ऊँचे और निम्न सभी लोगों के साथ समान व्यवहार करेगा और सभी सद्भाव के साथ रह सकेंगे।
प्रश्न 8. शाहजहाँनाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की क्या भूमिका थी ?
उत्तर – शाहजहाँनाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की भूमिका निम्नलिखित थी
(1) यमुना नदी के तट पर होने के कारण इस शहर को पीने के लिए पानी आसानी से उपलब्ध था।
(2) यमुना नदी का तटवर्ती भाग समतल था।
(3) मुगलकाल में नदी तट पर आवास निर्माण का अधिकार अभिजात वर्ग तक ही सीमित था। शाहजहाँ ने सभी अभिजातों पर नियन्त्रण हेतु इस शहर की योजना यमुना नदी पर की।
न आइए विचार करें
प्रश्न 9. आज धनी और शक्तिशाली लोग विशाल घरों का निर्माण करवाते हैं। अतीत में राजाओं तथा उनके दरबारियों के निर्माण किन मायनों में इनसे भिन्न थे?
उत्तर – अतीत में राजाओं तथा उनके दरबारियों के निर्माण निम्न प्रकार से आज के धनी और शक्तिशाली लोगों के विशाल घरों से भिन्न थे
(1) राजाओं के निर्माण बहुत बड़े भू-भाग पर किये जाते थे जिसमें खास तरह की कच्ची सामग्री का इस्तेमाल होता था, जैसे लाल बलुआ पत्थर, संगमरमर, हीरे, रत्न इत्यादि।
(2) किले को सुरक्षित करने के लिए किले के चारों ओर गड्ढे खोदे जाते थे।
(3) इमारत में जलतन्त्र, हौज और बगीचों के लिए योजना होती थी।
(4) निर्माण में नए-नए प्रयोगों का राजा सदैव प्रयोग करते थे, जैसे पितरा-दूरा।
(5) राजाओं द्वारा बनवाई गई इमारतें प्रायः गुजराती, राजस्थानी और बांग्ला गुम्बदों जैसे प्रादेशिक वास्तुशिल्प का मिश्रण होती थीं।
(6) राजाओं की इमारतें अत्यन्त भव्य व आलीशान होती थीं।
प्रश्न 10. चित्र 4 पर नजर डालें। यह इमारत आज कैसे तेजी से बनवाई जा सकती है ?
उत्तर – चित्र 4 में राजराजेश्वर मन्दिर का शिखर उस समय के मन्दिरों में सबसे ऊँचा था। इसका निर्माण आसान नहीं था, क्योंकि उन दिनों कोई क्रेन नहीं थी। परन्तु आज क्रेन और कई अत्याधुनिक मशीनों की सहायता से यह इमारत बड़ी तेजी से बनवायी जा सकती है।
आइए करके देखें
प्रश्न 11. पता लगाएँ कि क्या आपके गाँव या कस्बे में किसी महान व्यक्ति की कोई प्रतिमा अथवा स्मारक है? इसे वहाँ क्यों स्थापित किया गया था ? इसका प्रयोजन क्या है ?
उत्तर-अधिकांश गाँवों, कस्बों, शहरों में किसी महान व्यक्ति की प्रतिभा अथवा स्मारक देखने को मिलती है। स्मारक एक ऐसी संरचना है जो खास तौर पर किसी व्यक्ति या महत्वपूर्ण घटना की स्मृति में बनायी जाती है, या किसी सामाजिक तबके के लिए उसके पुराने अतीत की याद दिलाने के रूप में स्थापित की । जाती है। कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर प्रतिमा लगाने के पीछे यह प्रयोजन रहता है कि लोग उस व्यक्ति के व्यक्तित्व से शिक्षा लें। लोगों में देश के प्रति उत्तरदायित्व की भावना जागृत हो। उस प्रतिमा को देखकर लोग भी देश के लिए कुछ करने का दृढ़ संकल्प लें।
प्रश्न 12. अपने आस-पास के किसी पार्क या बाग की सैर करके उसका वर्णन करें। किन मायनों में ये मुगल बागों के समान अथवा भिन्न हैं ?
उत्तर – अधिकांश पार्क शहर की घनी बस्तियों से थोड़ी दूर शहर के मध्य में बनाये जाते हैं जिससे वहाँ शहर के समस्त नागरिक आसानी से आवागमन कर सकें। पार्क में बच्चों के खेलने के लिए कई प्रकार के झूले लगे होते हैं तथा साथ ही वयस्कों के टहलने के लिए पार्क के अन्दर मार्ग बना होता है, कहीं-कहीं व्यायाम करने के लिए ‘ओपन जिम’ भी लगी होती है। जबकि मुगल बाग दीवारों से घिरे होते थे। यह कृत्रिम नहरों तथा चार भागों में विभाजित आयताकार अहाते में स्थित थे। चार समान हिस्सों में बँटे होने के कारण ये चारबाग कहलाते थे।
NCERT Books Class 7th History Solution Chapter 5 : शासक और इमारतें