MP Board Class 9 Economic – I अर्थशास्त्र – आर्थिक विकास की समझ I
Chapter 1 : पालमपुर गाँव की कहानी [The Story of Village Palampur]
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- पालमपुर एक काल्पनिक गाँव है। यहाँ खेती मुख्य क्रिया है जबकि अन्य कई क्रियाएँ; जैसे-लघु-स्तरीय विनिर्माण, डेयरी, परिवहन, आदि सीमित स्तर पर की जाती है।
- पालमपुर आस-पड़ोस के गाँवों और कस्बों से भली-भाँति जुड़ा हुआ है। इस गाँव में विभिन्न जातियों के लगभग 450 परिवार रहते हैं।
- खेतों में सभी नलकूप बिजली क्षेत्र से ही चलते हैं। यहाँ दो प्राथमिक और एक हाईस्कूल विद्यालय हैं।
- भारत के गाँवों में खेती उत्पादन की प्रमुख विधि है।
- उत्पादन का उद्देश्य ऐसी वस्तुएँ और सेवाएँ उत्पादित करना है जिनकी हमें आवश्यकता है।
- वस्तुओं और सेवाओं के लिए चार चीजें आवश्यक हैं-भूमि, श्रम, भौतिक पूँजी तथा मानव पूँजी।
- उत्पादन भूमि, श्रम और पूँजी को संयोजित करके संगठित होता है जिन्हें उत्पादन के कारक कहा जाता है
- बरसात के मौसम (खरीफ) में किसान ज्वार और बाजरा उगाते हैं। इसके बाद अक्टूबर और दिसम्बर के बीच आलू की खेती होती है। सर्दी के मौसम (रबी) में खेतों में गेहूँ उगाया जाता है।
- एक वर्ष में किसी भूमि पर एक से ज्यादा फसल पैदा करने को बहुविध फसल प्रणाली कहते हैं।
- 1960 के दशक के अन्त में हरित क्रान्ति ने भारतीय किसानों को अधिक उपज वाले बीजों (एच.वाई.वी.) के द्वारा गेहूँ और चावल की खेती करने के तरीके सिखाए।
- परम्परागत बीजों से गेहूँ की उपज 1,300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। एच.वाई.वी. बीजों से उपज 3,200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहुँच गई। •
- वैज्ञानिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि अनेक क्षेत्रों में हरित क्रांति के कारण उर्वरकों के अधिक प्रयोग से मृदा की उर्वरता कम हो गई है।
- कृषि का भावी विकास सुनिश्चित करने के लिए हमें पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए।
- देश में रासायनिक खाद का सबसे अधिक प्रयोग पंजाब में है। सरकार द्वारा खेतों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए एक दिन का न्यूनतम वेतन ₹ 300 निर्धारित है।
- मजदूरी नकद या वस्तु जैसे अनाज के रूप में हो सकती है। कभी-कभी श्रमिकों को भोजन भी मिलता है। ।
- अधिसंख्य छोटे किसानों को पूँजी की व्यवस्था करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ता है।
- छोटे किसानों के विपरीत, मझोले और बड़े किसानों को खेती से बचत होती है।
- श्रम पूर्ति उत्पादन के अन्य कारकों की तुलना में सबसे अधिक प्रचुर हैं। भारत में ग्रामीण क्षेत्र के 100 कामगारों में से केवल 24 ही गैर-कृषि कार्यों में लगे हैं।
- खेती के विपरीत, गैर-कृषि कार्यों में कम भूमि की आवश्यकता होती है। लोग कम पूँजी से भी गैर-कृषि कार्य प्रारम्भ कर सकते हैं।
- गैर-कृषि कार्यों के प्रसार के लिए यह भी आवश्यक है कि ऐसे बाजार हों, जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ बेची जा सकें।
- गाँव, कस्बों और शहरों से अच्छी सड़कों, परिवहन और टेलीफोन से जुड़ेंगे, भविष्य में गाँवों में गैर-कृषि उत्पादन क्रियाओं के अवसर बढ़ेंगे।
पाठान्त अभ्यास
प्रश्न 1. भारत में जनगणना के दौरान दस वर्ष में एक बार प्रत्येक गाँव का सर्वेक्षण किया जाता है। पालमपुर से सम्बन्धित सूचनाओं के आधार पर निम्न तालिका को भरिए
(क) अवस्थिति क्षेत्र,
(ख) गाँव का कुल क्षेत्र,
(ग) भूमि का उपयोग (हेक्टेयर में)
(घ) सुविधाएँ
(क) पालमपुर आस-पड़ोस के गाँवों और कस्बों से भली-भाँति जुड़ा हुआ है।
(ख) गाँव का कुल क्षेत्र-300 हेक्टेयर है।
(ग) भूमि का उपयोग –
सिंचित भूमि – 200 हेक्टेयर।
असिंचित भूमि – 74 हेक्टेयर।
भूमि जो कृषि के लिए उपलब्ध नहीं है – 26 हेक्टेयर (निवास-स्थानों, सड़कों, तालाबों तथा चरागाहों आदि के क्षेत्र)।
(घ) सुविधाएँ शैक्षिक – इस गाँव में 2 प्राथमिक विद्यालय और 1 हाईस्कूल है।
चिकित्सा – गाँव में एक राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और एक निजी औषधालय
बाजार – पालमपुर में बाजार ज्यादा विकसित नहीं है। लोग शहरों के थोक बाजारों से कई प्रकार की वस्तु खरीदते हैं और उन्हें गाँव में लाकर बेचते हैं। गाँव में छोटे जनरल स्टोर हैं जिनमें आवश्यक वस्तुएँ मिलती हैं।
बिजली पूर्ति – सभी घरों में बिजली की पूर्ति होती है। इसके अतिरिक्त बिजली पूर्ति नलकूप चलाने तथा छोटे व्यवसायों में भी होती है।
संचार – टेलीफोन व कम्प्यूटर केन्द्र। निकटतम कस्बा-गाँव को रायगंज और उससे आगे निकटतम छोटे कस्बे शाहपुर से जोड़ती है।
प्रश्न 2. खेती की आधुनिक विधियों के लिए ऐसे अधिक आगतों की आवश्यकता होती है, जिन्हें उद्योगों में विनिर्मित किया जाता है, क्या आप सहमत हैं ?
उत्तर – हाँ यह कथन सही है, क्योंकि खेती की आधुनिक विधियों के लिए कृषि में उर्वरकों, कीटनाशों, बिजली और ट्रेक्टरों का प्रयोग बढ़ रहा है। ये आगत उद्योगों से प्राप्त होते हैं। दूसरी ओर उद्योगों के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है। यह कच्चा माल हमें कृषि से ही प्राप्त होता है। अतः कृषि हमारे उद्योगों का आधार है। इस प्रकार कृषि और उद्योग एक-दूसरे से अलग नहीं हैं। वास्तव में दोनों में निकट का सम्बन्ध है। इससे स्पष्ट है कि कृषि और उद्योग साथ-साथ बढ़ रहे हैं।
प्रश्न 3. पालमपुर में बिजली के प्रसार ने किसानों की किस तरह मदद की ?
उत्तर – पालमपुर में बिजली जल्दी आ गई थी। उसका मुख्य प्रभाव यह पड़ा कि सिंचाई की पद्धति है बदल गई। बिजली आने से पहले किसान कुँओं से रहट द्वारा पानी निकालकर छोटे-छोटे खेतों में सिंचाई किया करते थे। गाँव वालों ने देखा कि बिजली से चलने वाले नलकूपों से ज्यादा प्रभावकारी ढंग से अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जा सकती थी। प्रारम्भ में कुछ नलकूप सरकार द्वारा लगाए गए थे पर, जल्दी ही किसानों ने अपनी निजी नलकूप लगाने प्रारम्भ कर दिए। परिणामस्वरूप, 1970 के दशक के मध्य तक 200 हेक्टेयर के पूरे जुते हुए क्षेत्र की सिंचाई होने लगी।
प्रश्न 4. क्या सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना महत्वपूर्ण है ? क्यों?
उत्तर – सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए सिंचित क्षेत्र महत्वपूर्ण ही नहीं बल्कि आवश्यक भी है। भारत में मानसून अनिश्चित है। कृषि के अन्तर्गत अने वाली भूमि किसानों के लिए पर्याप्त नहीं है। यदि कृषकों को सिंचित भूमि खेती के लिए उपलब्ध हो जाती है तो वे थोड़ी जमीन पर ही अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
प्रश्न 5. पालमपुर के 450 परिवारों में भूमि के वितरण की एक सारणी बनाइए।
उत्तर
प्रश्न 6. पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से कम क्यों है ?
उत्तर – पालमपुर में 450 परिवारों में से लगभग एक-तिहाई अर्थात् 150 परिवारों के पास खेती के लिए भूमि नहीं है। ऐसे भूमिहीन श्रमिकों में डाला भी है जो कि एक भूमिहीन श्रमिक है। इसका आशय है कि उसे निरन्तर कार्य ढूँढ़ते रहना पड़ता है। सरकार द्वारा खेतों में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए एक दिन का न्यूनतम वेतन ₹ 300 (मार्च 2017) निर्धारित है। लेकिन, डाला को मात्र ₹ 160 ही मिलते हैं। पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों में बहुत ज्यादा स्पर्धा है, इसलिए लोग कम वेतन में भी कार्य करने को तैयार हो जाते हैं।
प्रश्न 7. अपने क्षेत्र में दो श्रमिकों से बात कीजिए। खेतों में कार्य करने वाले या विनिर्माण कार्य में लगे मजदूरों में से किसी को चुनें। उन्हें कितनी मजदूरी मिलती है ? क्या उन्हें नकद पैसा मिलता है या वस्तु-रूप में ? क्या उन्हें नियमित रूप से काम मिलता है? क्या वे कर्ज में हैं ?
उत्तर – मैंने अपने क्षेत्र में दो श्रमिकों से बातचीत की, जो खेतों में कार्य करते हैं। उन्हें ₹ 200 प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी मिलती है कभी-कभी उन्हें मजदूरी के बदले अनाज भी मिल जाता है तथा यदा-कदा कार्य कराने वाले खाना भी परोस देते हैं। उन्हें निरन्तर कार्य नहीं मिलता है अर्थात् उनका कार्य मौसमी है। पूरे वर्ष के दौरान 6 से 7 महीने ही कार्य मिलता है जिससे परिवार का भरण-पोषण नहीं होता। इसलिए उन्होंने ऋण भी ले रखे थे जिसके कारण वे निर्धनता में जकड़े हुए पाए गए।
प्रश्न 8. एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के अलग-अलग कौन-से तरीके हैं ? समझाने के लिए उदाहरणों का प्रयोग कीजिए।
उत्तर – एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरीके निम्नलिखित हैं
(1) एक वर्ष में किसी भूमि पर एक से ज्यादा फसल पैदा करने को बहुविध फसल प्रणाली कहते हैं। यह भूमि के किसी एक टुकड़े में उपज बढ़ाने की सबसे सामान्य प्रणाली है।
(2) आधुनिक सिंचाई सुविधाओं का उपयोग करके एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
(3) एच.वाई.वी. बीज का उपयोग करके भी उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
(4) उर्वरकों का प्रयोग करके तथा रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करके उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
(5) आधुनिक मशीनरी जैसे ट्रेक्टर, थ्रेसर, ड्रिलिंग मशीन आदि का उपयोग करके उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 9. एक हेक्टेयर भूमि के मालिक किसान के कार्य का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर-एक हेक्टेयर भूमि का टुकड़ा बहुत कम होता है। इस छोटे टुकड़े पर किसान आधुनिक तकनीकों का प्रयोग नहीं कर सकता। इसलिए उसे या तो बहु फसल उगानी चाहिए या फिर उस टुकड़े पर गैर-कृषि क्रियाएँ करनी चाहिए अर्थात् कुटीर उद्योग की स्थापना करनी चाहिए।
प्रश्न 10. मझोले और बड़े किसान कृषि से कैसे पूँजी प्राप्त करते हैं ? वे छोटे किसानों से कैसे भिन्न हैं ?
उत्तर – (1) मझोले और बड़े किसान अपनी खुद की बचत से या बैंकों से कृषि के लिए पूँजी प्राप्त करते हैं। ये वर्ष-प्रतिवर्ष की बचत को जोड़कर अपनी स्थिर पूँजी को भी बढ़ाते हैं।
(2) दूसरी ओर, छोटे किसानों को कृषि के लिए पूँजी हेतु बड़े किसानों, गाँव के साहूकार या व्यापारियों से उधार लेना पड़ता है।
प्रश्न 11. सविता को किन शर्तों पर तेजपाल से ऋण मिला है ? क्या ब्याज की कम दर पर बैंक से कर्ज मिलने पर सविता की स्थिति अलग होती?
उत्तर – सविता एक लघु किसान है। सविता ने तेजपाल सिंह से ₹3000 24 प्रतिशत ब्याज की दर पर चार महीने के लिए उधार लिए। उसने साथ में यह भी वायदा किया कि जब भी फसल कटाई का समय होगा तब वह तेजपाल सिंह के खेतों में एक श्रमिक के रूप में ₹ 100 प्रतिदिन पर कार्य करेगी।
सविता की स्थिति निश्चित तौर पर अच्छी होती यदि वह बैंक से कम ब्याज पर ऋण लेती क्योंकि तेजपाल द्वारा दिए गए उधार की ब्याज दर, बैंक की ब्याज से बहुत अधिक है, वहीं दूसरी ओर तेजपाल द्वारा उसे मजदूरी बहुत कम दी जा रही है। बैंक से उधार लेने पर वह इस प्रकार के शोषण से बच सकती थी।
प्रश्न 12. अपने क्षेत्र के कुछ पुराने निवासियों से बात कीजिए और पिछले 30 वर्षों में सिंचाई और उत्पादन के तरीकों में हुए परिवर्तनों पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट लिखिए (वैकल्पिक)।
उत्तर – मुझे अपने बुजुर्गों से बातचीत करने पर पता चला कि पिछले तीस वर्षों में सिंचाई व उत्पादन के तरीकों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं-पहले सिंचाई के लिए मुख्यतः वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता था। जब अच्छी वर्षा होती फसल की पैदावार अच्छी होती अन्यथा नहीं परन्तु अब सिंचाई के अनेक साधन विकसित हो चुके हैं। यहाँ ट्यूबवेल का प्रयोग हो रहा है। सरकार ने बड़े-बड़े बाँध बनाकर नहरों द्वारा सिंचाई की सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं।
पहले जुताई हल के द्वारा होती थी, पुराने बीजों तथा गोबर खाद का उपयोग होता था जिससे उत्पादकता भरण-पोषण तक ही सीमित थी तथा कई बार उत्पादन भरण-पोषण के लिए भी पूरा नहीं होता था। परन्तु पिछले तीस वर्षों से उत्पादन की आधुनिक रीतियों का प्रयोग हो रहा है। ट्रेक्टरों, मशीनों, अच्छे बीज, रासायनिक खादों तथा दवाइयों का प्रयोग होने से उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई है। इससे मझोले किसान भी खेती के अधिशेष कृषि उत्पादों को बेचते हैं जिससे उनकी बचत होती है जो कृषि विकास में सहायक होती है।
प्रश्न 13. आपके क्षेत्र में कौन-से गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं ? इनकी एक संक्षिप्त सूची बनाइए।
उत्तर – हमारे क्षेत्र में निम्नलिखित गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं
(1) गन्ना खरीदकर गुड़ बनाना।
(2) पशुपालन (डेयरी), मछलीपालन, मुर्गीपालन।
(3) दूध संग्रहण एवं शीतलन केन्द्र।
(4) भैंसागाड़ी व अन्य साधनों द्वारा परिवहन कार्य।
(5) कम्प्यूटर केन्द्र, शिक्षित लोगों द्वारा पाठशाला।
(6) उत्पादित सब्जी व फल को मंडियों में बेचना।
प्रश्न 14. गाँव में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारम्भ करने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर-गाँव में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारम्भ करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किये जा सकते हैं
(1) भारत में ग्रामीण क्षेत्र के 100 कामगारों में से केवल 24 ही गैर-कृषि कार्यों में लगे हैं। गैर-कृषि कार्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिए।
(2) भविष्य में गाँव में गैर-कृषि उत्पादन क्रियाओं में भी वृद्धि हो। खेती के विपरीत, गैर-कृषि कार्यों में कम भूमि की आवश्यकता होती है। भार
(3) लोग कम पूँजी से भी गैर-कृषि कार्य प्रारम्भ कर सकते हैं। इस पूँजी को कैसे प्राप्त किया जाता है ? या तो अपनी ही बचत का प्रयोग किया जाता है या फिर कर्ज लिया जाता है। आवश्यकता है कि ऋण ब्याज की कम दर पर उपलब्ध हो, ताकि बिना बचत वाले लोग भी गैर-कृषि कार्य आरम्भ कर सकें।
(4) गैर-कृषि कार्यों के प्रसार के लिए यह भी आवश्यक है कि ऐसे बाजार हों, जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ बेची जा सकें।
(5) जैसे-जैसे ज्यादा गाँव, कस्बों और शहरों से अच्छी सड़कों, परिवहन और टेलीफोन से जुड़ेंगे वैसे-वैसे भविष्य में गाँव में गैर-कृषि उत्पादन क्रियाओं के अवसर बढ़ेंगे।
(C) अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न • बहु-विकल्पीय
प्रश्न 1. पालमपुर गाँव में विभिन्न जातियों के लगभग कितने परिवार रहते हैं ?
(i) 350 परिवार,
(ii) 400 परिवार,
(iii) 450 परिवार,
(iv) 550 परिवार।
2. पालमपुर गाँव में कितने प्राथमिक विद्यालय हैं ?
(i) 2,
(ii) 4,
(iii) 5,
(iv) 6.
3. गाँव में कृषि भूमि को नापने की मानक इकाई कौन-सी है?
(i) मीटर,
(ii) हेक्टेअर,
(iii) गज,
(iv) किलोमीटर।
4. छिपी हुई (अदृश्य) बेरोजगारी कहाँ पायी जाती है ?
(i) विनिर्माण क्षेत्र में,
(i) सेवा क्षेत्र में,
(iii) कृषि क्षेत्र में,
(iv) उपरोक्त में कोई नहीं।
5. पालमपुर में कितने प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं ?
(i) 75 प्रतिशत,
(ii) 60 प्रतिशत,
(ii) 55 प्रतिशत,
(iv) 50 प्रतिशत।
6. उत्पादन का दूसरा आवश्यक कारक है
(i) भूमि,
(ii) पूँजी,
(iii) श्रम,
(iv) साहस।
7. मार्च 2017 में सरकार द्वारा खेतों में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए एक दिन का न्यूनतम वेतन है
(i) ₹150,
(ii) ₹250,
(iii) ₹300,
(iv) ₹380.
उत्तर-1. (iii), 2. (i), 3. (ii), 4. (iii), 5. (i), 6. (iii), 7. (iii)
रिक्त स्थान पूर्ति
1. भारत के गाँवों में ……………. उत्पादन की प्रमुख गतिविधि है।
2. पालमपुर में एक वर्ष में किसान ……………… अलग-अलग फसलें पैदा करते हैं।
3. छोटे किसानों को ब्याज की ऊँची दर पर पूँजी ….. प्रदान करता है।
4. कृषि एवं मछलीपालन ……………. क्षेत्र से सम्बन्धित हैं।
5. एक वर्ष में किसी भूमि पर एक से ज्यादा फसल पैदा करने को ………………. प्रणाली कहते हैं।
6. पालमपुर में किसान पिछले पन्द्रह-बीस वर्षों से तीसरी फसल के रूप में …………….. पैदा कर रहे हैं।
7. कृषि का भावी विकास सुनिश्चित करने के लिए हमें ……………… की देखभाल करनी चाहिए।
8. पालमपुर में ज्यादा लोग व्यापार ………………नहीं करते।
उत्तर-1. खेती, 2. तीन, 3. महाजन व व्यापारी, 4. प्राथमिक, 5. बहुविध फसल, 6. आलू, 7. पर्यावरण, 8. वस्तु-विनिमय।
सत्य/असत्य
1. गाँव में पशुपालन मुख्य उत्पादन क्रिया है।
2. भूमि स्थायी तथा दुर्लभ है।
3. श्रम पूर्ति उत्पादन के अन्य कारकों की तुलना में सबसे अधिक प्रचुर है।
4. भारत में कुल किसानों के प्रतिशत में छोटे किसानों का प्रतिशत 65 प्रतिशत है।
5. भारत में ग्रामीण क्षेत्र के 100 कामगारों में से केवल 24 प्रतिशत ही गैर-कृषि कार्यों में लगे हैं।
6. पालमपुर में बिजली जल्दी आ गई थी।
उत्तर-1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. सत्य।
सही जोड़ी मिलाइए
उत्तर-1.→ (घ), 2. → (ङ), 3. → (क), 4. → (ख), 5. → (ग)।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. पालमपुर में सिंचाई का मुख्य स्रोत क्या है ?
2. पालमपुर से निकटतम छोटे कस्बे का नाम बताइए।
3. कौन से दशक के अन्त में हरित क्रान्ति शुरू हुई ?
4. देश में रासायनिक खाद का सबसे अधिक प्रयोग किस राज्य में है ? 5. पालमपुर में कितने प्रतिशत लोग कृषि के अतिरिक्त कार्य करते हैं ?
उत्तर-1. नलकूप, 2. शाहपुर, 3. छठे दशक, 4. पंजाब, 5. 25 प्रतिशत।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में पशओं पर आधारित कोई दो उद्योग लिखिए।
उत्तर – (1) डेयरी, (2) चमड़ा।
प्रश्न 2. भारत में किसानों ने खेती के आधुनिक तरीकों का सबसे पहले प्रयोग कहाँ-कहाँ किया?
उत्तर – भारत में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने खेती के आधुनिक तरीकों का सबसे पहले प्रयोग किया।
प्रश्न 3. रबी और खरीफ की फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर –
रबी की फसलें – गेहूँ, चना, जौ, सरसों आदि रबी की फसलें हैं।
खरीफ की फसलें – चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि खरीफ की फसलें हैं।
प्रश्न 4. पालमपुर में परम्परागत बीजों से गेहूँ की उपज क्या थी जो एच.वाई.वी. बीजों से कितनी पहुँच गयी?
उत्तर – पालमपुर में, परम्परागत बीजों से गेहूँ की उपज, 1,300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। एच.वाई.वी. बीजों से उपज 3,200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गई।
प्रश्न 5. एक हेक्टेयर किसके क्षेत्रफल के बराबर होता है ?
उत्तर – एक हेक्टेयर, 100 मीटर की भुजा वाले वर्ग के क्षेत्रफल के बराबर होता है।
प्रश्न 6. सिंचाई के प्रमुख साधन बताइए।
उत्तर -सिंचाई के प्रमुख साधन, वर्षा, तालाब, नलकूप, नहर आदि हैं।
प्रश्न 7. पालमपुर गाँव के लोग खरीददारी के लिए कहाँ जाते हैं ?
उत्तर – पालमपुर गाँव के लोग खरीददारी के लिए निकट के कस्बे शाहपुर जाते हैं।
प्रश्न 8. स्थायी पूँजी किसे कहते हैं ?
उत्तर – औजारों, मशीनों और भवनों का उत्पादन में कई वर्षों तक प्रयोग होता है और इन्हें स्थायी पूँजी कहा जाता है।
प्रश्न 9. कार्यशील पूँजी किसे कहते हैं ?
उत्तर – कच्चा माल तथा नकद पैसों को कार्यशील पूँजी कहते हैं।
प्रश्न 10. उत्पादन के कारक किसे कहते हैं ?
उत्तर – उत्पादन भूमि, श्रम और पूँजी को संयोजित करके संगठित होता है, जिन्हें उत्पादन के कारक कहा जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कृषि में पूँजी एक मूल आवश्यकता है। भारत में छोटे, मध्यम और बड़े किसान इसका प्रबन्ध कैसे करते हैं ?
उत्तर – (1) अधिसंख्य छोटे किसानों को पूँजी की व्यवस्था करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ता है। वे बड़े किसानों से या गाँव के साहूकारों से या खेती के लिए विभिन्न आगतों की पूर्ति करने वाले व्यापारियों से कर्ज लेते हैं। ऐसे ऋणों पर ब्याज की दर बहुत ऊँची होती है।
(2) छोटे किसानों के विपरीत, मझोले और बड़े किसानों को खेती से बचत होती है। इस प्रकार वे आवश्यक पूँजी की व्यवस्था कर लेते हैं।
प्रश्न 2. पालमपुर गाँव के किसानों में भूमि का वितरण किस प्रकार से है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – पालमपुर में 450 परिवारों में से लगभग एक-तिहाई अर्थात् 150 परिवारों के पास खेती के लिए भूमि नहीं है, जो अधिकांशतः दलित हैं।
240 परिवार ऐसे हैं जिनके पास भूमि है, 2 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले छोटे भूमि के टुकड़ों पर खेती करते हैं। भूमि के इस प्रकार के टुकड़ों पर खेती करने से किसानों के परिवारों को पर्याप्त आमदनी नहीं होती।
पालमपुर में मझोले और बड़े किसानों के 60 परिवार हैं, जो 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर खेती करते हैं। कुछ बड़े किसानों के पास 10 हेक्टेयर या इससे अधिक भूमि है।
प्रश्न 3. रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग क्यों हानिकारक है ?
उत्तर – रासायनिक उर्वरक इस प्रकार के खनिज देते हैं, जो जल में घुल जाते हैं और पौधों को तुरन्त उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन मृदा इन्हें बहुत समय तक धारण नहीं कर सकती। वे मृदा से निकलकर कुएँ के जल, नदियों व तालाबों को प्रदूषित करते हैं। रासायनिक उर्वरक मृदा में उपस्थित जीवाणुओं और सूक्ष्म-अवयवों को नष्ट कर सकते हैं। अर्थात् रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कुछ समय पश्चात् मृदा की उर्वरा (उत्पादन) शक्ति कम हो जाएगी।
प्रश्न 4. पंजाब में खेती की लागत बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – हमारे देश में रासायनिक खाद का सबसे अधिक प्रयोग पंजाब में हो रहा है। रासायनिक खाद के निरन्तर प्रयोग ने मिट्टी की गुणवत्ता को कम कर दिया है। पंजाब के किसानों को पहले का उत्पादन स्तर पाने के लिए अब अधिक से अधिक रासायनिक खादों और अन्य आगतों का प्रयोग करना पड़ता है। इसका अर्थ है कि वहाँ खेती की लागत बहुत तेजी से बढ़ रही है।
प्रश्न 5. बहुविधि फसल प्रणाली क्या है ? पालमपुर में इस प्रणाली को कैसे अपनाया ?
उत्तर – एक वर्ष में किसी भूमि पर एक से ज्यादा फसल पैदा करने को बहुविध फसल प्रणाली कहते हैं। यह भूमि के किसी एक टुकड़े में उत्पादन बढ़ाने की सबसे सामान्य प्रणाली है। पालमपुर गाँव में सभी किसान कम से कम दो मुख्य फसलें पैदा करते हैं। कई किसान पिछले 15-20 वर्षों से तीसरी फसल के रूप में आलू पैदा कर रहे हैं। इस प्रकार एक ही जमीन के टुकड़े से उत्पादन बढ़ाने का तरीका बहुविध फसल प्रणाली है।
प्रश्न 6. भौतिक पूँजी से क्या आशय है ? इसके विभिन्न प्रकार क्या हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भौतिक पूँजी-उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर भिन्न-भिन्न प्रकार के आगतों की आवश्यकता होती है। ये सभी आगत भौतिक पूँजी कहलाते हैं। भौतिक पूँजी के निम्न प्रकार होते हैं
(i) स्थायी पूँजी – औजार, मशीन, भवन स्थायी पूँजी के अन्तर्गत आते हैं। औजारों तथा मशीनों में अत्यन्त साधारण औजार; जैसे-किसान का हल से लेकर परिष्कृत मशीनें; जैसे-जनरेटर, टरबाइन, कम्प्यूटर आदि आते हैं। औजारों, भवनों व मशीनों का उत्पादन में कई वर्षों तक प्रयोग होता है और इन्हें स्थायी पूँजी कहा जाता है।
(ii) कार्यशील पूँजी – कच्चा माल तथा नकद पैसों को कार्यशील पूँजी कहते हैं। उदाहरण के लिए, उत्पादन में कई प्रकार के कच्चे माल की आवश्यकता होती है; जैसे-बुनकर द्वारा प्रयोग किया जाने वाला सूत और कुम्हारों द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली मिट्टी। उत्पादन के दौरान भुगतान करने तथा जरूरी माल खरीदने के लिए कुछ धनराशि की आवश्यकता होती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आप किस प्रकार कह सकते हैं कि पालमपुर एक अच्छा विकसित गाँव है ? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पालमपुर में आधारभूत संरचनाओं के विकास का वर्णन कीजिए। ये विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में किस प्रकार सहायता करते हैं ?
उत्तर – अग्रलिखित तथ्यों से स्पष्ट है कि पालमपुर एक विकसित गाँव है
(1) बिजली – पालमपुर गाँव के अधिकांश घरों में बिजली है। खेतों में सभी नलकूप बिजली से ही चलते हैं और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के छोटे कार्यों के लिए भी किया जाता है।
(2) शिक्षा – पालमपुर में दो प्राथमिक विद्यालय और एक हाईस्कूल है।
(3) स्वास्थ्य केन्द्र – गाँव में एक राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और एक निजी औषधालय भी है, जहाँ रोगियों का उपचार किया जाता है।
(4) डेयरी व अन्य प्रचलित क्रिया – पालमपुर गाँव में कई परिवारों में डेयरी एक प्रचलित क्रिया है। लोग अपनी भैंसों को कई तरह की घास और बरसात के मौसम में उगने वाली चरी खिलाते हैं। दूध को निकट के बड़े गाँव रायगंज में बेचा जाता है। रायगंज में दूध संग्रहण एवं शीतलन केन्द्र खुला हुआ है, जहाँ से दूध दूर-दराज के शहरों और कस्बों में भेजा जाता है।
(5) पालमपुर में लघुस्तरीय विनिर्माण – पालमपुर में विनिर्माण में बहुत सरल उत्पादन विधियों का प्रयोग होता है और उसे छोटे पैमाने पर ही किया जाता है। विनिर्माण कार्य पारिवारिक श्रम की सहायता से अधिकतर घरों या खेतों में किया जाता है।
(6) दुकानदार – पालमपुर के व्यापारी वे दुकानदार हैं, जो शहरों के थोक बाजारों से कई प्रकार की वस्तुएँ खरीदते हैं और उन्हें गाँव में लाकर बेचते हैं। गाँव में छोटे जनरल स्टोरों में दैनिक उपयोग की अधिकांश वस्तुएँ मिल जाती हैं।
(7) परिवहन के साधन – पालमपुर और रायगंज के बीच सड़क पर कई प्रकार के वाहन चलते हैं। रिक्शेवाले, ताँगेवाले, भैंसागाड़ी, जीप, ट्रेक्टर, ट्रक ड्राइवर तथा परम्परागत बैलगाड़ी और दूसरी गाड़ियाँ चलाने वाले वे लोग हैं जो परिवहन सेवाओं में शामिल हैं।
प्रश्न 2. भारत में ‘हरित क्रान्ति’ पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर
हरित क्रान्ति भारत में कृषि कार्य में आधुनिक नवीन वैज्ञानिक तकनीक के उपयोग द्वारा कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि करना ही ‘हरित क्रान्ति’ है। 1960 के दशक के अन्त में भारतीय कृषि के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाया गया जिसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। इसे हरित क्रान्ति का नाम दिया गया।
हरित क्रान्ति की मुख्य विशेषताएँ – हरित क्रान्ति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) भारतीय किसानों को अधिक उपज वाले बीजों (एच.आई.वी.) के द्वारा गेहूँ और चावल की खेती करने के तरीके सिखाए।
(2) रासायनिक खादों व उर्वरकों का प्रयोग करना।
(3) अधिक कृषि-उपज देने वाली फसलों का बोया जाना।
(4) पौध तथा भू-संरक्षण के लिए कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करना।
(5) कृषि सम्बन्धी अनुसंधानों तथा शिक्षा की व्यवस्था करना।
(6) सघन खेती के कार्यक्रम को अपनाना।
हरित क्रान्ति के प्रभाव-
(1) हरित क्रान्ति के फलस्वरूप सिंचाई का क्षेत्र काफी व्यापक हो गया है।
(2) हरित क्रान्ति के फलस्वरूप प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है।
(3) इससे कृषि मात्र जीवन-यापन का साधन न रहकर एक व्यवसाय का रूप धारण कर चुकी है।
(4) इससे खाद्यान्न के उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है और अब गेहूँ के उत्पादन में देश आत्मनिर्भर हो गया है तथा निर्यात करने की स्थिति में आ गया है।
(5) कृषि कार्य में आधुनिक कृषि-यन्त्रों का प्रयोग सम्भव हुआ है।
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