MP Board Class 10 Political Science –II लोकतांत्रिक राजनीति-II
Chapter 2 : संघवाद (Federalism )
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता केन्द्रीय प्राधिकार और उसकी विभिन्न आनुषंगिक इकाइयों के बीच बँट जाती है।
- संघीय शासन व्यवस्था एकात्मक शासन व्यवस्था से ठीक उलट है। एकात्मक व्यवस्था में शासन का एक ही स्तर होता है और बाकी इकाइयाँ उसके अधीन होकर कार्य करती हैं।
- संघीय शासन व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं, देश की एकता की सुरक्षा करना और उसे बढ़ावा देना तथा इसके साथ ही क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा सम्मान करना।
- भारतीय संविधान ने भारत को राज्यों का संघ घोषित किया। इसमें संघ शब्द नहीं आया पर भारतीय संघ का गठन संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धान्त पर हुआ है।
- संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के विषय हैं। .
- राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि और सिंचाई जैसे प्रान्तीय और स्थानीय महत्त्व के विषय
- समवर्ती सूची में शिक्षा, वन, मजदूर-संघ, विवाह, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे विषय हैं जो केन्द्र के साथ राज्य सरकारों की साझी दिलचस्पी में आते हैं।
- असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम संविधान के कुछ प्रावधानों (अनुच्छेद 371) के तहत विशेष शक्तियों का लाभ उठाते हैं। संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में न्यायपालिका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- भारत ने सन् 1947 में लोकतन्त्र की राह पर अपनी जीवन-यात्रा शुरू की।
- हमारे संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया।
- हिन्दी को राजभाषा माना गया, हिन्दी के अलावा 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।
- भाषा के हिसाब से भारत दुनिया का संभवतः सबसे ज्यादा विविधता वाला देश है।
- 2011 की जनगणना में लोगों ने 1300 से ज्यादा अलग-अलग भाषाओं को अपनी मातृभाषा के रूप में दर्ज कराया था।
- सबसे बड़ी भाषा हिन्दी भी सिर्फ 44 फीसदी लोगों की ही मातृभाषा है। राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट को 1956 में लागू किया गया था।
- स्थानीय सरकारों की स्थापना स्व-शासन के लोकतान्त्रिक सिद्धान्त को वास्तविक बनाने का सबसे अच्छा तरीका है।
- सभी राज्यों में गाँव के स्तर पर ग्राम पंचायतों और शहरों में नगरपालिकाओं की स्थापना की गई।
- भारत में नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों के लिए करीब 36 लाख लोगों का चुनाव होता है।
पाठान्त अभ्यास प्रश्नावली
प्रश्न 1. भारत के खाली राजनीतिक नक्शे पर इन राज्यों की उपस्थिति दर्शाइए : मणिपुर, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और गोवा।
उत्तर
प्रश्न 2. विश्व के खाली राजनीतिक मानचित्र पर भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देशों की अवस्थिति बताएँ और उनके नक्शे को रंग से भरें।
उत्तर– भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देश हैं
(i) स्विट्जरलैंड, (ii) बेल्जियम, (iii) संयुक्त राज्य अमेरिका।
नोट- छात्र अध्यापक की सहायता से विश्व के राजनीतिक मानचित्र पर उक्त तीनों देशों को दर्शाएँ एवं उनमें रंग भरें।
प्रश्न 3. भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताएँ।
उत्तर – भारत तथा बेल्जियम की संघीय-व्यवस्था की एक मिलती-जुलती बात यह है कि केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द कर दी गई हैं यानी राज्य सरकारें केन्द्रीय सरकार के अधीन नहीं हैं।
भारतीय संविधान से अलग बेल्जियम के संविधान की अलग विशेषता यह है कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच-भाषी मन्त्रियों की संख्या समान रहेगी।
प्रश्न 4. शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या मुख्य अन्तर है ? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें।
उत्तर– शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में निम्न तथ्यों के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता
(1) एकात्मक सरकार के लिए लिखित संविधान होना अनिवार्य नहीं है जबकि संघात्मक सरकार के लिए लिखित संविधान होना अनिवार्य है।
(2) एकात्मक शासन में इकहरी नागरिकता होती है। कोई भी व्यक्ति कहीं भी रहे, उसे राष्ट्र की नागरिकता प्राप्त होती है जबकि संघात्मक शासन में प्रायः दोहरी नागरिकता होती है। एक राज्य की, जिसमें व्यक्ति रहता है तथा दूसरी संघ की।
(3) एकात्मक शासन में विधानमंडल एक-सदनात्मक भी हो सकता है और द्वि-सदनात्मक जबकि संघात्मक सरकार के लिए दो-सदनीय विधानमंडल अनिवार्य है।
(4) एकात्मक शासन में स्थानीय सरकार की इकाइयाँ केन्द्र सरकार की प्रतिनिधि मात्र होती हैं। केन्द्र उनमें जैसे चाहे परिवर्तन कर सकता है, परन्तु संघात्मक शासन में स्थानीय इकाइयों का एक विशेष संवैधानिक दर्जा होता है। केन्द्र सरकार उन्हें अपनी इच्छानुसार बदल नहीं सकती।
(5) एकात्मक शासन में एक ही कार्यपालिका, विधानपालिका और न्यायपालिका होती है जबकि संघात्मक शासन में ये संस्थाएँ दोहरी होती हैं।
(6) एकात्मक शासन में सम्पूर्ण शक्तियाँ केन्द्र के पास होती हैं जबकि संघात्मक शासन में शक्तियाँ केन्द्र तथा राज्य में बँटी होती हैं।
प्रश्न 5. 1992 के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय शासन के दो महत्त्वपूर्ण अन्तरों को बताएँ।
उत्तर – वास्तविक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम 1992 में उठाया गया। संविधान में संशोधन करके लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के इस तीसरे स्तर को ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावी बनाया गया।
(1) अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
(2) संशोधन के बाद कम से कम एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इससे पहले यह आरक्षित नहीं थे।
प्रश्न 6. रिक्त स्थानों को भरें
चूँकि अमरीका………… तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार हैं। संघीय सरकार के मुकाबले प्रान्त ………. हैं। लेकिन भारत की संघीय प्रणाली ………….. की है और यहाँ कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
उत्तर – (i) साथ आकर संघ बनाने की, (ii) शक्तिशाली, (iii) साथ रहने।
प्रश्न 7. भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप जिसे ठीक समझते हैं उसके पक्ष में तर्क और उदाहरण दें।
संगीता : प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है।
अरमान : भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति सचेत हो गए हैं।
हरीश : इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अंग्रेजी के प्रभुत्व को मजबूत करने का काम किया है।
उत्तर – संगीता की प्रतिक्रिया उचित लगती है। क्योंकि हमारे संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा नहीं दिया गया। हिन्दी को राजभाषा माना गया पर हिन्दी सिर्फ 40 फीसदी (लगभग) भारतीयों की मातृभाषा है इसलिए अन्य भाषाओं के संरक्षण के अनेक दूसरे उपाय किए गए। संविधान में हिन्दी के अलावा अन्य 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। राज्यों की भी अपनी राजभाषाएँ हैं। राज्यों का अपना काम अधिकांश अपनी राजभाषा में ही होता है। राजभाषा के रूप में हिन्दी को बढ़ावा देने की भारत सरकार की नीति बनी हुई है पर बढ़ावा देने का आशय यह नहीं है कि केन्द्र सरकार उन पर भी हिन्दी को थोप सकती है जहाँ लोग कोई और भाषा बोलते हैं। भारतीय राजनेताओं ने इस मामले में जो लचीला रुख अपनाया उसी से हम श्रीलंका जैसी स्थिति में पहुँचने से बच गए।
प्रश्न 8. संघीय सरकार की एक विशिष्टता है
(क) राष्ट्रीय सरकार अपने कुछ अधिकार प्रान्तीय सरकारों को देती है। (ख) अधिकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बँट जाते हैं।
(ग) निर्वाचित पदाधिकारी ही सरकार में सर्वोच्च ताकत का उपयोग करते हैं।
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है। उत्तर – (घ)।
प्रश्न 9. भारतीय संविधान की विभिन्न सूचियों में दर्ज कुछ विषय यहाँ दिए गए हैं। इन्हें नीचे दी गई तालिका में संघीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची वाले समूहों में लिखें।
(क) रक्षा; (ख) पुलिस; (ग) कृषि; (घ) शिक्षा; (ङ) बैंकिंग; (च) वन; (छ) संचार; (ज) व्यापार (झ) विवाह।
संघीय सूची ————————-
राज्य सूची ————————-
समवर्ती सूची ————————-
उत्तर
संघीय सूची – रक्षा, बैंकिंग, संचार
राज्य सूची – पुलिस, कृषि, व्यापार
समवर्ती सूची शिक्षा – वन, विवाह
प्रश्न 10. नीचे भारत में शासन के विभिन्न स्तरों और उनके कानून बनाने के अधिकार-क्षेत्र के जोड़े दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा जोड़ा मेल वाला नहीं है ?
(क) राज्य सरकार – राज्य सूची
(ख) केन्द्र सरकार – संघीय सूची
(ग) केन्द्र और राज्य सरकार – समवर्ती सूची
(घ) स्थानीय सरकार – अवशिष्ट अधिकार
उत्तर – (घ) स्थानीय सरकार – अवशिष्ट अधिकार।
प्रश्न 11 – सूची I और सूची II में मेल ढूँढें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही उत्तर चुनें।
उत्तर-(गा) अ, स, द, ब।
प्रश्न 12. इन बयानों पर गौर करें
(अ) संघीय व्यवस्था में संघ और प्रांतीय सरकारों के अधिकार स्पष्ट रूप से तय होते हैं।
(ब) भारत एक संघ है क्योंकि केन्द्र और राज्य सरकारों के अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं और अपने-अपने विषयों पर स्पष्ट अधिकार है।
(स) श्रीलंका में संघीय व्यवस्था है क्योंकि उसे प्रांतों में बाँट दिया गया है।
(द) भारत में संघीय व्यवस्था नहीं रही क्योंकि राज्यों के कुछ अधिकार शासन की इकाइयों में बाँट दिए गए हैं।
ऊपर दिए गए बयानों में कौन-कौन सही हैं
(सा) अ, ब और स
(रे) अ, स और द
(गा) अ और ब
(मा) ब और स।
उत्तर – (गा) अ और ब।
अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट को किस वर्ष में लागू किया गया ?
(i) 1949 में
(ii) 1952 में
(iii) 1954 में
(iv) 1956 में।
2. समवर्ती सूची में कौन-सा विषय है ?
(i) गोद लेना
(ii) सिंचाई
(iii) बैंकिंग
(iv) उपरोक्त में कोई नहीं।
3. भारत ने कब लोकतन्त्र की राह पर अपनी जीवन-यात्रा शुरू की ?
(i) 1951
(ii) 1950
(iii) 1947
(iv) 1948.
4. भारत में हिन्दी के अलावा कितनी भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है ?
(i) 15
(ii) 17
(iii) 19
(iv) 21.
5. हिन्दी कितने लोगों की मातृभाषा है ?
(i) 56 फीसदी
(ii) 50 फीसदी
(iii) 44 फीसदी
(iv) 39 फीसदी।
6. भारत में नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों के लिए करीब कितने लोगों का चुनाव होता है ?
(i) 36 लाख लोगों का
(ii) 40 लाख लोगों का
(iii) 45 लाख लोगों का
(iv) 47 लाख लोगों का।
उत्तर-1. (iv), 2. (i), 3. (iii),4. (iv), 5. (iii), 6. (i).
रिक्त स्थान पूर्ति
1. भारतीय संविधान ने भारत को राज्यों का ………. घोषित किया।
2. संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच विधायी अधिकारों को ……….. हिस्से में बाँटा गया है।
3. संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में ………. महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती
4. भारत के संघीय ढाँचे की दूसरी परीक्षा ………. को लेकर हुई।
5. 22 भाषाओं को भारतीय संविधान की ……….. अनुसूची में रखा गया है।
6. कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर …….. का गठन होता है।
उत्तर – 1. संघ, 2. तीन, 3. न्यायपालिका, 4. भाषा नीति, 5. आठवीं, 6. पंचायत समिति।
सत्य/असत्य
1. लोकतांत्रिक व्यवस्था के अन्दर अलग-अलग इलाकों का साथ रहना और चलना सम्भव नहीं हो पाता है।
2. श्रीलंका में व्यावहारिक रूप से अभी भी एकात्मक शासन व्यवस्था है।
3. संघीय शासन व्यवस्था एकात्मक शासन व्यवस्था से ठीक उलट है।
4. संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच विधायी अधिकारों को चार हिस्सों में बाँटा गया है।
5. भारतीय संघ की कई इकाइयों को बहुत ही कम अधिकार हैं।
6. स्थानीय शासन का ढाँचा जिला स्तर तक का है।
उत्तर– 1. असत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. सत्य, 6. सत्य।
सही जोड़ी मिलाइए
उत्तर – 1. → (ग), 2. → (घ), 3. → (क), 4. → (ङ), 5. → (ख)।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
1. प्रतिरक्षा और विदेशी मामले कौन-सी सूची में शामिल होते हैं ?
2. भारतीय लोकतन्त्र में वास्तविक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम कब उठाया गया ?
3. ग्राम पंचायत के प्रमुख का पदनाम क्या है ?
4. किस स्थानीय संस्था का प्रमुख ‘नगर प्रमुख’ होता है ?
5. भारत में स्थानीय शासन के लिए कितने लोग चुने जाते हैं ?
उत्तर – 1. संघ सूची, 2. 1992, 3. प्रधान, 4. नगर निगम, 5. 36 लाख।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारतीय संघ का गठन किस सिद्धान्त पर हुआ है ?
उत्तर– भारतीय संघ का गठन संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धान्त पर हुआ है।
प्रश्न 2. शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने पर फैसला कौन लेता है ?
उत्तर– शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने की हालत में फैसला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।
प्रश्न 3. संघीय व्यवस्था जब सिर्फ बड़े देशों के अनुकूल है, तो बेल्जियम ने इसे क्यों उपनाया ?
उत्तर – बेल्जियम ने संघीय व्यवस्था को इस कारण अपनाया क्योंकि उस राष्ट्र में जाति तथा भाषा के आधार पर अनेक विभिन्नताएँ मौजूद हैं और राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए ऐसा करना अनिवार्य था।
प्रश्न 4. एकात्मक सरकार से क्या आशय है ?
उत्तर -एकात्मक सरकार के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार के पास ही सारे अधिकार होते हैं।
प्रश्न 5. अधिकार क्षेत्र क्या है?
उत्तर – अधिकार क्षेत्र-ऐसा दायरा जिस पर किसी का वैधानिक अधिकार हो। यह दायरा भौगोलिक सीमा के अन्तर्गत परिभाषित होता है अथवा इसके अन्तर्गत कुछ विषयों को भी रखा जा सकता है।
प्रश्न 6. तीन ऐसे राज्यों के नाम बताइए जिन्हें बड़े राज्यों को काटकर बनाया गया है।
उत्तर – मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश-उत्तराखण्ड, बिहार-झारखण्ड।
प्रश्न 7. गठबंधन सरकार से क्या अर्थ है ?
उत्तर -गठबंधन सरकार-एक से ज्यादा राजनीतिक पार्टियों द्वारा साथ मिलकर बनाई गई सरकार को गठबन्धन सरकार कहते हैं। आमतौर पर गठबन्धन में शामिल दल एक राजनीतिक गठजोड़ करते हैं और एक साझा कार्यक्रम स्वीकार करते हैं।
प्रश्न 8. भारतीय संघ में कितने राज्य तथा कितने संघीय क्षेत्र हैं ?
उत्तर-वर्तमान में भारत में 28 राज्य तथा संघ द्वारा शासित क्षेत्र 8 हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. एकात्मक शासन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – एकात्मक शासन-एकात्मक शासन वह होता है जिसके अन्तर्गत संविधान के द्वारा शासन की समस्त शक्ति केन्द्रीय सरकार में निहित करा दी जाती है और स्थानीय सरकारों का अस्तित्व एवं शक्तियाँ केन्द्रीय सरकार की इच्छा पर निर्भर करती हैं।
गार्नर के अनुसार, “यह शासन की वह प्रणाली है जिसमें संविधान द्वारा शासन की सम्पूर्ण शक्ति केन्द्रीय सरकार के एक या अनेक अंगों को प्रदान की जाती है और केन्द्र से ही स्थानीय सरकारें अपनी समस्त शक्ति या स्वायत्तता प्राप्त करती हैं। वस्तुतः उनका अस्तित्व भी केन्द्र पर ही निर्भर रहता है।”
प्रश्न 2. एकात्मक शासन के दोष बताइए।
उत्तर -एकात्मक शासन में प्रमुख रूप से निम्नलिखित दोष पाये जाते हैं
(1) एकात्मक शासन में सम्पूर्ण शक्ति केन्द्रीय शासन में निहित होती है, अतः स्वाभाविक रूप से यह भय रहता है कि केन्द्रीय सरकार शासन के सभी क्षेत्रों में मनमानी न करने लगे।
(2) प्रजातन्त्रीय शासन की सफलता नागरिकों की राजनीतिक चेतना पर निर्भर करती है किन्तु यह राजनीतिक चेतना एकात्मक शासन में ठीक प्रकार से उत्पन्न नहीं होती।
(3) एकात्मक शासन में जनता को शासन में सभी स्तरों पर सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर नहीं मिलता है, इसलिए शासन शक्ति सरकारी कर्मचारियों के हाथों में केन्द्रित हो जाती है और नौकरशाही का स्वेच्छाचारी शासन स्थापित हो जाता है।
(4) छोटे राज्यों में एकात्मक शासन भले ही सफल हो जाय, लेकिन बड़े क्षेत्रफल और अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में, जहाँ पर भाषा, नस्ल, धर्म और संस्कृति की विविधताएँ हों, एकात्मक शासन के आधार पर कार्य किया ही नहीं जा सकता है। इस प्रकार की विविधताओं वाले विशाल राज्यों के लिए तो संघात्मक शासन पद्धति ही उपयुक्त होती है।
प्रश्न 3. संघीय शासन व्यवस्था क्या है?
उत्तर – जिन राज्यों में संविधान के द्वारा ही केन्द्रीय सरकार और प्रान्तीय सरकारों के बीच शक्ति विभाजन कर दिया जाता है और ऐसा प्रबन्ध कर दिया जाता है कि इन दोनों पक्षों में से कोई एक अकेला इस शक्ति-विभाजन में परिवर्तन कर सके, उसे संघात्मक शासन कहते हैं।
इस प्रकार संघीय शासन व्यवस्था एकात्मक शासन व्यवस्था से ठीक उलट है। एकात्मक व्यवस्था में शासन का एक ही स्तर होता है और बाकी इकाइयाँ उसके अधीन होकर काम करती हैं। इसमें केन्द्रीय सरकार प्रान्तीय या स्थानीय सरकारों को आदेश दे सकती है। पर संघीय व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार राज्य सरकार को कुछ विशेष करने का आदेश नहीं दे सकती। राज्य सरकारों के पास अपनी शक्तियाँ होती हैं और इसके लिए वह केन्द्रीय सरकार को जवाबदेह नहीं होती हैं। ये दोनों ही सरकारें अपने-अपने स्तर पर लोगों को जवाबदेह नहीं होती हैं।
प्रश्न 4. संघीय शासन व्यवस्थाएँ किस प्रकार से गठित होती हैं ?
उत्तर -संघीय शासन व्यवस्थाएँ आमतौर पर दो तरीकों से गठित होती हैं
(1) पहला तरीका है दो या अधिक स्वतन्त्र राष्ट्रों को साथ लाकर एक बड़ी इकाई गठित करने का। इसमें दोनों स्वतन्त्र राष्ट्र अपनी सम्प्रभुता को साथ करते हैं, अपनी अलग-अलग पहचान को भी बनाए रखते हैं और अपनी सुरक्षा तथा खुशहाली बढ़ाने का रास्ता अख्तियार करते हैं। साथ आकर संघ बनाने के उदाहरण हैं-संयुक्त राज्य अमरीका, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया वगैरह। इस प्रकार की संघीय व्यवस्था वाले देशों में आमतौर पर प्रान्तों को समान अधिकार होता है।
(2) संघीय शासन व्यवस्था के गठन का दूसरा तरीका है बड़े राष्ट्र द्वारा अपनी आंतरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन करना और फिर राज्य और राष्ट्रीय सरकार के मध्य सत्ता का बँटवारा कर देना। भारत, बेल्जियम और स्पेन इसके उदाहरण हैं। इस दूसरी श्रेणी वाली व्यवस्था में राज्यों के बरक्स केन्द्र सरकार ज्यादा ताकतवर हआ करती है। अक्सर इस व्यवस्था में विभिन्न राज्यों को समान अधिकार दिए जाते हैं पर विशेष स्थिति में किसी-किसी प्रान्त को विशेष अधिकार भी दिए जाते हैं।
प्रश्न 5.“भारत में बड़े स्तर पर संस्कृति, क्षेत्रीयता और धार्मिक विभिन्नताएँ हैं लेकिन फिर भी यहाँ लोगों के बीच एकता है।” इसके लिए कौन से कारक उत्तरदायी हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भारत में विभिन्नताएँ होने के बावजूद भी एकता होने के कारण हैं
(1) धार्मिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और स्वतन्त्रता के अधिकार सभी को प्राप्त हैं।
(2) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं, और वे अपना प्रतिनिधित्व करते हैं।
(3) जाति, स्वीकृत मत, क्षेत्र अथवा धर्म के आधार पर कोई भेद नहीं है।
(4) समानता का अधिकार।
प्रश्न 6. भारत में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच विधायी अधिकार तीन हिस्सों में बाँटे गए हैं, उनका वर्णन कीजिए।
अथवा
केन्द्र और राज्यों में सत्ता का विभाजन कैसे हुआ है ? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर -ये तीन सूचियाँ इस प्रकार हैं
(1) संघ सूची – संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के विषय हैं। पूरे देश के लिए इन मामलों में एक तरह की नीतियों की आवश्यकता है। इसी कारण इन विषयों को संघ सूची में रखा गया है। संघ सूची में शामिल विषयों के बारे में कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केन्द्र सरकार को है।
(2) राज्य सूची – इस सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि और सिंचाई जैसे प्रांतीय और स्थानीय महत्त्व के विषय हैं। राज्य सूची में वर्णित विषयों के बारे में सिर्फ राज्य सरकार ही कानून बना सकती है।
(3) समवर्ती सूची – इस सूची के अन्तर्गत शिक्षा, वन, मजदूर-संघ, विवाह, गोद लेना और उत्तराधि कार जैसे विषय हैं जो केन्द्र के साथ राज्य सरकारों की साझी जिम्मेदारी में आते हैं।
प्रश्न 7. ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के बारे में बताइए।
उत्तर
(1) ग्राम पंचायत – प्रत्येक गाँव में (और कुछ राज्यों में ग्राम समूह की) एक ग्राम पंचायत होती है। यह एक तरह की परिषद् है जिसमें कई सदस्य और एक अध्यक्ष होता है। सदस्य वार्डों से चुने जाते हैं और उन्हें सामान्यतया पंच कहा जाता है। अध्यक्ष को प्रधान या सरपंच कहा जाता है। इनका चुनाव गाँव अथवा वार्ड में रहने वाले सभी वयस्क लोग मतदान के द्वारा करते हैं। पूरे पंचायत के लिए फैसला लेने वाली संस्था है।
(2) ग्राम सभा – पंचायतों का कार्य ग्राम सभा की देखरेख में चलता है। गाँव के सभी मतदाता इसके सदस्य होते हैं। इसे ग्राम-पंचायत का बजट पास करने और इसके कामकाज की समीक्षा के लिए साल में कम से कम दो या तीन बार बैठक करनी होती है।
प्रश्न 8. जिला परिषद् का गठन किस प्रकार होता है ?
उत्तर – जिला परिषद्-स्थानीय शासन का ढाँचा जिला स्तर तक होता है। कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर पंचायत समिति का गठन होता है। इसे मंडल या प्रखंड स्तरीय पंचायत भी कह सकते हैं। इसके सदस्यों का चुनाव उस इलाके के सभी पंचायत सदस्य करते हैं। किसी जिले की सभी पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन होता है। जिला परिषद् के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। जिला परिषद् में उस जिले से लोक सभा और विधान सभा के लिए चुने गए सांसद और विधायक तथा जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी सदस्य के रूप में होते हैं। जिला परिषद् का प्रमुख इस परिषद् का राजनीतिक प्रधान होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. संघीय व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – संघीय व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(1) यहाँ सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है।
(2) अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं किन्तु कानून बनाने, कर वसूलने और प्रशासन का उनका अपना-अपना अधिकार क्षेत्र होता है।
(3) विभिन्न स्तरों की सरकारों के अधिकार-क्षेत्र संविधान में स्पष्ट रूप में उल्लेखित होते हैं इसलिए संविधान सरकार के हर स्तर के अस्तित्व और प्राधिकार को गारण्टी और सुरक्षा देता है।
(4) अदालतों को संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार है। विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों के विवाद की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय निर्णायक की भूमिका निभाता है।
(5) संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती। ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों की सहमति से ही हो सकते हैं।
(6) वित्तीय स्वायत्तता निश्चित करने के लिए विभिन्न स्तर की सरकारों के लिए राजस्व के अलग-अलग स्रोत निर्धारित हैं।
(7) इस प्रकार संघीय शासन व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं – देश की एकता की सुरक्षा करना और उसे बढ़ावा देना तथा इसके साथ ही क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा सम्मान करना।
प्रश्न 2. भारत में कुछ राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा क्यों दिया गया था ?
उत्तर – भारतीय संघ के सारे राज्यों को भी बराबर अधिकार नहीं है। कुछ राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है। जैसे कि असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम अपने विशिष्ट सामाजिक तथा ऐतिहासिक परिस्थितियों के कारण भारत के संविधान के कुछ प्रावधानों अनुच्छेद 371 के तहत विशेष शक्तियों का लाभ उठाते हैं। ये विशेष शक्तियाँ स्वदेशी लोगों, उनकी संस्कृति और सरकारी सेवाओं में अधिमान्य रोजगार के भूमि अधिकारों के संरक्षण के सम्बन्धों में स्पष्ट रूप से उपयोगी हैं। में भारतीय संघ की कई इकाइयों को बहुत ही कम अधिकार हैं। ये इस प्रकार के छोटे क्षेत्र हैं जो अपने आकार के चलते स्वतंत्र प्रांत नहीं बन सकते हैं। इन्हें किसी मौजूदा प्रांत में विलीन करना भी संभव नहीं है। चण्डीगढ़ या लक्षद्वीप या देश की राजधानी दिल्ली जैसे क्षेत्र इसी श्रेणी में आते हैं और इन्हें केन्द्र शासित प्रदेश कहा जाता है। इन क्षेत्रों को राज्यों वाले अधिकार नहीं हैं। इन इलाकों का शासन चलाने का विशेष अधिकार केन्द्र सरकार को प्राप्त है।
प्रश्न 3. भारत की भाषा – नीति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
भारत की भाषा – नीति भारत के संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया। हिन्दी को राजभाषा माना गया पर हिन्दी सिर्फ 40 फीसदी भारतीयों की मातृभाषा है इसलिए अन्य भाषाओं के संरक्षण के अनेक उपाय किए गए हैं। संविधान में हिन्दी के अतिरिक्त 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। केन्द्र सरकार के किसी पद का उम्मीदवार इनमें से किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है बशर्ते उम्मीदवार इसको विकल्प भाषा के रूप में चुने। राज्यों की अपनी राजभाषाएँ हैं। राज्यों का अपना अधिकांश कार्य अपनी राजभाषा में ही होता है।
संविधान के अनुसार सरकारी कामकाज की भाषा के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग 1965 में बन्द हो जाना चाहिए था पर अनेक गैर-हिन्दी भाषी प्रदेशों ने माँग की कि अंग्रेजी भाषा का प्रयोग जारी रखा जाए। केन्द्र सरकार ने हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी को राजकीय कार्यों में प्रयोग की अनुमति देकर इस विवाद को सुलझाया। राजभाषा के रूप में हिन्दी को बढ़ावा देने की भारत सरकार की नीति बनी हुई है पर बढ़ावा देने का आशय यह नहीं कि केन्द्र सरकार उन राज्यों पर भी हिन्दी को लागू कर सकती है जहाँ लोग कोई और भाषा बोलते हैं। भारतीय राजनेताओं ने इस विषय में जो लचीला रुख अपनाया उसी से हम श्रीलंका जैसी स्थिति में पहुँचने से बच गए।
2011 की जनगणना में लोगों ने 1300 से ज्यादा अलग-अलग भाषाओं को अपनी मातृभाषा के रूप में बताया था। इन भाषाओं को कुछ प्रमुख भाषाओं के साथ समूहबद्ध कर दिया जाता है। जैसे- भोजपुरी, मगही, बुंदेलखंडी, छत्तीसगढ़ी, राजस्थानी और ऐसी ही दूसरी भाषाओं को हिन्दी के साथ जोड़ लिया जाता है। ऐसी समूहबद्धता के बाद भी जनगणना में 121 प्रमुख भाषाएँ पाई गईं। इनमें से 22 भाषाओं को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में रखा गया है और इसी कारण इन्हें अनुसूचित भाषाएँ कहा जाता है। बाकी को गैर-अनुसूचित भाषा कहते हैं। भाषा के हिसाब से भारत दुनिया का संभवतः सबसे ज्यादा विविधता वाला देश है।
प्रश्न 4. भारत में केन्द्र-राज्य सम्बन्ध पर टिप्पणी कीजिए।
अथवा
1990 से पूर्व भारत में केन्द्र-राज्य सम्बन्धों के बीच क्या चुनौतियाँ थीं ? आज सत्ता की साझेदारी केन्द्र और राज्य के बीच अधिक प्रभावशाली क्यों है ?
उत्तर -1990 से पूर्व भारत में केन्द्र-राज्य सम्बन्ध-काफी समय तक हमारे यहाँ एक ही पार्टी का केन्द्र और अधिकांश राज्यों में शासन रहा। इसका व्यावहारिक आशय यह हआ कि राज्य सरकारों ने स्वायत्त संघीय इकाई के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं किया। जब केन्द्र और राज्य में अलग-अलग दलों की सरकारें रहीं तो केन्द्र सरकार ने राज्यों के अधिकारों की अनदेखी करने की कोशिश की। उन दिनों केन्द्र सरकार अक्सर संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग करके विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को भंग कर देती थी। यह संघवाद की भावना के प्रतिकूल काम था।
1990 के बाद-1990 के बाद से यह स्थिति काफी बदल गई। इस अवधि में देश के अनेक राज्यों में क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ। यही दौर केन्द्र में गठबंधन सरकार की शुरूआत का भी था। चूँकि किसी एक दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुत नहीं मिला इसलिए प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों को क्षेत्रीय दलों समेत अनेक दलों का गठबन्धन बनाकर सरकार बनानी पड़ी। इससे सत्ता में साझेदारी और राज्य सरकारों की स्वायत्तता का आदर करने की नई संस्कृति पनपी। इस प्रवृत्ति को सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े फैसले से भी बल मिला। इस फैसले के कारण राज्य सरकार को मनमाने ढंग से भंग करना केन्द्र सरकार के लिए मुश्किल हो गया। इस प्रकार वर्तमान संघीय व्यवस्था के तहत सत्ता की साझेदारी संविधान लागू होने के तत्काल बाद वाले दौर की तुलना में ज्यादा प्रभावी है।
प्रश्न 5. सत्ता के विकेन्द्रीकरण से क्या आशय है ? भारत में सत्ता के विकेन्द्रीकरण पर एक लेख लिखिए।
उत्तर – सत्ता के विकेन्द्रीकरण से आशय-जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं। विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच यह है कि अनेक मुद्दों और समस्याओं का निपटारा स्थानीय स्तर पर ही बढ़िया ढंग से हो सकता है। इससे लोकतांत्रिक भागीदारी की आदत पड़ती है। स्थानीय सरकारों की स्थापना स्व-शासन के लोकतांत्रिक सिद्धान्त को वास्तविक बनाने का सबसे अच्छा तरीका है।
भारत में सत्ता का विकेन्द्रीकरण-विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता हमारे संविधान में भी स्वीकार की गई। इसके बाद से गाँव और शहर के स्तर पर सत्ता के विकेन्द्रीकरण की कई कोशिशें हुई हैं। सभी राज्यों में गाँव के स्तर पर ग्राम पंचायतों और शहरों में नगरपालिकाओं की स्थापना की गई थी। पर इन्हें राज्य सरकारों के सीधे नियंत्रण में रखा गया था। इन स्थानीय सरकारों के लिए नियमित ढंग से चुनाव भी नहीं कराए जाते थे। इनके पास न तो अपना कोई अधिकार था न संसाधन। इस प्रकार प्रभावी ढंग से सत्ता का विकेन्द्रीकरण नाममात्र का हुआ था।
वास्तविक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम 1992 में उठाया गया। संविधान में संशोधन करके लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के तीसरे स्तर को शक्तिशाली और प्रभावी बनाया गया।
(1) अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव नियमित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
(2) निर्वाचित स्वशासी निकायों के सदस्य तथा पदाधिकारियों के पदों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं।
(3) कम से कम एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
(4) हर राज्य में पंचायत और नगरपालिका चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग नामक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया गया है।
(5) राज्य सरकारों को अपने राजस्व और अधिकारों का कुछ हिस्सा इन स्थानीय स्वशासी निकायों को देना पड़ता है। सत्ता में भागीदारी की प्रकृति हर राज्य में अलग-अलग है।
स्थानीय सरकारों की यह नयी व्यवस्था दुनिया में लोकतन्त्र का अब तक का सबसे बड़ा प्रयोग है। नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों के लिए करीब 36 लाख लोगों का चुनाव होता है। यह संख्या ही अपने आप में दुनिया के कई देशों की कुल आबादी से अधिक है। स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा दिए जाने से हमारे यहाँ लोकतन्त्र की जड़ें और मजबूत हुई हैं। इसने महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के साथ ही हमारे लोकतन्त्र में उनकी आवाज को मजबूत किया है।
NCERT Books Class 10 Political Science –II लोकतांत्रिक राजनीति-II Chapter 2 संघवाद Federalism