MP Board Class 8th Solution For Hindi Medium Sahayak Vachan म.प्र. बोर्ड कक्षा 8th का संपूर्ण हल सहायक वाचन
खण्ड 2 योग शिक्षा
पाठ 6 ध्यान
प्रश्न 1. ध्यान की अवधारणा क्या है ?
उत्तर-साधक के चित्त का स्थायी रूप से निरन्तर एक ही ध्येय में स्थिर रहना ध्यान है।
श्री अरविन्द के अनुसार, “मन को एक ही श्रेणी के विचारों को एक श्रृंखला पर केन्द्रित करना जो एक ही विषय पर कार्य करें।”
व्यापक अर्थ में – मानसिक रूप से एक ही वस्तु, एक ही बिम्ब, एक ही विचार पर मनन करना ताकि एकाग्रता की शक्ति द्वारा वस्तु बिम्ब या विचार के विषय में-स्वाभाविक रूप से मन में ज्ञान उपजे। क्योंकि ध्यान का उद्देश्य तत्व विचार, अन्तर्दर्शन या ज्ञान में मानसिक एकाग्रता है। जिस प्रकार शारीरिक शक्ति है संवर्धन के लिए तथा आरोग्य लाभ के लिए योगाभ्यास, व्यायाम आदि आवश्यक है, उसी प्रकार मानसिक प्रखरता तथा आन्तरिक स्फूर्ति के लिए ध्यान का अभ्यास लाभदायक होता है।
प्रश्न 2. ध्यान कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-ध्यान तीन प्रकार के होते हैं-
(i) स्थूल ध्यान-इष्ट देवता की मूर्ति अथवा साक्षात् गुरु का ध्यान।
(ii) ज्योतिर्ध्यान-तेजोमय ब्रह्म या शक्ति का ध्यान (उगते हुए सूर्य अथवा पूर्णिमा का चन्द्रमा आदि)।
(iii) सूक्ष्म ध्यान-बिन्दुमय, ब्रह्म, कुण्डलिनी शक्ति का ध्यान।
प्रश्न 3. ध्यान की कोई दो क्रियाविधि बताइए।
उत्तर-ध्यान की क्रियाविधि-
(i) स्वच्छ व शुद्ध आसन को समलत भूमि पर बिछाकर ध्यान के किसी एक आसन (सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन आदि) में बैठे।
(ii) रीढ़ को सामान्य स्थिति में रखते हुए मन को अन्तर्मुखी करें।
(iii) नेत्रों की दृष्टि को भृकुटी के मध्य में स्थित करें।
(iv) नासिका में विचरने वाले प्राण को सम करें।
(v) अभीष्ट (ध्येय) पर ध्यान केन्द्रित करें।
(vi) मन से ऊँ, बिन्दु ज्योति प्रकाश या इष्ट देवता का चिन्तन करें।
नोट – दूसरी विधि के लिए (vi) में वर्णित किसी एक वस्तु का चिन्तन किया जा सकता है।
प्रश्न 4. सूक्ष्म ध्यान किसे कहते हैं ?
उत्तर-सूक्ष्म ध्यान वह ध्यान है जिसमें किसी एक वस्तु पर मन को एकाग्र करते हुए ध्यान किया जाए तथा लक्ष्य की प्राप्ति की जाये।
उदाहरण-अर्जुन ने चिड़िया की आँख पर अपने मन को एकाग्र करते हुए ध्यान किया और ध्येय (चिड़िया की आँख का) लक्ष्य भेदन कर दिया।
प्रश्न 5. ध्यान के लाभ स्पष्ट करें।
उत्तर-ध्यान के लाभ-
(i) मन एकाग्र होता है।
(ii) मेधा शक्ति की वृद्धि होती है।
(iii) आधि-व्याधियाँ दूर होती हैं।
(iv) बुद्धि शुद्ध एवं स्थिर होती है, सूक्ष्म एवं गम्भीर विषय भी सहजता से ग्रहण होता है
(v) मन्द बुद्धि भी प्रखरता की ओर अग्रसर होती है।
(vi) मन प्रसन्न व आनन्दित होता है।
(vii) चित्त को विश्रान्ति प्राप्त होती है।